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View Full Version : आओ हिंदी ज्ञान बढाएं


dipu
26-06-2013, 10:34 AM
अक्ल-संबंधी मुहावरे

1. अक्ल का दुश्मन-(मूर्ख)- वह तो निरा अक्ल का दुश्मन निकला।
2. अक्ल चकराना-(कुछ समझ में न आना)-प्रश्न-पत्र देखते ही मेरी अक्ल चकरा गई।
3. अक्ल के पीछे लठ लिए फिरना (समझाने पर भी न मानना)- तुम तो सदैव अक्ल के पीछे लठ लिए फिरते हो।
4. अक्ल के घोड़े दौड़ाना-(तरह-तरह के विचार करना)- बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने अक्ल के घोड़े दौड़ाए, तब कहीं वे अणुबम बना सके।

bindujain
26-06-2013, 10:35 AM
आँख-संबंधी मुहावरे

1. आँख दिखाना-(गुस्से से देखना)- जो हमें आँख दिखाएगा, हम उसकी आँखें फोड़ देगें।
2. आँखों में गिरना-(सम्मानरहित होना)- कुरसी की होड़ ने जनता सरकार को जनता की आँखों में गिरा दिया।
3. आँखों में धूल झोंकना-(धोखा देना)- शिवाजी मुगल पहरेदारों की आँखों में धूल झोंककर बंदीगृह से बाहर निकल गए।
4. आँख चुराना-(छिपना)- आजकल वह मुझसे आँखें चुराता फिरता है।
5. आँख मारना-(इशारा करना)-गवाह मेरे भाई का मित्र निकला, उसने उसे आँख मारी, अन्यथा वह मेरे विरुद्ध गवाही दे देता।
6. आँख तरसना-(देखने के लालायित होना)- तुम्हें देखने के लिए तो मेरी आँखें तरस गई।
7. आँख फेर लेना-(प्रतिकूल होना)- उसने आजकल मेरी ओर से आँखें फेर ली हैं।
8. आँख बिछाना-(प्रतीक्षा करना)- लोकनायक जयप्रकाश नारायण जिधर जाते थे उधर ही जनता उनके लिए आँखें बिछाए खड़ी होती थी।
9. आँखें सेंकना-(सुंदर वस्तु को देखते रहना)- आँख सेंकते रहोगे या कुछ करोगे भी
10. आँखें चार होना-(प्रेम होना,आमना-सामना होना)- आँखें चार होते ही वह खिड़की पर से हट गई।
11. आँखों का तारा-(अतिप्रिय)-आशीष अपनी माँ की आँखों का तारा है।
12. आँख उठाना-(देखने का साहस करना)- अब वह कभी भी मेरे सामने आँख नहीं उठा सकेगा।
13. आँख खुलना-(होश आना)- जब संबंधियों ने उसकी सारी संपत्ति हड़प ली तब उसकी आँखें खुलीं।
14. आँख लगना-(नींद आना अथवा व्यार होना)- बड़ी मुश्किल से अब उसकी आँख लगी है। आजकल आँख लगते देर नहीं होती।
15. आँखों पर परदा पड़ना-(लोभ के कारण सचाई न दीखना)- जो दूसरों को ठगा करते हैं, उनकी आँखों पर परदा पड़ा हुआ है। इसका फल उन्हें अवश्य मिलेगा।
16. आँखों का काटा-(अप्रिय व्यक्ति)- अपनी कुप्रवृत्तियों के कारण राजन पिताजी की आँखों का काँटा बन गया।
17. आँखों में समाना-(दिल में बस जाना)- गिरधर मीरा की आँखों में समा गया।

bindujain
26-06-2013, 10:36 AM
अंग संबंधी मुहावरे

1. अंग छूटा- (कसम खाना) मैं अंग छूकर कहता हूँ साहब, मैने पाजेब नहीं देखी।
2. अंग-अंग मुसकाना-(बहुत प्रसन्न होना)- आज उसका अंग-अंग मुसकरा रहा था।
3. अंग-अंग टूटना-(सारे बदन में दर्द होना)-इस ज्वर ने तो मेरा अंग-अंग तोड़कर रख दिया।
4. अंग-अंग ढीला होना-(बहुत थक जाना)- तुम्हारे साथ कल चलूँगा। आज तो मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है।

bindujain
26-06-2013, 10:38 AM
मुहावरे और लोकोक्तियाँ

मुहावरा- कोई भी ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को व्यक्त करे उसे मुहावरा कहते हैं।

