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View Full Version : खबरें अजब-गजब


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aspundir
03-08-2013, 06:28 PM
नरभक्षी बने चीनी, पी रहे हैं बेबी सूप



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दुनिया कितनी विचित्र है, इस बात का अंदाजा इस बात से पता चल जाएगा कि चीन में बेबी सूप पीने और खाने का बड़ा प्रचलन है। ऐसा चीनी क्यों करते हैं, उसका पीछा विज्ञान अलग है। लेकिन सिओल टाइम्स की इस खबर ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था। सोशल नेटवर्किग साइट पर इस खबर को लेकर काफी आलोचनाएं और कमेंट किए गए।
अखबार और वेबसाइट पर छपी तस्वीरों ने आग में घी डालने का काम ही किया। इसमें मानव भ्रूण के सूप लोगों को बड़े चाव से पीते हुए बताया गया। चीन के दक्षिण गुआंगडोंग प्रांत के एक कस्बे में परंपरानुसार हर्बल बेबी सूप पीने का चलन बरसों से जारी है। माना जाता है कि यह सूप शरीर में स्टेमिना और सेक्स ताकत को कई गुना बढ़ा देता है।

aspundir
03-08-2013, 06:30 PM
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एक चीनी दंपति ने अखबार को बताया कि उनकी पहले से ही दो बेटियां थीं। जब उन्हें पता चला कि उनका अगला बच्च लड़की ही है, उसे तुरंत गिराने का फैसला कर लिया। उस दौरान महिला को पांच महीने का गर्भ था।

aspundir
03-08-2013, 06:31 PM
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जन्म के करीब और नेचुरल मृत नवजात बच्चों की कीमत दो हजार युआन (करीब बीस हजार रुपए) है। वहीं, जो गर्भ में गिराए जाते हैं, उनके कुछ सौ युआन में कीमत लगाई जाती है।
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ऐसे भी मां-बाप होते हैं, जो अपने मरे हुए बच्चों का सौदा नहीं करना चाहते, वे बच्चे की नाल बेच देते हैं, जो उसके नाभि से जुड़ी होती है। एक स्थानीय पत्रकार ने बताया कि लोग स्वास्थ्य की तरफ ध्यान देने के कारण और चीनी सरकार की एक बच्च पॉलिसी के कारण इस तरह मामले सामने आ रहे हैं, जिन्होंने अब लोकप्रियता हासिल कर ली है।

aspundir
03-08-2013, 06:32 PM
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इस जघन्य अपराध के बीच सबसे बड़ा तथ्य यह है कि ज्यादातर चीनी लोग मेल बेबी खरीदना पसंद करते हैं, जबकि गरीबी लोग अपने फीमेल बेबी को बेचने पर मजबूर हैं। मरे हुए शिशु ताइवान में 4300 रुपए में खरीदे जा सकते हैं।

aspundir
03-08-2013, 06:33 PM
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हांगकांग में भी अब इस मार्केट काफी जोर पकड़ लिया है। वीकली नेक्स्ट मैगजीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मृत शिशु और भ्रूण चीन में स्वास्थ्य और सुंदरता के नए सप्लीमेंट हैं। न सिर्फ बच्चे की नाल को ब्यूटी औषधि का नया विकल्प माना जा रहा है, बल्कि गर्भपात होने वाले भ्रूण की बहुत मांग है। गुआंगडोंग प्रांत के अस्पतालों में इसका अवैध धंधा जोरों पर हैं

aspundir
03-08-2013, 06:34 PM
मिस लियू एक ताइवानी बिजनेसमैन के यहां नौकर है। उसने मैगजीन को बताया कि सामुहिक भोज में मालिक के यहां आने वाले लोगों की यही मांग होती है। लियु मैगजीन के संवाददाता को उस जगह ले गई, जहां भ्रूण को पकाया जा रहा था।
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मैगजीन ने सूप बनाने, भ्रूण को काटने आदि की पूरी प्रक्रिया देखी। मार्च 2003 में बींगयान गुआंगझी में पुलिस से 28 फीमेल बेबी से भरे ट्रक को सीज किया था। इनमें से सबसे ज्यादा उम्र का शिशु भी तीन महीने का था।

aspundir
03-08-2013, 06:35 PM
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सिओल टाइम्स के मुताबिक, इसका सबसे बड़ा कारण चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का अमानवीय रवैया और मानवाधिकारों का उल्लंघन है। इस कारण चीनी समाज में नरभक्षण की मान्यताओं ने जन्म ले लिया।

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aspundir
03-08-2013, 06:36 PM
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internetpremi
03-08-2013, 08:46 PM
Deeply disturbing!
Totally shocked!
I wish I had not seen this post.
But Life is like that.
What can one do?

aspundir
08-08-2013, 07:27 PM
विचित्र बीमारियाँ
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फिश ब्वॉय

आठ साल के पान जियांगहांग की रातों की नींद उड़ चुकी है। चीन के वेनलिंग प्रांत में रहने वाले इस लड़के को फिश ब्वॉय के नाम से बुलाया जाता है। इसका पूरा शरीर जन्म से ही इचिटोसिस नामक गंभीर दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है। डॉक्टर्स के मुताबिक, यह अनुवांशिक बीमारी है। इस कारण पूरा शरीर दर्द करता है और खुजली भी होती है। त्वचा मछलियों की तरह हो जाती है। हर साल इस रेयर बीमारी के साथ 16 हजार बच्चे पैदा होते हैं।

aspundir
08-08-2013, 07:27 PM
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उलटा देखना

बोजना डानिलोविक दुनिया में सबसे अलग है। अपनी रेयर कंडीशन के कारण वह सब कुछ उलटा ही देखती है। 28 वर्षीय बोजना सर्बियन काउंसिल कर्मचारी काम के दौरान कम्प्यूटर मॉनिटर उलटा रखती है, फाइलों को उलटा करके पढ़ती है। इतना ही नहीं, अपने परिवार को छोड़कर उलटी टीवी देखती हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि वह न्यूरोलॉजिकल सिंड्रोम से ग्रस्त है।

aspundir
08-08-2013, 07:29 PM
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दो योनि वाली महिला

हेजल जोन्स हमेशा आश्चर्य में रहती हैं। इसकी वजह है कि जैसे-जैसे वह जवान होती जा रही हैं, उन्हें पेट में ऐंठन और भारी मात्रा में पीरियड्स हो रहे हैं। इसका पता उन्हें जब लगा तो उनके होश उड़ गए। उन्हें दो वेजाइना (योनि) थीं। ऐसी अवस्था सिर्फ करोड़ों में से एक में होती है। हेजल को दो गर्भाशय और सर्विक्सेस हैं। माना जाता है कि वह कोख में दो ट्यूब के साथ पैदा हुई थी और इस कारण ऐसी अवस्था पैदा हुई।

aspundir
08-08-2013, 07:30 PM
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खुद को मरा हुआ समझना

एक ब्रिटिश व्यक्ति को लगता था कि वह मर चुका है, लेकिन वास्तव में वह जिंदा है। यह भी एक अजीब बीमारी का लक्षण है। वह बताता है कि कैसे उसने कई दिन अपने ही समाधि स्थल पर बिताए। ग्राहम नाम के व्यक्ति ने कोटार्डस सिंड्रोम से ग्रस्त होकर जिंदगी ने नौ साल खुद को मरा हुआ समझ कर बिताए। इस बीमारी में आदमी खुद को जॉम्बी समझता है।

aspundir
08-08-2013, 07:31 PM
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...क्योंकि वह हर 15 मिनट में खाती थी

हर कोई अपना वजन कम करना चाहता है, लेकिन लैजी वेलास्क्वेज के साथ ऐसा नहीं था। वह हर 15 मिनट में खाती थी ताकि जिंदा रह सके। ऑस्टिन, टेक्सास निवासी 21 वर्षीय लैजी अजीब-सी हालत में वजन को कम नहीं होना देना था। उसे दिन में थोड़ा- थोड़ा करके 60 बार खाना होता था। पांच से 8 हजार कैलोरी रोज खर्च होती थी। उसके जैसे दुनिया में सिर्फ तीन लोग हुए हैं। संभवत: उसे नियॉनटल प्रोगेरॉयड सिंन्ड्रोम था, जिस कारण उसका तेजी से वजन घटता था।

aspundir
08-08-2013, 07:31 PM
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पहले बौना और बाद में सबसे लंबा

एडम रैनर का जन्म 1899 में आस्ट्रिया के ग्रेज में हुआ। तथ्यों के मुताबिक, 18 साल का होने पर उसने प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था। उसकी लंबाई चार फीट, 6.3 इंच थी। 19 साल की उम्र में चार फीट, 8.3 इंच हो गई। इसी बीच, उसके पैरों का साइज काफी बड़ा हो गया।

aspundir
08-08-2013, 07:32 PM
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प्रिजोरिया

छोटी हेले ऑकिन्स गंभीर और रेयर कंडीशन प्रिजोरिया से पीड़ित थी। इस बीमारी में बच्चे बूढ़े हो जाते हैं। हेले भी 13 साल की थी, लेकिन बीमारी के कारण काफी बूढ़ी दिखती थी।

aspundir
08-08-2013, 07:32 PM
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रोते हुए खून

20 साल की चिली देश की निवासी यारिट्जा आलिवो जब भी रोती थी, उसे आंसू की जगह खून निकलने लगता था। ऐसा दिन में कई बार होता था। इस रहस्यमयी बीमारी से आंखों में जलन होती थी। हाल ही में डॉक्टर्स ने कहा है कि उसे शायद इन्फेक्शन के कारण ऐसी समस्या है। इसे हेमोलेक्रिया कहते हैं।

aspundir
08-08-2013, 07:34 PM
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रियल लाइफ बेंजामिन बटन भाई

ब्रैड पिट की मशहूर फिल्म क्यूरियस केस ऑफ बेंजामिन बटन के बारे में जानते ही होंगे, जिसमें मुख्य पात्र बूढ़ा पैदा होता है और लाइफ को पूरी तरह रिवर्स होकर जीता है। पूर्व कर्मचारी 42 वर्षीय माइकल क्लार्क होमलेस हैं और अब दस साल के बच्चे की तरह व्यवहार करते हैं। वहीं, उसका भाई मैथ्यू क्लार्क (39 साल) नौकरी छूटने के बाद उसी की तरह व्यवहार करते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, उन्हें ल्यूकोडीस्ट्रोफी नामक बीमारी है।

aspundir
08-08-2013, 07:34 PM
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सिर में बालों की जगह नाखून
शान्याना इसोम हाई स्कूल ग्रेजुएट है और उसे लॉ डिग्री चाहिए थी। उसके सपने उसी दिन से मिट्टी में मिलने लगे, जब उसे रहस्यमयी बीमारी ने घेर लिया। सितम्बर 2009 में स्टेरॉयड से एलर्जिक रिएक्शन हुआ, अस्थमा का अटैक आया। कुछ महीने में ही अजीब त्वचा रोग के कारण वह कमजोर हो गई। अगस्त 2012 में डॉक्टर्स ने जाना कि उसके प्रत्येक बाल से 12 गुना संख्या से स्किन सेल्स बनती हैं, जिससे उसकी स्किन सफोकेशन हो जाता है। इससे स्किन पर बाल के बजाय नाखून बन जाते हैं। डॉक्टर्स अभी भी इस समस्या को कम करने में लगे हैं।

aspundir
08-08-2013, 09:21 PM
गंदे और घिनौने ब्यूटी ट्रीटमेंट्स: खूबसूरती बढ़ाने के लिए

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खूबसूरती किस महिला को पसंद नहीं है हर औरत की चाहत होती है कि वह इतनी खूबसूरत नजर आए कि वह हर जगह अलग ही नजर आए। हर जगह हर पार्टी में वह सेंटर ऑफ अट्रेक्शन हो।

इसके लिए तरह-तरह के ब्यूटी ट्रीटमेंट वे लेती हैं। लेकिन क्या आप यकीन करेंगे पेशाब और सांप का जहर और बैलों के शुक्राणु तक यूज करती हैं दुनिया की महिलाएं अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए।

aspundir
08-08-2013, 09:22 PM
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यूरिन थेरैपी
ग्रीक और रोमन काल में खुद की पेशाब से उपचार करने के प्रमाण मिलते हैं और आज भी दांतों की सेहत और यंग दिखने के लिए खुद की पेशाब का प्रयोग कई जगह महिलाएं कर रही हैं और इससे खूबसूरती पाने का दावा करती हैं।

aspundir
08-08-2013, 09:22 PM
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सांड के शुक्राणुओं से हेयर केयर
सांड या बैल के स्पर्म से हेयर केयर ट्रीटमेंट भी होता है। माना जाता है कि बालों की केटेरा रूट को मजबूत बनाने में और बालों को सिल्की और स्मूद लुक देने के लिए भी यह अच्छा होता है।

aspundir
08-08-2013, 09:23 PM
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फिश पेडिक्योर
सॉफ्ट और स्मूद पैर के लिए इस तरह का पेडिक्योर करवाया जाता है और इसके तहत पैरों को मछलियों से भरे एक टैंक में डाला जाता है। इसमें गेरा रुफ फिश होती हैं, जो आपके पैरों की डेड स्किन को खाती हैं।

aspundir
08-08-2013, 09:23 PM
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चॉकलेट बॉडी डिप
आजकल महिलाएं विदेशों में अपने शररी को डीटॉक्सीफाई करने और स्मूद बनाने के लिए चॉकलेट व्रेप का सहारा भी ले रही हैं। हालांकि इसके पीछे कोई साइंटिफिक लॉजिक नहीं है फिर भी महिलाएं चॉकलेट से शरीर को तर कर इस तरह का ट्रीटमेंट स्किन ब्यूटी के लिए लेती हैं।

aspundir
08-08-2013, 09:26 PM
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बटर मसाज
इथोपिया में त्वचा को टाइट और खूबसूरत करने के लिए बटर मसाज का ट्रेंड भी है। सिर से पैर तक इस तरह की मसाज करवाई जाती है। पूरे शरीर पर महिलाओं को इस ट्रीटमेंट में बटर चुपड़ दिया जाता है और वे तब तक वहां से नहीं उठ सकतीं जब की यह बटर उनकी बॉडी पर मेल्ट न हो जाए। योनी की समसल्स को टाइट करने के लिए भी प्रैगनेंसी के बाद वहां औरते इससे मसाज करती हैं।

aspundir
08-08-2013, 09:26 PM
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बट फेशियल
अमेरिका में चेहरों के ही नितंबों का भी फेशियल किया जाता है ताकि वे टोंड रहें।

aspundir
08-08-2013, 09:27 PM
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ब्रेस्ट मिल्क बनी साबुन
अभी तक मां का दूध बच्चों की सेहत के लिए अच्छा माना जाता था, लेकिन अब ब्रेस्ट मिल्क से साबुन भी बन रही है। इस तरह की साबुन को त्वचा के लिए कोमल और मुलायम करने वाली माना जाता है।

aspundir
08-08-2013, 09:27 PM
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फायर कपिंग
फायर कपिंग से माना जाता है कि त्वचा का रक्त संचार उम्दा होता है। इसलिए इस ट्रीटमेंट को करवाया जाता है। इसके तहत स्किन पर एल्कोहल में डूबी कॉटन बॉल को सुलगाया जाता है और कप के अंदर रखा जाता है और कप को त्वचा पर रखकर त्वचा में रक्त संचार को बढिय़ा बनाने के लिए सेंक किया जाता है।

aspundir
08-08-2013, 09:28 PM
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स्नेक वेनम क्रीम
इस क्रीम का नाम है स्नेक वेनोम क्रीम इसमें जहर जैसा एक्टिव तत्व होता है, जो त्वचा को जवां रखता है।

aspundir
08-08-2013, 09:28 PM
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स्नेक मसाज
इजरायल में स्नेक मसाज भी औरतें करवाती हैं और पीठ के दर्द से निजात पाने के लिए भी इसे अच्छा माना जाता है, ये मसाज ऐसे सांपों से करवाया जाता है, जो जहरीले नहीं होते।

aspundir
08-08-2013, 09:29 PM
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बीयर से स्नान
पश्चिमी बोहेमिया, कजाक में महिलाएं रिलेक्स होने के लिए बीयर से स्नान करती हैं, ताकि पार्टी-शार्टी में जाने पर कूल और खूबसूरत लगें। बीयर से त्वचा को विटामिन बी भी मिलता है और हाई ब्लड प्रेशर के लिए भी इस तरह के बीयर स्नान को वहां तवज्जो दी जाती है।

rajnish manga
08-08-2013, 11:27 PM
मानव भ्रूण का सूप?? वीभत्स समाचार.

dipu
09-08-2013, 08:12 AM
61 साल की दुल्हन संग शादीशुदा जिंदगी का आनंद ले रहा 8 साल का दूल्हा

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तकरीबन 61 साल की अधेड़ महिला डायनिंग टेबल पर आठ साल के बच्चे के साथ नाश्ता कर रही हैं। पहली बार में देखने पर आपको लगेगा कि यह दादी और पोते हैं। लेकिन यह पति-पत्नी हैं।

दक्षिण अफ्रीका में आठ साल सानेले मैसिलेला एक स्कूली छात्र है और उसकी बीवी 61 की महिला हेलेन शाबंगू पांच बच्चों की मां है। खुद सानेले की मां अपनी 61 साल की बहू से 15 साल छोटी है। इस अनोखी जोड़ी ने बीते दस तारीख को शादी रचाई थी, जिसकी अंतरराष्ट्रीय मीडिया में काफी चर्चा हुई थी।

शादी करने का कारण सिर्फ इतना था कि लड़के के दादा मरने से पहले पोते की शादी और उसकी दुल्हन देखना चाहते थे। डेली मेल में शादी की नई तस्वीरें जारी की हैं, जिसमें दोनों पति-पत्नी अपने नए जीवन में काफी खुश दिखाई दे रहे हैं।

aspundir
13-08-2013, 05:59 PM
अजब-गजब गर्भनिरोधक

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हाल ही में अमेरिका से एक चौंकाने वाली खबर आई थी, जिसमें बताया गया कि वहां बच्चों की चाह खत्म हो रही है। फेडरल गवर्नमेंट की ताजा रिपोर्ट में अमेरिका में अब तक की सबसे कम जन्म दर आंकी गई। इसके गिरने के पीछे मंदी और आर्थिक स्थिति को सबसे बड़ा कारण माना है।


वहीं, भारत के बारे में कहा जाता है कि उसकी जनसंख्या ही भविष्य में उसकी ताकत बनेगी। चीन में भी अब एक बच्चा प्रणाली पर ढील दिए जाने की बात की जा रही है। खैर, इन सब बातों के बीच आज हम उन अजीबो-गरीब नुस्खों पर चर्चा करेंगे, जिनसे गर्भ को ठहरने बचाया जा सकता है। ध्यान रखिएगा, हम यहां परंपरागत गर्भ निरोधक जैसे कंडोम, कॉपर-टी, गर्भ निरोधक दवाएं आदि पर चर्चा नहीं कर रहे हैं।

aspundir
13-08-2013, 06:00 PM
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मगरमच्छ का गोबर

1850 ईसा पूर्व प्राचीन मिस्र में गर्भ निरोधक का बड़ा ही विचित्र तरीका देखने का मिलता है। इसमें बताया गया है कि कैसे एक तरह की रबड़ की थैली या कोई चीज वेजाइना में रखी जाती थी, ताकि स्पर्म को अंदर जाने से रोका जा सका। इसे मगरमच्छ के गोबर, शहद, सोडियम काबरेनेट से बनाया जाता था। इस गोबर में थोड़े क्षारीय गुण होते है, जो आज के शुक्राणुनाशक में हैं।

aspundir
13-08-2013, 06:00 PM
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नेवले का अंडकोष

मध्यकाल की कुछ सभ्यताएं एक अजीब ही तरीके से बच्चों के जन्म पर रोक लगा सकती थीं। वहां जांघों के आसपास नेवले का अंडकोष बांधा जाता था। एक मिथ के अनुसार यदि नेवले से दो अंडकोष लेकर बांधे गए तो महिला के जांघों पर भी इसे बांधा जाता था। साथ ही, उसके साथ नेवले की हड्डी भी बांधी जाती थी। फिर वह कभी भी बच्चा पैदा करने के काबिल नहीं होती थी। हालांकि, इसे आज पूरी तरह से बकवास कहा जाता है।

aspundir
13-08-2013, 06:01 PM
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मर्करी (पारा)

