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06-07-2013, 05:23 PM
ऐसे बने विराट:
मुश्किलों के बीच राह बनाना उन्हें खूब आता है। क्रिकेट खेलने की उनकी अपनी एक अलग अदा है। मैदान पर उनके आक्रामक तेवर प्रतिद्वंद्वी टीम के हौसले पस्त कर देते हैं। कामयाबी पर दिल खोल कर जश्न मनाना उन्हें खासा पसंद है। जिम्मेदारियां उन्हें अपना बेस्ट करने को प्रेरित करती हैं। अपने इसी मिजाज के कारण वह भीड़ से एकदम अलग दिखाई पड़ते हैं। यंग इंडिया की इसी यंग तस्वीर का नाम है विराट कोहली: भारतीय क्रिकेट के नए यंग सम्राट ।
23 बरस की उम्र के क्रिकेटरों में विराट बिना शक भारत ही नहीं, दुनिया के बेस्ट क्रिकेटर हैं। स्टारडम की चमक-दमक विराट ने 18 बरस की उम्र में ही देख ली। इससे वह कुछ राह भी भटके, लेकिन बहुत जल्द संभल भी गए। उनकी समझ में आ गया कि यह चमक तभी तक है, जब तब उनका बल्ला बोलता है। विराट इस झटके से उबरे और फिर खुद को स्थापित किया। चाहे दनादन क्रिकेट हो, फटाफट क्रिकेट या फिर सबसे असली यानी टेस्ट क्रिकेट, हर फॉर्मैट के मुताबिक खुद को वह सहजता से ढाल लेते हैं। वह जितनी खूबसूरत क्रिकेट खेलते हैं, उतने ही खूबसूरत दिखते भी हैं। वह खुद स्मार्ट दिखने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहते हैं। उनकी दीवानगी का आलम यह है कि वह जहां भी जाते हैं, उनके यंग फैन्स उनके दीदार को बेताब हो जाते हैं।
क्रिकेट का जुनून:
विराट बहुत ही सामान्य परिवार से हैं। उनके पिता प्रेम कोहली ऐडवोकेट थे। कमाई बस इतनी कि गुजर-बसर हो जाए। इसके बावजूद पिता ने अपने बेटों विराट और विकास को क्रिकेटर बनाने का सपना संजोया। वह दोनों भाइयों को वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकैडमी में कोच राजकुमार शर्मा के पास ले गए। उस्ताद राजकुमार बताते हैं, ' तब विराट 9 बरस के रहे होंगे। क्रिकेट के लिए जो जज्बा और जुनून विराट ने तब दिखाया, उसने मुझे उनका मुरीद बना दिया। वह तब अपनी उम्र के बच्चों से हर लिहाज से एकदम अलग थे। वह किसी से भी तब आसानी से आउट नहीं होते थे। बाउंड्री से सीधे थ्रो कर स्टंप बिखेर देते थे। मुझे लग गया था कि यह लड़का जरूर इंडिया के लिए खेलेगा। तब विराट के पास बल्ला और पैड भी ठीक से नहीं थे। मैंने बीडीएम के पिंटू जी के पास विराट को बैट के लिए भेजा। तब वह 14 बरस के थे। उनका पलट कर फोन आया कि यह तो अभी बहुत छोटा है। मैंने उनसे कहा था कि फ्यूचर की इन्वेस्टमेंट समझ कर ही सामान दे दें। उन्होंने मेरी परख का सम्मान किया और विराट ने पलट कर पीछे नहीं देखा।'
जज्बे को सलाम:
विराट अलग ही मिट्टी के बने हैं। वह दिल्ली की टीम की ओर से फिरोजशाह कोटला मैदान पर कर्नाटक के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच खेल रहे थे। इसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई। दिल्ली टीम तब गहरे संकट में थी। पिता के दाह संस्कार के बाद विराट अगले दिन फिर बल्लेबाजी के लिए लौटे और 90 से ज्यादा रन बनाए। उनकी इस पारी के बाद दिल्ली के कप्तान मिथुन मनहास ने कहा था कि विराट अलग ही मिट्टी का बना है। उनकी इस पारी का जिक्र सुनील गावस्कर बराबर करते हैं।
कामयाबी की डगर:
तीन बरस के इंटरनैशनल करियर में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया, उस पर किसी को भी रश्क हो सकता है। विराट भारत को 2008 में क्वालालंपुर में अंडर 19 वर्ल्ड कप जिता कर सुर्खियों में आए। अपनी कप्तानी में अंडर 19 वर्ल्ड कप जितवाने के साथ 2008 में ही भारत सीनियर वन डे टीम में भी विराट ने जगह बनाई। हालांकि, आईपीएल की चमक में वह भी एक बार राह भटकते से लगे। ऐसे वक्त में विराट को अपने बचपन के उस्ताद राजकुमार शर्मा और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के कोच एरिक सिमंस की डांट वापस ट्रैक पर ले आई। इन दोनों ने यही समझाया कि उनके आसपास की चमक तभी है कि जब तक उनका बल्ला बोलता है। बल्ला रूठा तो चमक-दमक भी गायब हो जाएगी। विराट ने यह बात समझी और खुद को ऐसा संभाला कि अब उन्हें अब क्रिकेट और सिर्फ क्रिकेट ही दिखाई देता है।
नंबर 3 पर फिट:
राहुल द्रविड़ से बेहतर वर्ल्ड क्रिकेट में नंबर 3 पर बैटिंग करने वाला बेहतर बल्लेबाज दुनिया में हाल-फिलहाल शायद ही रहा हो। द्रविड़ अब इंटरनैशनल क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं। इसके बाद सबसे बड़ा सवाल था - उनकी जगह कौन लेगा? ऐसे में इस पोजिशन पर सबसे बेस्ट ऑप्शन के तौर पर सामने आए विराट कोहली। इस पोजिशन पर खासतौर पर क्रिकेट के सबसे लंबे फॉर्मैट यानी टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज पर टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है। भारत के लिए एक अच्छी बात यह है कि इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए विराट जैसा युवा तुर्क तैयार है। सच तो यह है कि इस वक्त 23 बरस के दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में भारत के विराट कोहली टॉप पर नजर आते हैं। इस उम्र में उनको बस श्रीलंका के दिनेश चंडीमल से ही कुछ चुनौती मिलती नजर आती है।
ताकत और कमजोरी:
विराट मिजाज से आक्रामक हैं। इसी अंदाज में क्रिकेट भी खेलते हैं। मैदान पर वह स्लेजिंग का जवाब भी पलट कर देने में यकीन करते हैं। आलोचक इसके लिए भले ही उनकी आलोचना करें लेकिन विराट ने अपना अंदाज बदला नहीं है। वह बहुत ही फोकस होकर खेलते हैं। मैदान पर वह ज्यादा-से-ज्यादा वक्त क्रीज पर बिताने में यकीन करते हैं। यह उनकी ताकत है। विराट कई बार अति आत्मविश्वास में स्ट्रोक खेल कर विकेट गंवा देते हैं। उन्हें निरंतर क्रिकेट में आगे बने रहने के लिए अपनी इस आदत को सुधारना होगा।
इंडिया का फ्यूचर:
दुनिया के सर्वकालिक महान ओपनर सुनील गावस्कर, पाकिस्तान के रमीज राजा और तकनीकी रूप से बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक संजय मांजरेकर ने एक सुर में विराट कोहली को भारत की बल्लेबाजी का फ्यूचर बताया है। विराट की बल्लेबाजी के लिए इससे बड़ा सर्टिफिकेट नहीं हो सकता है। ये तीनों ही विराट के डिफेंस और स्ट्रोकप्ले के मुरीद हैं।विराट को जब भारतीय टीम का उपकप्तान बनाया गया तब गावस्कर उससे इत्तफाक नहीं रखते थे। विराट को इस बात की दाद देनी होगी कि उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से गावस्कर तक को अपना मुरीद बना लिया।
विराट के बारे में राय
