View Full Version : दिलवाड़ा के खूबसूरत जैन मंदिर
bindujain
30-04-2013, 09:13 PM
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यूं तो राजस्थान में कई मंदिर हैं जो नायाब कलात्मक शैली से निर्मित हैं लेकिन जब बात माउंट आबू के दिलवाड़ा मंदिर की हो, तो इसे देखने की इच्छा सहज रूप से पैदा होने लगती है. माउंट आबू अरावली पर्वतमालाओं में मौजूद सबसे मशहूर हिल स्टेशन है. यह हिल स्टेशन समूचे राजस्थान से अच्छी तरह से जुड़ा है. राज्य के किसी भी शहर से माउंट आबू पहुंच सकते हैं. राज्य का यह एकमात्र हिल स्टेशन है इसलिए यहां सालभर काफी संख्या में पर्यटक आते रहते हैं.
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30-04-2013, 09:14 PM
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दिलवाड़ा मंदिर जैन धर्मावलंबियों का प्रसिद्ध मंदिर है. यह माउंट आबू से सिर्फ 2.5 किलोमीटर दूर है. माउंट आबू रेलवे स्टेशन से दिलवाड़ा मंदिर के लिए थोड़ी-थोड़ी देर पर बसें और टैक्सियां मिलती हैं. दिलवाड़ा मंदिर को 11वीं और 13वीं सदी में चालुक्य वंश के राजाओं ने बनवाया था और यह आदिनाथ, ऋषभ देव, नेमिनाथ, महावीर स्वामी और पाश्र्वनाथ जी को समर्पित है
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30-04-2013, 09:15 PM
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दिलवाड़ा मंदिर की सबसे उम्दा कुशलता हैं इसमें इस्तेमाल हुए संगमरमर. यहां का माहौल बेहद स्वच्छ और शांतप्रिय है. मंदिर में घुमावदार संगमरमर की छतें और स्तंभ हैं. इनके अलावा, दिलवाड़ा मं दिर परिसर में और पांच मंदिर दिखेंगे
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30-04-2013, 09:16 PM
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समूची दुनिया से पर्यटक जैन धर्म के इस अलौकिक तीर्थस्थल पर पधारते हैं. यहां मौजूद सभी मंदिर सामान्य किंतु अद्भुत और बेहद आकर्षक हैं. इन मंदिरों को विश्वभर में मौजूद जैन मंदिरों में सबसे महत्वपूर्ण भी माना गया है. मंदिर के स्तंभ, छत के निचले हिस्से और दरवाजों के किनारों पर बारीक कारीगरी देखने वालों की आंखों में बस जाती है
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30-04-2013, 09:17 PM
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दिलवाड़ा में प्रतिष्ठित पांच मंदिर 1. प्रथम जैन तीर्थकर भगवान ऋषभ को समर्पित विमल वसाही- श्री आदि नाथजी मंदिर. 2. बाइसवें जैन तीर्थकर भगवान नेमिनाथ को समर्पित लूना वसाही- श्री नेमिनाथजी मंदिर. 3. प्रथम जैन तीर्थकर भगवान ऋषभ को समर्पित पिथालहर- श्री ऋषभ देवजी मंदिर. 4. तेइसवें तीर्थकर भगवान पाश्र्व को समर्पित खारतार वसाही- श्री पाश्र्व नाथजी मंदिर. 5. अंतिम जैन तीर्थकर भगवान महावीर को समर्पित महावीर स्वामी मंदिर. शेष तीन मंदिरों की तुलना में विमल वसाही और लूना वसाही की भव्यता और पारदर्शिता पर्यटकों को आकर्षित करती है.
