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View Full Version : सीखें क्रिकेट की करामात


bindujain
13-06-2013, 06:41 PM
गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं। जो बच्चे क्रिकेट की कोचिंग लेना चाहते हैं, उनके लिए शुरुआत करने का इससे बढ़िया समय भला और क्या होगा! ऐसे ही बच्चों के लिए पेश कर रहे हैं दिल्ली में क्रिकेट सिखाने वाले कुछ बड़े कोचिंग सेंटरों के बारे में विस्तृत जानकारी। साथ में यह भी बताएंगे कि क्रिकेट में करियर बनाने का सही रास्ता क्या है और पढ़ाई व कोचिंग के बीच सही संतुलन कैसे बनाया जाएः

सही उम्र

यह एक बड़ा सवाल है कि क्रिकेट सीखना किस उम्र में शुरू करना चाहिए। वैसे एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्रिकेट की ट्रेनिंग लेने की शुरुआत किसी बच्चे को 8-9 साल की उम्र में कर देनी चाहिए। हां, इससे पहले भी वह खेलना शुरू कर सकता है, लेकिन प्रोफेशनली नहीं। सही तरीका यह है कि 8-9 साल की उम्र में बच्चा अकैडमी जॉइन करे। अकैडमी में 2-3 साल अपने आपको मांझने के बाद ही वह प्रोफेशनल क्रिकेट खेलने लायक बनता है। इसके बाद 11-12 साल की उम्र में बच्चे में वह समझ पैदा हो जाती है, जो क्रिकेट के सबक सीखने के लिए जरूरी है।

कैसे चुनें अकैडमी

क्रिकेटर बनने का रास्ता ज्यादा लंबा नहीं है, लेकिन मुश्किल है। इसमें मेहनत है, लगन है, जुनून की हद तक खेल में खो जाने की जरूरत है। इसकी शुरुआत होती है अकैडमी जाने से। बच्चा 8 साल के आसपास हो जाए तो उसके लिए सही अकैडमी चुननी चाहिए। अकैडमी चुनते वक्त देखें कि उसके रिजल्ट्स कैसे रहे हैं? वहां के कोच कौन-कौन हैं? उनका बैकग्राउंड क्या है? अकैडमी के साथ अपना कोई क्लब है या नहीं? अगर क्लब है, तो दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट असोसिएशन (डीडीसीए) से एफिलिएटेड है या नहीं? दिल्ली में बहुत सी अकैडमी ऐसी भी हैं, जहां क्रिकेट सिखाने के नाम पर दुकानें चलाई जा रही हैं। उनसे सावधान रहना जरूरी है। एक बार बच्चे ने अच्छी अकैडमी में अच्छे कोच से क्रिकेट के गुर सीखने शुरू कर दिए, बस समझिए गाड़ी स्टेशन से निकल गई। अब वह कामयाबी के किस-किस स्टेशन से गुजरेगी और कितनी दूर तक जाएगी, यह सब निर्भर करेगा बच्चे की मेहनत, लगन और मां-बाप से मिलने वाली सपोर्ट पर।

घरेलू टूर्नामेंट्स
- अकैडमी के बाद आगे जाने के लिए बच्चे के पास कई रास्ते हैं। उसका मकसद पहले डीडीसीए और फिर बीसीसीआई के घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट्स खेलना होना चाहिए। इसके लिए तमाम लेवल पर लगातार सिलेक्शन ट्रायल होते रहते हैं।

- ऐसा पहला बड़ा मौका दिल्ली की अंडर-15 टीम के लिए चुना जाना होगा। इसके लिए दिल्ली में डीडीसीए से एफिलिएटेड जो क्लब या अकैडमी हैं, उनके बीच टूर्नामेंट्स कराए जाते हैं। उनमें सिलेक्शन पैनल एक स्टैंडर्ड तय कर देता है यानी खिलाड़ी अगर इतने रन बनाएंगे या इतने विकेट लेंगे, तभी उन्हें ट्रायल्स के लिए बुलाया जाएगा। टूर्नामेंट्स में वही क्लब हिस्सा लेते हैं जो डीडीसीए से एफिलिएटेड हैं इसलिए अकैडमी चुनते वक्त इस एफिलिएशन का ध्यान रखें।

- बच्चा यहां परफॉर्म करे और स्टेट की अंडर-15 टीम में चुना जाए। अगर यहां सिलेक्शन हो जाता है, तो उसे स्कूल लेवल के नैशनल टूर्नामेंट और दूसरे नैशनल टूर्नामेंट खेलने का मौका मिलेगा।

