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View Full Version : कुछ उपयोगी जानकारियाँ-छोटी छोटी बाते|


aspundir
11-07-2013, 08:50 PM
मोर के पंख :- मोर के पंख को रखने से या हिलाने से सॉंप तथा छिपकली भाग जाती है|
काली मिर्च :- केसर की डब्बी में काली मिर्च के दाने डालने से नमी के कारण उसमें होनेवाली जीवोत्पत्ति रुक जाती हैं|
डामर की गोली :- कपडें, पुस्तकों की बैग, अलमारी वगैरह में डामर की गोली रखने से जीवों की उत्पत्ति नहीं होती|
पारा :- अनाज में पारे की गोली डालने से अनाज सड़ता नहीं तथा जीवोत्पत्ति होती नहीं|
एरंडी का तेल :- गेहूँ, चावल, मसाला आदि को यह तेल मसलने से जीव नहीं होते तथा उसकी गंध से चींटियॉं दूर चली जाती हैं|
घोडावज (एखंड) (वचा) :- पुस्तकों की अलमारी में एखंड रखने से जीवोत्पत्ति नहीं होती|
तमाकू :- कपड़े अथवा पुस्तकों की अलमारी में तमाकू के पत्ते रखने से जीवोत्पत्ति नहीं होती|
चूना :- उबाले हुए पानी में चूना डालने से वह पानी ७२ घंटे तक अचित्त रहता है| चूना पोतने से दीवारों पर जीव-जंतु जल्दी आते नहीं| लकड़ी के फर्नीचर पर पकाये, सूखे हुए चूने को घिसने से जीवोत्पत्ति नहीं होती|

aspundir
11-07-2013, 08:50 PM
डामर (कोल-टार) :- केरोसिन में मिला कर लकड़ी पर लगाने से डामर के ऊपर निगोद [फफूंद] की उत्पत्ति नहीं होती| इससे दीमक की उत्पत्ति भी रुकती है|
केरोसीन (मिट्टी का तेल) :- चमड़ी के ऊपर केरोसीन घिसने से मच्छर नहीं काटते| ज़मीन पर केरोसीन वाले पानी से पोंछा करने से चींटियॉं नहीं आती|
राख :- चींटियों की कतार के आस-पास राख डालने से वे चली जाती हैं| अनाज में राख मसलकर डब्बे में रखने से अनाज सड़ता नहीं|
कपूर :- कपूर की गोली की गंध से चूहे दूर भागते हैं तथा उनका आना-जाना, दौड़ना कम हो जाता है| कपूर का पाऊडर आजु-बाजू डाल देने से चींटी चली जाती हैं|
गंधारो वज :- लकड़ी की अलमारी में यह रखने से झिंगुर (कॉक्रोच) की उत्पत्ति नहीं होती|
कुंकु :- कुंकु डालने से चींटीयॉं चली जाती हैं|
हल्दी :- हल्दी डालने से चींटीयॉं चली जाती हैं|
गेरु (लाल रंग की मिटी) :- दीवार पर पोतने से दीमक नहीं होती |
रंग-वार्निश-पालिश :- लकड़ी पर निगोद और जीवोत्पत्ति रोकने हेतु करें|
गोबर के कंडे की राख :- अनाज में मिश्रित कर जीवोत्पत्ति रोकी जा सकती है|
बारीक जालीवाले खिड़की-दरवाजे :- खिड़की-दरवाजे में बारीक जाली वाले दरवाजे फीट करने से वे बंध होने पर हवा व प्रकाश तो मिलेगा लेकिन मच्छर, मक्खी आदि का प्रवेश नहीं हो पायेगा|
धूप :- सूखे नीम के पत्ते, सूखे आंकड़े के पत्ते, लोबान या कंद्रुप के धूप से मच्छर आदि जन्तु चले जाते हैं|
तुलसी :- तुलसी के पौधे के कारण मच्छर आदि जन्तु नहीं आते| तुलसी के सूखे पत्तों का चूर्ण एवं कपूर का चूर्ण मिलाकर छिड़कने से चींटियॉं भाग जाती हैं|
फिटकरी :- फिटकरी एवं हल्दी का पावडर मिलाकर छिड़कने से चींटियॉं चली जाती हैं| चूहे के बिल के पास फिटकरी का पावडर रखने से चूहा भाग जाता है|
सेंधा नमक :- चींटियों के निवारण के लिये सेंधा नमक अकसीर है|
चंदन :- चींटियों के मार्ग में चंदन का टुकड़ा रखने से चीटियॉं अपना रास्ता बदल देती हैं|
पुदीने के पत्ते :- पुदीने के पत्तों से चूहे नहीं आते|
नमक :- नमक भरने से कपाट में उधई (दीमक) नहीं लगती|
संतरे की छाल :- संतरे की छाल का धुंआँ करने से मच्छर दूर हो जाते हैं| संतरे की छाल का तेल शरीर पर लगाने से मच्छर नहीं काटते|
चाय की पत्ती :- उपयोग के बाद बची हुई चाय की पत्ती को सुखाकर उसका धुंआ करने से मच्छर दूर हो जाते हैं|
सूखे नीम के पत्ते :- अनाज, कपडों, पुस्तकों आदि में रखने से जीवों की उत्पत्ति नहीं होती|

