View Full Version : जानें आखिर क्यों फटते हैं बादल
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ये भी है बड़ा कारण
पानी से भरे बादलों से जब गर्म हवा का ताकतवर झोंका टकराता है, तब भी उसके फटने की आशंका बढ़ जाती है।
प्रमुख बड़ी घटनाएं भारत और आस-पास
26 जुलाई 2005 को फटे मुंबई में बादल इसी क्रिया का नतीजा बताए जाते हैं।
18 जुलाई 2009 को पाकिस्तान के करांची शहर में बादल फटे थे जिसके कारण महज 2 घंटे में 250 मि.मी. बारिश दर्ज की गई थी।
6 अगस्त 2010 को भारत के जम्मू और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र, लेह में बादल फटने की घटना ने पूरा लेह शहर बरबाद कर दिया था और इस घटना में 115 लोगों की जान गई थी और 300 से ज्यादा घायल हुए थे।
अब 2013 में उत्तरकाशी और उत्तराखंड की घटना सर्वविदित है, जिसने भगवान और इंसान दोनों को अपनी चपेट में लिया है।
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भारत के लिहाज से
भारत में अक्सर हिमालय के कारण इस तरह की स्थिति पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादा निर्मित होती है। बादल पानी को लेकर उत्तर की तरफ बढ़ते हैं और हिमालय उत्तर में होने के कारण बादलों का सीना चीरने का काम करता है इसलिए अधिकतर तबाही उस क्षेत्र में आती है बादल फटने के कारण। हिमालय क्षेत्र में इनके फटने के कारण 75 मि.मी प्रति घंटा की रफ्तार से बरसात होती है।
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कई लाख लीटर पानी
इस अवस्था में एक सीमित दायरे में लाखों लीटर पानी आसामान यानी बादलों से गिरता है, जो लोगों को बचने और संभलने का मौका ही नहीं देता और यही घटना उत्तराखंड के इलाकों में हाल ही में घटित हुई। इस पानी के रास्ते में आने वाली हर चीज चाहे वह कितनी मजबूत क्यों न हो नेस्तेनाबूत हो जाती है और उत्तराखंड की तस्वीरों में हमने यही देखा
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जब इनके रास्ते मे कोई बाधा आ जाती है, तो तब ये उससे टकराकर फट जाते हैं और यह घटना बहुत जल्दी से घटित होती है।
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क्यों होती है निर्मित ऐसी स्थिति
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इसके तकनीकी कारणों पर गौर किया जाए, तो बादलों में बड़ी मात्रा में आंद्रता यानी पानी होता है और बारिश के मौसम में ये इसी पानी के साथ आसमान में विचरण करते हैं।
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बादल फटना बरसात का भयाभय रूप है। इस खतरनाक स्थिति में आसमान में घूमने वाले बादलों से पानी इतनी मात्र में गिरता है कि इसीलिए इसे बादल फटना कहा जाता है। (वहां लोग मर रहे हैं, वे प्रेस कॉन्फ्रेंस करते रहे)
इस दौरान गरज के साथ ओले भी पड़ते हैं और इसकदर पानी बरसता है कि बाढ़ जैसी स्थिति निर्मित हो जाती है। बादल फटने की यह स्थिति प्राय:धरती से करीब 49212.6 फुट की ऊंचाई पर होती है।
इस दौरान जो वर्षा होती है उसकी रफ्तार 100 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है। मतलब कुछ ही मिनटों में 2 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा हो जाती है और इस कारण भारी तबाही भी होती है।
nasir
23-06-2013, 06:47 AM
~~~ Good @@ G K @@ ~~~
bhayaji007
27-06-2013, 05:11 PM
bahut umda jankari !!! aage bhi nirantarta banaye rakhe
:bravo::bravo::bravo:
bahut umda jankari !!! aage bhi nirantarta banaye rakhe
:bravo::bravo::bravo:
:iagree::iagree:
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