लोकोक्ति- लोकोक्तियाँ लोक-अनुभव से बनती हैं। किसी समाज ने जो कुछ अपने लंबे अनुभव से सीखा है उसे एक वाक्य में बाँध दिया है। ऐसे वाक्यों को ही लोकोक्ति कहते हैं। इसे कहावत, जनश्रुति आदि भी कहते हैं।

मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर- मुहावरा वाक्यांश है और इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता। लोकोक्ति संपूर्ण वाक्य है और इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है। जैसे-‘होश उड़ जाना’ मुहावरा है। ‘बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी’ लोकोक्ति है।

bindujain
26-06-2013, 10:38 AM
वचन :- संज्ञा शब्द के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि वह एक के लिए प्रयुक्त हुआ है या एक से अधिक के लिए , उसे वचन कहते है।

वचन के प्रकार :- वचन के दो भेद होते है :-
१.एकवचन २.बहुवचन

१.एकवचन :- जिस शब्द से एक ही व्यक्ति या वस्तु का बोध हो ,उसे एकवचन कहते है। जैसे - लड़का ,पुस्तक ,केला,गमला ,चूहा ,तोता आदि।

२.बहुवचन :- जिस शब्द से एक से अधिक संख्या का बोध हो,उसे बहुवचन कहते है। जैसे- लड़के ,पुस्तके,केले,गमले,चूहे ,तोते आदि।

एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम :-

१.आकारांत पुलिंग शब्दों के 'आ' को 'ए' कर देते है । जैसे -

एकवचन --------------------बहुवचन

लड़का .......................................लड़के
घोड़ा .........................................घोडे
बेटा .........................................बेटे
मुर्गा ........................................मुर्गे
कपड़ा .....................................कपड़े

२.अकारांत स्त्रीलिंग शब्दों में 'अ' को 'एँ ' कर देते है। जैसे -
एकवचन --------------------बहुवचन
बात ........................................बातें
रात ......................................रातें
आँख ...................................आखें
पुस्तक ..............................पुस्तकें

३.या अंत वाले स्त्रीलिंग शब्दों में 'या' को 'याँ' कर देते है। जैसे -
चिडिया ...........................चिडियाँ
डिबिया ...........................डिबियाँ
गुडिया .............................गुडियाँ
चुहिया ............................चुहियाँ

४.आकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के आगे 'एँ' लगा देते है। जैसे :-
कन्या .........................कन्याएँ
माता .........................माताएँ
भुजा .........................भुजाएँ
पत्रिका ......................पत्रिकाएँ

५.इकारांत स्त्रीलिंग शब्दों में या लगा देते है। जैसे -
जाति............................जातियाँ
रीति .............................रीतियाँ
नदी ..............................नदियाँ
लड़की..........................लड़कियाँ

६.स्त्रीलिंग शब्दों में अन्तिम उ,ऊ में ए जोड़कर दीर्घ ऊ का हस्व हो जाता है। जैसे -
वस्तु ........................वस्तुएँ
गौ ............................गौएँ
बहु ..........................बहुएँ

७.कुछ शब्दों में गुण,वर्ण ,भाव आदि शब्द लगाकर बहुवचन बनाया जाता है। जैसे-
व्यापारी ........................व्यापारीगण
मित्र .............................मित्रवर्ग
सुधी ...........................सुधिजन

नोट - कुछ शब्द दोनों वचनों में एक जैसे रहते है। जैसे -पिता,योद्धा,चाचा ,मित्र,फल,बाज़ार,अध्यापक,फूल,छात्र ,दादा,राजा,विद्यार्थी आदि।

bindujain
26-06-2013, 10:41 AM
लिंग---
लिंग :- "संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की जाति (स्त्री या पुरूष ) के भेद का बोध होता हो, उसे लिंग कहते है।"