- अगर अंडर-15 में सिलेक्शन नहीं भी हो पाता है, तो निराश होने की जरूरत नहीं है। अंडर-17 है, अंडर-19 और अंडर-22 भी हैं। ऐसा नहीं है कि जो बच्चा अंडर-15 टीम में नहीं चुना गया, उसे बाकी टूर्नामेंट्स में सिलेक्शन का मौका नहीं मिलेगा। दरअसल, हर चैंपियनशिप के लिए लगातार ट्रायल्स होते रहते हैं। तो जब भी जिस भी ट्रायल में मौका लगे, सिलेक्शन की सीढ़ी पकड़ लो।

- ये टूर्नामेंट्स नैशनल टीम में पहुंचने के लिए सीढ़ी हैं। इन्हीं में परफॉर्म करते-करते खिलाड़ी का सिलेक्शन नैशनल लेवल की टीम्स जैसे रणजी, इंडिया अंडर-19, इंडिया ए और सीनियर टीम के लिए होता है। बस जरूरत है लगातार परफॉर्म करते रहने की।

जो लड़ा, वही जीता

अंडर-15 या अंडर-16 में सिलेक्ट न होने पर बच्चों का धीरज टूट जाता है और वे खेलना छोड़ देते हैं। यह सही नहीं है। बस खेलते रहना है। परफॉर्म करते रहना है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई बच्चा परफॉर्म कर रहा है और उसे चांस न मिले। इससे जुड़ी कुछ मिसालें नीचे दी जा रही हैं:

- राजकुमार शर्मा का जूनियर लेवल पर सिलेक्शन नहीं हुआ था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खेलते रहे। एक बार अंडर-22 में उन्होंने परफॉर्म किया और अगले दिन वह रणजी टीम में थे।

- गौतम गंभीर और सहवाग का उदाहरण देखिए। गौतम को सीधे रास्ते से क्रिकेट में एंट्री मिल गई। उन्हें सीधे नैशनल क्रिकेट अकैडमी, बेंगलुरु के लिए चुना गया था। तब उनकी उम्र 19 साल थी। अकैडमी का वह पहला ही बैच था। दूसरी तरफ सहवाग को लंबे रास्ते से आना पड़ा। उन्होंने पहले घरेलू क्रिकेट खेला। 20 साल की उम्र में वह दिल्ली की रणजी टीम में चुने गए। फिर उनका सिलेक्शन दिलीप ट्रोफी के लिए नॉर्थ जोन की टीम में हुआ। लंबे रास्ते से आने के बावजूद सहवाग 21 साल की उम्र में नैशनल टीम में चुन लिए गए, जबकि गंभीर चुने गए 22 साल की उम्र में।

- विराट कोहली का रास्ता एक दूसरे मोड़ से होता हुआ नैशनल टीम तक पहुंचा। वह अंडर-19 नैशनल क्रिकेट टीम में चुने गए थे। वह उस टीम के कैप्टन बने। अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतकर लाए और आ गए नैशनल सिलेक्टरों की नजरों में। इस तरह उन्होंने 20 साल की उम्र में ही अपना पहला इंटरनैशनल वनडे मैच खेल लिया।

जाहिर है, किसी मोड़ पर घबराने, हताश होने या रुकने की जरूरत नहीं है। बस चलते जाना है, खेलते जाना है, परफॉर्म करते जाना है। क्योंकि अब क्रिकेट में मंजिलों की कमी नहीं है। और फिर आईपीएल तो एक खूबसूरत मंजिल है ही। इसमें काम है, पैसा है, शोहरत है... और सबसे बड़ी बात, इसमें नैशनल टीम का रास्ता भी है।

लड़कियों के लिए
देश की महिला क्रिकेट टीम को ज्यादा मीडिया कवरेज भले न मिलती हो लेकिन इंडिया की महिला टीम खामोशी के साथ लगातार अच्छा परफॉर्म करने की कोशिश में लगी रहती है। बीसीसीआई के महिला क्रिकेट को भी अपने साम्राज्य में समेट लेने के बाद स्थिति में काफी सुधार आया है।