विराट कोहली में रन बनाने की भूख गजब की है। विराट में यंग सचिन तेंडुलकर की झलक नजर आती है। वह खासे आक्रामक हैं। दबाव में अपने स्ट्रोक खेलते हैं। उनके स्ट्रोकों की रेंज बहुत है।
- चेतन चौहान, पूर्व टेस्ट ओपनर
विराट कोहली ने बैटिंग में जो मुकाम पाया है उसका श्रेय उनकी मेहनत और जज्बे को है। उन्होंने इंटरनैशनल क्रिकेट का दबाव बहुत बढि़या ढंग से झेला है। विराट अपनी गलतियों से सीख कर आगे बढ़ते हैं।
- मनिंदर सिंह, पूर्व लेफ्ट आर्म स्पिनर
गुरु वाणी कोच राजकुमार शर्मा
-विराट बहुत ही फोकस्ड हैं। वह अपनी फिटनेस और क्रिकेट, दोनों को पूरी तवज्जो देते हैं। घंटो नेट्स पर पसीना बहाते हैं। फील्डिंग में भी पूरी ताकत झोंक देते हैं।
-विराट को चुनौतियां पसंद हैं। श्रीलंका में वन डे में भारतीय टीम मैनेजमेंट ने उन्हें ओपनिंग करने को कहा तो उन्हें फौरन हामी भर दी। यह दर्शाता है, जिम्मेदारी लेने से कतई नहीं हिचकते।
-कवर ड्राइव और कलाई से फ्लिक कर गेंद को बाउंड्री के पार पहुंचाने में माहिर।
-कई पर ओवर कॉन्फिडेंट होकर विकेट गंवा देते हैं।
-हालात जितने मुश्किल होते हैं विराट उतना ही बेहतरीन प्रदर्शन करने में यकीन करते हैं।
-मुझे वेस्ट दिल्ली अकैडमी के 11 बरस के गुरमेर सिंह में अगला विराट नजर आता है।
विराट कोहली की बाकी डीटेल्स
जन्म : 5 नवंबर 1988, दिल्ली
टीमें : टीम इंडिया, इंडिया रेड, भारत अंडर-19, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
रोल : मिडल ऑर्डर बैट्समैन
बॉलिंग : दाएं हाथ के उपयोगी मीडियम पेसर
खाना : नॉन वेज पसंद
शौक : फास्ट म्यूजिक और कारों के शौकीन
स्कूल : सेंट सोफिया स्कूल, पश्चिम विहार, दिल्ली
अकैडमी : वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकैडमी
मुश्किलों के बीच राह बनाना उन्हें खूब आता है। क्रिकेट खेलने की उनकी अपनी एक अलग अदा है। मैदान पर उनके आक्रामक तेवर प्रतिद्वंद्वी टीम के हौसले पस्त कर देते हैं। कामयाबी पर दिल खोल कर जश्न मनाना उन्हें खासा पसंद है। जिम्मेदारियां उन्हें अपना बेस्ट करने को प्रेरित करती हैं। अपने इसी मिजाज के कारण वह भीड़ से एकदम अलग दिखाई पड़ते हैं। यंग इंडिया की इसी यंग तस्वीर का नाम है विराट कोहली: भारतीय क्रिकेट के नए यंग सम्राट ।
23 बरस की उम्र के क्रिकेटरों में विराट बिना शक भारत ही नहीं, दुनिया के बेस्ट क्रिकेटर हैं। स्टारडम की चमक-दमक विराट ने 18 बरस की उम्र में ही देख ली। इससे वह कुछ राह भी भटके, लेकिन बहुत जल्द संभल भी गए। उनकी समझ में आ गया कि यह चमक तभी तक है, जब तब उनका बल्ला बोलता है। विराट इस झटके से उबरे और फिर खुद को स्थापित किया। चाहे दनादन क्रिकेट हो, फटाफट क्रिकेट या फिर सबसे असली यानी टेस्ट क्रिकेट, हर फॉर्मैट के मुताबिक खुद को वह सहजता से ढाल लेते हैं। वह जितनी खूबसूरत क्रिकेट खेलते हैं, उतने ही खूबसूरत दिखते भी हैं। वह खुद स्मार्ट दिखने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहते हैं। उनकी दीवानगी का आलम यह है कि वह जहां भी जाते हैं, उनके यंग फैन्स उनके दीदार को बेताब हो जाते हैं।
क्रिकेट का जुनून:
