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View Full Version : चाणक्य नीति


bindujain
04-04-2013, 06:10 PM
ये 4 काम बिना शर्म किए करेंगे तो आप भी फायदें में रहेंगे
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ऐसा माना जाता है कि बेशर्म होना बुरी बात है लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिनमें शर्म करने पर नुकसान होना निश्चित है। आचार्य चाणक्य ने 4 ऐसे काम बताए हैं जिन्हें करने में हमें कभी शर्म नहीं करना चाहिए।

bindujain
04-04-2013, 06:11 PM
ये 4 काम बिना शर्म किए करेंगे तो आप भी फायदें में रहेंगे
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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
धनधान्यप्रयोगेषु विद्वासंग्रहणे तथा।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्ज: सुखी भवेत्।।
इस श्लोक में आचार्य कहते हैं कि जो भी व्यक्ति धन से संबंधित कार्यों में शर्म करता है उसे धन हानि का सामना करना पड़ता है। यदि किसी व्यक्ति हमें उधार दिया गया पैसा वापस लेना है और हम शर्म के कारण उससे पैसा मांग नहीं रहे हैं तो यह निश्चित है कि धन हानि होगी। अत: कभी भी धन से संबंधित कार्यों में शर्म नहीं करना चाहिए। धन के साथ अन्य किसी वस्तु के लेन-देन में भी शर्म नहीं करना चाहिए।

bindujain
04-04-2013, 06:13 PM
ये 4 काम बिना शर्म किए करेंगे तो आप भी फायदें में रहेंगे
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इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति भोजन करने में शर्म करता है तो वह भूखा ही रह जाएगा। यदि कोई व्यक्ति किसी रिश्तेदार या मित्र के यहां भोजन करता है और वहां शर्म के कारण पेटभर खाना नहीं खाता है तो उसे भूखा रहना पड़ता है। हम जहां भी खाना खाए पेटभर खाएं, खाने में कभी भी शर्म नहीं करना चाहिए

bindujain
04-04-2013, 06:14 PM
ये 4 काम बिना शर्म किए करेंगे तो आप भी फायदें में रहेंगे

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आचार्य कहते हैं कि अच्छा विद्यार्थी वही है जो बिना शर्म किए अपने गुरु से सभी जिज्ञासाओं का उत्तर प्राप्त करता है। शिक्षा प्राप्त करने में जो व्यक्ति शर्म करता है वह अज्ञानी ही रह जाता है। विद्यार्थी को पढ़ाई करते समय शर्म न करते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर गुरु से प्राप्त कर लेना चाहिए। जिससे भविष्य में किसी विषय में अज्ञानी होने की स्थिति से बचा जा सके।

bindujain
04-04-2013, 06:15 PM
ये 4 काम बिना शर्म किए करेंगे तो आप भी फायदें में रहेंगे

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बुद्धिमान और मूर्ख व्यक्ति के संबंध में एक अन्य नीति में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना उपयोगी। जिस प्रकार किसी अंधे व्यक्ति के आईना व्यर्थ है, उसका कोई उपयोग नहीं है। कोई भी अंधा व्यक्ति जब कुछ देख ही नहीं सकता तो उसके लिए आईना किसी भी प्रकार से उपयोगी नहीं हो सकता। ठीक इसी प्रकार किसी भी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें या ज्ञान की बात भी फिजूल ही है। क्योंकि मूर्ख व्यक्ति ज्ञान की बातों पर भी तर्क-वितर्क करते हैं और उन्हें समझ नहीं पाते।

bindujain
04-04-2013, 06:16 PM
ये 4 काम बिना शर्म किए करेंगे तो आप भी फायदें में रहेंगे