अंजुम चोपड़ा, मिताली राज, डायना एडुलजी, हेमा शर्मा, रुमाली धर और झूलन गोस्वामी कुछ बड़े नाम हैं। दिल्ली में लगभग सभी अकैडमी लड़कियों को भी कोचिंग देती हैं। कुछ स्कूल और कॉलेजों में भी लड़कियों की अपनी टीम हैं। यहीं से उनके लिए प्रोफेशनल क्रिकेट का रास्ता खुलता है। रास्ता करीब-करीब वही है, जिससे होकर लड़कों को गुजरना होता है, यानी जूनियर और सीनियर लेवल पर स्टेट के टूर्नामेंट्स खेलें, परफॉर्म करें और सिलेक्टर्स की नजरों में आएं। लड़कियों के लिए अभी बहुत अच्छे मौके हैं, क्योंकि महिला क्रिकेट में अभी ज्यादा कॉम्पिटिशन नहीं है।

स्टडी से समझौता नहीं
- क्रिकेट को करियर के तौर पर लेने के ट्रेंड ने हाल-फिलहाल कुछ ज्यादा जोर पकड़ा है, लेकिन क्रिकेट खेलने और स्टडी व करियर के बीच बैलेंस बनाना बेहद जरूरी है। बैलेंस बनाने से दोनों काम आसानी से हो सकते हैं।

- क्रिकेट सिखाने वाले कोचों में से ज्यादातर का मानना है कि क्रिकेट को करियर के तौर पर लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इस फील्ड में जितने लोग किस्मत आजमाते हैं, उनमें से बहुत कम लोग कामयाब हो पाते हैं। इस हिसाब से सफल लोगों की संख्या काफी कम है। आपको क्रिकेट खेलनी है लेकिन अपनी पढ़ाई को भी साथ-साथ जारी रखना है। अगर क्रिकेट में कामयाबी नहीं मिलती तो कम-से-कम पढ़ाई के दम पर नौकरी तो की जा सकती है। साउथ के क्रिकेटर्स क्रिकेट के साथ करियर को भी बराबर महत्व देते हैं, लेकिन उत्तर भारत में एजुकेशन को लेकर लोग ज्यादा गंभीर नहीं हैं।

- क्रिकेट या कोई भी खेल खेलने के लिए इंटेलिजेंस बहुत जरूरी है और पढ़ाई छोड़ देने से इंटेलिजेंस डिवेलप नहीं हो पाती। नैशनल क्रिकेट टीम में एक टाइम पर सिर्फ 11 खिलाड़ी खेल सकते हैं इसलिए यहां कॉम्पिटिशन बेहद टफ है। जाहिर है एक दूसरा ऑप्शन लेकर चलना हमेशा सही होता है।

- क्रिकेट में सफल होने के लिए किस्मत के अलावा कई दूसरी चीजें भी मायने रखती हैं। क्रिकेटर बनने के लिए गॉड-गिफ्टेड टैलंट का होना बहुत जरूरी है। हर किसी में क्रिकेट का बराबर टैलंट होता तो फिर अब तक एक ही सचिन तेंडुलकर क्यों है? पैरंट्स को चाहिए कि बच्चों पर जबर्दस्ती क्रिकेट खेलने के लिए दबाव न बनाएं और यह जरूर ध्यान रखें कि उनकी पढ़ाई पर खराब असर न पड़े। मां-बाप को पहले किसी अच्छे कोच से यह राय लेनी चाहिए कि बच्चे में कितना नैचरल टैलंट है। अगर कोच की राय में बच्चे में क्रिकेट खेलने के लिए ज्यादा नैचरल टैलंट नहीं है तो उस पर जबर्दस्ती खेलने के लिए दबाव न बनाएं।

- जाहिर है, क्रिकेट को करियर के तौर पर लेने का सपना पालनेवाले बच्चों और उनके मां-बाप को पढ़ाई व करियर को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए। अगर क्रिकेट में अच्छा नहीं कर पा रहे हैं तो किसी दूसरे करियर में भी हाथ आजमाया जा सकता है।

तीन ऑप्शन
इन कैटिगरीज के आधार पर अपना आंकलन करें और फिर इस फील्ड में आएं:

शौक के लिए
इस कैटिगरी में वो लोग आते हैं जो शौकिया तौर पर क्रिकेट खेलना चाहते हैं। क्रिकेट में करियर बनाना इनका मकसद नहीं होता। अगर ऐसा है तो भी आप कोचिंग लेकर कुछ गंभीर और प्रोफेशनल क्रिकेट खेल सकते हैं।

जॉब के लिए
हर किसी के लिए मुमकिन नहीं कि नैशनल टीम में जा सके। यहां तक कि आईपीएल या रणजी तक भी पहुंचना मुश्किल है। आपको लगता है कि आप नैशनल लेवल के खिलाड़ी नहीं बन सकते तो आपको ऐसे लेवल तक क्रिकेट खेलना चाहिए कि खेल के दम पर आपको किसी कंपनी या सरकारी विभाग में नौकरी मिल जाए।