विराट बहुत ही सामान्य परिवार से हैं। उनके पिता प्रेम कोहली ऐडवोकेट थे। कमाई बस इतनी कि गुजर-बसर हो जाए। इसके बावजूद पिता ने अपने बेटों विराट और विकास को क्रिकेटर बनाने का सपना संजोया। वह दोनों भाइयों को वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकैडमी में कोच राजकुमार शर्मा के पास ले गए। उस्ताद राजकुमार बताते हैं, ' तब विराट 9 बरस के रहे होंगे। क्रिकेट के लिए जो जज्बा और जुनून विराट ने तब दिखाया, उसने मुझे उनका मुरीद बना दिया। वह तब अपनी उम्र के बच्चों से हर लिहाज से एकदम अलग थे। वह किसी से भी तब आसानी से आउट नहीं होते थे। बाउंड्री से सीधे थ्रो कर स्टंप बिखेर देते थे। मुझे लग गया था कि यह लड़का जरूर इंडिया के लिए खेलेगा। तब विराट के पास बल्ला और पैड भी ठीक से नहीं थे। मैंने बीडीएम के पिंटू जी के पास विराट को बैट के लिए भेजा। तब वह 14 बरस के थे। उनका पलट कर फोन आया कि यह तो अभी बहुत छोटा है। मैंने उनसे कहा था कि फ्यूचर की इन्वेस्टमेंट समझ कर ही सामान दे दें। उन्होंने मेरी परख का सम्मान किया और विराट ने पलट कर पीछे नहीं देखा।'
जज्बे को सलाम:
विराट अलग ही मिट्टी के बने हैं। वह दिल्ली की टीम की ओर से फिरोजशाह कोटला मैदान पर कर्नाटक के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच खेल रहे थे। इसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई। दिल्ली टीम तब गहरे संकट में थी। पिता के दाह संस्कार के बाद विराट अगले दिन फिर बल्लेबाजी के लिए लौटे और 90 से ज्यादा रन बनाए। उनकी इस पारी के बाद दिल्ली के कप्तान मिथुन मनहास ने कहा था कि विराट अलग ही मिट्टी का बना है। उनकी इस पारी का जिक्र सुनील गावस्कर बराबर करते हैं।
कामयाबी की डगर:
तीन बरस के इंटरनैशनल करियर में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया, उस पर किसी को भी रश्क हो सकता है। विराट भारत को 2008 में क्वालालंपुर में अंडर 19 वर्ल्ड कप जिता कर सुर्खियों में आए। अपनी कप्तानी में अंडर 19 वर्ल्ड कप जितवाने के साथ 2008 में ही भारत सीनियर वन डे टीम में भी विराट ने जगह बनाई। हालांकि, आईपीएल की चमक में वह भी एक बार राह भटकते से लगे। ऐसे वक्त में विराट को अपने बचपन के उस्ताद राजकुमार शर्मा और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के कोच एरिक सिमंस की डांट वापस ट्रैक पर ले आई। इन दोनों ने यही समझाया कि उनके आसपास की चमक तभी है कि जब तक उनका बल्ला बोलता है। बल्ला रूठा तो चमक-दमक भी गायब हो जाएगी। विराट ने यह बात समझी और खुद को ऐसा संभाला कि अब उन्हें अब क्रिकेट और सिर्फ क्रिकेट ही दिखाई देता है।
नंबर 3 पर फिट:
राहुल द्रविड़ से बेहतर वर्ल्ड क्रिकेट में नंबर 3 पर बैटिंग करने वाला बेहतर बल्लेबाज दुनिया में हाल-फिलहाल शायद ही रहा हो। द्रविड़ अब इंटरनैशनल क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं। इसके बाद सबसे बड़ा सवाल था - उनकी जगह कौन लेगा? ऐसे में इस पोजिशन पर सबसे बेस्ट ऑप्शन के तौर पर सामने आए विराट कोहली। इस पोजिशन पर खासतौर पर क्रिकेट के सबसे लंबे फॉर्मैट यानी टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज पर टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है। भारत के लिए एक अच्छी बात यह है कि इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए विराट जैसा युवा तुर्क तैयार है। सच तो यह है कि इस वक्त 23 बरस के दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में भारत के विराट कोहली टॉप पर नजर आते हैं। इस उम्र में उनको बस श्रीलंका के दिनेश चंडीमल से ही कुछ चुनौती मिलती नजर आती है।