हिन्दी व्याकरण में लिंग के दो भेद होते है - १.पुलिंग २.स्त्रीलिंग

१.पुलिंग :- जिस संज्ञा शब्द से पुरूष जाति का बोध होता है,उसे पुलिंग कहते है। जैसे -पिता ,राजा,घोड़ा ,कुत्ता,बन्दर ,हंस ,बकरा ,लड़का आदि।

२.स्त्रीलिंग :- जिस संज्ञा शब्द से स्त्री जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते है। जैसे -माता,रानी,घोड़ा,कुतिया,बंदरिया ,हंसिनी,लड़की,बकरी आदि।

प्राणीवाचक संज्ञाओ का लिंग निर्णय आसान है,परन्तुअप्राणीवाचक (वस्तु) संज्ञाओ के लिंग निर्णय में परेशानी होती है, क्योंकि हिन्दी व्याकरण में निर्जीव वस्तुओं को भी पुरूष या स्त्री लिंगो में बाटा जाता है। प्रायः प्रयोग या आवश्यकता के आधार पर लिंग की पहचान हो जाती है,फिरभीकुछ ऐसे प्राणीवाचक शब्द होते है,जिन्हें हमेशा स्त्रीलिंग तथा पुलिंग में ही प्रयोग किया जाता है। कुछ संज्ञा शब्द इन नियमों के अपवाद भी होते है।

१.कुछ प्राणीवाचक शब्द हमेशा पुलिंग या स्त्रीलिंग में ही प्रयुक्त होते है।
(अ) पुलिंग - कौवा ,खटमल,गीदड़ ,मच्छर ,चीता,चीन,उल्लू आदि।
(ब ) स्त्रीलिंग - सवारी ,गुडिया ,गंगा ,यमुना ।

२.पर्वतों के नाम पुलिंग होते है। जैसे -हिमालय ,विन्द्याचल ,सतपुडा आदि।
३.देशों के नाम हमेशा पुलिंग होते है। जैसे -भारत ,चीन ,इरान ,अमेरिका आदि।
४.महीनो के नाम हमेशा पुलिंग होते है । जैसे -चैत,वैसाख ,जनवरी ,फरवरी आदि।
५.दिनों के नाम हमेशा पुलिंग होते है । जैसे - सोमवार,बुधवार ,शनिवार आदि।
६.नक्षत्र -ग्रहों के नाम पुलिंग होते है । जैसे -सूर्य,चन्द्र ,राहू ,शनि आदि।
७.नदियों के नाम हमेशा स्त्रीलिंग होते है। जैसे -गंगा ,जमुना ,कावेरी आदि।
८.भाषा-बोलियों के नाम हमेशा स्त्रीलिंग होते है। जैसे -हिन्दी ,उर्दू ,पंजाबी,अरबी,अवधी,पहाडी आदि।

९."अ' से अंत होने वाले शब्द पुलिंग होते है तथा "ई' ,आई ,इन ,इया आदि से समाप्त होने वाले शब्द स्त्रीलिंग होते है। जैसे :- फल ,फूल,चित्र ,चीन आदि पुलिंग शब्द है । लकड़ी ,कहानी ,नारी,लेखनी,गुडिया ,खटिया आदि स्त्रीलिंग शब्द है।

१०.धातुओं ,अनाज ,द्रव्य ,पदार्थ तथा शरीर के अंगो के नाम पुलिंग होते है। जैसे -सोना,तांबा ,पानी,तेल,दूध, आदि।

११.कुछ संज्ञा शब्दों में मादा या नर लगाकर लिंग का प्रयोग किया जाता है।

भेडिया-मादा भेडिया
नर खरगोश -मादा खरगोश
नर छिपकली - मादा छिपकली

नोट - जिस संज्ञा शब्द का लिंग ज्ञात करना हो ,उसे पहले बहुवचन में बदल लिजिए। बहुवचन में बदल लेने पर यदि शब्द के अंत में "एँ" या "आँ" आता है,तो वह शब्द स्त्रीलिंग है, यदि एँ या आँ नही आता ,तो वह शब्द पुलिंग है ।

