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View Full Version : कैसे भूलू माँ बो दिन


dipu
12-05-2013, 09:25 AM
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कैसे भूलू माँ बो दिन , जब हुई थी तेरी विदाई
चारो तरफ गौंज रही थी , मातंग की सहने ,
लग रही थी तू उस दिन ममता की मूरत ,
पर हो रही थी मुझसे पारैई ..............
दिल तड़फ कर पुकार रहा था ,
ऑंखें छलक कर दे रही थी दुह्हाई ,
आज छीन गया मुझसे माँ का आँचल ,
जिसके टेल मैंने अपनी पहचान थी बनेइ
बेगानी हो गई , ये दुनिया मेरी ,
न रहा कोई चने वाला जो बना ले मुझसे अपनी परछाई ,
लगे थे घर मई उस दिन मेलें , जब थी माँ तेरी विदाई,
उसके बाद तो बस तन्हाई ही तन्हाई ,
माँ ऑंखें हो गई रोकर पथेर , दिल हुआ छलनी ,
पैर आब तक क्यों न ली तुने मेरी सुनबाई........