aspundir
16-07-2013, 07:52 PM
आयुर्वेदिक दोहे
1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय। दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।
2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय… तत्काल।।
3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।
4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।
5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ जाय।।
6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।
7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।
8.रस अनार की कली का,नाकबूँद दो डाल। खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।
10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम। तीन बार दिन में पियें,पथरी से आराम।।
11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर जाय।।
12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय। पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।
13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम। दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।
14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ। चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।
15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम। लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।
16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय। गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।
17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय। इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।
18.दामिड़(अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय। सुबह-शाम जल डालकम, पी मुँह बदबू जाय।।
19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय। बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि लगाय।।
20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय। तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट जाय।।
21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी रोग।।
22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम। पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का आराम।।
23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय। मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।
24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव। जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।
25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम। गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से आराम।।
26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात। रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो प्रात।।
27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम। पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई हकीम।।
28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥
29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर पावै॥

dipu
16-07-2013, 07:59 PM
very nice

Dr.Shree Vijay
02-08-2013, 02:55 PM
बेहतरीन........................................... ............

aspundir
09-08-2013, 01:39 PM
Bad Habits That Are Good For Health

Every one have bad habits, no matter how hard we try we cannot get rid of these bad habits. Actually some bad habits are good for our health. Here we list some bad habits that will bring a change to your life in some way.

Chewing Gum : Chewing Gum is good for health. It boost the memory power and curb those food cravings.
Belching : Belching (also known as burping) is the release of gas from the digestive tract through the mouth. Though this bad habit is impolite, but it will trigger chest pain as well.So it is good for our health.
Breakfast in Bed : Taking breakfast in bed is a bad habit but it is good for health, it aids digestion. However, you should make a note that when you are in bed keep, yourself upright with pillows to prevent indigestion.
Over sleeping : Over sleeping once a week is good for health as it helps to improve our long term memory.
Fidgeting : This one of the worst habit which actually good for our health. It is a Key to Concentration and exercising your brain that keeps you active and alert.
Spitting : It is considered rude and a social taboo in many parts of the world including west, No matter how disgusting this is, it is one of the bad habits which is actually good for your health.Spitting can help clear the throat for easier breathing. In colder weather, saliva tends to thicken up, making it slightly more difficult to breath. By spitting, and then drinking fluids, athletes can open their throats for easier passage of air.
Cracking The Knuckles : Cracking your knuckles can have therapeutic benefits. When you crack one of your joints you are pulling the bones that are connected at the joint apart from each other. This process stimulates your tendons, relaxes your muscles, and loosens your joints.
Biting Your Nails : It is the most common habit that people have. But it is a good habit. It is believed that the bugs we encounter when we bite our nails can boost our immune system.

Dr.Shree Vijay
10-08-2013, 11:42 AM
Best.............................................. ...................

aspundir
11-08-2013, 10:42 PM
Best.............................................. ...................

http://xa.yimg.com/kq/groups/16098334/sn/1163132508/name/ig-lb-mp.jpg

abhisays
11-08-2013, 11:12 PM
Nice info... thanks for sharing.

Dr.Shree Vijay
12-08-2013, 12:33 PM
http://xa.yimg.com/kq/groups/16098334/sn/1163132508/name/ig-lb-mp.jpg



धन्यवाद........................................... .

aspundir
16-08-2013, 10:54 PM
भोजन के पहले अदरक और सेंधा नमक का सेवन सदा हितकारी होता है। यह जठराग्नि को प्रदीप्त करता है, भोजन के प्रति रूचि पैदा करता है तथा जीभ एवं कण्ठ की शुद्धि भी करता है।
भोजन गरम और स्निग्ध होना चाहिए। गरम भोजन स्वादिष्ट लगता है, पाचकाग्नि को तेज करता है और शीघ्र पच जाता है। ऐसा भोजन अतिरिक्त वायु और कफ को निकाल देता है। ठंडा या सूखा भोजन देर से पचता है। अत्यंत गरम अन्न बल का ह्रास करता है। स्निग्ध भोजन शरीर को मजबूत बनाता है, उसका बल बढ़ाता है और वर्ण में भी निखार लाता है।
चलते हुए, बोलते हुए अथवा हँसते हुए भोजन नहीं करना चाहिए।
दूध के झाग बहुत लाभदायक होते हैं। इसलिए दूध खूब उलट-पुलटकर, बिलोकर, झाग पैदा करके ही पियें। झागों का स्वाद लेकर चूसें। दूध में जितने ज्यादा झाग होंगे, उतना ही वह लाभदायक होगा।
चाय या कॉफी प्रातः खाली पेट कभी न पियें, दुश्मन को भी न पिलायें।
एक सप्ताह से अधिक पुराने आटे का उपयोग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं है।
भोजन कम से कम 20-25 मिनट तक खूब चबा-चबाकर एवं उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके करें। अच्छी तरह चबाये बिना जल्दी-जल्दी भोजन करने वाले चिड़चिड़े व क्रोधी स्वभाव के हो जाते हैं। भोजन अत्यन्त धीमी गति से भी नहीं करना चाहिए।
भोजन सात्त्विक हो और पकने के बाद 3-4 घंटे के अंदर ही कर लेना चाहिए।
स्वादिष्ट अन्न मन को प्रसन्न करता है, बल व उत्साह बढ़ाता है तथा आयुष्य की वृद्धि करता है, जबकि स्वादहीन अन्न इसके विपरीत असर करता है।
सुबह-सुबह भरपेट भोजन न करके हलका-फुलका नाश्ता ही करें।
भोजन करते समय भोजन पर माता, पिता, मित्र, वैद्य, रसोइये, हंस, मोर, सारस या चकोर पक्षी की दृष्टि पड़ना उत्तम माना जाता है। किंतु भूखे, पापी, पाखंडी या रोगी मनुष्य, मुर्गे और कुत्ते की नज़र पड़ना अच्छा नहीं माना जाता।

aspundir
16-08-2013, 10:54 PM
भोजन करते समय चित्त को एकाग्र रखकर सबसे पहले मधुर, बीच में खट्टे और नमकीन तथा अंत में तीखे, कड़वे और कसैले पदार्थ खाने चाहिए। अनार आदि फल तथा गन्ना भी पहले लेना चाहिए। भोजन के बाद आटे के भारी पदार्थ, नये चावल या चिवड़ा नहीं खाना चाहिए।
पहले घी के साथ कठिन पदार्थ, फिर कोमल व्यंजन और अंत में प्रवाही पदार्थ खाने चाहिए।
माप से अधिक खाने से पेट फूलता है और पेट में से आवाज आती है। आलस आता है, शरीर भारी होता है। माप से कम अन्न खाने से शरीर दुबला होता है और शक्ति का क्षय होता है।
बिना समय के भोजन करने से शक्ति का क्षय होता है, शरीर अशक्त बनता है। सिरदर्द और अजीर्ण के भिन्न-भिन्न रोग होते हैं। समय बीत जाने पर भोजन करने से वायु से अग्नि कमजोर हो जाती है। जिससे खाया हुआ अन्न शायद ही पचता है और दुबारा भोजन करने की इच्छा नहीं होती।
जितनी भूख हो उससे आधा भाग अन्न से, पाव भाग जल से भरना चाहिए और पाव भाग वायु के आने जाने के लिए खाली रखना चाहिए। भोजन से पूर्व पानी पीने से पाचनशक्ति कमजोर होती है, शरीर दुर्बल होता है। भोजन के बाद तुरंत पानी पीने से आलस्य बढ़ता है और भोजन नहीं पचता। बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पीना हितकर है। भोजन के बाद छाछ पीना आरोग्यदायी है। इससे मनुष्य कभी बलहीन और रोगी नहीं होता।
प्यासे व्यक्ति को भोजन नहीं करना चाहिए। प्यासा व्यक्ति अगर भोजन करता है तो उसे आँतों के भिन्न-भिन्न रोग होते हैं। भूखे व्यक्ति को पानी नहीं पीना चाहिए। अन्नसेवन से ही भूख को शांत करना चाहिए।
भोजन के बाद गीले हाथों से आँखों का स्पर्श करना चाहिए। हथेली में पानी भरकर बारी-बारी से दोनों आँखों को उसमें डुबोने से आँखों की शक्ति बढ़ती है।
भोजन के बाद पेशाब करने से आयुष्य की वृद्धि होती है। खाया हुआ पचाने के लिए भोजन के बाद पद्धतिपूर्वक वज्रासन करना तथा 10-15 मिनट बायीं करवट लेटना चाहिए(सोयें नहीं), क्योंकि जीवों की नाभि के ऊपर बायीं ओर अग्नितत्त्व रहता है।
भोजन के बाद बैठे रहने वाले के शरीर में आलस्य भर जाता है। बायीं करवट लेकर लेटने से शरीर पुष्ट होता है। सौ कदम चलने वाले की उम्र बढ़ती है तथा दौड़ने वाले की मृत्यु उसके पीछे ही दौड़ती है।
रात्रि को भोजन के तुरंत बाद शयन न करें, 2 घंटे के बाद ही शयन करें।

