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View Full Version : जानिए प्रलय से जुड़ी कुछ भविष्यवाणियां


bindujain
23-06-2013, 04:09 PM
http://www.samaylive.com//pics/article/2013_06_20_01_48_46_uttarakhand1.jpg
केदारनाथ में अचानक पानी घुस गया और पूरा क्षेत्र तबाह हो गया. सैकड़ों लोग मारे गए हैं हजारों अभी भी फंसे हुए हैं. इस घटना के बाद अधिकांश लोगों के मन में यही प्रश्न है कि क्या इसी प्रकार आएगा प्रलय, जब पूरी दुनिया नष्ट हो जाएगी. अधिकतर धर्म शास्त्रों में दुनिया के विनाश या प्रलय के संबंध में बताया गया है. एक दिन इस पूरी दुनिया का विनाश होना है, ऐसा माना जाता है. सभी धर्मों और देशों के अनुसार प्रलय के लिए अलग-अलग परिभाषाएं बताई गई हैं. अब तक कई बार दुनिया के विनाश की भविष्यवाणियां की गई हैं. कुछ ग्रंथों के अनुसार पानी के कारण ही इस धरती पर प्रलय आएगा

bindujain
23-06-2013, 04:10 PM
http://www.samaylive.com//pics/article/2013_06_20_01_48_54_uttarakhand5.jpg
कयामत का दिन कब आएगा, इसकी कोई सटीक भविष्यवाणी कर पाना लगभग असंभव सा ही है. फिर भी कई सभ्यताओं और लोगों द्वारा इसकी भविष्यवाणी की गई है. दुनिया का अंत कैसे होगा? कब होगी विनाशलीला? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब आज भी खोजे जा रहे हैं. कई बार पृथ्वी के विनाश की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन हर बार वह मात्र एक कल्पना भर साबित हुई.

bindujain
23-06-2013, 04:10 PM
http://www.samaylive.com//pics/article/2013_06_20_01_48_57_uttarakhand6.jpg
सृष्टि की रचना के साथ ही इसके विनाश की भी मान्यताएं प्रचलित हैं. श्रीमदभागवत के अनुसार ऐसा माना जाता है कि दो कल्पों के बाद सृष्टि का अंत होता है. दो कल्पों का अर्थ है कि दो हजार चर्तुयुग. चतुर्युग का तात्पर्य है कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग. इन चारों युगों का क्रम अनवरत चलता है और जब एक हजार बार इन चार युगों का क्रम हो जाता है तब एक कल्प होता है. इसी प्रकार दूसरा कल्प पूरा होने पर प्रलय आता है यानि सृष्टि का विनाश हो जाता है. इसके बाद पुन: सृष्टि की उत्पत्ति होती है और यही क्रम अनवरत जारी रहता है

bindujain
23-06-2013, 04:11 PM
http://www.samaylive.com//pics/article/2013_06_20_01_48_58_uttarakhand7.jpg
एक समय इटली के माउंट वैसुवियस ज्वालामुखी के धधकते ही रोमन साम्राज्य की नींव हिल गई थी. इस ज्वालामुखी के फटने से हजारों लोग मारे गए थे और पोम्पी और हरक्यूलेनियम शहर तबाह हो गए थे. इस तबाही को देखते हुए लोगों ने मान लिया था कि अब दुनिया का अन्त नजदीक आ गया है. 16वीं शताब्दी में ब्रिटेन में कई बार प्लेग का कहर फैला. लेकिन 1665 का प्लेग सबसे भयंकर था. लगभग पूरा लंदन शहर इसकी चपेट में आ गया था. बार-बार प्लेग के फैलने से लोगों ने भविष्यवाणी की थी कि अब पृथ्वी का अंत निकट है

bindujain
23-06-2013, 04:12 PM
http://www.samaylive.com//pics/article/2013_06_20_01_49_00_uttarakhand8.jpg
1910 में विशाल हैली धूमकेतु धरती के समीप से गुजरा. कई यूरोपीय और अमेरिकी लोगों ने इस कपोल कथा पर यकीन कर लिया था कि इस धूमकेतु की पूंछ से गैसों का रिसाव हो रहा है और इससे पृथ्वी का वातावरण प्रदुषित होगा. इसी वजह से एक दिन दुनिया खत्म हो जाएगी

bindujain
23-06-2013, 04:12 PM
http://www.samaylive.com//pics/article/2013_06_20_01_49_03_uttarakhand9.jpg
एक लेखक रिचर्ड नून ने भविष्यवाणी की थी कि 5 मई 2000 को सभी ग्रह एक पंक्ति में आ जाएंगे. इससे बर्फ पिघलने लगेगी और पृथ्वी पर विनाशलीला आरंभ हो जाएगी. इससे सभ लोग मारे जाएंगे. विश्व प्रसिद्ध नास्त्रेदमस द्वारा भी दुनिया के विनाश की भविष्यवाणी की गई है. अभी तक दुनिया के विनाश की लगभग सभी भविष्यवाणियां गलत साबित हुई हैं लेकिन जिन लोगों ने उत्तराखंड में बारिश का तांडव देखा है उन्हें जरूर प्रलय का एहसास हो गया है

bindujain
23-06-2013, 04:13 PM
http://www.samaylive.com//pics/article/2013_06_20_01_51_06_uttarakhand10.jpg
सर्वाधिक चर्चित माया कैलेंडर के अनुसार 2012 में दुनिया का विनाश हो जाएगा. माया संस्कृति अमेरिका में विकसित हुई थी. ऐसा माना जाता है. यह स्थान आज मैक्सिको नामक देश के रूप में जाना जाता है. माया संस्कृति के लोग प्रखर खगोलशास्त्री और ज्योतिष के जानकार थे. इन्होंने 21 दिसम्बर 2012 को दुनिया के विनाश के संकेत दिए थे लेकिन यह भविष्यवाणी असत्य साबित हुई

bindujain
23-06-2013, 04:22 PM
उत्तराखंड में आया प्रलय,
जानिए प्रलय से जुड़ी कुछ पुरानी भविष्यवाणियां

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/religion.bhaskar.com/2013/06/19/5038_uttarkashi_copy.jpg

bindujain
23-06-2013, 04:23 PM
हाल ही में उत्तराखंड में हुई बादल फटने की घटना जिसने देखी उसे यही लगा कि प्रलय आ गया। प्रलय यानी चारों ओर तबाही। पानी ही पानी, चारों ओर हाहाकार। केदारनाथ में अचानक पानी आ गया और पूरा क्षेत्र तबाह हो गया। सैकड़ों लोग मारे गए और काफी लोग अब भी फंसे हुए हैं।
इस घटना के बाद अधिकांश लोगों के मन में यही प्रश्न है कि क्या इसी प्रकार आएगा प्रलय, जब पूरी दुनिया नष्ट हो जाएगी। अधिकतर धर्म शास्त्रों में दुनिया के विनाश या प्रलय के संबंध में बताया गया है। एक दिन इस पूरी दुनिया का विनाश होना है, ऐसा माना जाता है। सभी धर्मों और देशों के अनुसार प्रलय के लिए अलग-अलग परिभाषाएं बताई गई हैं। अब तक कई बार दुनिया के विनाश की भविष्यवाणियां की गई हैं।
कुछ ग्रंथों के अनुसार पानी के कारण ही इस धरती पर प्रलय आएगा। जब चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी होगा।

bindujain
23-06-2013, 04:24 PM
http://i6.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/religion.bhaskar.com/2013/06/19/4212_end-of-world6.jpg
कयामत का दिन कब आएगा, इसकी कोई सटीक भविष्यवाणी कर पाना लगभग असंभव सा ही है। फिर भी कई सभ्यताओं और लोगों द्वारा इसकी भविष्यवाणी की गई है। दुनिया का अंत कैसे होगा? कब होगी विनाशलीला? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब आज भी खोजे जा रहे हैं। कई बार पृथ्वी के विनाश की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन हर बार वह मात्र एक कल्पना भर साबित हुई