उदाहरण:-

पंखा --पंखे --आँ या एँ नही आया---पुलिंग
चाबी --चाबियाँ-- आँ आया है ---स्त्रीलिंग

bindujain
26-06-2013, 10:41 AM
सर्वनाम :- संज्ञा के स्थान पर जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है।

जैसे :-

1.रीता ने गीता से कहा ,मै तुम्हे पुस्तक दूँगी।
२.सीता ने रीता से कहा ,मै बाज़ार जाती हूँ।

इन वाक्यों में मै , तुम्हे शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते है। अतः ये सभी सर्वनाम है।

सर्वनाम के भेद :- सर्वनाम के मुख्य छः भेद होते है - १.पुरुषवाचक सर्वनाम२.निश्चयवाचक सर्वनाम३.अनिश्चयवाचक सर्वनाम४.सम्बन्धवाचक सर्वनाम ५.प्रश्नवाचक सर्वनाम६.निजवाचक सर्वनाम

१.पुरुषवाचक सर्वनाम :- जो सर्वनाम शब्द बोलने वाला अपने लिए, सुनने वाले के लिएया किसी अन्य के लिए प्रयोग करता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे - मै,हम,तुम आदि।

पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार से प्रयोग किया जाता है :-

1.उत्तम पुरूष :- जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग तीनो पुरूष उत्तम,मध्यम एवं अन्य के लिए होता है, यानी व्यक्ति के नाम के बदले आने वाले सर्वनाम को पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे :- १.मै काम कर रहा हूँ। २.हम सब घुमने जायेंगे ।

२.मध्यम पुरूष :- जिस सर्वनाम का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है,उसे मध्यम पुरूष कहते है। जैसे - तुम कहाँ जा रहे हो ? तुम सब क्या लिख रहे हो ?

३.अन्य पुरूष :- जिसके विषय में बात की जाय ,वे सभी शब्द अन्य पुरूष में होते है। जैसे -वह चालाक है, वह पागल है।

२.निश्चयवाचक सर्वनाम :- जो सर्वनाम किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति की ओर संकेत करते है, वे निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते है। जैसे- १.वह मेरा गाँव है। २.यह मेरी पुस्तक है।

३.अनिश्चयवाचक सर्वनाम :-जिन सर्वनाम शब्दों से किसी प्राणी या वस्तु का बोध न हो ,वे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते है। जैसे - १.कोई व्यक्ति इधर ही आ रहा है। २.कुछ सेब मेरी टोकरी में है।

४.सम्बन्धवाचक सर्वनाम :- जिस सर्वनाम से दो पदों के बीच का सम्बन्ध जाना जाता है। उसे सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे- १.जैसी करनी, वैसी भरनी२.जैसा राजा,वैसी प्रजा

५.प्रश्नवाचक सर्वनाम :-जिस सर्वनाम का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए किया जाता है,उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे :- १.आज कौन आया है ? २.तुम किसको पत्र लिख रहे हो ?

६.निजवाचक सर्वनाम :- जिस सर्वनाम का प्रयोग वाक्य में कर्ता के लिए होता है,उसे निजवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे - १.हमें अपना काम अपने आप करना चाहिए । २.तुम अपना काम स्वयं करो ।

bindujain
26-06-2013, 10:41 AM
संज्ञा का शाब्दिक अर्थ होता है : नाम। किसी व्यक्ति,वस्तु,स्थान तथा भाव के नाम को संज्ञा कहा जाता है। जैसे - राम,वाराणसी,महल,बहादुरी,रामायण आदि।

हिन्दी में मुख्य रूप से संज्ञा के पाँच भेद माने जाते है :-
१.व्यक्तिवाचक संज्ञा
२.जातिवाचक संज्ञा
३.भाववाचक संज्ञा
४.समूहवाचक संज्ञा
५.द्रव्यवाचक संज्ञा

१.व्यक्तिवाचक संज्ञा:- जिस शब्द से किसी एक विशेष व्यक्ति,वस्तु या स्थान आदि का बोध होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है। जैसे -राम,कृष्ण ,सीता ,गंगा,यमुना,गोदावरी,काशी,कलकत्ता ,दिल्ली,हिमालय,सतपुडा आदि।

२.जातिवाचक संज्ञा :- जिस शब्द से एक ही जाति के अनेक प्राणियो या वस्तुओं का बोध हो ,उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है। जैसे - कलम,पुस्तक,दूध,कुर्सी,घर,विद्यालय,सड़क,बाग़,पहाड़, कुत्ता,हाथी,गाय,बैल आदि।

३.भाववाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा शब्द से किसी के गुण,दोष,दशा ,स्वभाव ,भाव आदि का बोध होता हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते है। जैसे - सच्चाई ,ईमानदारी,गर्मी,वीरता,लड़कपन,सुख,बुढ़ापा,हरियाली,ज वानी,गरीबी आदि।

४.समूहवाचक संज्ञा :- जो संज्ञा शब्द किसी समूह या समुदाय का बोध कराते है, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है । जैसे -भीड़ ,सेना,जुलुस ,खेल आदि।

५.द्रव्यवाचक संज्ञा :- जो संज्ञा शब्द ,किसी द्रव्य ,पदार्थ या धातु आदि का बोध कराते है, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है। जैसे -स्टील,घी ,सोना,दूध ,पानी,लकड़ी आदि।

bindujain
26-06-2013, 10:41 AM
हिन्दी वर्णमाला में ५२ अक्षर होते है , जो कि निम्न है :-

स्वर :-

अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ॠ ऌ ॡ

व्यंजन :-

क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण (ड़, ढ़)
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व
स श ष ह
क्ष त्र ज्ञ

नोट :- यह वर्णमाला देवनागरी लिपि की है। देवनागरी लिपि में संस्कृत,मराठी,कोंकणी ,नेपाली,मैथिली आदि भाषाएँ लिखी जाती है।यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात है कि हिंदी में ॠ ऌ ॡ का प्रयोग प्रायः नहीं होता।

bindujain
26-06-2013, 10:42 AM
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अपने विचार ,भावनाओं एवं अनुभुतियों को वह भाषा के माध्यम से ही व्यक्त करता है। मनुष्य कभी शब्दों ,कभी सिर हिलाने या संकेत द्वारा वह संप्रेषण का कार्य करता है। किंतु भाषा उसे ही कहते है ,जो बोली और सुनी जाती हो,और बोलने का तात्पर्य गूंगे मनुष्यों या पशु -पक्षियों का नही ,बल्कि बोल सकने वालेमनुष्यों से अर्थलिया जाता है। इस प्रकार -

"भाषा वह साधन है, जिसके माध्यम से हम सोचते है तथा अपने विचारों को व्यक्त करते है। "

मनुष्य ,अपने भावों तथा विचारों को दो प्रकार ,से प्रकट करता है-
१.बोलकर (मौखिक )
२. लिखकर (लिखित)

१.मौखिक भाषा :- मौखिक भाषा में मनुष्य अपने विचारों या मनोभावों को बोलकर प्रकट करते है। मौखिक भाषा का प्रयोग तभी होता है,जब श्रोता सामने हो। इस माध्यम का प्रयोग फ़िल्म,नाटक,संवाद एवं भाषण आदि में अधिक होता है।

२.लिखित भाषा:-भाषा के लिखित रूप में लिखकर या पढ़कर विचारों एवं मनोभावों का आदान-प्रदान किया जाता है। लिखित रूपभाषा का स्थायी माध्यम होता है। पुस्तकें इसी माध्यम में लिखी जाती है।

भाषा और बोली :- भाषा ,जब कोई किसी बड़े भू-भाग में बोली जाने लगती है,तो उसका क्षेत्रीय भाषा विकसित होने लगता है। इसी क्षेत्रीय रूप को बोली कहते है। कोई भी बोली विकसित होकर साहित्य की भाषा बन जाती है। जब कोई भाषा परिनिष्ठित होकर साहित्यिक भाषा के पद पर आसीन होती है,तो उसके साथ ही लोकभाषा या विभाषा की उपस्थिति अनिवार्य होती है। कालांतर में ,यही लोकभाषा परिनिष्ठित एवं उन्नत होकर साहित्यिक भाषा का रूप ग्रहण कर लेती है। आज जो हिन्दी हम बोलते है या लिखते है ,वह खड़ी बोली है, इसके पूर्व अवधी,ब्रज ,मैथिली आदि बोलियाँ भी साहित्यिक भाषा के पद पर आसीन हो चुकी है। (हिन्दी भाषा के उद्भव और विकास के सम्बन्ध में यहाँ देखें। )

हिन्दी तथा अन्य भाषाएँ :- संसार में अनेक भाषाएँ बोली जाती है। जैसे -अंग्रेजी,रुसी,जापानी,चीनी,अरबी,हिन्दी ,उर्दू आदि। हमारे भारत में भी अनेक भाषाएँ बोली जाती है । जैसे -बंगला,गुजराती,मराठी,उड़िया ,तमिल,तेलगु आदि। हिन्दी भारत में सबसे अधिक बोली और समझी जाती है। हिन्दी भाषा को संविधान में राजभाषा का दर्जा दिया गया है।

लिपि:- लिपि का शाब्दिक अर्थ होता है -लिखित या चित्रित करना । ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है,वही लिपि कहलाती है। प्रत्येक भाषा की अपनी -अलग लिपि होती है। हिन्दी की लिपि देवनागरी है। हिन्दी के अलावा -संस्कृत ,मराठी,कोंकणी,नेपाली आदि भाषाएँ भी देवनागरी में लिखी जाती है।

व्याकरण :- व्याकरण वह विधा है,जिसके द्वारा किसी भाषा का शुद्ध बोलना या लिखना जाना जाता है। व्याकरण भाषा की व्यवस्था को बनाये रखने का काम करते है। व्याकरण भाषा के शुद्ध एवं अशुद्ध प्रयोगों पर ध्यान देता है। इस प्रकार ,हम कह सकते है कि प्रत्येक भाषा के अपने नियम होते है,उस भाषा का व्याकरण भाषा को शुद्ध लिखना व बोलना सिखाता है। व्याकरण के तीन मुख्य विभाग होते है :-

१.वर्ण -विचार :- इसमे वर्णों के उच्चारण ,रूप ,आकार,भेद,आदि के सम्बन्ध में अध्ययन होता है।
२.शब्द -विचार :- इसमे शब्दों के भेद ,रूप,प्रयोगों तथा उत्पत्ति का अध्ययन किया जाता है।
३.वाक्य -विचार:- इसमे वाक्य निर्माण ,उनके प्रकार,उनके भेद,गठन,प्रयोग, विग्रह आदि पर विचार किया जाता है।

bindujain
27-06-2013, 11:02 AM
उपयोगी सूत्र है

VARSHNEY.009
28-06-2013, 04:05 PM
लिंग---
लिंग :- "संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की जाति (स्त्री या पुरूष ) के भेद का बोध होता हो, उसे लिंग कहते है।"

हिन्दी व्याकरण में लिंग के दो भेद होते है - १.पुलिंग २.स्त्रीलिंग

१.पुलिंग :- जिस संज्ञा शब्द से पुरूष जाति का बोध होता है,उसे पुलिंग कहते है। जैसे -पिता ,राजा,घोड़ा ,कुत्ता,बन्दर ,हंस ,बकरा ,लड़का आदि।

२.स्त्रीलिंग :- जिस संज्ञा शब्द से स्त्री जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते है। जैसे -माता,रानी,घोड़ा,कुतिया,बंदरिया ,हंसिनी,लड़की,बकरी आदि।

प्राणीवाचक संज्ञाओ का लिंग निर्णय आसान है,परन्तुअप्राणीवाचक (वस्तु) संज्ञाओ के लिंग निर्णय में परेशानी होती है, क्योंकि हिन्दी व्याकरण में निर्जीव वस्तुओं को भी पुरूष या स्त्री लिंगो में बाटा जाता है। प्रायः प्रयोग या आवश्यकता के आधार पर लिंग की पहचान हो जाती है,फिरभीकुछ ऐसे प्राणीवाचक शब्द होते है,जिन्हें हमेशा स्त्रीलिंग तथा पुलिंग में ही प्रयोग किया जाता है। कुछ संज्ञा शब्द इन नियमों के अपवाद भी होते है।

१.कुछ प्राणीवाचक शब्द हमेशा पुलिंग या स्त्रीलिंग में ही प्रयुक्त होते है।
(अ) पुलिंग - कौवा ,खटमल,गीदड़ ,मच्छर ,चीता,चीन,उल्लू आदि।
(ब ) स्त्रीलिंग - सवारी ,गुडिया ,गंगा ,यमुना ।

२.पर्वतों के नाम पुलिंग होते है। जैसे -हिमालय ,विन्द्याचल ,सतपुडा आदि।
३.देशों के नाम हमेशा पुलिंग होते है। जैसे -भारत ,चीन ,इरान ,अमेरिका आदि।
४.महीनो के नाम हमेशा पुलिंग होते है । जैसे -चैत,वैसाख ,जनवरी ,फरवरी आदि।
५.दिनों के नाम हमेशा पुलिंग होते है । जैसे - सोमवार,बुधवार ,शनिवार आदि।
६.नक्षत्र -ग्रहों के नाम पुलिंग होते है । जैसे -सूर्य,चन्द्र ,राहू ,शनि आदि।
७.नदियों के नाम हमेशा स्त्रीलिंग होते है। जैसे -गंगा ,जमुना ,कावेरी आदि।
८.भाषा-बोलियों के नाम हमेशा स्त्रीलिंग होते है। जैसे -हिन्दी ,उर्दू ,पंजाबी,अरबी,अवधी,पहाडी आदि।

९."अ' से अंत होने वाले शब्द पुलिंग होते है तथा "ई' ,आई ,इन ,इया आदि से समाप्त होने वाले शब्द स्त्रीलिंग होते है। जैसे :- फल ,फूल,चित्र ,चीन आदि पुलिंग शब्द है । लकड़ी ,कहानी ,नारी,लेखनी,गुडिया ,खटिया आदि स्त्रीलिंग शब्द है।

१०.धातुओं ,अनाज ,द्रव्य ,पदार्थ तथा शरीर के अंगो के नाम पुलिंग होते है। जैसे -सोना,तांबा ,पानी,तेल,दूध, आदि।

११.कुछ संज्ञा शब्दों में मादा या नर लगाकर लिंग का प्रयोग किया जाता है।

भेडिया-मादा भेडिया
नर खरगोश -मादा खरगोश
नर छिपकली - मादा छिपकली

नोट - जिस संज्ञा शब्द का लिंग ज्ञात करना हो ,उसे पहले बहुवचन में बदल लिजिए। बहुवचन में बदल लेने पर यदि शब्द के अंत में "एँ" या "आँ" आता है,तो वह शब्द स्त्रीलिंग है, यदि एँ या आँ नही आता ,तो वह शब्द पुलिंग है ।

उदाहरण:-

पंखा --पंखे --आँ या एँ नही आया---पुलिंग
चाबी --चाबियाँ-- आँ आया है ---स्त्रीलिंग
प्रिय मित्र

लिंग २ नहीं ३ प्रकार के होते है
१. पुर्लिंग
२ . स्त्रीलिंग
३ .उभलिंग
उभयलिंग : इस प्रकार मैं केवल निर्जीव वस्तु आती है। जैसे कुर्सी,मेज इत्यादि

internetpremi
20-07-2013, 05:02 PM
दीपुजी, बिन्दु जैनजी,
कृपया इस सूत्र को आगे ले जाइए
मैं एक दक्षिण भारतीय हिन्दी प्रेमी हूँ
औपचारिक रूप से हिन्दी सीखी नहीं।
केवल स्कूल में थोडी बहुत सीखी थी (अनिवार्य विषय जो था)
हिन्दी बोलने वालों से संपर्क रखकर, टी वी प्रोग्राम/हिन्दी सिनेमा देखकर, और उत्तर भारत में ७ साल रहकर, कुछ हिन्दी सीखी थी।
जब फ़ुरसत मिले इस सूत्र में कृपया कुछ जोडते जाइए।
धन्यवाद