aspundir
16-08-2013, 10:55 PM
कुछ उपयोगी बातें-
घी, दूध, मूँग, गेहूँ, लाल साठी चावल, आँवले, हरड़े, शुद्ध शहद, अनार, अंगूर, परवल – ये सभी के लिए हितकर हैं।
अजीर्ण एवं बुखार में उपवास हितकर है।
दही, पनीर, खटाई, अचार, कटहल, कुन्द, मावे की मिठाइयाँ – से सभी के लिए हानिकारक हैं।
अजीर्ण में भोजन एवं नये बुखार में दूध विषतुल्य है। उत्तर भारत में अदरक के साथ गुड़ खाना अच्छा है।
मालवा प्रदेश में सूरन(जमिकंद) को उबालकर काली मिर्च के साथ खाना लाभदायक है।
अत्यंत सूखे प्रदेश जैसे की कच्छ, सौराष्ट्र आदि में भोजन के बाद पतली छाछ पीना हितकर है।
मुंबई, गुजरात में अदरक, नींबू एवं सेंधा नमक का सेवन हितकर है।
दक्षिण गुजरात वाले पुनर्नवा(विषखपरा) की सब्जी का सेवन करें अथवा उसका रस पियें तो अच्छा है।
दही की लस्सी पूर्णतया हानिकारक है। दहीं एवं मावे की मिठाई खाने की आदतवाले पुनर्नवा का सेवन करें एवं नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग करें तो लाभप्रद हैं।
शराब पीने की आदवाले अंगूर एवं अनार खायें तो हितकर है।
आँव होने पर सोंठ का सेवन, लंघन (उपवास) अथवा पतली खिचड़ी और पतली छाछ का सेवन लाभप्रद है।
अत्यंत पतले दस्त में सोंठ एवं अनार का रस लाभदायक है।
आँख के रोगी के लिए घी, दूध, मूँग एवं अंगूर का आहार लाभकारी है।
व्यायाम तथा अति परिश्रम करने वाले के लिए घी और इलायची के साथ केला खाना अच्छा है।
सूजन के रोगी के लिए नमक, खटाई, दही, फल, गरिष्ठ आहार, मिठाई अहितकर है।
यकृत (लीवर) के रोगी के लिए दूध अमृत के समान है एवं नमक, खटाई, दही एवं गरिष्ठ आहार विष के समान हैं।
वात के रोगी के लिए गरम जल, अदरक का रस, लहसुन का सेवन हितकर है। लेकिन आलू, मूँग के सिवाय की दालें एवं वरिष्ठ आहार विषवत् हैं।
कफ के रोगी के लिए सोंठ एवं गुड़ हितकर हैं परंतु दही, फल, मिठाई विषवत् हैं।
पित्त के रोगी के लिए दूध, घी, मिश्री हितकर हैं परंतु मिर्च-मसालेवाले तथा तले हुए पदार्थ एवं खटाई विषवत् हैं।
अन्न, जल और हवा से हमारा शरीर जीवनशक्ति बनाता है। स्वादिष्ट अन्न व स्वादिष्ट व्यंजनों की अपेक्षा साधारण भोजन स्वास्थ्यप्रद होता है। खूब चबा-चबाकर खाने से यह अधिक पुष्टि देता है, व्यक्ति निरोगी व दीर्घजीवी होता है।

Dr.Shree Vijay
17-08-2013, 09:14 PM
प्रिय श्री पुंडीर जी बहुजन हिताय,बहुजन सुखाय उपनिषद के ईस वाक्य को आप ने सार्थक कर दिया.............................................. ...

dipu
18-08-2013, 11:24 AM
nice info