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आचार्य चाणक्य के अनुसार मूर्ख व्यक्ति अक्सर कुतर्क में ही समय नष्ट करते रहते हैं जबकि बुद्धिमान व्यक्ति ज्ञान को ग्रहण कर उसे अपने जीवन में उतार लेते हैं। ऐसे में बुद्धिमान लोग तो जीवन में कुछ उल्लेखनीय कार्य कर लेते हैं लेकिन मूर्ख व्यक्ति का जीवन कुतर्क करने में ही निकल जाता है। मूर्ख व्यक्ति को कोई भी समझा नहीं सकता है अत: बेहतर यही होता है कि उनसे बहस न की जाए, ना ही उन्हें समझाने का प्रयास किया जाए।
किसी भी मूर्ख व्यक्ति के सामने ज्ञान की किताबों का ढेर लगा देने से भी वह उनसे कुछ भी ग्रहण नहीं कर पाएगा। उनके लिए किताबें मूल्यहीन ही है और किताबों में लिखी ज्ञान की बातें फिजूल है। अत: किसी भी मूर्ख व्यक्ति को समझाने में अपना समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए।

jai_bhardwaj
04-04-2013, 08:35 PM
उत्तम सूत्र ............धन्यवाद बन्धु।

bindujain
04-04-2013, 09:50 PM
पुरुष ऐसी स्त्रियों से दूर रहेंगे तो हमेशा फायदे में रहेंगे

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हमारे आसपास कई तरह लोग रहते हैं। कुछ हमारे रिश्तेदार हैं तो कुछ हमारे मित्र हैं। कुछ नौकर हैं तो कुछ अनजान लोग। इन लोगों में स्त्री और पुरुष दोनों ही शामिल रहते हैं। सभी का अलग-अलग स्वभाव होता है।
यहां दिए गए फोटो में जानिए आचार्य चाणक्य के अनुसार पुरुष को कैसी स्त्री से हमेशा दूर रहना चाहिए, यदि ऐसी स्त्री से दूर ना रहे तो क्या-क्या परेशानियां हो सकती हैं...

bindujain
04-04-2013, 09:52 PM
पुरुष ऐसी स्त्रियों से दूर रहेंगे तो हमेशा फायदे में रहेंगे

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आचार्य चाणक्य कहते हैं-
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायक:।
स-सर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशय:।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि पुरुष को किसी भी स्त्री से संपर्क करते समय या किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ ही व्यक्ति को मित्र, नौकर और घर के संबंध में भी कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। अन्यथा जीवन मृत्यु के समान भी सकता है

bindujain
04-04-2013, 09:54 PM
पुरुष ऐसी स्त्रियों से दूर रहेंगे तो हमेशा फायदे में रहेंगे

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आचार्य चाणक्य कहते हैं जिन लोगों के मित्र कपटी स्वभाव के होते हैं वे कभी भी बड़ी परेशानियों में घिर सकते हैं। कपटी लोग मित्रों से भी कपट कर सकते हैं। अत: कपट करने वाले और दूसरों का बुरा करने वालों से मित्रता नहीं करना चाहिए। यदि आपके आसपास भी ऐसे लोग हैं तो आपको हमेशा सावधान रहना चाहिए।

bindujain
04-04-2013, 09:55 PM
पुरुष ऐसी स्त्रियों से दूर रहेंगे तो हमेशा फायदे में रहेंगे

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यहां दिए गए श्लोक के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के घर के आसपास हमेशा सांप दिखाई देते हैं तो यह अच्छी बात नहीं है। ऐसे घर में रहने वाले लोगों का जीवन भयंकर कष्टों में व्यतीत होता है और ऐसे लोग मृत्यु के समान कष्ट भी भोग सकते हैं, ऐसी संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं। घर के आसपास सांप दिखना अशुभ भी माना जाता है। अत: हमेशा सावधाना रहना चाहिए।

bindujain
04-04-2013, 09:57 PM
पुरुष ऐसी स्त्रियों से दूर रहेंगे तो हमेशा फायदे में रहेंगे

