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View Full Version : Untouchability Still Alive in India


dipu
13-06-2013, 06:34 PM
मुंबई।। सालों से साथ-साथ लेकिन एक लाइन के पानी से परहेज! मुंबई के खार रोड इलाके में एक जैन परिवार ने पड़ोसी मुस्लिम और ईसाई परिवार के कारण पानी की लाइन ही अलग करवा ली। दिलचस्प बात यह है कि बीएमसी ने यह लाइन मंजूर भी कर दी। खास बात यह है कि यह तीनों परिवार पिछले 70 सालों से साथ रह रहे थे।

इस बिल्डिंग के मालिक अयूब खान ने पिछले हफ्ते आरटीआई के जरिए जब पानी के नए कनेक्शन पर जानकारी मांगी, तो अपने किराएदार का असली चेहरा देखकर वह दंग रह गए। दरअसल ग्राउंड फ्लोर में सालों से रहने वाले जैन परिवार ने धार्मिक आधार पर पानी की लाइन ही अलग करवा रखी थी।

शुरुआत में दो फ्लोर की इस बिल्डिंग में चोगमल जैन, एक ईसाई परिवार ग्राउंड फ्लोर में रहते थे। जबकि ऊपर के फ्लोर में अयूब खान का परिवार रहता था। अमन नाम की यह बिल्डिंग 40 के दशक में बनी थी। तीनों घरों के लिए शुरुआत में तीन वॉटर लाइन थी। इसमें एक लाइन खान की और दो बाकी की थीं। ग्राउंड फ्लोर की पानी की लाइनें दो सब-लाइन में बंटी हुई थीं। यह सीधे दोनों घरों में पानी पहुंचाती थीं। 80 के दशक में खान ने चार और फ्लोर बनाकर बेच दिए। पानी की डिमांड बढ़ने पर सप्लाई के लिए एक वॉटर टैंक बनाया गया। नीचे की फ्लोर में पानी ले जाने वाली लाइनों को सीधे टैंक से जोड़ दिया गया।

http://navbharattimes.indiatimes.com/thumb/msid-20571050,width-300,resizemode-4/aman-buildings-owner-Ayub-Khan-.jpg

जैन परिवार इससे खुश नहीं था। 1999 और फिर 2002 में में जैन परिवार ने नई लाइन के लिए आवेदन कर दिया। 2003 में इसे मंजूरी मिल गई। खान ने नए कनेक्शन के बारे में बीएमसी से पूछा तो जवाब नहीं मिला। इसके बाद खान ने आरटीआई दाखिल की और फिर उन्हें जो पता चला वह दंग रह गए।

खान को आरटीआई से पता चला कि चोगमल जैन ने धार्मिक कारणों से अलग लान ली हुई है। दो पेज के सैंक्शन नोट में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने इसका जिक्र किया था। इसमें लिखा था, 'मकान मालिक ने कनेक्शन को वॉटर टैंक तक बढ़ा दिया है। आवदेक (जैन) धार्मिक कारणों से इस टैंक से पानी नहीं चाहते हैं।'

खान ने बताया कि उन्हें 70 साल से साथ रह रहे परिवार की 'असलियत' जानकर बड़ा धक्का लगा। हालांकि जैन परिवार धार्मिक कारणों से पानी की लाइन अलग करवाने की बात से इनकार कर रहा है। उसका कहना है कि पर्याप्त पानी न मिलने के कारण उन्होंने ऐसा किया था। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उन्हें धार्मिक आधार पर यह कनेक्शन क्यों दिया गया।

dipu
28-06-2013, 08:22 PM
जबलपुर, [पुष्पेंद्र तिवारी]। कहने को तो वह सरपंच है। महिला और दलितों के सशक्तिकरण की नजीर। लेकिन हालात आईना दिखाने वाले हैं। बच्चों का पेट पालने के लिए वह सुबह से घर-घर जाकर भीख मांगती है। आराम के लिए पत्थर का पलंग है। तकिया बोरी में भूसा भरकर बनाया गया है। बिस्तर के नाम पर कुल जमा तीन कंबल हैं। वे भी दूसरों ने दया दिखाकर दिए हैं। रहने के लिए झुग्गीनुमा एक मकान। पूरी गृहस्थी दो-तीन थैलों में समाई हुई है। सरपंची क्या होती है, यह तो उसे पता ही नहीं है। कुर्सी पर आज तक बैठी भी नहीं। यह तस्वीर है दमोह जिले के हटा क्षेत्र की ग्राम पंचायत बछामा की दलित महिला सरपंच रजनी बंसल की।

दमोह जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर बछामा की आबादी करीब 1500 और मतदाता 850 हैं। गांव की अधिकांश आबादी अशिक्षित है। यहां के लोगों की रोजी रोटी वन संपदा और कास्तकारी पर निर्भर है। यहां की सरपंच रजनी का लक्ष्य गांव का विकास नहीं, बल्कि परिवार का पेट पालने के लिए भोजन का इंतजाम करना है। अशिक्षित रजनी जानती भी नहीं है कि उसे सरपंच क्यों बनाया गया है? हां, सरपंच बनने के बाद उसके पति संतोष को मजदूरी मिलनी भी बंद हो गई। अब गांव वाले कहते हैं कि लोगों को काम देना सरपंच का काम है, उनका नहीं।

