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View Full Version : यह सरकार है या देश को लूटो एजेंसी?


Dark Saint Alaick
27-04-2013, 12:05 AM
यह सरकार है या देश को लूटो एजेंसी?

मित्रो, भारत की तथाकथित सरकार ने आज संसद में स्वयं माना कि चीन की सेनाएं भारत की भूमि पर सत्रह किलोमीटर अन्दर घुस आई हैं और तम्बू तान कर आराम फरमा रही हैं, लेकिन सरकार के पास इसके अलावा कोई ठोस जवाब नहीं है कि चीन से बात की जा रही है। यह बात ध्यान देने की है कि पंडित नेहरू की गलतियों के खामियाजे के रूप में चीन भारत की 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर भूमि पर पहले ही कब्ज़ा किए हुए है, अरुणाचल पर लगातार दांत गड़ाए हुए है और पाकिस्तान में भारत के खिलाफ उसकी साज़िशें लगातार जारी हैं। चीन के नव नियुक्त प्रधानमंत्री ली अगले माह भारत आने वाले हैं, ऐसे समय उस देश की यह हरकत इसलिए गंभीर सन्देश देती है कि तब यह दुश्मन देश इस बिना पर भारत से उस कब्जाई भूमि का सौदा करना चाहेगा। क्या कोई उपाय है? यह हास्यास्पद है कि घुसपैठियों को खदेड़ने के बजाय भारत की तथाकथित सरकार के विभिन्न मंत्री स्थिति नियंत्रण में होने के दावे कर रहे हैं और कह रहे हैं कि विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की 9 मई को प्रस्तावित चीन यात्रा से स्थिति सुधर जाएगी। विचित्र सवाल यह है कि आपको इस यात्रा की जरूरत क्यों पड़ी? क्या आप उस देश के तलवे सहलाने जा रहे हैं? कुछ समय पूर्व चीन के रक्षा मंत्री ने भारत यात्रा की। वे देश के शहीदों के स्मारक पर श्रद्धांजलि देने नहीं गए, क्योंकि वहां चीन से हुए युद्ध में शहीद हुए अनेक सपूतों के नाम अंकित हैं। धिक्कार है, ऎसी सरकार को जो ऎसी शर्तों पर लोगों को देश में आने देती है और देश के नागरिकों को भरमाने के लिए सम्बन्ध सुधरने के दावे करती है। आज जरूरत है देश के सभी लोग उठ खड़े हों, और इस तथाकथित सरकार का गला पकड़ कर पूछें कि आपमें देश की रक्षा की क्षमता है या नहीं? नहीं, तो कृपया सिंहासन खाली कर दें, जनता आ रही है।

abhisays
27-04-2013, 12:30 AM
चीन के सस्ते सामानों के सबसे बड़े उपभोक्ता देशों में भारत भी है। सबसे पहले तो हमें चीनी सामानों पर ही प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए। दुश्मन मुल्क के साथ कैसा व्यापार। यही काम पाकिस्तान ने जब कारगिल में किया था तब 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था। अब क्या हो गया है? सरकार इतनी सहमी हुई क्यों है। भले ही युद्ध ना करे कम से कम कड़े शब्दों में धमकाया तो जा ही सकता है।

rajnish manga
27-04-2013, 04:52 PM
भारतीय भूमि पर चीन के अतिक्रमण के विषय में अलैक जी के कथन में सभी भारत वासियों की भावनायें मुखरित हो रही हैं. उनका एक एक शब्द सरकार की अक्षमता और ढुलमुल नीति की ओर इशारा करता है. राष्ट्रीय गौरव की कीमत पर आक्रान्ता से बातचीत करने का कोई औचित्य नहीं है. यहाँ पर ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाना चाहिए. सरकार को चाहिए कि वह देशवासियों की भावनाओं को समझे और मामले की गंभीरता के मद्देनज़र अपना सैनिक और असैनिक विकल्प इस्तेमाल करे. मैं अभिषेक जी के कथन का भी समर्थन करता हूँ.

jai_bhardwaj
27-04-2013, 07:19 PM
आरम्भ से ही चीन विस्तारवादी नीति का प्रणेता रहा है। गाहे ब गाहे वह अपने लगभग सभी पड़ोसी देशों की सीमाओं पर अतिक्रमण करता रहा है। भारत की तुष्टीकरण की राजनीति एवं विभिन्न दलों की समझौतावादी राजनीतिज्ञों के कारण किसी भी निर्णय पर मतैक्य नहीं हो पाता है और यही कारण है कि आज तक न तो बांग्लादेशी घुसपैठ रुक पायी, नेपाल द्वारा भारत आने वाली नदियों के जल को रोकने की कार्यवाही पर कुछ भी नहीं हो पाया और चीन द्वारा अरुणांचल की सीमा पर पिछले कई सालों से उल्लंघन किये जाने के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा सकी है। देश के विषय में सोचने का समय ही कहाँ है इन जनप्रतिनिधियों के पास .. चिंता तो यह है कि पता नहीं कब सरकार भंग हो जाये अतः अधिक से अधिक (किसी न किसी प्रकार से) धन संचित कर लें।
देश को शास्त्री जी और लौहपुरुष जैसे राजनीतिज्ञों की आवश्यकता है .......... पर कहाँ हैं ऐसे लोग अब??