bindujain
23-06-2013, 04:26 PM
http://i5.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/religion.bhaskar.com/2013/06/19/4212_end-of-world1.jpg
एक समय इटली के माउंट वैसुवियस ज्वालामुखी के धधकते ही रोमन साम्राज्य की नींव हिल गई थी। इस ज्वालामुखी के फटने से हजारों लोग मारे गए थे और पोम्पी और हरक्यूलेनियम शहर तबाह हो गए थे। इस तबाही को देखते हुए लोगों ने मान लिया था कि अब दुनिया का अन्त नजदीक आ गया है।
16वीं शताब्दी में ब्रिटेन में कई बार प्लेग का कहर फैला। लेकिन 1665 का प्लेग सबसे भयंकर था। लगभग पूरा लंदन शहर इसकी चपेट में आ गया था। बार-बार प्लेग के फैलने से लोगों ने भविष्यवाणी की थी कि अब पृथ्वी का अंत निकट है।

bindujain
23-06-2013, 04:27 PM
http://i5.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/religion.bhaskar.com/2013/06/19/6472_uttarakhand.jpg
सृष्टि की रचना के साथ ही इसके विनाश की भी मान्यताएं प्रचलित हैं। श्रीमदभागवत के अनुसार ऐसा माना जाता है कि दो कल्पों के बाद सृष्टि का अंत होता है। दो कल्पों का अर्थ है कि दो हजार चर्तुयुग। चतुर्युग का तात्पर्य है कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग। इन चारों युगों का क्रम अनवरत चलता है और जब एक हजार बार इन चार युगों का क्रम हो जाता है तब एक कल्प होता है। इसी प्रकार दूसरा कल्प पूरा होने पर प्रलय आता है यानि सृष्टि का विनाश हो जाता है। इसके बाद पुन: सृष्टि की उत्पत्ति होती है और यही क्रम अनवरत जारी रहता है

aspundir
26-06-2013, 07:58 PM
बिन्दू जी, रोचक जानकारी शेयर करने के लिये धन्यवाद । लेकिन आपने यह नहीं बतलाया की कल्प गणना में वर्तमान समय कहाँ तक पहुचाँ है । अस्तु, चारों युगों के एक चक्कर को चतुर्युगी अथवा पर्याय कहते हैं । १‚००० चतुर्युगी अथवा पर्यायों का एक कल्प होता है । ब्रह्मा के एक मास में तीस कल्प होते हैं जिनके अलग-अलग नाम हैं, जैसे श्वेतवाराह कल्प, नीललोहित कल्प आदि । प्रत्येक कल्प के १४ भाग होते हैं और इन भागों को 'मन्वंतर' कहते हैं । प्रत्येक मन्वंतर का एक मनु होता है, इस प्रकार स्वायंभुव, स्वारोचिष्* आदि १४ मनु हैं । प्रत्येक मन्वंतर के अलग-अलग सप्तर्षि, इद्रं तथा इंद्राणी आदि भी हुआ करते हैं । इस प्रकार ब्रह्मा के आज तक ५० वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, ५१वें वर्ष का प्रथम कल्प अर्थात्* श्वेतवाराह कल्प प्रारंभ हुआ है । वर्तमान मनु का नाम 'वैवस्वत मनु' है और इनके २७ चतुर्युगी बीत चुके हैं, २८ वें चतुर्युगी के भी तीन युग समाप्त हो गए हैं, चौथे अर्थात्* कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है ।

युगों की अवधि इस प्रकार है - सत्युग १७,२८,००० वर्ष; त्रेता १२,९६,००० वर्ष; द्वापर ८,६४,००० वर्ष और कलियुग ४,३२,००० वर्ष । अतएव एक कल्प चार अरब बत्तीस करोड़ (4,32,00,000) वर्ष का हुआ ।

प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों में मानव इतिहास को पाँच कल्पों में बाँटा गया है।

