आकाश महेशपुरी
28-06-2013, 11:17 AM
कुछ दोहे -
चालू हो जाता पतन,
सुनेँ लगाकर ध्यान।
आ जाता इंसान मेँ,
जिस दिन से अभिमान।।
कहने से दिन मेँ कभी,
आ सकती है रात?
सच के आगे झूठ की,
होती क्या औकात।।
धन दौलत के लोभ मेँ,
मन के जलते पंख।
जले हुए मन से बजे,
कैसे सुख का शंख।।
सोना ही महँगा नहीँ,
महँगे आलू प्याज।
पर सबसे महँगा हुआ,
भाईचारा आज।।
जीवन है जो देश का,
भूखोँ देता जान।
देता सबको रोटियाँ,
कहते उसे किसान॥
दोहे - आकाश महेशपुरी
. . . . . . . . . . . . . . . . . .
पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
चालू हो जाता पतन,
सुनेँ लगाकर ध्यान।
आ जाता इंसान मेँ,
जिस दिन से अभिमान।।
कहने से दिन मेँ कभी,
आ सकती है रात?
सच के आगे झूठ की,
होती क्या औकात।।
धन दौलत के लोभ मेँ,
मन के जलते पंख।
जले हुए मन से बजे,
कैसे सुख का शंख।।
सोना ही महँगा नहीँ,
महँगे आलू प्याज।
पर सबसे महँगा हुआ,
भाईचारा आज।।
जीवन है जो देश का,
भूखोँ देता जान।
देता सबको रोटियाँ,
कहते उसे किसान॥
दोहे - आकाश महेशपुरी
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पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश