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View Full Version : बुद्ध का जीवन दर्शन


bindujain
26-06-2013, 10:01 PM
बुद्ध का जीवन दर्शन

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26-06-2013, 10:02 PM
बुद्ध अर्थात ज्ञान के ब्रह्मांड का परमाणु बनना. पूर्णिमा अर्थात परमगति को प्राप्त होना. महात्मा बुद्ध का आत्म-बोध, बोधिसतत्व और महाप्रयाण बुद्ध पूर्णिमा की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है. राज्य, धन, ऐश्वर्य, आत्मज-स्वजन, सबको छोड़ परमसत्य की खोज में निकल अंन्तत: जीवोचित बोधत्व को प्राप्त करनेवाले बुद्ध अभिज्ञान तथा आत्मबोध के महाप्रयाण सिद्ध हुए. वैर, ईष्या, धर्माडम्बर, दोहरा चरित्र, विश्वासघात, अनावश्यक मनुष्याभिनय, आग्रह-पूर्वाग्रह, भाग्य-दुर्भाग्य, सम्बन्धनि बन्ध, आसक्ति-विरक्ति, स्वीकार-अस्वीकार, लगाव-अभाव जैसी मानुषिक प्रवृत्तियों से दूर महात्मा बुद्ध भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी क्षेत्र में एक विराट आध्यात्मिक अध्यापक थे जिन्होंने बुद्धवाद की खोज की

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26-06-2013, 10:02 PM
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26-06-2013, 10:03 PM
कहा जाता है कि बुद्ध के जन्म के सप्ताह भर बाद उनकी माता का देहावसान हो गया था. उनका पालन-पोषण उनकी माता की छोटी बहन द्वारा किया गया. बालक को सिद्धार्थ नाम दिया गया, जिसका अर्थ है लक्ष्य प्राप्त करनेवाला. पर्वत खंडहरों से बुद्ध के जन्मोत्सव में आए एकान्तवासी भविष्यद्रष्टा असिता ने भविष्यवाणी की कि यह बालक या तो महान चक्रवर्ती राजा बनेगा या महान सन्त योगी

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26-06-2013, 10:03 PM
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26-06-2013, 10:04 PM
अन्य मनीषियों ने भी कुछ भविष्यवाणियां कीं. केवल कौंडिन्या नामक युवा सन्त ने दो टूक कहा कि सिद्धार्थ बुद्ध बनेगा. वास्तविक जीवन लक्ष्यों की खोज में 29 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ घर, परिवार और भव्य राजभवन त्याग एक अनिश्चित मार्ग पर बढ़ चले. बुढ़ापे, रोग और मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने तपस्वी जीवन अंगीकार कर लिया

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26-06-2013, 10:04 PM
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26-06-2013, 10:05 PM
सिद्धार्थ ने भिक्षुक गृह के लिए राजागाह की गली-गली में भिक्षाटन किया. बाद में सिद्धार्थ ने राजागाह भी त्याग दो एकान्तवासी अध्यापकों के अधीन साधनाभ्यास किया. इनमें से एक द्वारा दी गई योग शिक्षा में विशेषज्ञता के बावजूद सिद्धार्थ असन्तुष्ट होकर वहां से चले गए. इसके बाद वे उडाका रामापुत्ता के शिष्य बने






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26-06-2013, 10:05 PM
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26-06-2013, 10:07 PM
बुद्ध ने यहां उच्च स्तर की योगिक चेतना प्राप्त की लेकिन योगाभ्यास में रामापुत्ता की स्वयं को हराने की शर्त से क्षुब्ध बुद्ध यहां भी न टिक सके. साधना अध्ययन के दौरान एक बार सहसा बुद्ध को उनके बालपन का एक क्षण याद आया, जिसमें वे अपने पिता की पर्यावरणीय व्याख्या की प्रारम्भिक अवस्था को देख रहे थे.

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26-06-2013, 10:07 PM
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26-06-2013, 10:08 PM
सहसा वे ऐसी प्राकृतिक संकेन्द्रण में स्थिर हो गए थे, जो आनन्दपूर्ण, ऊर्जायुक्त और ताजगीभरी थी. बुद्ध को चिन्ता थी कि मानव लालच, ईष्या और भ्रम की अतिशक्तियों के कारण धर्म की सर्वोचित सच्चाई समझने में असमर्थ होगा. किसी तरह ब्रह्मा सहमपति ने उन्हें आत्मजागृत किया और कहा कि वे धर्म के बारे में संसार को यह सोच कर बताएं कि यहां कुछ मानव ऐसे हैं जो धर्म को समझेंगे.

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26-06-2013, 10:08 PM
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26-06-2013, 10:09 PM
ब्रह्मांड के समस्त प्राणियों से अपनी गहन लगन के कारण बुद्ध इस विषय पर उपदेश देने को सहमत हो गए. अभिबोध अर्थात ज्ञान प्राप्ति के बाद दो व्यापारी तपुसा और भालिका उनके प्रथम शिष्य बने. बुद्ध ने उनको शिक्षित करने के उपरान्त अपने सिर के कुछ केश दिए.

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26-06-2013, 10:09 PM
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26-06-2013, 10:10 PM
कहा जाता है कि वे बाल आज भी रंगून (म्यांमार) के श्वे डेगन मन्दिर में विद्यमान हैं. बुद्ध ने शेष जीवन यात्रा में असंख्य लोगों को अपने सिद्धातों एवं अनुशासन की शिक्षा दी. उस समय का आततायी माना जाने वाला अंगुलिमाल डाकू कुमार्ग छोड़ उनके साथ चल पड़ा

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26-06-2013, 10:10 PM
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26-06-2013, 10:11 PM
बुद्ध धर्म समस्त जातियों एवं वर्गों लिए खुला था. यहां कोई जातिगत व्यवस्था नहीं थी. महायान विमलकीर्ति सूत्र के अध्याय 3 में कहा गया है कि बुद्ध वास्तव में रोगी या वृद्ध नहीं हुए थे. उन्होंने समझबूझ कर सांसारिक लोगों के लिए ऐसी दशा बनाई थी ताकि वे समझ सकें कि क्षणभंगुर संसार में कितने दुख और पीड़ाएं हैं तथा निर्वाण में कितनी आत्मशान्ति.

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26-06-2013, 10:11 PM
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26-06-2013, 10:12 PM
बुद्ध ने कहा कि तथागतों अर्थात बौद्धों के पास धर्म का शरीर है. उनके पास पदार्थात्मक भोजन से चलनेवाला शरीर नहीं है. बुद्ध ने माला साम्राज्य कुशीनारा (वर्तमान में कुशीनगर, भारत) के परित्यक्त वनों में परिनिर्वाण हेतु प्रवेश किया. बुद्ध के अन्तिम प्रवचन थे-कि सभी मिश्रित वस्तुएं समाप्त हो जाती हैं. अध्यवसाय के साथ हमेशा अपनी मुक्ति के लिए श्रम करो

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26-06-2013, 10:12 PM
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26-06-2013, 10:13 PM
महापरिनिर्वाण के बाद बुद्ध शरीर का दाह-संस्कार किया गया तथा स्मृतिशेष स्मारकों और स्तूपों में रखे गए. इनमें से कुछ आज भी पूजनीय हैं. श्रीलंका के दांत का मन्दिर या (दलादा मालीगावा) नामक स्थान में बुद्ध के दाई ओर के दांत के अवशेष आज भी मौजूद बताये जाते हैं

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26-06-2013, 10:13 PM
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26-06-2013, 10:13 PM
बुद्ध के अनुसार जीवन के चार महान सत्य हैं-दु:ख अस्तित्व का अन्तर्निहित भाग है, दुख की उत्पत्ति ज्ञान से होती है, अज्ञान का मुख्य लक्षण लालसा या लगाव है, लगाव या लालसा पर प्रतिबन्ध आवश्यक है. बुद्ध ने इनसे मुक्ति प्राप्ति हेतु महान अष्टगुण रास्तों का अनुसन्धान किया. महान अष्टगुण उपायों में समुचित समझ, भाषण, कार्यवाही, जीवनर्चया, प्रयास, मस्तिष्क दशा एवं संकेन्दण्रसम्मिलित हैं.

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26-06-2013, 10:14 PM
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26-06-2013, 10:14 PM
बुद्ध के अनुसार सभी प्राणी नश्वर हैं या (स्वयं) का निरन्तर बोध होना एक भ्रम है औरसभी प्राणी समस्त परिस्थितियों से अस्पष्ट मानसिक दशा से पीड़ित होते हैं. महायान विद्यालयों में बुद्ध के इन विचारों को या तो अधिक अथवा कम सम्पूरक के रूप में सम्मानि मिला. बुद्ध के अध्यापन के अधिक गूढ़ पहलुओं तथा मठवासियों हेतु कुछेक अनुशासनात्मक नियमों पर बुद्धवाद के विभिन्न विद्यालयों के मध्य कुछ मतभेद हैं

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26-06-2013, 10:14 PM
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26-06-2013, 10:15 PM
परम्परा के अनुसार बुद्ध ने नीतिशास्त्रों को सशक्त कर मान्यताओं में सुधार किया. उन्होंने औसत स्तर के व्यक्तियों की ईश्वरत्व और मुक्ति की धारणाओं को चुनौती दी. उन्होंने व्यक्त किया कि मानवमात्र और देवत्व के मध्य कोई माध्यम नहीं है. हिंदूवाद में कहीं-कहीं बुद्ध को विष्णु भगवान का अवतार माना गया है. पुरातन ग्रन्थ भगवत पुराण में वे 25 अवतारों में से 24वां अवतार हैं. अनेक हिन्दू मान्यताओं में बुद्ध को दशावतार (ईश्वर के दस अवतार) के दस प्रमुख अवतारों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है. बुद्धों के दशारथा जटाका (जटाका अथाकथा 461) ने बोधिसत्व एवं समुचित विवेक के सर्वोच्च धार्मिंक राजा के रूप में राम को बुद्ध के पूर्व के अवतार के रूप में निरु पित किया है

bindujain
26-06-2013, 10:16 PM
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bindujain
26-06-2013, 10:16 PM
गौतम बुद्ध ने मानव जाति की दूषित मनोवृत्ति को परिशुद्ध करने की जो आध्यात्मिक योग क्रियाएं निर्मित कीं, उनका महिमामंडन हिन्दुओं के कई प्रमुख धर्म पुराणों में भी मिलता है. विवेकानन्द ने भी उनकी अभिप्रयाण प्रणालियों का उल्लेख किया है. आज बुद्ध के आत्मविकास के मार्ग पर चलने की अत्यन्त आवश्यकता है. तभी व्यक्ति के मन में व्याप्त बुराइयों एवं विसंगतियों का अन्त हो सकेगा

dipu
01-07-2013, 08:52 AM
अधिकतर बातें सही है ..................... कृपया लिंक दे जहाँ से आपने ये प्राप्त किया है