हमत् कल्प : १,०९,८०० वर्ष विक्रमीय पूर्व से आरम्भ होकर ८५,८०० वर्ष पूर्व तक
हिरण्य गर्भ कल्प : ८५,८०० विक्रमीय पूर्व से ६१,८०० वर्ष पूर्व तक
ब्राह्म कल्प : ६०,८०० विक्रमीय पूर्व से ३७,८०० वर्ष पूर्व तक
पाद्म कल्प : ३७,८०० विक्रम पूर्व से १३,८०० वर्ष पूर्व तक और
वराह कल्प : १३,८०० विक्रम पूर्व से आरम्भ होकर वर्तमान तक

अब तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु, स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तमास मनु, रेवत-मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है। सावर्णि मनु का आविर्भाव विक्रमी सम्वत प्रारम्भ होने से ५,६३० वर्ष पूर्व हुआ था।

bindujain
27-06-2013, 10:39 AM
बिन्दू जी, रोचक जानकारी शेयर करने के लिये धन्यवाद । लेकिन आपने यह नहीं बतलाया की कल्प गणना में वर्तमान समय कहाँ तक पहुचाँ है । अस्तु, चारों युगों के एक चक्कर को चतुर्युगी अथवा पर्याय कहते हैं । १‚००० चतुर्युगी अथवा पर्यायों का एक कल्प होता है । ब्रह्मा के एक मास में तीस कल्प होते हैं जिनके अलग-अलग नाम हैं, जैसे श्वेतवाराह कल्प, नीललोहित कल्प आदि । प्रत्येक कल्प के १४ भाग होते हैं और इन भागों को 'मन्वंतर' कहते हैं । प्रत्येक मन्वंतर का एक मनु होता है, इस प्रकार स्वायंभुव, स्वारोचिष्* आदि १४ मनु हैं । प्रत्येक मन्वंतर के अलग-अलग सप्तर्षि, इद्रं तथा इंद्राणी आदि भी हुआ करते हैं । इस प्रकार ब्रह्मा के आज तक ५० वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, ५१वें वर्ष का प्रथम कल्प अर्थात्* श्वेतवाराह कल्प प्रारंभ हुआ है । वर्तमान मनु का नाम 'वैवस्वत मनु' है और इनके २७ चतुर्युगी बीत चुके हैं, २८ वें चतुर्युगी के भी तीन युग समाप्त हो गए हैं, चौथे अर्थात्* कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है ।

युगों की अवधि इस प्रकार है - सत्युग १७,२८,००० वर्ष; त्रेता १२,९६,००० वर्ष; द्वापर ८,६४,००० वर्ष और कलियुग ४,३२,००० वर्ष । अतएव एक कल्प चार अरब बत्तीस करोड़ (4,32,00,000) वर्ष का हुआ ।

प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों में मानव इतिहास को पाँच कल्पों में बाँटा गया है।

हमत् कल्प : १,०९,८०० वर्ष विक्रमीय पूर्व से आरम्भ होकर ८५,८०० वर्ष पूर्व तक
हिरण्य गर्भ कल्प : ८५,८०० विक्रमीय पूर्व से ६१,८०० वर्ष पूर्व तक
ब्राह्म कल्प : ६०,८०० विक्रमीय पूर्व से ३७,८०० वर्ष पूर्व तक
पाद्म कल्प : ३७,८०० विक्रम पूर्व से १३,८०० वर्ष पूर्व तक और
वराह कल्प : १३,८०० विक्रम पूर्व से आरम्भ होकर वर्तमान तक

अब तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु, स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तमास मनु, रेवत-मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है। सावर्णि मनु का आविर्भाव विक्रमी सम्वत प्रारम्भ होने से ५,६३० वर्ष पूर्व हुआ था।

:bravo::bravo::bravo::bravo:

Dr.Shree Vijay
05-08-2013, 11:26 PM
बेहतरीन जानकारी देने के लिए धन्यवाद.................................

Dr.Shree Vijay
10-08-2013, 11:37 AM
प्रिय बिंदु जी धन्यवाद.....................................[/quote]