सरपंच रजनी रोज सुबह घर-घर जाकर भीख मांगती है। किसी के घर से एक रोटी मिल जाती है तो कोई रात का बचा हुआ चावल दे देता है। इसी से वह अपने पांच बच्चों और पति का पेट भरती है। रजनी ने बताया कि सरकारी फरमान के चलते गांव के विरोध के बाद भी राष्ट्रीय पर्व पर झंडा तो उसी ने फहराया, लेकिन कार्यक्रम शुरू होने पर उसे अधिकारियों और कार्यक्रम में उपस्थित हुए लोगों के साथ नहीं बिठाकर सबसे अलग जमीन पर बिठाया जाता है। उसे गांव के लोगों द्वारा बनाई गई मर्यादाओं में ही रहना पड़ता है। वह घर में भी कुर्सी पर नहीं बैठ सकती। यदि कोई उसे कुर्सी पर बैठा देख ले तो फिर गांव के लोग जो अभी उसे रोटी दे देते हैं, वह भी बंद हो जाएगी। ग्राम पंचायत सचिव मोहन यादव ने कहा, लोग कहते हैं कि सरपंच रजनी का शोषण हुआ है, जो कि सही भी है।

aspundir
28-06-2013, 08:36 PM
ज्वलंत तथा मार्मिक

rajnish manga
28-06-2013, 10:14 PM
मुंबई और जबलपुर की रिपोर्टें आइस-बर्ग का दिखाई देने वाला भाग है जो समस्या का दसवां भाग है. नौ भाग तो और भी ज्यादा भयावह है.

bindujain
29-06-2013, 08:35 AM
जबलपुर, [पुष्पेंद्र तिवारी]। कहने को तो वह सरपंच है। महिला और दलितों के सशक्तिकरण की नजीर। लेकिन हालात आईना दिखाने वाले हैं। बच्चों का पेट पालने के लिए वह सुबह से घर-घर जाकर भीख मांगती है। आराम के लिए पत्थर का पलंग है। तकिया बोरी में भूसा भरकर बनाया गया है। बिस्तर के नाम पर कुल जमा तीन कंबल हैं। वे भी दूसरों ने दया दिखाकर दिए हैं। रहने के लिए झुग्गीनुमा एक मकान। पूरी गृहस्थी दो-तीन थैलों में समाई हुई है। सरपंची क्या होती है, यह तो उसे पता ही नहीं है। कुर्सी पर आज तक बैठी भी नहीं। यह तस्वीर है दमोह जिले के हटा क्षेत्र की ग्राम पंचायत बछामा की दलित महिला सरपंच रजनी बंसल की।

दमोह जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर बछामा की आबादी करीब 1500 और मतदाता 850 हैं। गांव की अधिकांश आबादी अशिक्षित है। यहां के लोगों की रोजी रोटी वन संपदा और कास्तकारी पर निर्भर है। यहां की सरपंच रजनी का लक्ष्य गांव का विकास नहीं, बल्कि परिवार का पेट पालने के लिए भोजन का इंतजाम करना है। अशिक्षित रजनी जानती भी नहीं है कि उसे सरपंच क्यों बनाया गया है? हां, सरपंच बनने के बाद उसके पति संतोष को मजदूरी मिलनी भी बंद हो गई। अब गांव वाले कहते हैं कि लोगों को काम देना सरपंच का काम है, उनका नहीं।

सरपंच रजनी रोज सुबह घर-घर जाकर भीख मांगती है। किसी के घर से एक रोटी मिल जाती है तो कोई रात का बचा हुआ चावल दे देता है। इसी से वह अपने पांच बच्चों और पति का पेट भरती है। रजनी ने बताया कि सरकारी फरमान के चलते गांव के विरोध के बाद भी राष्ट्रीय पर्व पर झंडा तो उसी ने फहराया, लेकिन कार्यक्रम शुरू होने पर उसे अधिकारियों और कार्यक्रम में उपस्थित हुए लोगों के साथ नहीं बिठाकर सबसे अलग जमीन पर बिठाया जाता है। उसे गांव के लोगों द्वारा बनाई गई मर्यादाओं में ही रहना पड़ता है। वह घर में भी कुर्सी पर नहीं बैठ सकती। यदि कोई उसे कुर्सी पर बैठा देख ले तो फिर गांव के लोग जो अभी उसे रोटी दे देते हैं, वह भी बंद हो जाएगी। ग्राम पंचायत सचिव मोहन यादव ने कहा, लोग कहते हैं कि सरपंच रजनी का शोषण हुआ है, जो कि सही भी है।


वह राजनेता नहीं है .......

dipu
30-06-2013, 09:53 AM
कब ऐसा भारत का निर्माण होगा जहाँ सही व्यक्ति सम्मान के योग्य होगे ?

dipu
25-07-2013, 09:07 PM
http://digitalimages.bhaskar.com/cph/epaperimages/25072013/BP2263021-large.jpg