चीनी महिलाएं हजारों साल पहले गर्भनिरोधक के रूप में मर्करी पीती थीं। यह ख़तरनाक तरीका था। इस जानलेवा गर्भनिरोधक का इस्तेमाल प्राचीन चीन में रखैलों को बांझ बनाए रखने के लिए किया जाता था। इससे किडनी फेल, ब्रेन डैमेज और मौत तक हो जाया करती थी।

aspundir
13-08-2013, 06:01 PM
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पीसी हुई चाय और ऊदबिलाव का अंडकोष

16वीं सदी में कनाडा में गर्भनिरोधक के लिए बीवर (ऊदबिलाव) के गोबर और पिसी हुई चाय का इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि, इसके फायदे के बारे में अभी तक कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला।

aspundir
13-08-2013, 06:02 PM
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पशु आंत

दुनिया का सबसे पुराना कंडोम सुअर की आंत से बनता था। इसे इस्तेमाल करने से पहले गर्म दूध में डाला जाता था, जिससे यह मुलायम हो जाए। कुछ इतिहासकार दावा करते हैं कि यह मानव सभ्यता का पहला कंडोम है। इसे प्राचीन मिस्र के देवता जियूस और यूरोपा के बेटे किंग मिनोस ने बनाया था, यानी करीब तीन हजार साल पहले।
यह भी कहा जाता है कंडोम के लिए बकरी के मूत्राशय का भी इस्तेमाल किया जाता रहा है। हालांकि, सबसे पुराना कंडोम 1642 में इंग्लैंड में मिला था।

aspundir
13-08-2013, 06:02 PM
http://i4.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/12/2879_sperm6.jpg


लोहार की दुकान का पानी

दूसरी सदी के मशहूर गायनेकोलॉजिस्ट सोरानस ने बताया था कि लोहार की दुकान में मिलने वाला पानी, जिसमें वह अपने लोहे का ठंडा करता है, पिया जाए तो महिलाएं गर्भ की चिंता से मुक्त हो सकती है। हालांकि, कोई प्रमाण न होने के बावजूद कई महिलाओं ने इसे अपनाया। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान महिलाएं, जो फैक्ट्रियों में काम करती थीं, ऐसा करती थीं। इससे उन्हें न्यूरोलॉजिकल समस्या, किडनी फेल्योर, कोमा के साथ और मौत भी झेलना पड़ी।

aspundir
13-08-2013, 06:03 PM
http://i6.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/12/2880_sperm7.jpg


अफीम डायाफ्राम

प्राचीन सुमात्रा महिलाएं अफीम की फली का उपयोग डायाफ्राम के रूप में करती थीं।

aspundir
13-08-2013, 06:04 PM
http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/12/2882_sperm8.jpg


खजूर, बबूल और शहद

गर्भनिरोधक के रूप में दुनिया का पहला नुस्खा 1550 ई. पू. में ईजाद किया गया। मिस्र से पैपीरस शीट पर बबूल, खजूर और शहद के साथ एक नया नुस्खा टैम्पोन ढूंढा गया, जो कारगर भी था। टैम्पोन इसलिए कारगर था, क्योंकि बबूल लेक्टिक एसिड में उबाल लाने का काम करता था। यह शुक्राणुनाशक है।

aspundir
13-08-2013, 06:04 PM
http://i7.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/12/2882_sperm9.jpg


कोला और दूसरे काबरेनेटेड ड्रिंक्स

1950-60 के दशक में कोका कोला गर्भनिरोधक का सबसे पारंपरिक तरीका था। अक्टूबर 2008 में हार्वर्ड में आईजी नोबल अवॉर्ड कोका कोला को बर्थ कंट्रोल के लिए दिया गया। हार्वर्ड स्कूल ऑफ मेडिकल ने कोला पर पर बर्थ कंट्रोल को लेकर शोध किया था।

इसमें कोला के साथ स्पर्म मिलाकर देखा गया तो पता चला कि डाइट कोक एक मिनट में सारे स्पर्म को खत्म कर देता है। ऐसा कारबोनिक एसिड के कारण होता है।

aspundir
13-08-2013, 06:05 PM
http://i3.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/12/2884_sperm10.jpg


लेमन डायाफ्राम

लेमन यानी नीबू का उपयोग 1700 में कारगार बर्थ कंट्रोल में किया जाता था। इसका शेप का डायाफ्राम की तरह इस्तेमाल में लिया जाता था और इसमें साइट्रस एसिड सभी स्पर्म का खात्मा कर देता था। लेमन जूस वेजाइना के टिशु को काफी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए नीबू का इस्तेमाल कोई समझदारी भरा फैसला नहीं था।

Hatim Jawed
13-08-2013, 09:00 PM
लाभप्रद सूत्र !

Dr.Shree Vijay
13-08-2013, 09:22 PM
पहलीबार चीनीयों के बारे में इतनी विभत्स बात पता चली,
इतने बेहतरीन सूत्र के लिए पुंडीर जी आपको हार्दिक धन्यवाद...............

aspundir
14-08-2013, 08:52 PM
लाभप्रद सूत्र !

पहलीबार चीनीयों के बारे में इतनी विभत्स बात पता चली,
इतने बेहतरीन सूत्र के लिए पुंडीर जी आपको हार्दिक धन्यवाद...............


हातिम जी तथा डॉ॰ साहब, सूत्र भ्रमण तथा पसन्द करने के लिये धन्यवाद

aspundir
14-08-2013, 08:53 PM
जिंदा रहने के लिए खानी पड़ीं साथियों की लाशें


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क्या कभी कोई इंसान इतना वहशी हो सकता है कि अपने साथी की लाश ही खा जाए। शायद नहीं लेकिन मजबूरी इंसान से जो न कराए वह कम है। स्पोर्ट्स वर्ल्ड में एक हादसा ऐसा भी हुआ है जिसके बाद खिलाड़ियों को जिंदा रहने के लिए अपने साथियों की लाश तक खानी पड़ी थीं।

लेकिन यह हादसा दो खिलाड़ियों की हैरतअंगेज दास्तान भी है जिन्होंने एक सच्चे खिलाड़ी की तरह अंत तक हार न मानने वाले जज्बे को दिखाते हुए न सिर्फ खुद मौत को मात दी बल्कि 14 लोगों की जिंदगी भी बचा ली थी।

जरा सोचिए कितना भयावह होगा वो मंजर जब खिलाड़ियों को साथियों की लाश के टुकड़े-टुकड़े करना पड़ा होगा

aspundir
14-08-2013, 08:53 PM
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यह दर्दनाक हादसा हुआ था 13 अक्टूबर 1972 को और इसका शिकार हुई थी उरुग्वे के ओल्ड क्रिश्चियन क्लब की रग्बी टीम। टीम को चिली के सैंटियागो में मैच खेलना था।

aspundir
14-08-2013, 08:53 PM
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उरुग्वे एयरफोर्स का एयरक्राफ्ट टीम के खिलाड़ियों व अधिकारियों के साथ उनके परिवार व मित्रों को लेकर एंडीज पर्वत के ऊपर से गुजर रहा था। मौसम खराब था और पायलट को संभावित खतरा नजर आने लगा था।

aspundir
14-08-2013, 08:54 PM
http://i6.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/13/9915_31.jpg


करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर पायलट अपनी पोजीशन मिसजज कर गया और एक ही पल में एयरक्राफ्ट एंडीज पर्वत की एक चोटी से टकरा गया। जो एयरक्राफ्ट कुछ देर पहले हवा से बातें कर रहा था दूसरे ही पल धू-ध मर जलता एंडीज पर्वत में गुम हो गया।

aspundir
14-08-2013, 08:54 PM
http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/13/9925_37.jpg


इस भयावह हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई। बाकी 27 लोग जैसे तैसे बच तो गए लेकिन एंडीज की हाड़ कपकपा देने वाली बर्फ के बीच जिंदगी उनके लिए मौत से बदतर साबित हो रही थी। न खाने को कुछ और दूर-दूर तक सिर्फ बर्फ ही बर्फ।

aspundir
14-08-2013, 08:55 PM
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हादसे की जानकारी मिलते ही उरुग्वे की सरकार ने सक्रियता दिखाई और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया लेकिन इस ऑपररेशन पर भारी पड़ रही थी एंडीज का खौफनाक रूप। इधर विकट स्थिति में मौत एक के बाद एक शिकार करती जा रही थी।

aspundir
14-08-2013, 08:55 PM
http://i7.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/13/0685_41.jpg


एंडीज की बर्फ बचे हुए लोगों को गला रही थी। शरीर निढाल हो चुके थे कोई रास्ता नहीं दिखा तो इन लोगों ने अपने साथियों की लाश के टुकड़े कर ही खाना शुरू कर दिया।

aspundir
14-08-2013, 08:56 PM
http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/13/9921_36.jpg


एक झटके में आई मौत से बचे ये लोग अब असहनीय अंत की ओर बढ़ रहे थे। हादसे के 60 दिन बीत चुके थे। मदद की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दी तो इस बदनसीबों में शामिल दो खिलाड़ियों नैन्डो पैरेडो और रॉबटरे केनेसा ने जिंदगी से हार मानने की ठानी।

aspundir
14-08-2013, 08:56 PM
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पैरेडो और केनेसा ने गजब का साहस दिखाते हुए 12 दिनों तक ट्रैकिंग की। अंत तक हार न मानने का एक खिलाड़ी वाला जज्बा दोनों के काम आया और आखिर दोनों एंडीज पर्वत को हराते हुए चिली के आबादी वाले क्षेत्र तक पहुंच गए जहां दोनों ने रेस्क्यू टीम को अपने साथियों की लोकेशन बताई।

aspundir
14-08-2013, 08:57 PM
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इस तरह इन दोनों खिलाड़ियों ने तो जिंदगी की जंग जीत ही ली साथ ही अपने साथियों के लिए भी ये वरदान साबित हुए। हालाकि रेस्क्यू टीम जब पैरेडो और कैनेसा के साथियों के पास पहुंची तब तक 27 में से 11 लोग और दम तोड़ चुके थे।

aspundir
14-08-2013, 08:58 PM
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इस पूरे हादसे में हीरो बनकर सामने आए उस रोबटरे केनेसा उस समय रग्बी खिलाड़ी के साथ मेडिकल स्टूडेंट भी थे। अब यह खिलाड़ी जिदंगी की जंग जीत मशहूर डॉक्टर बन चुका है।

aspundir
14-08-2013, 08:58 PM
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वहीं इस हादसे में अपनी मां और बहन को खोकर 16 लोगों की जान बचाने वाले पैरोडा अब उरुग्वे की मशहूर टेलीविजन हस्ती हैं। हादसे के 72 दिनों बाद 16 लोगों का बचना भी किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा रहा था। पैरोडो ने इस पूरे हादसे और अपने संघर्ष को एक किताब की शक्ल भी दी है।

aspundir
14-08-2013, 08:59 PM
http://i2.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/13/2510_44.jpg


इस भयावह घटना पर पियर्स पॉल रीड ने 1974 में एक किताब अलाइव लिखी थी जिस पर 1993 में निर्देशक फ्रेंक मार्शल ने फिल्म भी बनाई थी।

aspundir
14-08-2013, 08:59 PM
http://i5.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/13/2712_45.jpg


करीब दस साल पहले डॉ केनेसा इस घटना में बचे दो अन्य साथियों के साथ पहुंच कर मौत को मात देने के अपने कारनामे का जश्न मनाया था।

aspundir
14-08-2013, 09:00 PM
http://i8.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/08/13/2711_46.jpg


हादसे में बचे लोग सालों बाद एक साथ हुए तो इस तरह दिया पोज

Dr.Shree Vijay
14-08-2013, 09:03 PM
कितनी दर्दनाक एवं भयानक घटना,
उसमे भी...................
हिम्मते मरदा मददे खुदा.............................

aspundir
18-09-2013, 06:55 PM
सबसे भयानक MASS SUICIDES

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आत्महत्या यानी जानबूझकर खुद की हत्या करना। आज के समय में इसे निंदनीय माना जाता है, लेकिन प्राचीन समय में ऐसा नहीं था। आज से कई सौ साल पहले आत्महत्या को सम्मान्य समझा जाता था। भारत की सतीप्रथा इस बात का सबूत है। मोक्ष जैसी धार्मिक भावनाओं से प्रभावित होकर भी कई लोग आत्महत्या करते थे, लेकिन आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं। दुनिया के ज़्यादातर देशों में आत्महत्या को गंभीर अपराध माना जाता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत आत्महत्या के प्रयास को गंभीर अपराध माना गया है और पकड़े जाने पर सजा का प्रावधान भी है। दूसरे देशों में भी इससे जुड़े सख्त कानून हैं।

इतिहास में झांकने पर सामूहिक आत्महत्या के भी कई मामले मालूम चलते हैं। दुनिया के अलग-अलग देशों में घटित इन दुखद घटनाओं में हजारों लोगों ने खुद की जीवनलीला खत्म कर ली। पिछले कुछ सालों में घटित सामूहिक आत्महत्या की घटनाओं में ज्यादातर का कारण धार्मिक भावनाएं थीं। धार्मिक रीति-रिवाजों और प्रवर्तकों के प्रभाव में आकर हजारों लोग आत्महत्या कर चुके हैं।

aspundir
18-09-2013, 06:56 PM
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जिम जोन्स के नेतृत्व में 1970 के अंत तक एक ऐसे समुदाय की खोज हुई जो दुनिया से अलग दक्षिण अमेरिका के एक जंगल जॉन्सटाउन में रहते थे। सन् 1978 में अमेरिकी कांग्रेस के लियो रयान ने इनके बारे में तथ्यों का पता लगाने के लिए जॉन्सटाउन का दौरा किया। वहां से लौटते वक्त जॉन्सटाउन के 18 लोग जो उस समुदाय से निकलना चाहते थे, उनके साथ वापस जाने की कोशिश करने लगे। इन 18 लोगों के इस कदम से वहां हिंसा भड़क गई। समुदाय के लोगों ने उन पर गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में एक कांग्रेसी रयान और तीन पत्रकार समेत एक व्यक्ति भी मारा गया जो वहां से निकलना चाहता था। 11 लोग जख्मी भी हुए। घटना के कुछ ही घंटों के बाद इस समुदाय के नेता ने समुदाय के सभी लोगों को पोटेशियम साइनाइड पीकर सामूहिक आत्महत्या करने का आदेश दिया। नेता के आदेश पर पहले छोटे बच्चों को पोटेशियम साइनाइड पिलाकर मार दिया गया। इस सामूहिक आत्महत्या में बच्चों सहित नौ सौ से अधिक लोगों के जीवन का अंत हो गया।

aspundir
18-09-2013, 06:56 PM
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वर्जिन मैरी के एक कथित आदेश के बाद 1980 में भविष्य बताने वाले कैथोलिक शाखा MRTC की स्थापना हुई। इस शाखा ने यह घोषणा की थी कि एक निश्चित दिन दुनिया का अंत हो जाएगा। इस संप्रदाय के सदस्य झूठी गवाही से बचने के लिए इशारों में बातें करते थे। वे व्यभिचार से बचने के लिए सेक्स से परहेज करते थे और सप्ताह में दो दिन का उपवास भी करते थे। जैसे-जैसे वह दिन नजदीक आता गया, वैसे-वैसे वहां के लोगों की उत्सुकता बढती गई। उन्होंने खेतों में काम करना बंद कर दिया। हालांकि, यह भविष्यवाणी झूठी साबित हुई। इसके बाद लोगों ने अपने नेताओं से भविष्यवाणियों की प्रामाणिकता को लेकर सवाल करने शुरू कर दिए। तभी फिर 17 मार्च को प्रलय के दिन की घोषणा की गई और सभी 1000 अनुयायियों को मोक्ष प्राप्ति का जश्न मनाने के लिए आमंत्रित किया गया। इनमें बच्चे और वयस्क भी शामिल थे। जोसफ किब्वेतीरे, जोसफ कसपुरारी, जॉन कामगार, डोमिनिक कतारिबबो और क्रेडोनिया म्वेरिंदेवो वे पांच नेता थे, जिनके आदेश पर ये सब हुआ। सभी इस बात से वाकिफ थे कि यह आत्मघात के समान होगा।

aspundir
18-09-2013, 06:57 PM
http://i5.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/09/17/5801_mass-3.jpg


टेक्सास में एक पहाड़ी के शिखर से फ्लोरेंस के एक चर्च के सदस्य हाउटेफ द्वारा यीशु के दूसरे अवतार की घोषणा की गई। इस घोषणा के उपरांत 1959 में सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट चर्च रोम मत का विरोध करने वाले एक संप्रदाय का जन्म हुआ। इस भविष्यवाणी की विफलता के बाद ऐसे बहुत से लोगों ने अपने-आप को भविष्य बताने वाला बताया। उनमें से एक वरनन हॉवेल ने उस संप्रदाय को अपने विश्वास मत में लेने की कोशिश की। उसने बताया कि वही आधिकारिक तौर पर यीशु के दायित्वों को संभालने का हकदार है। 1994 में एटीएफ को उसके खिलाफ गैरकानूनी हथियार रखने और बच्चों को प्रताड़ित करने के बारे में पता लगाने का हुक्म मिला, लेकिन एटीएफ के आक्रामक रवैये के कारण उन्हें कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ा। कई दिनों तक चली लड़ाई के बाद एफबीआई ने बड़ी संख्या में लोगों को आत्महत्या से बचाने के लिए अनुयायियों को घेरने की कोशिश की। हालांकि, परिसर के भीतर सामूहिक आत्मदाह के लिए आग जला दी गई थी। इस आग में 80 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। ये सामूहिक आत्महत्या थी या एफबीआई द्वारा किया गया सफाया, आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।

aspundir
18-09-2013, 06:58 PM
http://i7.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/09/17/5803_mass-4.jpg


एक भटका हुआ संप्रदाय उस समय सुर्खियों में आया, जब 1997 में काले रंग की टी-शर्ट और जूते पहने हुए 39 लोगों ने उत्तरी सैन डिएगो में सामूहिक आत्महत्या कर ली। मरने वालों की आयु 26 से 72 वर्ष के बीच थी। उन्होंने आत्महत्या इस विश्वास से किया कि एक धूमकेतु पृथ्वी को पार कर रहा है, जो एक उच्च स्तर पर बदलाव के द्वारा सब कुछ नष्ट कर देगा

aspundir
18-09-2013, 06:58 PM
http://i6.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/09/17/5805_mass-5.jpg


धार्मिक अनुष्ठान से प्रेरित होकर किये जाने वाले आत्मदाह हमेशा अलौकिक प्रसाद या मोक्ष प्राप्ति जुड़े नहीं रहे हैं, जैसा कि वर्तमान समय में पाया गया है। साठ के दशक में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा अनुष्ठानिक आत्महत्या वियतनाम युद्ध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का संकेत थी। 1963 में थिक क्वांग डुक नाम का व्यक्ति निडर होकर दक्षिण वियतनाम के प्रशासन द्वारा बौद्धों के उत्पीड़न के विरोध में एक व्यस्त साइगॉन सड़क पर खुद को जला लिया। ऐसा करने पर बौद्ध समुदायों द्वारा एक बोधिसत्व को सम्मानित किया। इसके बावजूद, सरकार ने थिक क्वांग डुक की तरह आत्मदाह प्रदर्शन करने वाले बौद्ध भिक्षुओं को दंडित किया गया। बहरहाल, बौद्ध धर्म में खुद को नुकसान पहुंचाना गुनाह माना गया है। वहीं, बौद्ध भिक्षुओं द्वारा आत्मदाह एक नि:स्वार्थ कार्रवाई के रूप में धर्म के प्रकाश को फैलाने और लोगों की आंखें खोलने के लिए सही बताया गया।

aspundir
18-09-2013, 07:00 PM
http://i3.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/09/17/5806_mass-6.jpg


1906 में बाली में एक अनुष्ठानिक सामूहिक आत्महत्या की गई जिसे पुपुतान के नाम से जाना गया। यह आत्मदाह सिर्फ इसलिए किया गया, क्योंकि इसे करने वाले लोग डच आक्रमणकारियों के अधीन नहीं होना चाहते थे। डच सेनापति ने दो आदेश दिए। उसने कहा कि सभी कीमती वस्तुओं को जला दिया जाये और एक मार्च निकाला जाये, जिसमें जवान व्यक्तियों, उनकी पत्नियों, बच्चों से लेकर बौद्ध भिक्षु सभी शामिल हों। डच रेजिमेंट के साथ आमना-सामना होते ही प्रधान पुजारी ने पुपुतान के राजा के कलेजे को चाकू से छलनी कर दिया। इसके बाद दोनों समूहों ने आपस में मार-काट उस समय तक जारी रखा, जब तक महिलाओं ने सेना को अपने गहने देने शुरू नहीं किए। उस दिन दोपहर तक इस भिड़ंत में बाली के 1000 से अधिक लोगों ने आत्महत्याएं की। अब डच आक्रमणकारियों के लिए ज्यादा कुछ करने को बचा नहीं था। आज बच्चों को पुपुतान के बारे में पढाया जाता है और उस दिन की याद में उत्सव मनाया जाता है।

aspundir
18-09-2013, 07:01 PM
http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/09/17/5808_mass-7.jpg