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30-04-2013, 09:18 PM
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विमल वसाही मंदिर यह मंदिर पहले जैन तीर्थकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है. इसका निर्माण 1021 में गुजरात के सोलंकी महाराजा राजा विमल शाह ने करवाया था. मंदिर का मुख्य आकर्षण इसका रंग मंडप है जो विशाल हॉल के रूप में हैं, इसमें बारह सुसज्जित स्तंभ हैं. इसके अतिरिक्त मंदिर के खास आकर्षण हैं इसमें मौजूद नौ आयताकार छतें जिन पर बेहद खूबसूरत नक्काशी उभारी गयी है. इसे 'नवाचौकी' भी कहते हैं
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30-04-2013, 09:19 PM
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लूना वसाही मंदिर पांच मंदिरों में दूसरा महत्वपूर्ण मंदिर है लूना वसाही मंदिर. यह बाइसवें तीर्थकर भगवान नेमिनाथ को समर्पित है. लूना मंदिर का निर्माण 1230 में करवाया गया था. इस मंदिर की महत्वपूर्ण विशेषता इसमें मौजूद 72 तीर्थकरों की मूर्तियां हैं. इस मंदिर के ऊपर गोलाकार गुंबद बने हुए हैं. मंदिर की अन्य खूबियों में इसमें मौजूद काले पत्थर से निर्मित कीर्ति स्तंभ है
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30-04-2013, 09:21 PM
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पित्तलहार मंदि---यह पहले जैन तीर्थकर भगवान ऋषभदेव को समर्पित है. मंदिर के भीतर भगवान ऋषभदेव की विशाल मूर्ति है. इसे भीम सेठ ने बनवाया था. यह मूर्ति पंच धातु से निर्मित है, जिनमें पीतल की मात्रा अधिक है. इसीलिए इस मंदिर का नाम पित्तलहार पड़ा है. विमल वसाही और लूना वसाही मंदिर की तरह इस मंदिर की खासियतों में नवाचौकी और गुध मंडप हैं.
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30-04-2013, 09:22 PM
http://www.samaylive.com//pics/article/2013_04_29_04_45_40_Dilwara-Temple8.jpg
खारतार वसाही मंदिर दिलवाड़ा के सभी पांच मंदिरों में पाश्र्वनाथ मंदिर सबसे लंबा है. इसका निर्माण मांडलिक ने 1459 में करवाया था. यह तेइसवें तीर्थकर भगवान पाश्र्वनाथ को समर्पित मंदिर तीन मंजिला है. मंदिर की छत, स्तंभों की दीवारें और दरवाजों पर घुमावदार नक्काशियां हैं.
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30-04-2013, 09:23 PM
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महावीर स्वामी मंदिर यह मंदिर बाइसवें तीर्थकर भगवान महावीर को समर्पित है. 1582 में निर्मित इस मंदिर की छत संगमरगर से बनी है जिस पर घुमावदार नक्काशियां उकेरी गयी
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30-04-2013, 09:26 PM
http://www.samaylive.com//pics/article/2013_04_29_04_45_46_mount%20abu%20rajasthan.jpg
इन मंदिरों को विश्वभर में मौजूद जैन मंदिरों में सबसे महत्वपूर्ण भी माना गया है. मंदिर के स्तंभ, छत के निचले हिस्से और दरवाजों के किनारों पर बारीक कारीगरी देखने वालों की आंखों में बस जाती है
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30-04-2013, 09:28 PM
http://www.samaylive.com//pics/article/2013_04_28_05_04_04_chikhaldara.jpg
इस जगह का नाम 'कीचक' के नाम पर पड़ा. यह वह स्थान है जहां भीम ने अधर्मी कीचक का वध करके यहां की घाटी में फेंक दिया था. इसके बाद ही इस स्थान को 'कीचकदारा' के नाम से जाना जाने लगा जबकि चिखलदरा इसका बिगड़ा हुआ नाम है
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30-04-2013, 09:36 PM
http://3.bp.blogspot.com/-7RSlH8EaZ7I/T69a10DqvUI/AAAAAAAAEVg/GFCxWWABAcQ/s640/vimal-vasahi-temple.jpg
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30-04-2013, 09:37 PM
http://1.bp.blogspot.com/-RPeEC4aiDwY/T69bfFNillI/AAAAAAAAEVo/yrsQESunTho/s400/Passage+Vimala+Vasahi+Temple.jpg
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30-04-2013, 09:38 PM
http://4.bp.blogspot.com/-3vAuQOjPc5M/T69jsTkkSoI/AAAAAAAAEWY/NCQ1Kwl0jzg/s1600/dome+of+vimalvasahi+temple.jpg
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30-04-2013, 09:38 PM
http://2.bp.blogspot.com/-tpDmZ5JW81c/T69daKA_49I/AAAAAAAAEWA/e6JFHGPuDNM/s1600/navchouki.jpg
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30-04-2013, 09:38 PM
http://3.bp.blogspot.com/-ufIo6twjNUM/T69dHlSJEhI/AAAAAAAAEV4/q5uDTae3ksQ/s640/luna+vashi.jpg
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30-04-2013, 09:40 PM
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