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आचार्य के अनुसार जिस स्त्री का चरित्र अपवित्र है, जिसका स्वभाव दुष्ट प्रवृत्ति का है उसके साथ रहने वाले लोगों का जीवन हमेशा ही संकटों से भरा रहता है। ऐसे स्वभाव वाली स्त्री के पति का जीवन मृत्यु के समान ही व्यतीत होता है। इसके अलावा यदि कोई मित्र कपटी और नीच स्वभाव का है तो उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए। अन्यथा वे कब धोखा दे देंगे, समझना मुश्किल है।

bindujain
04-04-2013, 09:58 PM
पुरुष ऐसी स्त्रियों से दूर रहेंगे तो हमेशा फायदे में रहेंगे

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जिन लोगों के नौकर सामने से जवाब देते हैं, मालिक का आदर नहीं करते उन्हें तुरंत हटा देना चाहिए। ऐसे नौकर कभी भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा जिस घर में अक्सर सांप दिखाई देते हैं वहां रहने पर भी सर्पदंश से मृत्यु का भय हमेशा ही बना रहता है। अत: ऐसे स्थान को छोड़ देना चाहिए।

bindujain
04-04-2013, 10:02 PM
पति को ऐसे समय में ही मालूम होता है कैसी है उसकी पत्नी

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पुरानी मान्यताओं के अनुसार पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का माना जाता है। इसी वजह से आज भी पति-पत्नी अपने रिश्ते को बनाए रखने के लिए कई प्रयास करते हैं। वही रिश्ता लंबे समय तक सुख और खुशियां देने वाला हो सकता है जहां दो लोग एक-दूसरे को बहुत अच्छे से समझते हैं। समझने के लिए एक-दूसरे की परख होना बहुत जरूरी है। यहां जानिए आचार्य चाणक्य ने बताया पत्नी की परख किस समय होती है-

bindujain
04-04-2013, 10:04 PM
पति को ऐसे समय में ही मालूम होता है कैसी है उसकी पत्नी

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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
काज भृत्य कूं जानिये, बन्धु परम दुख होय।
मित्र परखियतु विपति में, विभव विनाशित जोय।।
चाणक्य ने इस दोहे में बताया है कि जब कोई सेवा से संबंधित कार्य होता है उस समय नौकर की परीक्षा होती है। ऐसा कार्य आने पर ही मालूम होता है कि नौकर कितना योग्य और कितना अयोग्य। कोई काम ठीक से कर सकता है या नहीं।

bindujain
04-04-2013, 10:05 PM
पति को ऐसे समय में ही मालूम होता है कैसी है उसकी पत्नी

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इसी प्रकार जब हमारे जीवन में कोई मुसीबत या बुरा समय आता है तब मालूम होता है कि कौन हमारा शुभ चिंतक है और कौन हमारी मदद करने वाले हैं। मुसीबत के समय ही रिश्तेदारों और भाई-बंधुओं सहित मित्रों की भी परीक्षा होती है।

bindujain
04-04-2013, 10:06 PM
पति को ऐसे समय में ही मालूम होता है कैसी है उसकी पत्नी

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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विवाह के बाद जब तक पति धनी रहता है, सभी सुख-सुविधाएं देने वाला रहता है तब तक तो पत्नी उसका पूरा ध्यान रखती है। लेकिन दुर्भाग्यवश यदि पति का सब धन नष्ट हो जाए और सभी सुख-संपत्ति समाप्त हो जाए तब पत्नी की सही परख होती है। ऐसे समय में ही मालूम होता है कि पत्नी को पति से प्रेम था या उसके धन से।

bindujain
04-04-2013, 10:08 PM
पति को ऐसे समय में ही मालूम होता है कैसी है उसकी पत्नी

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आचार्य चाणक्य बताते हैं कि हमारे आसपास कई लोग हैं कुछ अच्छे स्वभाव और अच्छे विचारों वाले हैं, कुछ दुष्ट स्वभाव के अधार्मिक लोग होते हैं। दुष्ट लोगों की संगति हमेशा ही दुखों और परेशानियों को बढ़ाने वाली ही होती है। सांप का सारा जहर केवल फन में ही होता है, मक्सी मुख से जहर फैलाती है और बिच्छु का केवल डंक जहरीला होता है जबकि दुष्ट स्वभाव वाला इंसान इन तीनों भयंकर जहरीले जीवों से भी ज्यादा जहरीला होता है

bindujain
04-04-2013, 10:09 PM
पति को ऐसे समय में ही मालूम होता है कैसी है उसकी पत्नी