कनाडा से संचालित होने वाला एक ऐसा गुप्त समाज है, जो यह मानता है कि अभी भी टमप्लर के सैनिक मौजूद हैं। यह समाज स्विट्ज़रलैंड में स्थित है। उनका उद्देश्य ईसाई और इस्लामी धर्मों को एकजुट करना था। वो पूरे विश्व में यीशु के दूसरे उत्तराधिकारी के आने को लेकर एक मत तैयार करना चाहते थे। उस समय उनके द्वारा किये गए कार्य नए युग के दर्शन से पूरी तरह मेल खाते हैं। कई सालों तक होने वाली आत्महत्याएं और मौतें एक विशेष संप्रदाय से संबंधित हैं। यहां तक कि 1994 में एक तीन महीने के बच्चे को सिर्फ इसलिए मार दिया गया, क्योंकि उसकी पहचान ईसा के विरोधी के रूप की गई थी। उसी वर्ष अक्टूबर में 48 वयस्कों और बच्चों को मृत पाया गया। इनके सर में गोली मारी गई थी। सामूहिक आत्महत्या के शिकार हुए इन लोगों के शव स्विट्ज़रलैंड में स्थित भूमिगत उपासना मंदिर से प्राप्त हुए थे। उस मंदिर के तल में जितने भी शव मिले, उन सभी को टमप्लर प्रतीकों की वस्तुओं के साथ एक लाइन में खड़ा किया गया था।

rajnish manga
19-09-2013, 09:58 AM
उक्त समाचारों में विवरण और चित्र दिल दहला देने वाले हैं. पाठक यह सोचने पर मजबूर हो जाता हैं कि क्या हकीक़त में ऐसा हुआ था?

aspundir
22-09-2013, 09:18 PM
श्रापित खजाने

http://i5.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/09/21/4870_1.jpg


1- काहुएंगा दर्रा का खजाना : इस खजाने की कहानी 1864 से शुरू होती है, जब मैक्सिको के राष्ट्रपति बेनिटो जुआरेज ने अपने चार सैनिकों को एक खजाने के साथ भेजा सेन फ्रांस्सिको था। इसमें सोने के सिक्के और बेशकीमती ज्वेलरी थी। रास्ते में एक सैनिक की मौत हो गई तो तीनों ने बीच रास्तें में खजाने को जमीन के अंदर गाड़ दिया। लेकिन वहां घूम रहे एक व्यक्ति डियागो मोरेना ने यह देख लिया। बाद में उसने इस धन को निकाला और लॉस एंजलिस की ऊपरी पहाड़ी पर गाड़ दिया। उसी रात उसने एक स्वप्न देखा कि इस खजाने से अगर वह धन लाएगा तो उसकी मौत हो जाएगी। इसके बाद उसकी मौत हो गई। डियागो की मौत के बाद उसके मित्र जीसस मार्टिनेज ने इस खजाने को पाने के लिए अपने सौतेले पुत्र के साथ जैसे ही खुदाई करना शुरू की उसकी मौत हो गई। इसके बाद जीसस मार्टिनेज के सौतेले बेटे की मौत भी एक फायरिंग में हो गई। इस खजाने का थोड़ा हिस्स 1885 में बास्क शेफर्ड को मिला लेकिन जब वह जहाज से स्पेन जा रहा था तो सोने के सिक्कों के साथ वह समुद्र में डूब गया। इसके बाद आयल एक्सपर्ट हेनरी जोन्स ने 1939 में इस खजाने की खुदाई करानी शुरू की लेकिन 27 नवंबर को उसने आत्महत्या कर ली। बाद में एक और व्यक्ति की मौत हो गई। अगर हम सैनिकों सहित सभी की गिनती करें तो 9 लोग इस खजाने के चक्कर में मर चुके हैं।

aspundir
22-09-2013, 09:18 PM
http://i8.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/09/21/4870_2.jpg


- चाल्र्स आयलैंड का श्रापित खजाना : अमेरिका में मिलफोर्ड का यह एक छोटा द्वीप, कानीकट श्रापित द्वीप है। मैक्सिकन सम्राट गुआजमोजिन का धन 1721 में चोरी हो गया था और उसे यहां मल्लाहों ने छिपा दिया था। 1850 में यहां कुछ लोग खजाने की तलाश में पहुंचे तो प्रेत्माओं ने उन्हें मार दिया। इनके यहां पहुंचते ही हड्डियों के ढांचों से आग की लपटे निकलने लगी थी। यहां पर किसी को खजाना नहीं मिल सका। वहां जाने की कोशिश करने वाले बताते हैं कि यहां रहस्यम लाइट्स और अजीब आवाजें सुनाई देती। बहुत समय तक यहां कोई भी बिल्डिंग नहीं बनाई जा सकी थी।

aspundir
22-09-2013, 09:19 PM
http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/09/21/4871_3.jpg


- ओक आयलैंड के गड्ढे का श्राप : 40 फीट गहराई पर 2 मिलियन पाउंड दफन हैं : कनाडा के नोवा स्कोटिया नाम का एक छोटा द्वीप है। इस रओक आयलैंड सबसे पहले 1795 में कुछ किशोर लड़कों ने कुछ रहस्मय लाइट्स देखी थी। यहां एक पत्थर रखा हुआ है जिस पर लिखा है- फोर्टी फीट बिलो टू मिलियन पाउंड्स आर बरीड।
दुनिया भर के बहुत से लोगों ने यहां धन की तलाश की थी, जिनमें अमेरिका के राष्ट्रपति फै्रंकलिन डी रूजवेल्ट भी शामिल थे। आज भी लोग यहां धन की तलाश कर रहे हैं लेकिन किसी को यह पता नहीं है कि किसने यहां धन छिपाया और क्यों छिपाया।
इस खजाने के धन को पाने की कोशिश में पहली मौत का पता 1861 में चला जब पंप फट गया और एक मजदूर की मौत हो गई। एक मेनार्ड कैजर नाम के व्यक्ति ने 1951 में जब पत्थर को बांध कर हटा रहा था तो उसकी मौत हो गई। यहां 1965 में एडवंचरर राबर्ट रेस्टाल, उसके बेटे और दो काम करने वाले अन्य लोग एक गड्ढे में गिर गए और उनकी मौत हो गई। एक किवदंती यह भी है कि इस खजाना को पाने से पहले सात मौतें होना चाहिए।

aspundir
22-09-2013, 09:19 PM
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- द लॉस्ट डचमैन माइन : एक किवदंती के अनुसार एक सोने की खदान अमेरिका के साउथ वेस्टर्न इलाके में है। माना जाता है कि यह सुपरसटीशन माउंटेन में कहीं है। यह ऐरिजोना में ईस्ट फोनिक्स के पास अपाचे जंक्शन के पास है।यहां की अपाचे जनजातियों के बीच यह मान्यता है कि गर्जना का देवता ईष्र्यालु है और किसी को भी इस खजाने के पास जाने नहीं देना चाहता है। स्पेन के फ्रांसिस्को वास्क डी कोरोनाडो (1510-1524)ने जब इस खदान को खोजने की कोशिश की तो उसके लोगों की मौत होने लगी और उनकी लाशों से ढेर लग गए। 1845 में यहां डॉन मिगुएल पेराल्टा को कुछ सोना मिला लेकिन स्थानीय अपाचे आदिवासियों ने उसकी हत्या कर दी और उन्होंने सोने को पूरे इलाके में बिखेर दिया और खदान का प्रवेश द्वार नष्ट कर दिया गया। यह इलाका सोना पाने वालों के स्वर्ग बन गया।
एक डच व्यक्ति वाल्ज जो जर्मनी से यहां आया था। उसने 20 साल की तलाश के बाद इस खदान को पाने का दावा किया था, लेकिन इसका पता बताने से पहले ही उसकी मौत हो गई। यहां 1931 में खजाने की तलाश में आए एडोल्फ रुथ लापता हो गया और दो साल बाद उसकी हड्डियां मिली। लेकिन एक नोट भी मिला जिसमें लिखा था, मैं आया, मैंने देखा, मैं विजयी हुआ। इसका अर्थ यह है कि मौत से पहले वह गोल्ड माइन पाने में सफल रहा। इसके बाद भी बहुत से लोग इस खजाने को पाने के लिए अपनी जान गंवा चुके हैं। इस गोल्ड माइन की तलाश में तीन साल पहले डेनवर निवासी जेस केपेन ने यह अभियान छोड़ दिया था लेकिन शव 2012 में उसका शव मिला।

aspundir
22-09-2013, 09:20 PM
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द अंबेर रूम: जब द्वितीय विश्वयुद्ध अपने निर्णायक मोड़ पर था उस दौरान दोनों पक्ष अपने सोना और खजानों को छिपाने में लगे थे। यह सुप्रसिद्ध पेंटिंग्स और एक पूरा कमरा द अंबेर रूम गायब हो गया। इसे विश्व का आठवां आश्चर्य कहते हैं। यह रूस और पर्सिया के बीच शांति संधि के उत्सव के दौरान 1718 में पीटर द गे्रट को गिफ्ट के तौर पर मिली थी। यह हीरे, मोती, जवाहरातों से सजी हुई थी। 1941 में नाजियों ने इस कब्जा कर लिया और इसे सुरक्षित करने के लिए अलग अलग भागों में बांट दिया। इसके बाद इसे 1943 में इसे एक म्युजियम में प्रदर्शित किया गया। तभी से यह अभिशापित मानी जाता है। म्युजियम का संरक्षक अल्फ्रेड रोड और पत्नी की मौत हो गई और वह डॉक्टर गायब हो गया, जिसने उनके डेथ सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर किए थे। इस रूम से जुड़े रहे रूसी जनरल गुसेव की रहस्मय परिस्थियों में हुई कार दुर्घटना में मौत हो गई। अंबेररूम को खोजने वाले एक जॉर्ज स्टेइन की जंगल में मौत हो गई और उनका नग्न शव मिला।

aspundir
22-09-2013, 09:20 PM
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- कोहनूर हीरे का श्राप : केवल इसे ईश्वर या महिला ही धारण कर सकते हैं। इसका अर्थ है प्रकाश का पर्वत। भारत में 105 कैरट के इस हीरे का इतिहास काफी पुराना है। लेकिन इसके बारे में 1306 में सामने आने की बात कहीं जाती है। एक हिंदू दस्तावेज के मुताबिक जो इस हीरे को पहनेगा वह दुनिया पर राज करेगा लेकिन इसे पहनने वाले सभी लोग दुर्भाग्यशाली साबित हुए। इसके बारे में यह धारणा प्रचलित है कि केवल ईश्वर या महिला ही इसे पहन सकती है। कई पुरुष राजाओं ने इसे पहना, लेकिन वे दुर्भाग्य के शिकार हुए। इनमें नादिर शाह भी शामिल है, जिसकी हत्या 1747 में हुई थी। जब यह 1850 में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को सौंपा गया तो उन्होंने इसके आकार में बदलाव करवाया। ब्रिटेन के किसी भी पुरुष ने इसे नहीं पहना। इसे टॉवर ऑफ लंदन में प्रदर्शित किया गया है।

aspundir
22-09-2013, 09:21 PM
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चीन का क्विन शि हुआंग का विषैला मकबरा : यह चीन के पहले सम्राट क्विन शी हुआंग का मकबरा है। उसकी मृत्य ईसा पूर्व10 सितंबर 210 में हुई थी। उसे यहां सैकड़ों गुलामों, रखैलों, सोने और जवाहरात के साथ दफनाया गया था। इसका विवरण इस टेराकोटा की मूर्ति में दर्ज है। यह स्थान मिस्र के ग्रेट पिरामिड से भी बड़ा है। यह स्थान गए गहरे पारे की नदी से घिरा हुआ है। यदि यहां पर खुदाई की जाए तो यह खतनाक हो सकता है। यह भी हो सकता है कि यदि जहरीला पदार्थ यहां से निकला तो पूरा इलाका प्रभावित हो सकता है। 50 वर्षों से यहां खोज में लगे ऑर्केलॉजिस्ट भी जगह के अंदर झांकने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं।

aspundir
22-09-2013, 09:21 PM
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- मिस्र में फराओहज राजाओं का यह श्राप कि जो भी प्राचीन मिस्र के राजा को डिस्टर्ब करेगा उसकी मौत हो जाएगी। यहां के बारे में कहावत है कि जॉर्ज हर्बट मिस्र के प्राचीन किंग के मकबरे की खुदाई करना चाहता था लेकिन उसे एक मच्छर ने काट लिया और कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई। हालांकि बाद में वैज्ञानिकों ने ऐसी बातों का खंडन किया है।

Dr.Shree Vijay
22-09-2013, 10:30 PM
सभी खबरें सत्य तो पर विचित्र लग रही हैं....................

aspundir
24-09-2013, 12:39 AM
कौरवों के समय की जनजाति

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महाभारत एक ऐसी पौराणिक कहानी है जिसके बारे में आप सभी जानते होंगे। इससे जुड़े पात्रों के बारे में जानकार लोग रोमांचित हो उठते हैं। माहाभारत काल के कुछ ऐसे भी पूर्वज हैं जो आज भी हमारे भी बीच में हैं। इनके महत्वपूर्ण होने का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सरकार को भी इस समुदाय को सुरक्षित रखने के लिए कड़े क़ानून बनाने पड़े। छत्तीसगढ़ के कुछ ख़ास इलाके में आज भी एक विशेष जनजाति के लोग रहते हैं जिनका सम्बन्ध कौरवों के परिवार से है।
छत्तीसगढ़ की अजब-गजब प्रथाओं की कड़ी में आज प्रस्तुत कर रहे हैं यहां के विशेष आदिवासी समूह की प्रथाओं के बारे में....
विशेषज्ञों ने इस जनजाति के लोगों को आदिम मानव की कोलेरियन प्रजाति समूह का माना है। लेकिन छत्तीसगढ़ में इनकी संख्या कम हो रही है। आपको इनके अनोखे रीति रिवाज आश्चर्य में डाल सकते हैं।

aspundir
24-09-2013, 12:39 AM
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जिस घर में किसी सदस्य की मौत होती है उसे ये हमेशा के लिए छोड़ देते हैं। जिस कमरे में बच्चे का जन्म होता है उस कमरे में नया दरवाजा बनाकर बच्चे को बाहर निकाला जाता है।
पहाड़ी कोरवाओं के बारे में यह बात मानी जाती है कि वह कौरवों के वंशज हैं। चिंता की बात यह है कि इनकी संख्या तेजी से कम हो रही है। इसके लिए सरकार ने एक विशेष प्राधिकरण भी बनाया है, और इनकी नसबंदी पर प्रतिबंध भी लगा रखा है। लेकिन सबसे दिलचस्प बात है इनके रीति-रिवाज।

aspundir
24-09-2013, 12:40 AM
पहाड़ी को​रवाओं की बच्चे के जन्म को लेकर भी एक अजीब परम्परा है। बच्चे का जिस कमरे में प्रसव होता है उसमें ये तुरंत ही नया दरवाजा बनाते हैं। इस दरवाजे से शिशु को बाहर निकाला जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चा हमेशा स्वस्थ रहता है। वहीं भूत प्रेत बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता

aspundir
24-09-2013, 12:41 AM
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इस जनजाति में वधु की तलाश में वर पक्ष जाता है। अगर इस बीच सियार की आवाज सुनाई देती है तो रिश्ता नहीं जोड़ा जाता है। ये सियार की आवाज को बहुत अशुभ मानते हैं।
जब ये खाना खाते रहते हैं उस समय अगर सियार आवाज करता है तो बीच में ही खाना छोड़ देते हैं। इतना ही नहीं माहवारी के समय महिला अपने पति से अलग सोती है तो वह किचन में नहीं जाती। उसके हाथ से दिया गया पानी तक परिवार के लोग नहीं पीते हैं।

aspundir
24-09-2013, 12:41 AM
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छत्तीसगढ़ के सरगुजा, जशपुर, कोरबा जिलों में पहाड़ी कोरवा जनजाति की संख्या 15 हजार से अधिक नहीं है। ये जंगलों में रहते हैं लेकिन अब गांवों में आकर रहने लगे हैं। तीरंदाजी में इन्हें माहिर माना जाता है।

aspundir
24-09-2013, 12:41 AM
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पहाड़ी कोरवा जनजाति की कम होती जनसंख्या को देखते हुए इसे संरक्षित करने के लिए सरकार ने योजना बनाई है। इसके तहत इस जनजाति के महिला- पुरुषों का नसबंदी ऑपरेशन पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अगर कोई करवाना चाहता है तो इसके लिए एसडीएम या कलेक्टर के अनुमति लेने की जरूरत होती है।

Dr.Shree Vijay
24-09-2013, 08:59 PM
यह तो वाकई अजब गजब की खबर हैं................

aspundir
25-09-2013, 07:32 PM
एक पीर जिसने समंदर में लेनी चाही समाधी लेकिन खींच लाया मुंबई का किनारा



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आपने अमिताभ बच्चन की एक सुपर हिट फिल्म “कुली“ तो देखी ही होगी, इस फिल्म के क्लाइमेक्स सीन की शूटिंग यहीं इसी जगह पर की गई थी। अगर याद नहीं आ रहा तो आपको फिल्म फिजा की वह कव्वाली “पिया हाजी अली“ तो ज़रूर याद होगी, इसकी शूटिंग भी यहीं की गई है।

हाजी अली दरगाह एक मस्जिद तथा दरगाह है जो की मुंबई के दक्षिणी भाग में वरली के समुद्र तट से करीब 500 मीटर समुद्र के अंदर एक छोटे से टापू पर स्थित है। मुख्य भूमि से यह टापू एक कंक्रीट के जलमार्ग के द्वारा जुड़ा हुआ है। यह दरगाह इस्लामी स्थापत्य कला का एक नायाब नमूना है। दरगाह के अंदर मुस्लिम संत सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की कब्र है।

शायद दुनिया में यह अपनी तरह का एकमात्र धर्म स्थल है जहां एक दरगाह और एक मस्जिद समुद्र के बीच में टापू पर स्थित है और जहां एक ही समय पर हजारों श्रद्धालु एक साथ धर्मलाभ ले सकते है।

aspundir
25-09-2013, 07:33 PM
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कौन थे ये संत?

हाजी अली की दरगाह का निर्माण सन 1431 में एक अमीर (धनवान) मुस्लिम व्यवसायी सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की याद में करवाया गया था, जिसने अपनी सारी धन दौलत त्याग कर मक्का की यात्रा (हज) का रुख किया। हाजी अली मुख्य रूप से पर्शिया (अब उज्बेकिस्तान) के बुखारा नमक जगह के रहने वाले थे तथा पूरी दुनिया की सैर करते हुए अंत में 15 वीं शताब्दी के लगभग मुंबई में आकर बस गए थे।

aspundir
25-09-2013, 07:33 PM
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उनके जीवन से जुड़ी एक सच्ची घटना हम आपको बताने जा रहे है। एक बार संत हाजी अली ने एक गरीब महिला को सड़क पर रोते हुए तथा विलाप करते देखा जिसके हाथ में एक खली डिब्बा था, उन्होंने उस महिला से पूछा की उसको क्या तकलीफ है, उसने झिझकते हुए जवाब दिया की वह तेल लेने गई थी और ठोकर लगने से उसका सारा तेल जमीं पर ढुल गया है और अब उसका पति उसे बहुत पीटेगा, संत ने उस महिला से कहा की मुझे उस जगह पर लेकर चलो जहां तुम्हारा तेल गिरा है।

aspundir
25-09-2013, 07:33 PM
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वह महिला उन्हें उस जगह पर लेकर गई संत उस जगह पर बैठ गए और अपने ऊंगली से जमीन को कुरेदने लगे। कुछ ही देर में जमीन से तेल की एक मोटी धार फव्वारे के रूप में निकली। महिला ने ख़ुशी से झूमते हुए अपना पूरा डिब्बा तेल से भर लिया।

aspundir
25-09-2013, 07:34 PM
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बाद में हाजी अली को एक घबराहट पैदा करने वाला सपना बार बार आने लगा की उन्होंने दुखी महिला की मदद करने के लिए धरती मां को कुरेदकर उन्हें तकलीफ पहुंचाई है। पश्चाताप की आग में जलते हुए वे बुरी तरह से बीमार पड़ गए तथा उन्होंने अपने अनुयायियों को आदेश दिया की उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके शरीर को एक कोफीन में भरकर अरब सागर में छोड़ दिया जाये।

aspundir
25-09-2013, 07:34 PM
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हाजी अली ने अपनी मक्का यात्रा के दौरान अपना शरीर त्याग दिया तथा आश्चर्यजनक रूप से वह ताबुत जिसमें उनका मृत शरीर रखा था तैरते हुए इस जगह पहुँच गया तथा मुंबई में वरली के समीप एक छोटे से टापू की चट्टानों में अटककर रुक गया जहां आज उनकी दरगाह है, जिसे हम हाजी अली की दरगाह कहते हैं।

aspundir
25-09-2013, 07:34 PM
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गुरुवार तथा शुक्रवार को यहां पर कम से कम 40,000 लोग दर्शन के लिए आते हैं। आस्था और धर्म को दरकिनार करके यहां हर जाति तथा धर्म के लोग आकर इस महान संत की दुआएं लेते हैं।

aspundir
25-09-2013, 07:35 PM
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समुद्र के अंदर पगडण्डी? क्या आप कभी पैदल चले हैं समुद्र में?
दरगाह तक पहुंचना बहुत हद तक समुद्र की लहरों की तीव्रता पर निर्भर करता है क्योंकि जलमार्ग पर रेलिंग नहीं लगी हैं। जब कभी समुद्र में उच्च तीव्रता की लहरें आती हैं तो यह जलमार्ग पानी में डूब जाता है तथा दरगाह तक पहुंचा मुश्किल हो जाता है। दरगाह पर निम्न तीव्रता की लहरों के दौरान ही पहुंचा जा सकता है।

aspundir
25-09-2013, 07:36 PM
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इस जलमार्ग से आधा किलोमीटर का यह पैदल सफ़र बड़ा ही मोहक तथा रोमांचकारी होता है। कम लहरों के दौरान पुरे रास्ते के सफ़र के दौरान तीन चार बार तो यात्रियों के पैर जलमग्न हो ही जाते है। इस सफ़र के दौरान कई बार लहरें एक बड़े फव्वारे के रूप में आती है तथा हमें भीगा कर चली जाती हैं। यह सफ़र इतना सुहाना होता है की कदमों समय की मांग के अनुरूप आगे की ओर धकेलना पड़ता है। क्योंकि हम इस सफ़र को ख़त्म होने नहीं देना चाहते है।

aspundir
25-09-2013, 07:36 PM
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कल्पना कीजिये आप एक पगडण्डी पर चल रहे हैं और आपके दोनों ओर से असीम समुद्र की लहरें आपके करीब आकर आपको छूना चाह रहीं हो। पुरे रास्ते में छोटी छोटी खिलौनों तथा साज सज्जा के सामान की सुन्दर सजी दुकानें, खाने पीने की दुकानें, जो कभी कभी आधी जल में डूबी हुई दिखाई देती हैं।

aspundir
25-09-2013, 07:38 PM
c4uYjMpE1l8

aspundir
25-09-2013, 07:40 PM
ये सच्चाई है मुंबई के कुछ सुनसान इलाकों की


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रात........घुप्प अंधेरा....चारों ओर पसरा सन्नाटा...अनदेखी-अनसुनी आवाजें और कुछ अनिष्ट होने की आशंका...ये सब पैदा करती है डर..........डर एक अंजाने अंजाम का..कुछ अनहोनी होने की संभावना...सुनने में ही कितना डरावना लगता है। अब अगर हम आपसे ये कहें कि इन जगहों में आपको जाना पड़े तो आपको कैसा लगेगा...आप तो सोच कर ही पसीना-पसीना हो जाएंगे। जाना तो दूर आप इन जगहों के आस-पास नहीं फटकना चाहेंगे।
आपके कौतुहल को और बढ़ाते हुए अगर हम आपसे ये कहें कि एक खूनी बिल्डिंग जिसमें एक परिवार ने बारी-बारी खिड़की से छलांग लगाकर सुसाइड कर लिया, वो जगह जहां अबतक 20 लोग इन अतृप्त आत्माओं का शिकार बन चुके हैं या फिर एक जंगल जहां आपसे भूत लिफ्ट मांग सकता है।
और तो और एक ऐसा मिल जहां एक टीवी एक्ट्रेस का हुआ रूहानी ताकतों से साक्षात्कार....चौंकिए नहीं ये तो चंद वाकये हैं अब आपको थर्रा देने के लिए काफी थे। मगर आपके आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रहेगी ये जानकर कि ये सभी जगह और घटनाएं मायानगरी मुंबई के बीचों-बीच स्थित जगहों की है। यहां तो दिन में ही इन रूहानी ताकतों का एहसास होता है तो फिर रात.....जी हां आइए आपको इस खबर के माध्यम से सीधे लिए चलते हैं मुंबई जहां जमा रखा है रूहानी ताकतों ने डेरा....
मुंबई के इन इलाकों और जगहों में जाना मना है....और अगर दिन में जाने की गलती कर भी ली तो रात में तो यहां एक पल रुकने की गलती ना करें। अगर गलती की तो फिर इसके आप खुद जिम्मेदार होंगे....अब आप सोच रहे होंगे भला कौन सी हैं वो जगहें जहां जाना अनिष्ट को न्योता देना है।
दिल थाम कर पढ़िए ये खबर क्योंकि हो सकता है आप इन इलाकों के आस-पास ही रहते हों। और भले ही आपको आजतक इन रुहानी ताकतों से दो-चार न होना पड़ा हो पर जो सच है वो सच है

aspundir
25-09-2013, 07:41 PM
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ग्रांड पैराडी टावर्स

मुंबई में सबसे मशहूर और सबसे समृद्ध क्षेत्रों में से एक में स्थित है ग्रांड पैराडी टॉवर जिसे कभी कभी ग्रैंड पैरारी के नाम से भी जाना जाता है। यहां की 8वीं मंजिल पर कैंप्स कॉर्नर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था। अजीब आत्महत्याओं की एक श्रृंखला के दौरान होने वाली मौतों और इमारत में दुर्घटनाओं का एक भीषण पैटर्न बनने के कारण पूरी दुनिया का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ था।

aspundir
25-09-2013, 07:41 PM
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2004 से शुरू हुआ खूनी खेल
इन बुरी घटनाओं का दौर शुरू हुआ 2004 से जब एक बुजुर्ग दंपति इस अपार्टमेंट की खिड़की से बाहर कूद गया। मामला यहीं नहीं रुका और एक साल के अंदर ही उनके बच्चों और उनके पोते ने ठीक उसी तरह खिड़की से कूदकर आत्म हत्या कर ली।

aspundir
25-09-2013, 07:42 PM
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अतृप्त आत्माओं के निवास का यकीन
30 साल से इमारत में रह चुके निवासियों ने बताया कि एक घर में रहने वाले पूरे परिवार की तीन पीढ़ियों एक ही तरीके से आत्महत्या करना हमारे तर्कसंगत मन को अस्वीकार्य था। और इन घटनाओं ने यहां अनिष्ट ताकतों के होने का प्रमाण मिलता है।

aspundir
25-09-2013, 07:43 PM
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अब तक हो चुके हैं 20 से ज्यादा मामले
इमारत 1976 में निर्माण किया गया था जिसके बाद से घातक दुर्घटनाओं और आत्महत्या के 20 मामलों में वहाँ के रहवासियों को हिल कर रख दिया। यहां कई लोगों ने बच्चों समेत खिड़की से कूदकर आत्म हत्या की। और तो और कुछ घरों में तो नौकरानियों ने भी उसी तरीके से आत्महत्या कर ली जिससे एक बात तो साफ हो गई कि इन सभी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के पीछे बुरी ताकतों का हाथ है। इन सभी घटनाओं पर विराम लगाने के लिए सोसाइटी के लोगों ने मिलकर फिर पूजा और यज्ञ-हवन करवाया जिसके बाद इन घटनाओं पर विराम लग गया। मगर आज भी 8वीं मंजिल का वो फ्लैट में रुकने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता है।

aspundir
25-09-2013, 07:44 PM
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मुकेश मिल्स
1980 में बंद हुई कोलाबा में इस विशाल मिल में कई फिल्मों और विज्ञापनों की शूटिंग यहां किया गया है। सुनसान मुकेश मिल्स खासकर रूहानी ताकतों का अड्डा माना जाता है।

aspundir
25-09-2013, 07:45 PM
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हॉरर फिल्मों का स्वर्ग
और हॉरर फिल्मों और गोथिक शो के लिए तो ये स्वर्ग सरीखा है। यहां कई सेट हैं मगर जिन एक्टरों और एक्ट्रेसेस ने यहां शूटिंग की है वे तो इसका नाम सुनते ही तौबा कर लेते हैं। और तो और जो यहां काम करने को राजी भी हो जाते हैं वो भी रात की शूटिंग से यहां बचते हैं। वजह है यहां अतृप्त आत्माओं का वास होना जो समय-समय पर यहां अपने वजूद का एहसास दिलाते रहती है।

aspundir
25-09-2013, 07:45 PM
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टीवी एक्ट्रेस को हुआ था खौफनाक एहसास
यहां कई निर्देशकों, अभिनेताओं और निर्माताओं के यहां पिछले सूर्यास्त के काम करने के लिए मना कर दिया। एक वाकये के अनुसार एक टीवी अभिनेत्री से साथ तो यहां ऐसा हादसा हुआ था कि वो कई दिनों तक शॉक्ड हो गई थी। हुआ दरअसल कुछ ऐसा कि एक दिन ये टीवी अभिनेत्री अपनी सह कलाकार से साथ बैठी थी तभी वो महिला सह कलाकार ऊट-पटांग हरकतें करने लगी। उसने फिर आंखे तरेरते हुए पूरी क्रयू को मर्दानी आवाज में जगह छोड़कर चले जाने का आदेश दिया वरना अंजाम भुगतने को तैयार रहने की चेतावनी दी। इसके बाद वो सह कलाकार बेहोश हो गई जिसके बाद पूरे सेट पर अफरा-तफरी मच गई थी। हलांकि किसी को कुछ हुआ नहीं और फिर कम पहले की तरह चलने लगा। मगर यहां की रूहानी ताकतें आज भी अपने वजूद का एहसास यहां आने वालों को कराते रहती हैं। कभी मोबाईल, कभी पर्स तो कभी कुछ और यहां लोग अक्सर अपना समान खोते रहते हैं।

aspundir
25-09-2013, 07:46 PM
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संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान

मुंबई के उत्तरी किनारे पर स्थित इस बड़े संरक्षित क्षेत्र से गुजरते वक्त आपकी नस-नस में सनसनी गुजर जाना एक आम बात है। मगर इसे हरियाली से तरोजाता क्षेत्र की बड़ाई समझने भूल कतई न कीजिएगा।

aspundir
25-09-2013, 07:46 PM
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इलाके से गुजरने पर होंगे रूह कंपाने वाले एहसास
अगर इसी इलाके से आप रात के सुनसान विराने में गुजरे तो आपको ऐसे-ऐसे एहसास होंगे जो आपके रौंगटे खड़े करने के लिए काफी हैं। यहां रात को गुजरने पर आपको अनचाही आवाजों के साथ-साथ कुछ ऐसी चीजें भी देखने को मिल जाएंगी जो आपके हलक को सुखा सकती हैं।

aspundir
25-09-2013, 07:47 PM
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आम है डरावनी चीखों का सुनना, लिफ्ट मांगती हैं आत्माएं
सफेद साड़ी में लिपटी महिलाएं देखना, डरावनी चीखें सुनना और अतृप्त आत्माओं द्वारा गाड़ी में लिफ्ट मांगना कुछ ऐसे खास एहसास हैं जो यहां के लोगों को अक्सर होते रहते हैं। इस बात की गवाही यहां वे वनरक्षक भी देते हैं।

Dr.Shree Vijay
26-09-2013, 08:46 PM
मुम्बई में रहते हुए भी यह पता नही था की मुम्बई में इतनी खतरनाक जगहें भी हैं ?.....................

aspundir
01-10-2013, 06:54 PM
कहीं इस तांत्रिक के श्राप से तो जेल नहीं पहुंचे लालू



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वाराणसी/मिर्जापुर. अपनी बेबाक बयानबाजी और अल्ल्हड़ अंदाज की वजह से अलग पहचान रखने वाले लालू यादव जेल पहुंचते ही फिर सुर्ख़ियों में आ गए हैं। 28 जुलाई को ही लालू के गुरु ने मिट्टी में मिल जाने की भविष्यवाणी कर दी थी। लालू को मानों अंदाजा था कि उनका आने वाला समय ठीक नहीं है। इसलिए उन्होंने मां के दरबार में पहले मथ्था टेका, फिर पहुंच गए थे अपने धार्मिक गुरु के पास।

लालू के धार्मिक गुरु ने तीन घंटे तक उनके लिए तंत्र साधना की थी। लेकिन अचानक लालू के गुरु पगला बाबा नाराज हो गए और उन्होंने श्राप दिया कि तीन महीने के अंदर लालू यादव बदनाम होगा, जेल जाएगा। राजनीतिक छवि खराब होगी, कई दिनों तक परिवार से दूर रहना पड़ेगा।

aspundir
01-10-2013, 06:55 PM
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जानिए कौन है पगला बाबा...

भारतीय राजनीति के धुरंधर लालू प्रसाद यादव बुरे दौर से गुजर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसकी कल्पना उनके तांत्रिक गुरु विभूति नारायण उर्फ़ पगला बाबा ने पहले ही कर ली थी। 27 जुलाई को लालू मिर्जापुर में बाबा के आश्रम पहुंचते थे। बाबा उनके लिए तीन घंटे तक लगातार तंत्र क्रिया करते रहे। अनुष्ठान के बाद बाबा ने लालू को तप करने को कहा था। लालू से किसी बात को लेकर उनकी अनबन हो गई। फिर क्या था पगला बाबा ने अगले दिन लालू यादव को चीख-चीख कर श्राप दिया और बोले तू मिट्टी में मिल जाएगा।

aspundir
01-10-2013, 06:55 PM
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बाबा ने कहा लालू तुझे घमंड है कि तू बहुत बड़ा पुरोधा है। कुछ भी नहीं कर पाएगा और सितंबर या अक्टूबर तक तू मिट्टी में मिल जाएगा। बाबा ने यह भी कहा था कि औघड़ गुरु का श्राप बेकार नहीं जा सकता। बताया जाता है कि पगला बाबा ने करीब 10 साल पहले अमरावती गांव के पास अपनी छोटी सी कुटियां लगाई थी। बाबा ने कई भक्तों की समस्याओं का जब समाधान किया तो उनकी ख्याति भी बढ़ने लगी।

aspundir
01-10-2013, 06:55 PM
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बताया जाता है कि लालू प्रसाद यादव 2011 में जब परेशानियों से घिरे थे तब उन्होंने पगला बाबा के यहां पहुंचकर अनुष्ठान कराया था। लालू प्रसाद यादव अपने परिजनों के साथ भी पगला बाबा के यहां आ चुके हैं। पगला बाबा कहां से आए हैं, कौन हैं, यह कोई नहीं जानता। हां इतना जरुर है बाबा अपने को आसाम नरेश कहते हैं

aspundir
06-10-2013, 07:34 PM
मौत की रूह कंपा देने वाली घटनाएं

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"कोई नहीं बता सकता कि कल वह जीवित रहेगा या नहीं।"

महान विचारक यूरिपिडस द्वारा कही गई ये पंक्ति दुनिया का कड़वा सत्य है। दुनिया का कोई भी शख्स ये नहीं बता सकता कि कब उसकी ज़िंदगी के दिन पूरे हो जाएं। कुछ लोग लंबा जीते हैं, तो कुछ की उम्र कम होती है। लेकिन मौत अटल है।

दुनियाभर में हर मिनट तकरीबन 107 लोगों की मौत होती है। इस हिसाब से हर दिन 150,000 और साल में 56 मिलियन लोगों की जिंदगी खत्म हो जाती है। इनमें से ज्यादातार की मौत सामान्य आयु पूरी होने के बाद होती है, लेकिन कुछ बदनसीब ऐसे भी होते हैं, जो जिनकी मौत की वजह बेहद मामूली कारण होते हैं।

aspundir
06-10-2013, 07:39 PM
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चांद के प्रतिबिंब को आगोश में लेने से मौत -

ली पो (701-706) चीनी साहित्यिक इतिहास के मशहूर कवि थे। कविताओं के साथ-साथ वे अपने शराब प्रेम के कारण भी जाने जाते थे। यह भी कहा जाता है कि सभी महान कविताएं उन्होंने शराब के नशे में ही लिखीं। एक रात नाव में बैठे ली पो यांगची नदी में गिर गए और उनकी मौत हो गई। दरअसल शराब के नशे में ली नदी में बनने वाले चांद के प्रतिबिंब को असली समझ बैठे और उसे पकड़ने के चक्कर में नदी में डूब गए।

aspundir
06-10-2013, 07:40 PM
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दाढ़ी से मौत -

ऑस्ट्रिया के हैंस स्टेनिंगर अपनी बड़ी दाढ़ी के लिए दुनियाभर में मशहूर थे। उनकी दाढ़ी की लंबाई तकरीबन 4.5 फीट थी, जो उनकी मौत का कारण भी बनी। सन् 1567 में एक दिन उनके शहर में आग लगी और सुरक्षित बच निकलने की जल्दबाजी में उनकी मौत हो गई। दरअसल हैंस उस दिन अपनी दाढ़ी बांधना भूल गए थे। जब आग लगी तो वे घर से बाहर की ओर भागे और उन्होंने अपनी ही दाढ़ी पर पैर रख दिया। उनका संतुलन बिगड़ा और वे गिर गए। गर्दन टूटने से हैंस की मौत हो गई।

aspundir
06-10-2013, 07:40 PM
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अपनी ही जीभ काटने से मौत -

एलेन पिंकर्टन (1891-1884) को पिंकर्टन डिटेक्टिव एजेंसी शुरू करने के लिए जाना जाता है। एक दिन पैर फिसलने के दौरान वह उन्होंने अपनी ही जीभ काट ली और उसमें फैले इन्फेक्शन से उनकी मौत हो गई

aspundir
06-10-2013, 07:40 PM
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स्कार्फ से मौत -

'मदर ऑफ मॉर्डन डांस' इसाडोरा डंकन की मौत 1927 को अपने ही स्कार्फ की वजह से हो गई। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 15 सितंबर 1927 के दिन वह गाड़ी में बैठकर कहीं जा रही थीं। इस दौरान उनके पसंदीदा स्कार्फ का एक सिरा गाड़ी के पहिए में उलझ गया और दम घुंटने से उनकी मौत हो गई।

aspundir
06-10-2013, 07:41 PM
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लाइफ टीवी न्यूज के दौरान सुसाइड -

क्रिस्टीन चुबुक दुनिया की पहली और अकेली न्यूज रिपोर्टर हैं, जिन्होंने लाइव टेलीविजन ब्रॉडकास्ट के दौरान सुसाइड किया था। 15 जुलाई, 1974 के दिन लाइव ब्रॉडकास्ट के दौरान क्रिस्टीन ने कहा, "चैनल 40 की हमेशा सबसे तेज और ताजा खबरें देने की पॉलिसी के तहत अब आप देखेंगे एक लाइव सुसाइड।" इतना कहने के बाद क्रिस्टीन ने अपने सिर में रिवॉल्वर से गोली मार ली।

aspundir
06-10-2013, 07:42 PM
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रोबोट से मौत -