क्रिकेट के लिए
जब आप क्रिकेट खेलना शुरू करते हैं तो कुछ समय में पता चल जाता है कि आप में कितनी क्षमता है। आपके कोच भी यह बता सकते हैं। आपमें नैशनल लेवल का खिलाड़ी बनने की क्षमता है और कोच भी कह रहे हैं तो जुट जाइए पूरी जी-जान से।

यहां से लें क्रिकेट कोचिंग
क्रिकेट कोचिंग देने वाली संस्थाओं के बारे में पूरी जानकारी दे रही हैं हंसा कोरंगाः

कोचः गुरुचरण सिंह
अकैडमीः द्रोणाचार्य क्रिकेट फाउंडेशन
पताः यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, सूरजमल विहार, नई दिल्ली-110092
एंट्री की उम्रः 8 साल से ज्यादा
फीसः 2000 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस और 1500 रुपए महीना (रेग्युलर प्रैक्टिस)
क्लासः सोमवार से शनिवार
टाइमिंगः शाम 4 से 7 बजे (रेग्युलर प्रैक्टिस)
सुविधाएं: प्रैक्टिस नेट, शानदार पिच और क्वॉलिफाइड कोच
स्टार प्लेयर्सः जावेद खान (आईपीएल खिलाड़ी), अमितोश सिंह (आईपीएल खिलाड़ी)

कोचः मदनलाल
अकैडमीः मदनलाल क्रिकेट अकैडमी
पताः सीरी फोर्ट स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, अगस्त क्रांति मार्ग, खेलगांव, नई दिल्ली-110049
एंट्री की उम्रः 9 से 14 साल
फीसः 3000 हजार रुपए रजिस्ट्रेशन फीस। फिर 2000 हजार रुपए महीना फीस।
क्लासः गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार
टाइमिंगः शाम 4 से 6:30 बजे तक
सुविधाएं: क्रिकेट प्रैक्टिस के लिए छह नेट, बॉलिंग मशीन, ग्राउंड की सुविधा उपलब्ध।
स्टार प्लेयर्सः आदित्य जैन (रणजी खिलाड़ी), निशांत कांडेवाला (रणजी खिलाड़ी)

कोचः संजय भारद्वाज
अकैडमीः भारत नगर क्रिकेट कोचिंग सेंटर
पताः अशोक विहार फेज-3, लक्ष्मीबाई कॉलेज, भारत नगर, दिल्ली-110052
एंट्री की उम्रः 10 से 16 साल
फीसः फ्री
टाइमिंगः शाम 3:30 से 6:30 बजे (रेग्युलर प्रैक्टिस)
सुविधाएं: प्रैक्टिस के लिए शानदार ग्राउंड, नेट, बॉलिंग मशीन और फ्लड लाइट की सुविधा
स्टार प्लेयर्सः गौतम गंभीर, अमित मिश्रा, उन्मुक्त चंद, योगेश नागर और पारस डोगरा

कोचः राजकुमार शर्मा
अकैडमीः वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकैडमी
पताः इस अकैडमी के तहत 4 क्रिकेट सेंटर हैं, जिनमें दो डीडीए के तहत आते हैं और दो प्राइवेट सेंटर हैं।
1) सेंट सोफिया स्कूल, पश्चिमी विहार
2) एसडी पब्लिक स्कूल, कीर्ति नगर
3) डीडीए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, हरिनगर
4) डीडीए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, द्वारका

1. सेंट सोफिया स्कूल, पश्चिम विहार
पताः ब्लॉक ए-2, पश्चिम विहार, नई दिल्ली
एंट्री की उम्रः 7 से 18 साल
फीसः 6 महीने की फीस 8000 हजार रुपए
क्लासेजः गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार
टाइमिंगः शाम 3:30 से 7:00 बजे तक
सुविधाएं: प्रैक्टिस के लिए बॉलिंग मशीन, नेट और ग्राउंड की सुविधा। खिलाड़ियों को हर स्तर पर सही गाइडेंस देने के लिए एक्सपर्ट कोच और ट्रेनी।
स्टार प्लेयर्सः विराट कोहली, अभिषेक सिंह (रणजी खिलाड़ी)

2. एसडी पब्लिक स्कूल, कीर्ति नगर
पताः कीर्ति नगर इंडस्ट्रियल एरिया, नई दिल्ली-110015
एंट्री की उम्रः 7-18 साल
फीसः 5000 हजार रुपए 3 महीने के लिए
क्लासः रविवार, सोमवार और मंगलवार
टाइमिंगः शाम 3:30 से 6:30 तक

