View Full Version : तेरी दुनिया में हम भी ढल के देखेंगे
sombirnaamdev
01-07-2013, 11:13 PM
तेरी राह पे हम भी चल के देखेंगे
तेरी दुनिया में हम भी ढल के देखेंगे
गिरते रहे देहरी पे मैखाने की पी कर
आज थोडा हम भी संभलके देखेंगे
गुजारी है जिन्दगी यूँ खामोशियों में
थोडा आज हम भी मचल के देखेंगे
गुजार दी जिन्दगी यादों के घर में
तेरी यादों से हम भी निकल के देखेंगे
बहुत चले है संभल कर ऐ जिन्दगी
उस राह पर हम भी फिसल के देखेंगे
झुलसा है ता उम्र 'नामदेव ' आग में
उस आग में हम भी जल कर देखेंगे
लेखक ....सोमबीर '''नामदेव ''' ड़ाएआला
9321283377
rajnish manga
02-07-2013, 09:24 AM
तेरी राह पे हम भी चल के देखेंगे
तेरी दुनिया में हम भी ढल के देखेंगे
गिरते रहे देहरी पे मैखाने की पी कर
आज थोडा हम भी संभलके देखेंगे
गुजारी है जिन्दगी यूँ खामोशियों में
थोडा आज हम भी मचल के देखेंगे
गुजार दी जिन्दगी यादों के घर में
तेरी यादों से हम भी निकल के देखेंगे
बहुत चले है संभल कर ऐ जिन्दगी
उस राह पर हम भी फिसल के देखेंगे
झुलसा है ता उम्र 'नामदेव ' आग में
उस आग में हम भी जल के देखेंगे
लेखक ....सोमबीर '''नामदेव ''' ड़ाएआला
9321283377
:bravo:
एक बहुत खूबसूरत ग़ज़ल के लिये शुक्रिया, सोमबीर जी.
jai_bhardwaj
03-07-2013, 08:50 PM
बहुत चले है संभल कर ऐ जिन्दगी
उस राह पर हम भी फिसल के देखेंगे
जीवन की बहुत सी कठोरतम सच्चाइयों को शब्दों में पिरो कर मंच में साझा करने के लिए हार्दिक आभार बन्धु।
नज़र का दोष समझूँ मैं,अकल का नुक्स समझूँ मैं
ग़ज़ल के ज़र्रे ज़र्रे में, 'जय' अपना अक्स देखूँ मैं
sombirnaamdev
03-07-2013, 11:15 PM
:bravo:
एक बहुत खूबसूरत ग़ज़ल के लिये शुक्रिया, सोमबीर जी.
बहुत बढ़िया ............
जीवन की बहुत सी कठोरतम सच्चाइयों को शब्दों में पिरो कर मंच में साझा करने के लिए हार्दिक आभार बन्धु।
नज़र का दोष समझूँ मैं,अकल का नुक्स समझूँ मैं
ग़ज़ल के ज़र्रे ज़र्रे में, 'जय' अपना अक्स देखूँ मैं
होसला अफजाई के लिए शुक्रिया आदरनिये श्री रजनीश मांगा जी,दीपु जी वा जय भारद्वाज जी
Advo. Ravinder Ravi Sagar'
18-09-2013, 12:36 AM
वाह क्या बात है!!बहुत खूब .
aspundir
18-09-2013, 07:30 PM
तेरी राह पे हम भी चल के देखेंगे
तेरी दुनिया में हम भी ढल के देखेंगे
गिरते रहे देहरी पे मैखाने की पी कर
आज थोडा हम भी संभलके देखेंगे
गुजारी है जिन्दगी यूँ खामोशियों में
थोडा आज हम भी मचल के देखेंगे
गुजार दी जिन्दगी यादों के घर में
तेरी यादों से हम भी निकल के देखेंगे
बहुत चले है संभल कर ऐ जिन्दगी
उस राह पर हम भी फिसल के देखेंगे
झुलसा है ता उम्र 'नामदेव ' आग में
उस आग में हम भी जल के देखेंगे
लेखक ....सोमबीर '''नामदेव ''' ड़ाएआला
9321283377
नायाब, दिलकश, बेहतरीन
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