रॉबर्ट विलियम्स पहले ऐसे शख्स हैं, जिनकी मौत की वजह एक रोबोट था। 25 जनवरी, 1979 को विलियम फोर्ड मोटर कंपनी के फ्लैट रॉक (मिशिगन) स्थित कार प्लांट में एक पुर्जा लेने के स्टोरेज रैक पर चढ़ गए। रोबोट खराब होने के कारण यह स्थिति बनी थी, लेकिन अचानक रोबोट एक्टीवेट हो गया और उसकी मशीनी बांह विलियम के सिर में जा लगी। विलियम की मौके पर ही मौत हो गई।

aspundir
06-10-2013, 07:42 PM
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कैक्टस से मौत - 1982 को 27 वर्षीय डेविड ग्रंडमैन और उनके रूममेट ने रेगिस्तान में शूटगन से कैक्टस को उखाड़ने की योजना बनाई। शुरुआती प्रयास में उन्होंने एक छोटे कैक्टस को उखाड़ दिया, लेकिन बड़े कैक्टस के साथ की गई कोशिश हादसे में बदल गई। कैक्टस का एक बड़ा टुकड़ा डेविड के ऊपर आ गिरा और उनकी मौत हो गई

aspundir
06-10-2013, 07:43 PM
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बोतल के ढक्कन से मौत - अमेरिकन नाटककार टेनेसी विलियम कीमौत सन् 1983 में बोतल के ढक्कन से हो गई। दरअसल शराब पीते समय एक बोतल का ढक्कन उनके गले में फंस गया और उनकी मौत हो गई।

aspundir
06-10-2013, 07:43 PM
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स्टेज पर चुटकुला सुनाते हुए मौत -

डिक शॉन (1924-1987) एक कॉमेडियन थे, जिनकी मौत स्टेज पर चुटकुला सुनाते हुए हुई। उस दौरान वह नेताओं का मज़ाक उड़ा रहे थे। एक चुटकुला सुनाने के बाद फर्श पर लेट गए और उनकी मौत हो गई। शुरुआत में दर्शकों को लगा कि फर्श पर लेटना उनकी प्रस्तुति का हिस्सा है, लेकिन काफी देर तक कोई हलचल नहीं होने के बाद दर्शकों को अनहोनी का अहसास हुआ

aspundir
06-10-2013, 07:44 PM
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पैर का अंगूठा बना मौत का कारण -

चर्चित शराब व्यापारी जैक डेनियल ने 1911 की एक सुबह अपने घर में काम कर रहे थे। इस दौरान वह अपनी अलमारी खोलना चाहते थे, लेकिन वो खुल नहीं रही थी। जैक ने गुस्से में अलमारी को जोर से लात मारी और उनके अंगूठे में चोट लग गई। कुछ समय बाद यह चोट इन्फेक्शन में बदल गई और उनकी मौत हो गई।

aspundir
06-10-2013, 07:46 PM
दुनिया के सबसे प्राचीन रस्मोरिवाज



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दुनिया में मान्यताएं और परंपराओं का कोई भी अंत नहीं है। एशियाई से लेकर पश्चिमी देशों तक अजीबोगरीब मन्यताओं के अधीन होकर मनुष्य ने हजारों साल बिताएं हैं। इनमें से कुछ रस्मों के बारे में बात करना भी मना है, लेकिन इनका पालन सालो-साल आज भी किया जा रहा है। इन्हें खामोशी से, एकदम एकांत में निभाने की परंपरा है। कई बार यह बड़े संगठन में सामूहिक रूप से निभाई जाती है। कई बार यह अधिक हिंसात्मक और दर्दनाक भी होती है।

aspundir
06-10-2013, 07:47 PM
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मृत व्यक्ति की अस्थियां को खाने की परंपरा

यह जानकार आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है कि ब्राजील और वेनेजुएला के कुछ आदिवासी समुदाय अपने ही मृत रिश्तेदारों की अस्थियां खाते हैं। शव को जलाने के बाद बची हड्डियां और राख का सेवन किया जाता है। इसके लिए वह केले के सूप का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने से यह लोग अपनों के प्रति जुड़ाव और प्यार महसूस करते हैं

aspundir
06-10-2013, 07:48 PM
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नरभक्षण और शवभक्षण

भारत के वाराणासी में अघोरी बाबा रहते हैं। यह मृत व्यक्ति के शरीर के टुकड़े और मांस के लूथड़े खाने के लिए कुख्यात हैं। इनका मानना है कि ऐसा करना से इनके मन से मौत का डर हमेशा के लिए चला जाएगा। इसके अलावा इन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी।
हिंदू मान्यता के मुताबिक, पवित्र व्यक्ति, बच्चे, गर्भवती,कवारी लड़कियां, कुष्ठ रोग और सांप के काटे जाने वाले व्यक्ति का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। इन सभी को गंगा नदी में बहा दिया जाता है। अघोरी बाबा इन्हें वहां से निकाल अपने रस्म पूरी करते हैं

aspundir
06-10-2013, 07:49 PM
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बॉडी मॉडिफिकेशन

पपुआ न्यूगिनी कनिंनगारा जैसी डरावनी रस्म निभाते हैं। इसमें वह शरीर को खुरचकर डिजाइन बनाते हैं, जिससे यह निशान जीवन भर रह जाते हैं। वहीं, हॉज टम्बरान (आत्माओं का घर) नामक रस्म में किशारों को आत्माओं के घर अकेले दो महीने तक छोड़ दिया जाता है। इसके बाद उन्हें मर्द बनाने की परंपरा निभाई जाती है। उनके शरीर पर बांस के लकड़ी से छोटे खूनी निशान बनाए जाते हैं। यह निशान इस समुदाय में मर्दानगी की निशानी है।

aspundir
06-10-2013, 07:49 PM
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शिया मुस्लिम को शोक

इतिहास में कई सभ्यताओं में रक्तपात के उदाहरण मिलते हैं। दुनियाभर में शिया मुस्लिम पैगंबर साहब के पोते इमाम हुसैन की मौत में शोक व्यक्त करते हैं। हुसैन की मौत शिया मुस्लिम द्वारा 7वीं सदी में करबला के युद्ध में हुई थी। सभी शिया हुसैन की याद में शोक करते हुए कहते हैं, हम उस युद्ध में क्यों नहीं थे, अगर होते तो हुसैन को बचा लेते। सभी शिया खुद को पाप का भागीदार मानते हैं। वह अपने ऊपर अत्याचार करते हैं और खुद को लहूलुहान करते हैं।

aspundir
06-10-2013, 07:50 PM
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बंजी जंपिंग

पेसिफिक द्वीपसमूह पर स्थित बनलेप गांव में बड़ी अजीब रस्म निभाने की परंपरा है। कोल नामक सह परंपरा लैंड डायविंग या बंजी जंपिंग कहलाती है। ग्रामीण लोग ड्रम बजाते हैं, नाचते हैं और गाते हैं। वह लकड़ी के ऊंचे टॉवर से पैरों में रस्सी में बांधकर छलांग लगाते हैं। कई बार इसमें हड्डी टूटने का खतरा रहता है। इनकी मान्यता है कि जितनी ऊंचाई से यह कूदेंगे, भगवान उतना ही आशीर्वाद देंगे।

aspundir
06-10-2013, 07:50 PM
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जादू और वशीकरण

वोडून पश्चिमी अफ्रीका के हिस्से का एक धर्म है। इनकी एक रस्म के अनुसार, इस समुदाय के लोग जंगलों में तीन दिन तक बिना खाने और पानी के रहते हैं। यह यह आत्माओं से खुद को जोड़ते हैं। लोगों का मानना है कि उनका शरीर बेहोश हो जाता

aspundir
06-10-2013, 07:51 PM
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आकाश में दफन

तिब्बत के बौद्ध समुदाय के लोग पवित्र रस्म झाटोर हजारों सालों से निभाते आ रहे हैं। इसके स्काय बरिल भी कहते हैं। यह मृत शरीर को खुले आसमान में गिद्धों को दूसरे पक्षियों के लिए रख देते हैं। तिब्बत में मान्यता है कि इससे इंसान का पुर्नजन्म होगा। यहां मृत व्यक्ति के लाशा को टुकड़ों में काट कर सबसे ऊंची जगह फैला दिया जाता है।

aspundir
06-10-2013, 07:52 PM
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आग पर से चलना

मलेशिया के पेनांग में 9 देवताओं का त्यौहार मनाने की परंपरा है। यहां की धार्मि मान्यता के मुताबिक, आग के अंगारों पर चलने का चलन है। विश्वास है कि इससे यह आग से निकल कर पवित्र हो जाएंगे और बुरी शक्तिओं के बंधन से मुक्त हो जाएंगे।

aspundir
06-10-2013, 07:52 PM
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मृत शरीर के साथ नाचना

भले ही आप सोच कर थोड़ा हंसे, लेकिन यह सच है कि मेडागास्कर में आदमी के मरने के बाद त्यौहार जैसा माहौल होता है। फामाडिहाना यानी टर्निग ऑफ द बोन्स रस्म में लोग दफन शवों को फिर से निकाल उनकी यात्रा निकालते हैं। इस दौरान लोग गाते हैं, नाचते हैं। मस्जिद में कब्रों के नजदीक जोर से म्यूजिक बजाते हैं। इसी अजीबोगरीब परंपरा को दो साल से सात साल के बीच में किया जाता है।

aspundir
06-10-2013, 07:53 PM
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शरीर को भेदना

थाईलैंड के फुकेट में हर साल वेजेटैरियन फेस्टिवल मनाया जाता है। यह सबसे ज्यादा हिंसात्मक और दर्दनाक रस्म है। इसमें भक्त लोग चाकू, भाला, बंदूक, सुई, तलवारें और हुक जैसी चीजों से अपने शरीर को भेदते हैं। इनका विश्वास है कि भगवान उनकी रक्षा कर रहे हैं।

aspundir
06-10-2013, 08:21 PM
नवरात्र: विचित्र परंपरा से जुड़ा है वेश्याओं का नाम



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वाराणसी. पूरे देश में नवरात्री का महा पर्व शुरु हो चुका है। हर ओर तैयारियां जोरों पर हैं। लेकिन दुर्गा पूजा में दुर्गा प्रतिमाओं को लेकर एक विचित्र परंपरा सदियों से चली आ रही है। शक्ति की देवी की अराधना मुक्ति के लिए भी की जाती है। अनादि काल से ही काशी के मंदिर में संगीत संध्या, भगवान भोले नाथ का विवाह उत्सव और तमाम कार्यक्रमों में नगर वधुएं शिरकत करती हैं।

संगीतमयी साधना से प्रभु को प्रसन्न करने का तप करती हैं। ऐसे में मां की मिट्टी की मूर्ति बनाने से पहले मूर्तिकार एक अद्भुत परंपरा का निर्वहन करते हैं । नगर वधुओं के दरवाजे से मिट्टी मांग कर लाते हैं और प्रतिमा बनने वाली मिट्टियों में मिला दिया जाता हैं। सैकड़ों वर्षों से इस परंपरा का निर्वहन काशी के मूर्तिकारों के साथ नगर वधुएं भी करती आ रही हैं।

aspundir
06-10-2013, 08:23 PM
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क्या है अनोखी परंपरा के पीछे का कारण

पंडित ध्रुव पाण्डेय ने बताया कि नारी शक्ति का रुप होती है। मां भगवती के हर रुप की पूजा होती है। प्राचीन परंपरा रही है कि मंदिर निर्माण हो या फिर मूर्ति निर्माण नगर वधुओं के दर से मिट्टी जरूर लाई जाती है। ताकि भगवान उनको जिल्लत भरी जीवन से मुक्ति दें। काशी तो भोलेनाथ की नगरी हैं और उन्हें संगीत का राजा नटवर नागर भी कहा जाता है।

aspundir
06-10-2013, 08:24 PM
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प्राचीन काल से ही भगवान को प्रसन्न करने के लिए संगीत अराधना कर नगर वधुएं उत्सवों में नृत्य करती आई हैं। दुर्गा पूजा से पहले मूर्तिकार जब मां दुर्गा की मूर्ति बनाना शुरु करते हैं, उससे पहले नगर वधुओं के दरवाजे से मिट्टी मांगकर ले आते हैं। इतना ही नहीं पंडित ध्रुव पाण्डेय ने बताया कि मूर्तिकार सात जगहों की मिट्टी पहले लेकर आते थे। अब कुछ ही परंपरा बची है।

aspundir
06-10-2013, 08:28 PM
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कौन-कौन से वह सात जगह हैं जहां से मूर्तिकार मिट्टी लाते थे

वेश्यालय- उनकी मुक्ति के लिए मूर्तिकार उनके दरवाजे से मिट्टी लाते थे।
हाथीसाल- अनादिकाल में जहां हाथियों को बांधा जाता था। हाथीसाल के द्वार से मिट्टी लाई जाती थी ताकि वर्ष भर राज्य में शक्ति बरक़रार रहे।

घोड़ासाल- राज्य में जहां राजा के घोड़े बंधा रहा करते थे।
प्रमुख नदी- राज्य की प्रमुख नदियों की मिट्टी को मूर्ति बनाने में इस्तेमाल किया जाता था। क्योंकि भगवान या मां दुर्गा से यही कामना की जाती थी कि कभी अकाल न पड़े जल प्रलय न हो।

लोकल थाना- लोकल थाना वह जगह हुआ करती थी, जहां राजा रजवाड़ों के सिपाही सलाहकार लोगों की फरियाद लिखा करते थे।
राज्य का मुख्य चौराहा- वो स्थान जहां सबसे ज्यादा भीड़ भाड़ हुआ करती थी। ताकि मां की दृष्टि पूरे राज्य पर एक साथ बनी रहे।

राजद्वार- प्रजा अपने भगवान के रुप में राजा को पूजती हैं। मूर्तिकार राज द्वार के मिट्टी को आज भी लेकर आते हैं ताकि राजा प्रजा के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सके।

rajnish manga
06-10-2013, 09:56 PM
इतनी विचित्र घटनाओं, दुर्घटनाओं और इतने विचित्र रीति-रिवाजों का इतना विषद वर्णन हमें पढ़ने के लिये और कहाँ मिल सकता था? और सब से ऊपर जो चित्र आपने वर्णन के साथ दिये हैं, उनसे सूत्र की गुणवत्ता बढ़ गयी है. हमारा धन्यवाद स्वीकार करें, पुंडीर जी.

aspundir
07-10-2013, 06:29 PM
चीन की अनोखी किसिंग प्रतियोगिता

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चीन की हरकतों को दुनिया जानती है। यहां की सड़कों, मॉल्स और पब्लिक ट्रांसपोर्ट्स में हर दिन कुछ ऐसा होता है, जो इंटरनेट यूजर्स के बीच वायरल हो जाता है। पिछले महीने ही हेनान में एक सिरफिरा युवक बीच सड़क न्यूड मेडिटेशन करने बैठ गया था। कुछ ऐसा ही शंघाई की सड़क पर देखने को मिला था, जब एक जोड़ा चलती कार में सेक्स करने में मशगूल था। आस-पास से गुजरती गाड़ियों में बैठे लोग इनकी हरकतें देखते रहे, लेकिन ये कहां मानने वाले थे।

खैर, चीन में ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि सैकड़ों मामले हैं। यहां होने वाली प्रतियोगिताएं भी कम अजीब नहीं होती। पिछले साल 18 फरवरी को अन्हुई प्रांत के हेफेई में आयोजित एक प्रतियोगिता ने पूरी दुनिया के इंटरनेट यूजर्स का ध्यान खींचा था। दरअसल यह एक किसिंग प्रतियोगिता थी, जिसमें कपल्स को ज्यादा से ज्यादा समय तक एक-दूसरे को किस करना था।

वैलेंटाइन डे के कुछ दिन बाद आयोजित इस प्रतियोगिता में 63 जोड़ों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में जीतने वाले कपल को 1 कैरेट डायमंड रिंग दी जानी थी। साथ ही सबसे इनोवेटिव किस करने वाले जोड़े के लिए आईपैड2 का ईनाम रखा गया था। 2 घंटे 43 मिनट तक चुंबन करने वाला जोड़ा प्रतियोगिता में पहले स्थान पर रहा। बाकी जोड़ों को खाली हाथ ही घर लौटना पड़ा। वहीं कुछ प्रेमी ऐसे भी थे, जिन्हें अपनी गर्लफ्रेंड्स को अस्पताल पहुंचाना पड़ा क्योंकि चुंबन लेते हुए ज्यादा थकान से कई लड़कियां इस दौरान बेहोश हो गईं।

प्रतियोगिता के दौरान अधिकतर जोड़े बेहद अजीब मुद्रा में चुंबन करते दिखे, ताकि उन्हें मोस्ट क्रिएटिव किसिंग कपल का ईनाम मिल सके।

aspundir
07-10-2013, 06:29 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:29 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:30 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:30 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:31 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:31 PM
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aspundir
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aspundir
07-10-2013, 06:32 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:32 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:32 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:33 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:33 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:34 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:34 PM
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aspundir
07-10-2013, 06:45 PM
पति के सामने कपड़े नहीं उतार पाती थी पत्नी



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एक दौर था जब महिलाएं भारीभरकम लबादे ओढ़े रहती थीं। फिर चाहे वह कितनी ही भयानक गर्मी क्यों न हो। लेकिन आज मिनी स्कर्ट, शॉर्ट ड्रेसेज ने लड़कियों को समाज में एक बड़ा स्पेस दिया है। लेकिन समय-समय पर उन्हें निशाना भी बनाया जाता है।

आज अमेरिकी समाज में जितना खुलापन दिखाई देता है, लेकिन 1930 में ऐसा बिल्कुल नहीं था। 75 साल पहले महिलाओं की जिंदगी एकदम उलट थी। 1937 में लाइफ मैगजीन महिलाओं के कपड़े उतारने की तस्वीरों को प्रकाशित किया था। मैगजीन इस सप्ताह दोबारा से इन तस्वीरों को प्रकाशित किया है। इसमें महिलाएं अपने पति के साथ बिस्तर पर जाने से पहले ड्रेसेज की कितनी लेयर को उतारती हैं यह देखना भी अपने आप में हंसाने वाली चीज है।

aspundir
07-10-2013, 06:46 PM
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दरअसल उस समय में महिलाओं को कपड़े उतारने में देर हो जाती थी। इससे पुरुष खिन्न हो जाते थे और मामला तलाक तक पहुंच जाता था। ऐलन गिल्बर्ट एक मॉडल थी, जो उस दौर में मैनहट्टन स्कूल ऑफ अनड्रेसिंग चलाती थीं।

aspundir
07-10-2013, 06:46 PM
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वह महिलाओं को जल्दी और ठीक तरह से कपड़े उतारने की क्लासेस देती थीं। यह आर्टिकल डिसरोबिंग मेथेडोलॉजी के नाम से उस दौर में लाइफ मैगजीन में तस्वीरों के साथ प्रकाशित किया गया था।

aspundir
07-10-2013, 06:47 PM
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इस आर्टिकल में गिल्बर्ट ने बताया था कि कपड़े जल्दी और ठीक से न उतार पाने के कारण समाज में महिलाओं को काफी दुख का सामना करना पड़ रहा है। वे सभी यहां आकार सही तरीके से अनड्रेसिंग सीखने आती हैं। उन्होंने कहा था कि मेरा यह स्कूल अमेरिकी परिवारों के लिए वरदान की तरह है।

aspundir
07-10-2013, 06:47 PM
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आपको जानकार आश्चर्य होगा कि उस दौर में 48 पत्नियों ने क्लासेस में एडमिशन लेकर अपना दाम्पत्य जीवन बचाया था। उन्हांेने इस कोर्स को ज्वॉइन करने के लिए 30 डॉलर (आज के हिसाब से 1800 रुपए करीब) चुकाए थे।

aspundir
07-10-2013, 06:49 PM
इस देवी मंदिर में मटन-बाटी मिलता है प्रसाद



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गोरखपुर. पूर्वांचल में देवी मां का एक ऐसा मंदिर है जो धार्मिक आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास को भी बयां करता है। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को न केवल देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है बल्कि वे मंदिर के पास के इलाके में पिकनिक का भी आनंद उठाते हैं। जी हां, हम बात कह रहे हैं गोरखपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तरकुलहा देवी मंदिर की।

जनमान्यता है कि यहां आने वाले भक्त कभी देवी के दरबार से निराश नहीं जाते हैं। इस मंदिर से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का दिलचस्प इतिहास भी जुड़ा है। यहां भक्तों को प्रसाद के रूप में मटन-बाटी मिलता है। इतिहास और आस्था के केंद्र बिन्दू बने इस मंदिर की कहानी बहुत अनोखी है।

aspundir
07-10-2013, 07:01 PM
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यह बात 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम से पहले की है। इस इलाके में जंगल हुआ करता था। यहां से से गुर्रा नदी होकर गुजरती थी। इस जंगल में डुमरी रियासत के बंधू सिंह रहा करते थे। नदी के तट पर तरकुल (ताड़) के पेड़ के नीचे पिंडियां स्थापित कर वह देवी की उपासना किया करते थे।