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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि घर और समाज में आसपास के लोगों से मान-सम्मान प्राप्त हो, इसके लिए जरूरी है कि आपका व्यवहार सभी के साथ अच्छा रहे। ध्यान रखें कि किसी भी व्यक्ति के संबंध में हम जाने-अनजाने कोई अपमानजनक या कटू शब्दों का प्रयोग न करें। आचार्य चाणक्य के अनुसार फूलों की महक उसी दिशा में फैलती है जिस ओर हवा बह रही है। जबकि अच्छे इंसान की अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है। वह व्यक्ति हर ओर सम्मान प्राप्त करेगा, प्रसिद्ध हो जाएगा।

bindujain
04-04-2013, 10:10 PM
पति को ऐसे समय में ही मालूम होता है कैसी है उसकी पत्नी

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यदि व्यक्ति की पत्नी पति की सही बात भी न मानते हुए खुद की बातें मनवाती है, जो स्त्री अपने ससुराल के सदस्यों का मान-सम्मान नहीं करती है, जो पत्नी गृह कार्य में दक्ष नहीं है वहां अक्सर क्लेश और कलह का वातावरण रहता है। इसके अलावा जो स्त्रियां धर्म से विमुख हैं उस घर में सुख नहीं रहता है। ऐसी पत्नी के पति का जीवन नर्क के समान ही

bindujain
04-04-2013, 10:11 PM
पति को ऐसे समय में ही मालूम होता है कैसी है उसकी पत्नी

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आचार्य चाणक्य के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की पत्नी आज्ञाकारी है, सर्वगुण संपन्न है, अपने पति और परिवार का ध्यान रखने वाली है, ईश्वर में श्रद्धा रखने वाली है तब तो उसका जीवन स्वर्ग के समान ही रहेगा।

bindujain
07-04-2013, 02:04 PM
आप रोज नहाने से पहले कुछ खाना चाहते हैं तो खा सकते हैं ये चीजें

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वैसे तो नहाने से पहले कुछ खाना-पीना शिष्टाचार के नियमों के विरुद्ध माना जाता है लेकिन कुछ चीजें हैं जिन्हें बिना नहाए भी खा-पी सकते हैं।
यहां दिए गए फोटो में जानिए आचार्य चाणक्य के अनुसार नहाने से पहले कौन-कौन सी चीजें खा सकते हैं...

bindujain
07-04-2013, 02:05 PM
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शास्त्रों के अनुसार भगवान की पूजा के संबंध में कई नियम बताए गए हैं। इन्हीं नियमों में से एक है कि भगवान की पूजा से पहले कुछ खाना नहीं चाहिए। साथ ही स्नान के बाद ही भोजन आदि ग्रहण करना चाहिए। पुराने समय में नियम था कि दान करने के बाद ही भोजन या अन्य अन्न ग्रहण किया जाता था।

bindujain
07-04-2013, 02:08 PM
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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
ऊख वारि पय मूल, पुनि औषधहू खायके।
तथा खाय तांबूल, स्नान दान आदिक उचित।।
इस दोहे में ऐसी चीजें बताई गई हैं जो कि हम बिना नहाए भी ग्रहण कर सकते हैं। इनका सेवन करने पर किसी प्रकार का कोई धार्मिक दोष नहीं लगता है। इन चीजों को खाने के बाद भी व्यक्ति भगवान की पूजा करने का पात्र रहता है।

bindujain
07-04-2013, 02:09 PM
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बीमारी की अवस्था में रोगी व्यक्ति दूध, जल, फल, दवाई आदि ग्रहण करके भी स्नान आदि क्रियाएं कर सकता है। इसके बाद वह पूजा आदि धार्मिक कार्य भी कर सकता है, ऐसा करने से भी रोगी पाप का भागी नहीं होता है।

bindujain
07-04-2013, 02:10 PM
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सामान्यत: ऐसा माना जाता है कि भगवान की पूजा से पहले हमें कुछ भी खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए। भोजन आदि खाने की चीजों को नहाने के बाद ही खाना चाहिए। जबकि इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रस्त है तो उसे इन नियमों में बांधा नहीं जा सकता है

bindujain
07-04-2013, 02:11 PM
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केवल बीमार व्यक्ति ही नहीं बल्कि स्वस्थ इंसान भी कुछ सामान्य चीजें बिना नहाए ग्रहण कर सकता है। ऊख, जल, दूध, पान, फल-फूल, औषधि इन 6 चीजों को खाने के बाद भी हम स्नान कर सकते हैं, दान कर सकते हैं, पूजा कर सकते हैं।

bindujain
07-04-2013, 02:14 PM
ऐसे पुरुषों में होती है कामवासना की अधिकता

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आचार्य चाणक्य के अनुसार कई ऐसी छोटी-छोटी नीतियां बताई गई हैं जिनसे किसी भी व्यक्ति के स्वभाव और आचार-विचार मालुम किए जा सकते हैं। यहां जानिए पुरुषों के स्वभाव से जुड़ी खास नीतियां..

bindujain
07-04-2013, 02:16 PM
http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/religion.bhaskar.com/2013/03/01/4302_chanakya_niti.jpg

आचार्य चाणक्य कहते हैं...
श्लोक: नि:स्पृहो नाधिकारी स्यान्नाकामो मण्डनप्रिय:।
नाऽविदग्ध: प्रियं ब्रूयात् स्पष्टवक्ता न वञ्चक:।।
इसी श्लोक को दोहे के रूप में इस प्रकार लिखा गया है...
नहिं निस्पृह अधिकार गहु, भूषण नहिं निहकाम।
नहिं अचतुर प्रिय बोल नहिं, बंचक साफ कलाम।।
इस श्लोक में बताया गया है कि जो पुरुष बड़ा बनने का लक्ष्य निर्धारित करता है और ऐसे काम करता है जिससे उसे समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति हो, वहीं अधिकार प्राप्त करता है।

bindujain
07-04-2013, 02:20 PM
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आचार्य चाणक्य कहते हैं जो पुरुष अच्छे वस्त्रों के शौकिन होते हैं, जो पुरुष स्वयं को सुंदर दिखाने की कोशिश करते हैं, जो पुरुष तरह-तरह के शृंगार करते हैं उनमें कामवासना की अधिकता होती है। इसके विपरित जो पुरुष कामवासना से शून्य है वह शृंगार आदि में बिल्कुल भी रूचि नहीं दिखाता है

bindujain
07-04-2013, 02:22 PM
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चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति मूर्ख होते हैं वे कभी भी मीठी वाणी का प्रयोग नहीं कर सकते है। मूर्ख व्यक्ति हमेशा शूल की भांति चुभने वाली बात ही करते हैं। मूर्ख इंसान किसी भी परिस्थिति में सुख नहीं दे सकते, वे सदैव ही परेशानियों का कारण बनते हैं

bindujain
07-04-2013, 02:23 PM
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जो व्यक्ति हमेशा साफ-साफ बात करते हैं, किसी भी बात को अधिक घुमा-फिराकर नहीं बोलते हैं वे किसी को भी धोखा नहीं दे सकते। सामान्यत: सीधी बात करने वाले लोग मन के अच्छे होते हैं, उनके मन में किसी भी प्रकार कुविचार नहीं होते हैं। जबकि जो लोग साफ-साफ बात नहीं करते हैं उनके मन में कई प्रकार के कुविचार चलते रहते हैं, अत: इनसे सावधान रहना चाहिए।