3. डीडीए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, हरिनगर
पताः हरिनगर, बेरीवाला बाग, नई दिल्ली-110064
फीसः 1000 हजार रुपए महीना
क्लासः बुधवार, शुक्रवार और रविवार
टाइमिंगः शाम 3:30 से 6:30 बजे तक

4. डीडीए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, द्वारका
पताः सेक्टर-11, नई दिल्ली-110075
एंट्री की उमः 7 से 18 साल
फीसः 1000 रुपए महीना
क्लासः रविवार, मंगलवार और बुधवार
टाइमिंगः शाम 3:30 से 6:30

कोचः सुरिंदर खन्ना
अकैडमीः राष्ट्रीय स्वाभिमान खेल परिसर
पताः पीतमपुरा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स (डीडीए)
एंट्री की उम्रः 8 साल से ज्यादा
फीसः 1200 रुपए महीना (नॉन मेंबर), 700 रुपए महीना (मेंबर)
टाइमिंगः शाम 4 से 7 बजे तक
सुविधाएं: यहां प्रैक्टिस के लिए नेट, ग्राउंड और पिच की सुविधा है।
स्टार प्लेयर्सः चंदर थापा।


कोचः सचिन खुराना, उदय गुप्ते, नवीन चोपड़ा
अकैडमीः टर्फ क्रिकेट अकैडमी
पताः मॉडर्न स्कूल, बाराखंभा रोड
एंट्री की उम्रः 7 से 20 साल
फीसः 2000 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस और तीन महीने की फीस 5000 रुपए (रेग्युलर प्रैक्टिस)
टाइमिंगः शाम 6:30-9:30
सुविधाएं: प्रैक्टिस के लिए दो ग्राउंड और छह नेट हैं।

कोचः दिनेश वर्मा
अकैडमीः पूर्वी दिल्ली खेल परिसर (डीडीए)
पताः दिलशाद गार्डन, नूतन विद्या मंदिर के पास
एंट्री की उम्रः 5 साल से ज्यादा
फीसः 550 रुपए (मेंबर), 700 रुपए (नॉन मेंबर)
क्लासेजः हफ्ते में छह दिन (सोमवार छुट्टी)
टाइमिंगः सुबह 7 से 10 बजे, शाम 4 से 7 बजे तक
सुविधाएं: नेट, छह प्रैक्टिस ग्राउंड और एक मेन ग्राउंड है।

कोचः राजीव
अकैडमीः वसंत कुंज स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स (डीडीए)
पताः डी-2 वसंत कुंज, पावर हाउस के नजदीक
एंटी की उम्रः 5 साल से ज्यादा
फीसः 1500 रुपए महीना
क्लासः हफ्ते में चार दिन
टाइमिंगः शाम 4 से 7 बजे तक
सुविधाएं: इस कॉम्प्लेक्स में प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड और नेट सुविधा

कोचः ए. एन. शर्मा
अकैडमी/क्लबः विकासपुरी क्रिकेट कोचिंग सेंटर
पताः जी-ब्लॉक, विकासपुरी
फोनः 98182-70507
एंट्री की उम्रः 8 से 14 साल तक
फीसः कोई नहीं। आर्थिक रूप से कमजोर व टैलंटेड बच्चों को फ्री किट जैसी सुविधाएं भी दी जाती हैं।
क्लासः हफ्ते में तीन दिन
टाइमिंगः शाम के वक्त तीन घंटे की ट्रेनिंग होती है। छुट्टियों में 5 से 6 घंटे की ट्रेनिंग होती है।
सुविधाएं: टर्फ और बोलिंग मशीन जैसी सुविधाएं मौजूद हैं।
स्टार प्लेयर्सः वीरेंद्र सहवाग और प्रदीप सांगवान।

कोचः अतुल शर्मा
अकैडमी/क्लबः वसुंधरा क्रिकेट अकैडमी
पताः पी. एन. एन. मोहन पब्लिक स्कूल, सेक्टर-5, वसुंधरा
फोनः 93502-22871
एंट्री की उम्रः 6 से 17 साल
फीसः एडमिशन फीस 1000 रुपए और 500 रुपए महीना
क्लासः हफ्ते में 7 दिन
टाइमिंगः शाम 4 बजे से अंधेरा होने तक
स्टार प्लेयर्सः जुनैद जंग और उदित वत्स (यूपी की अंडर 19 टीम में खेल चुके हैं)


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