उन दिनों हर भारतीय का खून अंग्रेजों के जुल्म की कहानियाँ सुन सुनकर खौल उठता था। अंग्रेजों के जुल्मो सितम की दास्तां बंधू सिंह तक भी पहुंची। उसके बाद से जब भी कोई अंग्रेज़ उस जंगल से गुजरा, बंधू सिंह ने उसका सर काटकर देवी मां के चरणों में समर्पित कर दिया करते थे।

aspundir
07-10-2013, 07:02 PM
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पहले तो अंग्रेज यही समझते रहे कि उनके सिपाही जंगल में जाकर लापता हो जा रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें भी पता लग गया कि अंग्रेज सिपाही बंधू सिंह के शिकार हो रहे हैं। अंग्रेजों ने उनकी तलाश में जंगल का कोना-कोना छान मारा लेकिन बंधू सिंह उनके हाथ न आये। इलाके के एक व्यवसायी की मुखबिरी के चलते बंधू सिंह अंग्रेजों के हत्थे चढ़ गए।

aspundir
07-10-2013, 07:02 PM
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अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया जहां उन्हें फांसी की सजा सुना दी गयी। बंधू सिंह को फांसी के लिए गोरखपुर शहर के अलीनगर ले जाया गया। बताया जाता है कि अंग्रेजों ने उन्हें 6 बार फांसी पर चढ़ाने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हुए। इसके बाद बंधू सिंह ने स्वयं देवी माँ का ध्यान करते हुए मन्नत मांगी कि माँ उन्हें जाने दें।

aspundir
07-10-2013, 07:03 PM
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कहते हैं कि बंधू सींह की प्रार्थना सुन ली और सातवीं बार में अंग्रेज उन्हें फांसी पर चढ़ाने में सफल हो गए। कहते हिन् कि उधर बंधू सिंह फांसी पर लटके और इधर जंगल में तरकुल का पेड़ बीच से टूट गया और उससे ख़ून की धारा निकलने लगी।

aspundir
07-10-2013, 07:03 PM
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तरकुलहा देवी के मंदिर में पूजा पाठ करने वाले जन्मेजय चतुर्वेदी बताते हैं कि समय के साथ यहां इलाके के लोगों ने मंदिर का निर्माण करा दिया। बंधू सिंह ने जो बलि की परम्परा शुरू की थी उसी का अनुसरण करते हुए अब यहां बकरे की बाली चढ़ाई जाती है। कुछ भक्त मन्नत पूरा हो जाने पर यहाँ घंटियां बाँध जाते हैं। यहाँ हर सोमवार और शुक्रवार को मेले जैसा दृश्य रहता है।

aspundir
07-10-2013, 07:03 PM
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मंदिर के पास ही वर्ष में एक बार मेला लगता है, इस मेला के आयोजाना समिति के सदस्यों में से एक ओम प्रकाश यादव बताते हैं कि बलि चढ़ाने के बाद लोग बकरे का मांस पका कर प्रसाद की रूप में ग्रहण करते थे। जिसे मिटटी की हांडी और गोबर के उपले पर पकाया जाता था। मिटटी की हांडी में पकने के कारण स्वाद और बढ़ जाता है।

aspundir
07-10-2013, 07:04 PM
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इसलिए अब मंदिर में दर्शन करने आने वाले लोग यहां बाटी और मीट का प्रसाद जरुर ग्रहण करते हैं। गोरखपुर-देवरिया हाईवे से मंदिर की तरफ मुड़ने पर दूर से धुंआ उठता दिखाई देता है, जो इस बात का परिचायक है कि लोग मिट्टी की हांडी में प्रसाद तैयार कर रहे हैं।

aspundir
07-10-2013, 07:04 PM
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मंदिर के सामने स्थित ऐतिहासिक तालाब

aspundir
07-10-2013, 07:05 PM
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हांडी में मटन पकाते भक्त।

aspundir
07-10-2013, 07:05 PM
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तरकुलहा देवी का मंदिर

aspundir
10-10-2013, 08:44 PM
सैकड़ों साल से नाराज ये चीनी रह रहे समुद्र पर तैरती बस्ती में



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चीन में कई सदियों पहले टांका कम्युनिटी के लोग वहां के शासकों के उत्पीडऩ से इतने नाराज हुए कि उन्होंने समुद्र पर ही रहना तय किया था। करीब 700 ईस्वी से लेकर आज तक ये लोग न तो धरती पर रहने को तैयार हैं और न ही आधुनिक जीवन अपनाने को तैयार हैं।
चीन के दक्षिण पूर्व क्षेत्र में करीब 7000 ये मछुवारों के परिवार अपने परंपरागत नावों के मकान में रह रहे हैं। ये घर समुद्र पर तैर रहे हैं। इन विचित्र घरों की एक पूरी बस्ती है। समुद्री मछुवारों की यह बस्ती फुजियान राज्य के दक्षिण पूर्व की निंगडे सिटी के पास समुद्र में तैर रही है।

aspundir
10-10-2013, 08:45 PM
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ये समुद्री मछुवारे टांका कहलाते हैं। टांका लोग नावों से बनाए घरों में रह रहे हैं इसलिए उन्हें जिप्सीज ऑफ द सी कहा जाता है। चीन में 700 ईस्वी में तांग राजवंश का शासन था। उस समय टांका जनजाति समूह के लोग युद्ध से बचने के लिए समुद्र में अपनी नावों में रहने लगे थे। तभी से इन्हें जिप्सीज ऑन द सी कहा जाने लगा और वह कभी-कभार ही जमीन पर आते हैं।

aspundir
10-10-2013, 08:45 PM
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टांका जनजाति के लोगों का पूरा जीवन पानी के घरों और मछलियों के शिकार में ही बीत जाता है। ये जमीन पर जाने से बचने के लिए न केवल फ्लोटिंग घर बल्कि बड़े-बड़े प्लेट फार्म भी लकड़ी से तैयार कर लिए हैं।

aspundir
10-10-2013, 08:46 PM
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चीन में कम्युनिस्ट शासन की स्थापना होने तक ये लोग न तो किनारे पर आते थे और न ही समुद्री किनारे बसे लोगों के साथ विवाह के रिश्ते बनाते थे। वे अपनी बोटों पर ही शादियां भी करते हैं। अभी हाल के दिनों में स्थानीय सरकार के प्रोत्साहन मिलने के बाद टांका समूह के कुछ लोग समुद्र किनारे घर जरूर बनाने लगे हैं, लेकिन अधिकांश लोग अपने परंपरागत तैरते हुए घरों में रहना पसंद कर रहे हैं।

aspundir
10-10-2013, 08:46 PM
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aspundir
10-10-2013, 08:47 PM
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aspundir
10-10-2013, 08:47 PM
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Dr.Shree Vijay
10-10-2013, 09:53 PM
वाकई बडी ही अजीबोगरीब खबरें हें.....................

aspundir
25-10-2013, 09:21 PM
इस चमत्कारी बाबा ने कांग्रेस को 'चुनाव चिह्न' दे इंदिरा को संकट से उबारा!

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विचित्रता के लिए मशहूर भारत को साधु-संतों की भूमि के रूप में जाना जाता है। अपनी साधना, अलौकिक शक्ति और चमत्कार के लिए कई संत पूरी दुनिया में मशहूर हैं। इनमें देवराहा बाबा का नाम सम्मान से लिया जाता है।

जनश्रुति के मुताबिक, देश में आपातकाल के बाद हुए चुनावों में जब इंदिरा गांधी हार गईं तो वह भी देवरहा बाबा से आशीर्वाद लेने गईं। उन्होंने अपने हाथ के पंजे से उन्हें आशीर्वाद दिया। वहां से वापस आने के बाद इंदिरा ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा निर्धारित कर दिया।

इसके बाद 1980 में इंदिरा के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया और वह देश की प्रधानमंत्री बनीं। वहीं, यह भी मान्यता है कि इन्दिरा गांधी आपातकाल के समय कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती से आर्शीवाद लेने गयीं थी। वहां उन्होंने अपना दाहिना हाथ उठाकर आर्शीवाद दिया और हाथ का पंजा पार्टी का चुनाव निशान बनाने को कहा।

बताते चलें कि बाबा यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले थे। मंगलवार, 19 जून सन् 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपना प्राण त्यागने वाले इस बाबा के जन्म के बारे में संशय है। कहा जाता है कि वह करीब 250 साल तक जिन्दा थे। (बाबा के संपूर्ण जीवन के बारे में अलग-अलग मत है, कुछ लोग उनका जीवन 900 साल तो कुछ लोग 500 साल मानते हैं।)

aspundir
25-10-2013, 09:22 PM
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हिमालय में अनेक वर्षों तक अज्ञात रूप में रहकर उन्होंने साधना की। वहां से वे देवरिया पहुंचे। वहां निवास करने के कारण उनका नाम देवरहा बाबा पड़ा। उन्होंने देवरिया के सलेमपुर तहसील में मइल से लगभग एक किमी की दूरी पर सरयू नदी के किनारे एक मचान पर अपना आसन डाल कर धर्म-कर्म करने लगे।

aspundir
25-10-2013, 09:23 PM
http://i2.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2013/10/23/4989_6334_2106_shree_devraha_baba.jpg


अवतारी व्यक्ति

वह अवतारी व्यक्ति थे। उनका जीवन बहुत सरल और सौम्य था। वह फोटो कैमरे और टीवी जैसी चीजों को देख अचंभित रह जाते थे। वह उनसे अपनी फोटो लेने के लिए कहते थे, लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि उनका फोटो नहीं बनता था। वह नहीं चाहते तो रिवाल्वर से गोली नहीं चलती थी। उनका निर्जीव वस्तुओं पर नियंत्रण था।

aspundir
25-10-2013, 09:24 PM
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कुंभ के मेले में करते थे प्रवास

कुंभ मेले के दौरान बाबा अलग-अलग जगहों पर प्रवास किया करते थे। गंगा-यमुना के तट पर उनका मंच लगता था। वह 1-1 महीने दोनों के किनारे रहते थे। जमीन से कई फीट ऊंचे स्थान पर बैठकर वह लोगों को आशीर्वाद दिया करते थे। जनश्रूति के मुताबिक, वह खेचरी मुद्रा की वजह से आवागमन से कहीं भी कभी भी चले जाते थे। उनके आस-पास उगने वाले बबूल के पेड़ों में कांटे नहीं होते थे। चारों तरफ सुंगध ही सुंगध होता था।

aspundir
25-10-2013, 09:24 PM
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मन की बातें जान लेते थे बाबा

बाबा सभी के मन की बातें जान लेते थे। उन्होंने पूरे जीवन कुछ नहीं खाया। सिर्फ दूध और शहद पीकर जीते थे। श्रीफल का रस उन्हें बहुत पसंद था।

aspundir
25-10-2013, 09:25 PM
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सेलीब्रिटी भी झुकाते थे सिर

देवराहा बाबा के भक्तों में कई बड़े लोगों का नाम शुमार है। डॉ राजेंद्र प्रसाद, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, लालू प्रसाद, मुलायम सिंह और कमलापति त्रिपाठी जैसे राजनेता हर समस्या के समाधान के लिए बाबा की शरण में आते थे।

aspundir
25-10-2013, 09:25 PM
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बिना सांस लिए रह जाते थे पानी में

मार्कण्डेय सिंह के मुताबिक, वह किसी महिला के गर्भ से नहीं बल्कि पानी से अवतरित हुए थे। यमुना के किनारे वृन्दावन में वह 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवारों को वह पल भर में काबू कर लेते थे।

aspundir
25-10-2013, 09:26 PM
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जीवन भर रहे निर्वस्त्र

देवरहा बाबा के साथ करीब 10 सालों तक रहने वाले मार्कण्डेय महराज के मुताबिक, पूरे जीवन निर्वस्त्र रहने वाले बाबा धरती से 12 फुट उंचे लकड़ी से बने बॉक्स में रहते थे। वह नीचे केवल सुबह के समय स्नान करने के लिए आते थे। इनके भक्त पूरी दुनिया में फैले हैं। राजनेता, फिल्मी सितारे और बड़े-बड़े अधिकारी उनके शरण में रहते थे।

aspundir
03-11-2013, 01:08 PM
एंटोमोफैगी
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इंसानों की आबादी 7 अरब का आंकड़ा पार कर चुकी है। अगर जनसंख्या का बढ़ना इसी तरह जारी रहा तो जल्द ही वह समय आएगा, जब हर भूखे मुंह के लिए निवाला जुटा पाना मुश्किल होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक निकट भविष्य में इंसानों के पास कीड़े-मकौड़े खाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाएगा।

खबरों के अनुसार मॉन्ट्रियल स्थित मैकगिल यूनिवर्सिटी के छात्रों के एक समूह ने इस साल अनोखे प्रोजेक्ट के लिए हल्ट पुरस्कार जीता था। उन्हें कीड़े-मकौड़ों से प्रोटीन युक्त आटा तैयार करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। बतौर पुरस्कार राशि उन्हें 1 मिलियन डॉलर की सहायता राशि दी गई है, ताकि वे अपने रिसर्च और प्रयोगों को आगे बढ़ा सकें।

30 सितंबर को एबीसी न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में इस ग्रुप के मुख्य स्टूडेंट रिसर्चर मोहम्मद एशोर ने बताया कि अब उनकी टीम खाद्य पदार्थ के लिए टिड्डे पर एक्सपेरीमेंट करेंगे।

गौरतलब है कि इससे पहले भी यूनाइटेड नेशन की फूंड एंड एग्रीकच्लर ऑर्गेनाशजेशन ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसका शीर्षक था, 'खाने योग्य कीड़े: भविष्य का खाद्य विकल्प।' इस रिपोर्ट में खाने योग्य कीड़े-मकौड़ों के बारे में विस्तृत विवरण है। आपको बता दें कि कीटों को खाने की इस टर्म को विज्ञान की भाषा में 'एंटोमोफैगी' कहा जाता है।

aspundir
03-11-2013, 01:09 PM
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मोपेन कैटरपिलर्स (mopane caterpillar) - पतंगे (Moth) का यह अविकसित रूप अफ्रीका के दक्षिणी हिस्सों में काफी पाया जाता है। इस इलाके में मोपेन इल्ली का पालन लाखों डॉलर्स की इंडस्ट्री के तौर पर विकसित हो चुका है। यहां महिलाएं और बच्चे इस कीड़े की अविकसित इल्ली को इकट्ठा करने का काम करते हैं।

आमतौर पर इल्ली को नमक के पानी में उबाला जाता है और फिर धूप में सुखाया जाता है। ऐसा करने से इन्हें बिना रेफ्रिजेशन के लंबे समय तक सुरक्षित रखे जा सकता है। यहां की ज्यादातर आबादी इन्हे भोजन के तौर पर इस्तेमाल में लाती है। जहां एक ओर गाय के 100 ग्राम मांस में 6 मिलीग्राम आयरन होता है, वहीं मोपेन कैटरपिलर के 100 ग्राम में 31 मिलीग्राम आयरन पाया जाता है। ये पोटेशियम, सोडियम, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक, मैगनीज और कॉपर का भी अच्छा स्रोत है।

aspundir
03-11-2013, 01:09 PM
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टिड्डा (chapulines) - यह स्फेनेरियम प्रजाति का टिड्डा है। मेक्सिको में इसे बड़े चाव से खाया जाता है। आमतौर पर इन्हें भूनकर लहसुन की चटनी, नींबू के रस और नमक से साथ खाया जाता है। गौरतलब है कि टिड्डों में प्रोटीन की काफी मात्रा होती है। यह भी कहा जाता है कि टिड्डे में 70 प्रतिशत से ज्यादा प्रोटीन की मात्रा होती है।

aspundir
03-11-2013, 01:10 PM
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Witchetty grub
कीड़े के लकड़ी खाने वाली सफेद इल्ली को ऑस्ट्रेलिया में इस नाम से पुकारा जाता है। कच्चा खाने पर इसका स्वाद बादाम की तरह होता है। गर्म कोयले पर हल्का भूनने पर इसकी त्वचा कुरकुरी हो जाती है और इसका स्वाद भूने गए चिकन की तरह होता है। यह मिट्टी के अंदर विकसित होते हैं और पेड़ों की जड़ों को खाकर अपना पोषण करते हैं।

aspundir
03-11-2013, 01:10 PM
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दीमक (Termite)
आप घर के फर्नीचर को नुकसान पहुंचाती दीमक से छुटकारा पाना चाहते हैं? तो दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के लोगों का अनुसरण कीजिए। आप दीमक को फ्राय करके, सुखाकर और उबालकर खा सकते हैं। दीमक में 38 फीसदी प्रोटीन होता है और इसकी वेनेजुएला प्रजाति में प्रोटीन की 64 प्रतिशत मात्रा होती है। दीमक में आयरन, कैल्शियम और अमीनो एसिड भी होता है।

aspundir
03-11-2013, 01:11 PM
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अफ्रीकी घुन (Rhynchophorus ferrugineus)
तकरीबन 4 इंच लंबी (10 सेंमी) और 5 दो इंच (5 सेमी) चौड़ी घुन कई अफ्रीकी जनजातियों का पसंदीदा भोजन है। इन्हें फ्राई करने के अलावा वे इसे कच्चा भी खाते हैं। जरनल ऑफ इन्सेक्ट साइंस की की 2011 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीकी घुन पोटेशियम, जिंक, आयरन और फास्फोरस जैसे कई पोषक तत्वों का स्रोत है।

aspundir
03-11-2013, 01:11 PM
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खटमल (stink bugs)
इनका नाम सुनकर भले ही इन्हें खाने का ख्याल ना आए, लेकिन ये कई पोषक तत्वों को स्रोत हैं। एशिया, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के कई हिस्सों में इन्हें खाया जाता है। इनमें प्रोटीन, आयरन, पोटेशियम और फास्फोरस की अच्छी मात्रा पाई जाती है। चूंकि इस कीट से काफी दुर्गंध आती है इसलिए इन्हें कच्चा नहीं खाया जाता। सिर का हिस्सा हटाकर इन्हें भूना जाता है या धूप में सुखाया जाता है। इसे पानी में उबालकर भी खाया जा सकता है। उबालने से इसका हानिकारक प्रभाव खत्म हो जाता है और बचे हुए पानी को पेस्टीसाइड के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है

aspundir
03-11-2013, 01:12 PM
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गुबरैले का लार्वा (Mealworm)
गुबरैले की इल्ली इकलौता ऐसा कीट है जो पश्चिमी दुनिया में खाया जाता है। नीदरलैंड में इन्हें इंसानों और जानवरों के खाने के लिए ही विकसित किया जाता है। इनसे कॉपर, सोडियम, पोटेशियम, आयरन, जिंक और सेलेनियम जैसे पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।

aspundir
16-11-2013, 03:40 PM
550 साल पुराना शव गांव के लोग जिसकी करते हैं पूजा

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चंडीगढ़। हिमाचल में लाहुल स्पिती के गीयू गांव में 550 साल पुरानी मृत देह ममी पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और अन्य पड़ोसी राज्यों व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। सालाना यहां पर देश विदेश के हजारों पर्यटक इस मृत देह को देखने आते हैं, लेकिन आजकल इस मृत देह के बाल और नाखून बढऩे की रफ्तार कम हो गई है।
इस मृत देह की देख-भाल मिश्र में रखी गई ममीज़ की तर्ज पर होनी चाहिए यदि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में इस पर्यटन स्थल का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। अभी तक यही माना जाता था कि ममी के बाल और नाखुन निरंतर बढ़ते हैं लेकिन गीयू गांव के लोगों के मुताबिक अब ममी के बाल और नाखुन बढऩे कम हो गए हैं। बाल कम होने के कारण ममी का सिर गंजा होने लगा है। कौन है यह मृत देह मम्मी और कहां मिली थी?

aspundir
16-11-2013, 03:41 PM
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हिमाचल के लाहुल स्पिती के गीयू गांव में यह मृत देह आइटीबी के जवानों को खुदाई के दौरान बर्फ में दबी हुई मिली थी। शुरू में इस ममी को गीयू गांव के लोगों ने मिट्टी के एक घर में रखा था।वर्ष 1975 में जब इस क्षेत्र में भूकंप आया तो यह क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसे देखते हुए इस धरोहर को सुरक्षित करने के लिए सरकार ने योजना बनाई।देखरेख के आभाव में अब ऐसा नहीं हो रहा है।

aspundir
16-11-2013, 03:41 PM
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मिश्र में ममी को कोफिन में से निकाल कर उनकी सफाई की जाती है ताकि वे आने वाले सालों में सुरक्षित रहें लेकिन यहां ऐसा नहीं किया जाता।

aspundir
16-11-2013, 03:42 PM
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ममी को रखने के लिए शीशे का एक कैबिन बनाया गया जिसमें इसे रखा गया। कैबिन में रखे गए इस ममी के बाल और नाखून बढ़ते रहते हैं।

aspundir
16-11-2013, 03:42 PM
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इस ममी की देखभाल गांव में रहने वाले परिवार बारी-बारी से करते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को वे ममी के बारे में जाकारी देते है। ऐसी मान्यता है कि करीब 550 वर्ष पूर्व यह मृत देह ममी एक संत था। गीयू गांव में इस दौरान बिछुओं का बहुत प्रकोप हो गया। इस प्रकोप से गांव को बचाने के लिए इस संत ने ध्यान लगाने के लिए लोगों से उसे जमीन में दफन करने के लिए कहा।

aspundir
16-11-2013, 03:43 PM
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जब इस संत को जमीन में दफन किया गया तो इसके प्राण निकलते ही गांव में इंद्रधनुष निकला और गांव बिछुओं से मुक्त हो गया।

aspundir
16-11-2013, 03:45 PM
यहां बकरों की टांगों को पहले चीर दिया जाता है, फिर भरा जाता है जहर!

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चंडीगढ़। हिमाचल प्रदेश का मलाणा एक ऐसा जगह है, जहां के वाशिंदों के बारे में विद्वानों का मत है कि ये लोग सिकन्दर के सैनिकों के वंशज हैं। अपने कथन की पुष्टि में ये विद्वान मलाणा के जमलू देवता के मंदिर के बाहर लकड़ी की दीवारों पर हुई नक्काशी का प्रमाण देते हैं, जिसमें युद्धरत सैनिकों को एक विशेष पोशाक और हथियारों से लैस दिखाया गया है। मलाणा वासियों की बोली भी बडी विचित्र है और ऐसी मान्यता है कि यह बोली ग्रीक भाषा से कुछ मिलती-जुलती है। इसके अलावा मलाणा वासियों के नैन-नक्श भी ग्रीक के मूल लोगों की तरह तीखे हैं। चारों ओर से ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा और मलाणा नदी के मुहाने पर बसा मलाणा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में समुद्र तल से 8640 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

aspundir
16-11-2013, 03:46 PM
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मलाणा से जुडा एक अजूबा यह है कि यहां विश्व की सबसे पुरानी लोकतान्त्रिक व्यवस्था मौजूद है। भारतीय गणराज्य का एक अंग होते हुए भी मलाणा की अपनी एक अलग न्यायपालिका और कार्यपालिका है। भारत सरकार के कानून यहां नहीं चलते। इस गांव की अपनी अलग संसद है, जिसके दो सदन हैं- ज्येष्ठांग (ऊपरी सदन) और कनिष्ठांग (निचला सदन)। ज्येष्ठांग में कुल 11 सदस्य होते हैं। जिनमें तीन सदस्य कारदार, गुर व पुजारी स्थायी सदस्य होते हैं। शेष आठ सदस्यों को गांववासी मतदान द्वारा चुनते हैं। इसी तरह कनिष्ठांग सदन में गांव के प्रत्येक घर से एक सदस्य को प्रतिनिधित्व दिया जाता है। यह सदस्य घर का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति होता है।

aspundir
16-11-2013, 03:46 PM
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दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही सदनों में गांव की किसी महिला को प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता और इनमें पुरुषों का ही वर्चस्व होता है। अगर ज्येष्ठांग सदन के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाये तो पूरे ज्येष्ठांग सदन को पुनर्गठित किया जाता है। इस संसद में घरेलु झगडे, जमीन-जायदाद के विवाद, हत्या, चोरी और बलात्कार जैसे मामलों पर सुनवाई होती है और दोषी को सजा सुनाई जाती है। संसद भवन के रूप में यहां एक ऐतिहासिक चौपाल है जिसके ऊपर ज्येष्ठांग सदन के 11 सदस्य और नीचे कनिष्ठांग सदन के सदस्य बैठते हैं। अगर संसद किसी विवाद का निपटारा करने में विफल रहती है तो मामला स्थानीय देवता जमलू के सुपुर्द कर दिया जाता है और इस मामले में देवता का निर्णय अन्तिम व मान्य होता है।

aspundir
16-11-2013, 03:46 PM
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जमलू देवता द्वारा फैसला सुनाए जाने की प्रक्रिया भी बडी विचित्र है। इस प्रक्रिया के तहत दोनों पक्षों को एक-एक बकरा लाने को कहा जाता है। फिर दोनों बकरों की टांग चीरकर उसमें जहर भर दिया जाता है। जिसका बकरा पहले मर जाये, वही पक्ष दोषी माना जाता है और उसे सजा कबूल करनी पड़ती है।

aspundir
16-11-2013, 03:47 PM
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देवता के निर्णय को चुनौती देने की हिम्मत कोई नहीं करता और न ही देवता के फैसले के खिलाफ कोई अदालत में जाने की जुर्रत करता है। अगर कोई देवता के फैसले का अपमान करे तो मलाणावासी उसका सामाजिक बहिष्कार कर देते हैं। यहां आने वाले आगन्तुक को देवता की तरफ से दो समय की खाद्य सामग्री व रहने का स्थान दिया जाता है। इस कार्य के लिये चार आदमी तैनात होते हैं, जिन्हें ‘कठियाला’ कहा जाता है।

aspundir
17-11-2013, 08:21 PM
सफेद साड़ी वाली लड़की करती है 'इंतजार'

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रांची। झारखंड की राजधानी रांची को लौहनगरी जमशेदपुर से जोडऩे वाली सड़क यानी नेशनल हाइवे 33 को अब दुनिया जानने लगी है क्योंकि टीम इंडिया के कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी की आराध्य देवी दिवड़ी माता का मंदिर इसी सड़क के किनारे है। पर, इस सड़क के बारे में एक और खास बात है जो शायद बाहर के लोग नहीं जानते।
यह सड़क एक ऐसी घाटी से होकर गुजरती है, जहां होने वाले सड़क हादसों में मरने वालों का अनुपात देश भर में सबसे अधिक है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इन मौतों की वजह वहां बसने वाली प्रेतात्माएं हैं जो रात में अक्सर दिखाई देती हैं। अचानक अजीबोगरीब लोगों को देखकर वाहन चलानेवालों का ध्यान अक्सर भटक जाता है, और हादसे हो जाते हैं।
इन हादसों से निपटने के लिए धार्मिक से लेकर प्रशासनिक तक कई उपाय किए गए पर कोई समाधान नहीं हो सका है।

aspundir
17-11-2013, 08:21 PM
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ईश्वर से प्रार्थना और सुरक्षित ड्राइविंग भी झारखंड के रांची-जमशेदपुर नेशनल हाईवे-33 पर बहुतों की जिंदगियां बचाने में नाकामयाब साबित हुई हैं। सुरक्षित यात्रा के लिए जमशेदपुर से रांची की तरफ जाने वाले लोग वहां के वनदेवी मंदिर में बड़ी ही श्रद्धा के साथ रुकते हैं फिर आगे बढ़ते हैं, वहीं रांची से जमशेदपुर की ओर जाने वाले लोग बुंडू के पास तैमाड़ा घाटी में बने हनुमान व काली मंदिर के पास रुके बिना आगे नहीं बढ़ते।

aspundir
17-11-2013, 08:21 PM
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यह धार्मिक श्रद्धा वहां अब तक किसी के काम नहीं आई है और आश्चर्यजनक रूप से बड़ी संख्या में लोग बुंडू और तमाड़ के बीच सड़क दुर्घटनाओं में मारे जा चुके हैं। यात्री बहुत जल्दी में हों तो भी दानस्वरूप मंदिर की ओर कुछ सिक्के फेंकते और सुरक्षित यात्रा के लिए भगवान से प्रार्थना करते हुए आगे बढ़ जाते हैं।

aspundir
17-11-2013, 08:22 PM
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सूर्यास्त के बाद उस रास्ते से गुजरने वाले लोग जल्द-से-जल्द निकलना निकल जाना चाहते है क्योंकि वहां माओवादियों का खौफ सर चढ़ कर बोलता है। साल 2008 में उग्रवादियों ने इसी रास्ते से जा रहे कैशवैन से दिन-दहाड़े 5 करोड़ लूट लिए थे।पुलिस का कहना है कि यह देश में अकेली ऐसी जगह है जहां होने वाली दुर्घनाओं में जानलेवा दुर्घटनाओं की संख्या अधिक है। राज्य के भी और किसी हाइवे ने इतनी जानें नहीं ली हैं।

aspundir
17-11-2013, 08:23 PM
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करीब चार दशक पहले घाटियों के बीच यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए ही तैमारा घाटी में हनुमान और मांग काली का मंदिर बनवाया गया था। स्थानीय पुलिसकर्मियों का कहना है कि इस घाटी में प्रेतों का बसेरा है और ज्यादातर जानलेवा दुर्घटनाओं के पीछे कहीं न कहीं एक प्रेतात्मा का ही हाथ है। इस 40 किलोमीटर के बीच जितने भी मंदिर हैं, उनके पुजारी इस बात को मानते हैं।

aspundir
19-11-2013, 04:46 PM
एक ऐसी जगह जहां एक लड़की के साथ कई पति बनाते हैं शारीरिक संबंध

/किन्नौर। आमतौर पर विवाह चार प्रकार के होते हैं। एकल विवाह, बहु पत्नी विवाह, बहु पति विवाह व समूह विवाह। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में आज भी बहु पति विवाह का चलन है। यहां की महिलाओं के एक से अधिक पति होते हैं। किन्नौर जिले में एक ऐसा स्थान भी है जहां पत्नी को पति के मरणोपरांत उसका वियोग सहने का मौका नहीं दिया जाता है।

aspundir
19-11-2013, 04:47 PM
किन्नौर के इस क्षेत्र में एक ही स्त्री से एक ही परिवार के तीन चार भाई शादी करते हैं। यहाँ जब कोई भाई अपनी पत्नी के साथ सहवास कर रहा होता है तो वह कमरे के बाहर लगी खूंटे पर अपनी टोपी टांग जाता है ताकि अन्य भाइयों को यह पता चल जाए कि दूसरा भाई अभी पत्नी के साथ सम्भोग कर रहा है।
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यदि यहां के लोगों की माने तो उनका कहा है कि यह प्रथा इसलिए चली आ रही है क्योंकि अज्ञातवास के दौरान पांचों पांडवों ने यही समय बिताया था। सर्दी में बर्फबारी की वजह से यहां की महिलाएं और पुरुष घर में ही रहते हैं क्योंकि बर्फबारी की वजह से कोई काम नहीं रहता है। इन दिनों इन लोगों के पास बस मौज मस्ती में दिन व रात गुजारने होते हैं इसके अलावा और कोई काम नहीं होता है। महिलाएं सारा दिन पुरुषों के साथ गप्पें मारती हैं और पहेलियां बुझाती हैं। फिर रात वहीं गुजारती हैं। इस प्रथा को घोटुल प्रथा कहते हैं। घोटुल घरों में युवक-युवतियां आपस में शारीरिक संबंध भी कायम करते हैं।

aspundir
19-11-2013, 04:48 PM
भारत देश पुरुष प्रधान देश माना जाता है लेकिन यहां पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं घर की मुखिया होती हैं। इनका काम होता है पति व संतानों की सही ढंग से देखभाल करना। परिवार की सबसे बड़ी स्त्री को गोयने कहा जाता है, जिसके पास घर के भंडार की चाबियां रहती हैं। उसके सबसे बडे पति को गोर्तेस,कहते हैं यानी घर का स्वामी, जिसकी आज्ञा से पूरा परिवार चलता है।
यहां की एक और बात खास होती है वह यह कि यहां खाने के साथ शराब अनिवार्य होती है। यदि पुरुषों का मन दुखी होता है तो यह शराब और तम्बाकू का सेवन करते हैं वहीं जब महिलाओं को किसी बात को लेकर दुःख होता है तो वह गीत गाती हैं।

aspundir
30-11-2013, 10:51 PM
अपनी ही कब्र में लेट, ये बाबा पीता है हजारों सिगरेट!

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लखनऊ. सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है लेकिन एक शख्स ऐसा है जो मौत के बाद भी अपनी कब्र में लेटा रोज एक साथ कई सिगरेट पी रहा है। लोग आते हैं और उसके सम्मान में उसकी कब्र के चारों ओर जलती सिगरेट लगा कर चाले जाते हैं। बदले में यह शख्स इन लोगों की मुरादें पूरी करता है। इन सिगरेटों के धुए में धर्म जाति और मजहब की सारी दीवारें धुंआ हो जाती हैं।

लखनऊ शहर से बाहर हरदोई रोड से कुछ दूरी पर मूसाबाग के खंडहर स्थित है। इन्हीं खंडहारों के पीछे स्थित है हजरत सैयद इमाम अली शाह की दरगाह। इसी दरगाह से थोड़ा आगे खेतों के बीच एक मजार है। सफ़ेद रंग की यह मजार ऐसे तो तन्हा नजर आती है लेकिन यहां बृहस्पतिवार को मेले जैसा माहौल रहता है।

भक्त यहां सिगरेट और शराब लेकर आते हैं और इस मजार पर चढ़ाते हैं। मान्यता है कि कैप्टेन वेल्स या सिगरेट वाले बाबा इससे प्रसन्न होते हैं। बाबा से मुरादें मांगने वाले उन्हें वैसे तो कैपस्टन सिगरेट चढ़ाते हैं और जब मुरादें पूरी हो जाए तो महंगी सिगरेट चढ़ा जाते हैं।

aspundir
30-11-2013, 10:52 PM
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यहां सिगरेट बाबा की मजार पर छोटेलाल साफ़ सफाई करते हैं। उनका हाल ही में आंखों का ऑपरेशन हुआ है। उनसे जब यहां साफ़ सफाई करने का कारण पूछा तो कहने लगे सिगरेट बाबा की सेवा कर रहे हैं।

aspundir
30-11-2013, 10:53 PM
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वह बड़े ही दार्शनिक अंदाज में कहते हैं कि अपने देश की धरती तरह-तरह की मान्यताओं रिवाजों और आस्था का केंद्र है। भले ही राजनेता वोट बैंक के लिए धर्म के नाम पर बांट दें लेकिन जब आस्था का सवाल आता है तो धर्म और जाति की दीवारें टूट कर बिखर जाती हैं। सामने रह जाता है तो केवल साधक और उसका आराध्य।

aspundir
30-11-2013, 10:53 PM
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यहां एक क्रिस्चियन की मजार की देखभाल मुसलमान परिवार करता है और उसके भक्तों में हिन्दू मुस्लिम दोनों शामिल हैं। इस शख्स का नाम है कैप्टेन एफ वेल्स जो कि अंग्रेजी सेना के सिपहसालार थे। कौमी एकता की जिन्दा मिसाल हैं सिगरेट वाले बाबा। कैप्टेन वेल्स कब सिगरेट वाले बाबा बने या यहां क्यों सिगरेट और शराब चढ़ाई जाती किसी को इस बारे में ठीक से नहीं मालूम।

aspundir
30-11-2013, 10:54 PM
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कहा जाता है 1857 में अंग्रेजी सेना मूसाबाग़ कैप्टेन वेल्स के नेतृत्व में हजरत सैयद इमाम अली शाह की दरगाह तोड़ने आई थी। लेकिन कैप्टेन अपने इरादों को अंजाम नहीं दे पाया। छोटेलाल से पूछा तो बस इतना बता पाया कि अंग्रेज़ मूसाबाग़ की हवेली को अपने हिसाब से बनवाना चाहते थे और उसके लिए यहां मौजूद मजार उन्हें हटानी थी जो उनके रास्ते में पड़ रही थी।

aspundir
30-11-2013, 10:54 PM
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बताते हैं कि मजदूरों ने धार्मिक स्थल को तोड़ने से मना कर दिया तो कैप्टेन वेल्स खुद ही हजरत सैयद इमाम अली शाह की मजार तोड़ने चला गया। इससे पहले की वह कुछ कर पाता मधुमक्खियों ने उस पर हमला बोल दिया। कैप्टेन वेल्स मरणासन्न हो गए तो उन्होंने बाबा की मजार की तरफ मुंह करके माफ़ी मांगी। कहा जाता है कि इसके बाद बाबा ने अपने भक्तों के सपने में आकर कैप्टेन वेल्स की मजार बनवाने के लिए कहा। चूंकि कैप्टेन वेल्स सिगरेट और शराब बहुत पसंद थी, भक्त उन्हें आज भी सिगरेट और शराब का चढ़ावा चढाते हैं। लोगों की मान्यता है कि सिगरेट वाले बाबा सिगरेट आज भी लोगों की दुआएं कबूल कर रहे हैं और उनकी मनौतियां पूरी कर रहे हैं।

aspundir
06-12-2013, 11:29 PM
दुनिया की सबसे रहस्यमयी तलवारों की हैरतअंगेज दास्तां

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मानव इतिहास रक्तरंजित युद्धों से भरा पड़ा है। प्राचीन काल से लेकर मध्ययुग का लड़ाइयों के लिए तलवारों का बड़ा महत्व था। आज भी बहुत सी पुरानी तलवारें आप म्यूजियमों में देख पाते हैं। इन तलवारों में कुछ तलवारें विश्व में आज भी रहस्य बनी हुई हैं। इनके पीछे कई किवदंतियां और ऐतिहासिक तथ्य जुड़े हुए हैं।

आप यहां कुछ ऐसी तलवारों के इतिहास और किवदंतियों के बारे में जान पाएंगे, जो लोगों के लिए रहस्य और जिज्ञासा का विषय बनी हुई हैं।

aspundir
06-12-2013, 11:29 PM
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- गोजिआन की तलवार : चीन में1965 में एक विशेष तलवार एक कब्र में मिली। यह 2,000 साल से पुरानी है, लेकिन इसमें जंग का एक भी धब्बा नहीं है। पुरातत्वविदों ने जब इसका परीक्षण किया तो इसकी धार इतनी तेज थी कि हाथ लगाते ही इसने तुरंत खून निकाल दिया था। इसे जिस तरह से बनाया गया है और लंबे समय के बाद भी यह पहले जैसी स्थिति में है। यह अपने आपमें बड़ा रहस्य है। शोध के बाद माना गया कि यह युए किंग गोउजिआन की है। लोकगाथा द लॉस्ट हिस्ट्री ऑफ युएके अनुसार यह तलवार बेहद भव्य थी और इसका निर्माण स्वर्ग और पृथ्वी के एक साथ प्रयासों से किया गया था। युए किंग के पास तलवारों का बेहतरीन संग्रह था। यहां एक सवाल उठता है कि 2000 साल पुरानी तलवार कैसे इतनी अच्छी स्थिति में है। इससे यह पता चलता है कि 2000 साले पहले ही धातु निर्माण का विज्ञान इतना आगे बढ़ गया था। तलवार को जंगरोधी केमिकल की मदद से भी सुरक्षित बनाया गया था। इसे कब्र में विशेष तरह से रखा गया था।

aspundir
06-12-2013, 11:30 PM
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- वॉलेस की तलवार : इस तलवार का संबंध मध्ययुग में विलियम वॉलेस से है। वॉलेस स्कॉटलैंड का एक जमीदार था। स्कॉटलैंड को ब्रिटिश क्राउन से स्वतंत्रता की लड़ाई लडऩे वाले मुख्य नेता थे। वॉलेस ने 1297 में स्टर्लिंग ब्रिज की लड़ाई में ब्रिटिश सेना को पराजित किया था। जुलाई 1928 में फालकिर्क की लड़ाई में वालेस हार हुई और उसे ग्लासगो के पास गिरफ्तार करके ब्रिटेन के किंग एडवर्ड प्रथम को सौंप दिया गया। किंग के आदेश पर वॉलेस को 23 अगस्त 1305 को फांसी पर लटका दिया गया। इसके बाद वह स्कॉटलैंड में वह हीरो की तरह माने जाने लगे थे। वॉलेस मेल गिब्सन की फिल्म ब्रेवहार्ट में एक पात्र है, जो मानव त्वचा का प्रयोग अपनी तलवार की म्यान और मूंठ के लिए करता है। वॉलेस ने स्टर्लिंग ब्रिज की लड़ाई में किंग जार्ज प्रथम के खजांची क्रेसिंगघम को पराजित किया था। ऐसा कहा जाता है कि वालेस ने किंग के खजांची क्रेसिंगघम की हत्या के बाद उसकी स्किन का प्रयोग अपनी तलवार की बेल्ट के लिए करता था। यह तलवार अब नेशनल वालेस स्मारक में रखी गई है। हालांकि स्काटलैंड के लोग इसे वॉलेस को बर्बर बताने का गलत प्रयास मानते हैं।

aspundir
06-12-2013, 11:30 PM
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- जॉयस तलवार : चार्लमेग्ने की तलवार जॉयस एक दिन में 30 बार अपना कलर बदल देती थी और यह सूर्य की रोशन में सबसे अधिक चमकती थी। रोमन साम्राज्य के दौर की इस रहस्मय तलवार में कई बदलाव भी समय-समय पर किए गए। चार्लमेग्ने की इस तलवार के नाम का अर्थ जॉयफुल है। इसकी मूठ में सोना मढ़ा हुआ था, लेकिन 1801 में नेपोलियन प्रथम के राज्याभिषेक से पहले सोने को इससे निकाल दिया गया था। कुछ लोग मान रहे हैं कि फ्रांस के राज्यारोहण में यह तलवार वहां चली गई, जो म्यूजे डु लोवरे में रखी गई है। चार्लमेग्ने(2 अप्रैल 742- 28 जनवरी 814) को चाल्र्स द ग्रेट भी कहा जाता है। वह 768 से किंग ऑफ द फ्रैंक, 774 से इटली का और और 800 से पश्चिमी यूरोप का सम्राट था। पोप ने उसे रोमन साम्राज्य का सम्राट बनाया था। इस तलवार को लोग चार्लमेग्ने की सफलता से जोड़कर हमेशा देखते रहें हैं। वह एक शक्तिशाली सम्राट साबित हुआ था। हालांकि उसका कार्यकाल अधिक लंबा नहीं रहा, मात्र 13 साल ही वह इस पद पर रहा।

aspundir
06-12-2013, 11:31 PM
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- 7 शाखाओं वाली तलवार : 1945 में जापान की सोनाकामी श्राइन में एक रहस्यमयी तलवार मिली थी। यह विचित्र ढंग से बनी हुई है, जिसमें छह फरसे जैसी शाखाएं है और इसके ऊपरी हिस्से को सातवीं ब्रांच माना जाता है। यह तलवार बेहद बुरी हालत में मिली थी। इसमें कुछ लिखा गया था, लेकिन स्पष्ट नहीं होने से इसे पढ़ा नहीं जा सका। पुरातत्वविदों का कहना है कि इस तलवार की उत्पत्ति 369 में चीन के जिन राजवंश के समय की है। तलवार की धार 65.5 सेमी और लंबी 9.4 सेमी चौड़ी है। तलवार के दोनों ओर सोने से कुछ लिखा गया था, जो जंग से खराब हो गया है। हालांकि यह जरूर स्पष्ट हो गया है कि इसे कोरिया के राजा ने जापान के सम्राट को भेंट के रूप में दिया था। जापान के निहोन शोकी में प्रचलित एक लोकगाथा में इस तलवार का जिक्र आता है। जापान के प्रारंभिक एतिहासिक दस्तावेज पर आधारित किताब निहोन शोकी में भी एक 7 शाखाओं वाली तलवार का जिक्र है। अगर यह वही तलवार है तो एक पौराणिक तांत्रिक महारानी जिंगू की है। अब इतिहासकार भी इसी बात को मानते हैं कि यह तलवार महारानी जिंगू की ही थी।

aspundir
06-12-2013, 11:31 PM
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- होंजो मासम्यून : जापान में एक प्रीस्ट मुरामास और तलवार बनाने वाले मुसम्यून के बीच स्पर्धा हुई थी, जिसमें दोनों ने भव्य तलवारें तैयार की थीं। लोकगाथा के अनुसार 16 वीं शताब्दी में मुसम्यून और मुरामासा ने अपनी श्रेष्ठता को साबित करने के लिए एक प्रतिस्पर्धा आयोजित की थी कि कौन बेहतर तलवार बनाने वाला (लुहार) है। मुरामासा की तलवार ने जिस चीज को छुआ वह कटती चली गई, लेकिन मुसम्यून की तलवार हर चीज को नहीं काट सकी। मुसम्यून के काम को जापान की राष्ट्रीय धरोहर माना जाता है, लेकिन एक तलवार कभी नहीं मिली। यह तलवार बेहद बेशकीमती है लेकिन मुसम्यून की तलवार को आज तक नहीं खोजा जा सका। यह बेहद रहस्यमय तलवार में मानी जाती है।

aspundir
06-12-2013, 11:32 PM
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- श्रापित मुरामासास : मुरामासास एक जापानी लुहार था, जो तलवारें बनाता था। स्थानीय लोकगाथाओं के अनुसार उसने प्रार्थना कि उसकी तलवार सबसे भयंकर विध्वंसक हो, क्योंकि उसकी तलवार धार के मामले में बहुत अलग थी। भगवान ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और उसके अंदर खून की प्यासी आत्मा व्याप्त हो गई। वह कभी भी लड़ाई से अघाता नहीं था और वह हत्या करने या आत्महत्या करने के लिए उग्र हो जाता था। मुरामासास के बारे में कई कहानियां प्रचलित थीं कि वह पागल हो गया था या फिर मारा गया था। वह जो भी तलवारें बनाता था, वे श्रापित होती थीं। शोगुन तोकुगवा लेयासु ने इन तलवारों की आलोचना की थी, क्योंकि उसने लगभग अपने पूरे परिवार को ही मार दिया था। जापान के साम्रज्य ने उसकी तलवारों पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसकी कई तलवारों को लेने वालों का बुरा हाल हुआ था।

aspundir
06-12-2013, 11:33 PM
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- सेंट पीटर की तलवार : इस तलवार के बारे में कई तरह की किवदंतियां प्रचलित हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि सेंट पीटर ने गेथ्समैन के गार्डन में हाई प्रीस्ट (उच्च पादरी) के लिए एक नौकर का कान इस तलवार से काटा था। ब्रिटेन की लोकगाथा के अनुसार एनिमाथेआ के जोसेफ ने ब्रिटेन के लिए इस तलवार को लाया था। हालांकि 1968 में जॉर्डन के बिशप एक तलवार पोलैंड के लिए लाए थे। माना जाता है कि सेंट पीटर की यही सच्ची स्मृतिचिन्ह है। इसे पोजनार के आर्चडिओसेस म्यूजियम में रखा गया है। दावा है कि सेंट पीटर की इस तलवार को पहली शताब्दी में रोमन साम्राज्य की पूर्वी सीमावर्ती इलाके में बनाया गया था। पोलैंड में रखी इस तलवार के बारे में पुरातत्वविदों का मानना है कि इसका प्रयोग सेंट पीटर के कार्यकाल के दौरान नहीं किया गया था। इसे पीटर की मौत के काफी बाद का बताया गया है।

rajnish manga
07-12-2013, 08:53 AM
इन विख्यात या कुख्यात रहस्यमयी तलवारों के बारे में जानकारी देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, पुंडीर जी.

aspundir
14-12-2013, 12:59 PM
श्रीलंका नहीं, यहां है रावण की असली लंका

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रांची। विश्व के महान धर्मग्रंथों में से एक रामायण विश्व को करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। न सिर्फ हिन्दुओं बल्कि दूसरे धर्मों के लोगों की भी इससे श्रद्धा जुड़ी हुई है। भगवान विष्णु के अवतार और लगभग 17 लाख वर्ष पूर्व हो चुके विश्व के महानतम राजा श्रीराम के जीवन से जुड़ी इस कहानी पर अब तक कई शोध हो चुके हैं और हो रहे हैं। कई शोधकर्ता रामायण को कोरी कल्पना कहकर उसे सीधे तौर पर नकार देते हैं, तो कइयों ने तथ्यों और प्रमाणों के साथ इसे सच्चा इतिहास सिद्ध करने का प्रयास किया है।
रामायण की तरह उससे जुड़े स्थान भी शोधकर्ताओं के विवाद और कौतूहल के विषय रहे हैं। जिस तरह राम के जन्मस्थान अयोध्या के विवाद ने भले ही सांप्रदायिक रूप ले लिया हो, पर उसके अलावा कई स्थान तर्क-वितर्क के केंद्र में हैं पर उन धार्मिक विवाद नहीं हुआ।
इन्हीं में से एक प्रमुख स्थान है लंका। आम लोग नाम के आधार पर श्रीलंका को रावण की लंका मानते हैं, पर कई शोधकर्ता इससे सहमत नहीं हैं।

aspundir
14-12-2013, 01:00 PM
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5 अक्टूबर, सन् 1971 को प्रख्यात इतिहासकार एच. डी. संकलिया की एक रिपोर्ट अंग्रेजी दैनिक 'द स्टेट्समैनÓ में प्रकाशित हुई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका नहीं बल्कि झारखंड का छोटानागपुर क्षेत्र ही रामायण की लंका है। संकलिया का निष्कर्ष था कि रामायण प्रारंभिक लौह-युग से जुड़ी गाथा है और इस पवित्र महाकाव्य में वर्णित लंका तो वर्तमान श्रीलंका नामक द्वीप हो ही नहीं सकती।

aspundir
14-12-2013, 01:00 PM
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महिसादल और राजार धिपी से प्राप्त पुरातात्विक प्रमाणों के आधार पर यह पता चलता है कि इस शुरुआती संस्कृति और सभ्यता को एक लोहा उत्पादन करने वाली जाति ने या तो नष्ट कर दिया या फिर विस्थापित कर दिया।

aspundir
14-12-2013, 01:01 PM
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अकेले रांची जिले में ही असुरों के किले और कब्रिस्तान पाए गए हैं। आस-पास के सैंकड़ों गांवों में प्राचीन लंबी कद-काठी वाली प्रजाति के मानवों से जुड़े अवशेष बिखरे पड़े हैं। इन्होंने सभ्यता का लंबा सफर तय किया और उसके शिखर तक पहुंचे। असुरों की कब्रें बिल्कुल अव्यवस्थित क्रम में मिली हैं जिन्हें स्लैब द्वारा चिन्हित किया गया है। इनके छत के पत्थर सामान्यतया 8 फीट लंबे हैं पर कहीं-कहीं 10 से 12 फीट भी। वह कहते हैं, "वह लोहे का संदूक, जिसमें शिव का धनुष रखा गया था और जिसे केवल राम ही उठा सके थे, एक उच्चतम तकनीक का परिचय देता है।"

aspundir
14-12-2013, 01:01 PM
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इतिहासकार एच. डी. संकलिया निष्कर्ष के रूप में लिखते हैं कि रामायण प्रारंभिक लौह युग से जुड़ा है। यह बात उनके हथियारों से साबित हो जाती है। उस काल में झारखंड की असुर जाति द्वारा लोहा गलाने के उद्योग समृद्ध रूप में थे।

aspundir
14-12-2013, 01:02 PM
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अपने रिपोर्ट में संकलिया इन सब बातों के पुरातात्विक, भौगौलिक और जैववैज्ञानिक प्रमाण भी प्रस्तुत करते हैं। उनके निष्कर्षों के अनुसार रामायण की अधिकतर घटनाएं वर्तमान के उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड के छोटानागपुर पठार व पूर्वी मध्यप्रदेश में 1500 ईसा पूर्व के आस-पास घटित हुई हैं। ईसा पूर्व 2000 से 1500 के बीच की एक व्यवस्थित सभ्यता के प्रमाण के लिए उन्होंने कौशाम्बी, प्रह्लादपुर, चिरांद, सोनपुर आदि स्थानों पर खुदाई की बात कही थी।

aspundir
14-12-2013, 01:03 PM
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उनके अनुसार, रामायण की लंका छोटानागपुर पठारी क्षेत्र (वर्तमान में झारखंड के रांची व हजारीबाग जिले) में ही कहीं रही होगी और 'वानर' व 'राक्षस' कोई और नहीं बल्कि यहां की वनवासी (आदिवासी) जातियां हैं। झारखंड के सबसे पुराने निवासी असुर हैं, जो स्वयं को महिषासुर के वंशज मानते हैं।

aspundir
15-01-2014, 10:59 PM
सिर्फ ‘टाइम पास’ के लिए भीख मांगता है अहमदाबाद का यह करोड़पति

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अहमदाबाद। सुनने में भले ही बड़ा अजीब लगे, लेकिन यह सच है। अहमदाबाद में एक शख्*स धन-दौलत के मामले में करोड़पति है लेकिन ‘टाइम पास’ के लिए भीख मांगता है। एनआईडी के पास मुकुंद गांधी का करोड़ों रुपये का बंगला है लेकिन यह बुजुर्ग हर रोज जमालपुर मार्केट के पास तीन घंटे भीख मांगता है।

लोगों में इस बात को लेकर काफी हैरानी है कि जो आदमी हर रोज यहां भीख मांगता था वह हकीकत में करोडपति है, और उनका खुद का बंगला, गाड़ी, नौकर-चाकर है। 63 साल के मुकुंद के घर नौकर-चाकर खाना बनाते हैं। उनका एक बेटा लंदन में तो बेटी मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। गांधी हर रोज ऑटो में बैठकर मार्केट जाते हैं, और भीख मांगते हैं।

मुकुंद गांधी के पिता गांधीवादी विचारधारा के शख्*स थे। वो एलआईसी में बड़े पद पर थे। उनके पास पांच करोड़ की प्रॉपर्टी है। पत्नी के गुजर जाने के बाद मुकुंद ने भीख मांगना शुरू किया।

aspundir
15-01-2014, 11:00 PM
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खुदकुशी करने की भी कोशिश

मुकुंद ने पत्नी के मर जाने के बाद अग्नि स्नान करके आत्महत्या का प्रयास भी किया था। मनोचिकित्सक भावेश लाकडावाला कहते हैं कि मुकुंद भाई पर स्क्रीजोफेनिया की असर दिख रहा है। खास कर पत्नी और संतान से दूर होने की वजह से उनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है।

aspundir
15-01-2014, 11:00 PM
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मुकुंद गांधी के बारे मे यह खबर प्रकाशित होने के अगले दिन जमालपुर मार्केट में उस जगह पर, जहां मुकुंद भीख मांगते थे, एक बड़ा बोर्ड लगा दिया गया है। इस बोर्ड पर दिव्य भास्कर में मुंकुद गांधी के बारे में छपी खबर पेस्ट की गई है। साथ में सूचना दी गई है कि इस आदमी को अब कोई भीख नहीं देगा।

aspundir
16-01-2014, 09:20 PM
डसने के बाद मृतक की कब्र पर नाग-नागिन का पहरा

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आगरा. नाग और नागिन डसने के बाद भी मृतक का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। जब परिवारीजनों ने मृतक युवक को दफना दिया तो नाग-नागिन उसकी कब्र पर पहुंच गए। भीषण ठंड के बावजूद पिछले डेढ़ सप्*ताह से दोनों कब्र पर बैठे हैं।

कोई भी व्*यक्ति यहां जाता है सांप फन फैलाकर फुंफकारता है। यह देखकर पूरा गांव दहशत में है। अब सपेरे बुलाए गए। ग्रामीणों ने उन्*हें सांपों को पकड़कर लेकर हरिद्वार छोड़ने को कहा है।

यह मामला अछनेरा तहसील के असैना गांव का है। करीब 15 दिन पहले खेत में काम करने गए कमल सिंह को जहरीले सांप ने डस लिया था। वह किसी तरह घर तक पहुंचा और डॉक्*टर ने जान बचाने की कोशिश की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

कमल की मौत हो गई। इसके बाद वायगीर बुलाए गए। लेकिन कुछ नहीं हुआ। बाद में गांव में परिवारीजनों ने कमल के शव को दफना दिया। अंधविश्*वास में उन्*हें उम्*मीद थी कि शायद सांप आए और कमल फिर से जिंदा हो जाए।

aspundir
16-01-2014, 09:20 PM
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इसके दो दिन बाद जब ग्रामीण उसकी कब्र के पास से गुजर रहे थे तो वहां नाग-नागिन का जोड़ा देखा। लोगों ने उसे भगाने की कोशिश की, लेकिन दोनों ने फुंफकार दिया। इसके बाद ग्रामीण भाग गए। लोगों को लगा कि सांप वापस चला जाएगा। लेकिन पिछले डेढ़ सप्*ताह के बाद भी सांप नहीं गया।

इस गांव के कई युवकों को सांप डंस चुके हैं और मौत हो चुकी है। इसकी वजह से पूरा गांव सहमा हुआ है। बुधवार को वायरगीर बुलाए गए। उन्*होंने कहा कि सांप के जोड़े को हरिद्वार भेजना होगा, तभी इससे मुक्ति मिल सकेगी। इसके बाद सपेरों ने सांप को पकड़ लिया।

मृतक कमल की 12 वर्षीय बेटी प्रियंका ने बताया कि उसके पिता की कब्र से सांप नहीं हट रहे थे। उन्*हें अब भी डर लग रहा है। सांप के हरिद्वार भेजे जाने से शायद मुक्ति मिल जाए।

aspundir
18-01-2014, 05:26 PM
ईश्वर से नजदीकी के लिए भक्तों को खिलाई घास

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दक्षिण अफ्रीका स्थित रैबोनी सेंटर मिनिस्ट्रीज के पादरी डेनियल लैसेगो ने ईश्वर के नजदीक पहुंचने का एक अनोखा तरीका खोज निकाला है। ईश्वर से नजदीकी बढ़ाने के लिए डेनियल ने अपने अनुयायियों को चर्च की घास खाने का आदेश दिया।

डेनियल के विवादित पद्धतियों के कारण पूरी दुनिया में उनकी आलोचना हो रही है। हालांकि उनके अनुयायी इन तरीकों को सही ठहराते हैं और इस पर अमल भी कर रहे हैं।

डेनियल का दावा है कि जीवित रहने के लिए इंसान कुछ भी खा सकते हैं। डेनियल के मुताबिक ऐसा करने से लोग खुद को ईश्वर के ज्यादा करीब महसूस करेंगे। रैबोनी सेंटर मिनिस्ट्रीज के फेसबुक पेज पर अनुयायियों के घास खाने की तस्वीरें पोस्ट करने के बाद दुनियाभर के लोगों ने उनकी आलोचना की और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर यह ट्रेंडिंग टॉपिक बन गया।

डेनियल की पद्धतियों में विश्वास रखने वाली 21 वर्षीय लॉ स्टूडेंट रोजमैरी पेथा ने इस मामले पर कहा, "हम घास खाते हैं और हमें खुद पर गर्व है। इससे साफ होता है कि हम ईश्वर की दी हुई शक्तियों से हम कुछ भी कर सकते हैं।"

एक अन्य अनुयायी 27 वर्षीय डोरीन गैटले ने बताया, "मैं चल नहीं सकती लेकिन जब डेनियल ने मुझे घास खाने का आदेश दिया तो मुझमें शक्ति आ गई। मैंने घास खाई और कुछ ही घंटों बाद मैं चलने लगी।"

डेनियल की अनोखी पद्धतियों में इसके अलावा भी कई अन्य शामिल हैं। फेसबुक पर अपलोड तस्वीरों में से एक में वह जमीन पर लेटे अनुयायियों के ऊपर चलते दिख रहे हैं। बहरहाल, डेनियल ने आलोचनाओं का कोई जवाब नहीं दिया है।

aspundir
18-01-2014, 05:27 PM
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aspundir
18-01-2014, 05:27 PM
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aspundir
18-01-2014, 05:28 PM
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aspundir
18-01-2014, 05:29 PM
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aspundir
18-01-2014, 05:29 PM
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aspundir
02-02-2014, 05:53 PM
अमावस की रात ही काटता है सांप,चार महीने में डंस चुका चार बार!

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इंदौर/खंडवा। आंवलिया निवासी अनारसिंह वास्कले पिता बिहारी (19) को एक बार फिर सांप ने डस लिया। परिजन उन्हें लेकर जिला अस्पताल लेकर आए तो नर्सिंग स्टाफ देखते ही पहचान गया। यह सांप के डसने पर पहले भी जिला अस्पताल आ चुके हैं। वार्ड में अनार को बार-बार सांप द्वारा काटे जाने की चर्चा है।
सांप काटने से पीडि़त अनार ने बताया घर में एक बहन, तीन भाई और माता पिता है। पिछले चार महीने में चार बार सांप काट चुका है। गांव में सांप काटने पर पास के सामुदायिक केंद्र में इलाज कराया था। मैं अभी छैगांवमाखन स्थिति एक मुर्गी पालन फार्म हाउस में काम करता हूं। यहां मुझे दो बार सांप ने काटा। उसका कहना है कि सांप न जाने किस जन्म का बदला ले रहे हैं। अनारसिंह की नींद सांपों ने उड़ा रखी है। सपनों में सताने के साथ, सांप अब असल जिंदगी में भी उसे परेशान करने लगे हैं।