ताकत और कमजोरी:
विराट मिजाज से आक्रामक हैं। इसी अंदाज में क्रिकेट भी खेलते हैं। मैदान पर वह स्लेजिंग का जवाब भी पलट कर देने में यकीन करते हैं। आलोचक इसके लिए भले ही उनकी आलोचना करें लेकिन विराट ने अपना अंदाज बदला नहीं है। वह बहुत ही फोकस होकर खेलते हैं। मैदान पर वह ज्यादा-से-ज्यादा वक्त क्रीज पर बिताने में यकीन करते हैं। यह उनकी ताकत है। विराट कई बार अति आत्मविश्वास में स्ट्रोक खेल कर विकेट गंवा देते हैं। उन्हें निरंतर क्रिकेट में आगे बने रहने के लिए अपनी इस आदत को सुधारना होगा।
इंडिया का फ्यूचर:
दुनिया के सर्वकालिक महान ओपनर सुनील गावस्कर, पाकिस्तान के रमीज राजा और तकनीकी रूप से बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक संजय मांजरेकर ने एक सुर में विराट कोहली को भारत की बल्लेबाजी का फ्यूचर बताया है। विराट की बल्लेबाजी के लिए इससे बड़ा सर्टिफिकेट नहीं हो सकता है। ये तीनों ही विराट के डिफेंस और स्ट्रोकप्ले के मुरीद हैं।विराट को जब भारतीय टीम का उपकप्तान बनाया गया तब गावस्कर उससे इत्तफाक नहीं रखते थे। विराट को इस बात की दाद देनी होगी कि उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से गावस्कर तक को अपना मुरीद बना लिया।
विराट के बारे में राय
विराट कोहली में रन बनाने की भूख गजब की है। विराट में यंग सचिन तेंडुलकर की झलक नजर आती है। वह खासे आक्रामक हैं। दबाव में अपने स्ट्रोक खेलते हैं। उनके स्ट्रोकों की रेंज बहुत है।
- चेतन चौहान, पूर्व टेस्ट ओपनर
विराट कोहली ने बैटिंग में जो मुकाम पाया है उसका श्रेय उनकी मेहनत और जज्बे को है। उन्होंने इंटरनैशनल क्रिकेट का दबाव बहुत बढि़या ढंग से झेला है। विराट अपनी गलतियों से सीख कर आगे बढ़ते हैं।
- मनिंदर सिंह, पूर्व लेफ्ट आर्म स्पिनर
गुरु वाणी कोच राजकुमार शर्मा
-विराट बहुत ही फोकस्ड हैं। वह अपनी फिटनेस और क्रिकेट, दोनों को पूरी तवज्जो देते हैं। घंटो नेट्स पर पसीना बहाते हैं। फील्डिंग में भी पूरी ताकत झोंक देते हैं।
-विराट को चुनौतियां पसंद हैं। श्रीलंका में वन डे में भारतीय टीम मैनेजमेंट ने उन्हें ओपनिंग करने को कहा तो उन्हें फौरन हामी भर दी। यह दर्शाता है, जिम्मेदारी लेने से कतई नहीं हिचकते।
-कवर ड्राइव और कलाई से फ्लिक कर गेंद को बाउंड्री के पार पहुंचाने में माहिर।
-कई पर ओवर कॉन्फिडेंट होकर विकेट गंवा देते हैं।
-हालात जितने मुश्किल होते हैं विराट उतना ही बेहतरीन प्रदर्शन करने में यकीन करते हैं।
-मुझे वेस्ट दिल्ली अकैडमी के 11 बरस के गुरमेर सिंह में अगला विराट नजर आता है।
विराट कोहली की बाकी डीटेल्स
जन्म : 5 नवंबर 1988, दिल्ली
टीमें : टीम इंडिया, इंडिया रेड, भारत अंडर-19, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
रोल : मिडल ऑर्डर बैट्समैन
बॉलिंग : दाएं हाथ के उपयोगी मीडियम पेसर
खाना : नॉन वेज पसंद
शौक : फास्ट म्यूजिक और कारों के शौकीन
स्कूल : सेंट सोफिया स्कूल, पश्चिम विहार, दिल्ली
अकैडमी : वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकैडमी