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View Full Version : अंतरराष्ट्रीय मैत्री दिवस


bindujain
04-08-2013, 05:56 AM
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ऐसा ही कुछ रिश्ता होता है दोस्ती का। खून के रिश्ते हमें परिवार में मिलते हैं, लेकिन दोस्ती भगवान का दिया हुआ वह खूबसूरत वरदान व तोहफा है जो सभी रिश्तों की बुनियाद बन जाता है।

दोस्ती वह रिश्ता है जो आप खुद तय करते हैं, जबकि बाकी सारे रिश्ते आपको बने-बनाये मिलते हैं। जरा सोचिए कि एक दिन अगर आप अपने दोस्तों से नहीं मिलते हैं, तो कितने बेचैन हो जाते हैं और मौका मिलते ही उसकी खैरियत जानने की कोशिश करते हैं। आप समझ सकते हैं कि यह रिश्ता कितना ख़ास है।

आज जिस तकनीकी युग में हम जी रहे हैं, उसने लोगों को एक- दूसरे से काफ़ी क़रीब ला दिया है। लेकिन साथ ही साथ इसी तकनीक ने हमसे सुकून का वह समय छीन लिया है जो हम आपस में बांट सकें। आज हमने पूरी दुनिया को तो मुट्ठी में कैद कर लिया है, लेकिन इसके साथ ही हम खुद में इतने मशगूल हो गये हैं कि एक तरह से सारी दुनिया से कट से गये हैं

bindujain
04-08-2013, 05:56 AM
फ्रेंडशिप डे मनाने का इतिहास

दोस्ती के प्रतीक के रूप में जाने वाले इस दिन की शुरुआत सन् 1919 में हुई, जिसका श्रेय हॉलमार्क कार्डस के संस्थापक जॉएस हॉल को जाता है। लोग उन दिनों अपने दोस्तों को फ्रेंडशिप डे कार्ड भेजा करते थे। उन दिनों से शुरू हुआ यह सिलसिला बदस्तूर आज भी जारी है। अगस्त के पहले रविवार को यह ख़ास दिन मनाने के पीछे वजह यह थी कि अमेरिकी देशों में यह समय ऐसा होता है, जब दूर-दूर तक किसी पर्व-त्योहार की छुट्टी नहीं होती। सन् 1958 के 30 जुलाई को औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे (विश्व मैत्री दिवस) की घोषणा की गई थी। बताया जाता है कि डाक्टर अर्टरमिओ ने अपने दोस्त ब्राचो के साथ पैरागुए नदी के पास रात्रि भोजन किया था। पहली बार पैरागुए में ही इस दिन को मनाया गया था। दक्षिण अमेरिकी देशों में सबसे पहले इस दिन को उत्सव के रूप में मनाने की शुरुआत हुई थी।

भारत में अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है, लेकिन दक्षिण अमेरिकी देशों में जुलाई महीने को काफ़ी पावन माना जाता है, इसलिए जुलाई के अंत में ही इस दिन को मनाया जाता है। बांग्लादेश व मलेशिया में डिजिटल कम्यूनिकेशंस के तहत यह दिन ज्यादा चर्चित हो गया है। यूनाइटेड नेशंस ने भी इस दिन पर अपनी मुहर लगा दी थी।

हालांकि, दोस्ती का यह त्योहार दुनियाभर में अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है, लेकिन इसके पीछे की भावना हर जगह एक ही है - दोस्ती का सम्मान। दक्षिण अमेरिकी देशों से शुरू हुआ यह त्योहार उरुग्वे, अर्जेटीना, ब्राजील में 20 जुलाई को, पराग्वे में 30 जुलाई को, जबकि भारत, मलेशिया, बांग्लादेश आदि दक्षिण एशियाई देशों सहित दुनियाभर के बाकी देशों में यह अगस्त महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है।

bindujain
04-08-2013, 05:57 AM
फ्रेंडशिप डे का महत्व


इस दिन दोस्त एक दूसरे को गिफ्टस, कार्ड देते है। एक-दूसरे को फ्रेंडशिप बैंड बांधते है। दोस्तों के साथ पूरा दिन बीता कर अपनी दोस्ती को आगे तक ले जाने व किसी भी मुसीबत में एक दूसरे का साथ देने का वादा करते हैं। हालांकि जिनके पास गिफ्टस व कार्ड देने की क्षमता नहीं है, वह अपने प्यार के एहसास से ही दोस्त को दोस्ती का महत्व समझा देते हैं। पहले इस दिन को कुछ चुनिंदा देशों में कुछ चुनिंदा लोगों में ही मनाने का दस्तूर था, लेकिन इन दिनों सोशल नेटवर्किग साइट्स की बढ़ते पायदान की वजह से लोगों में यह दिन काफ़ी चर्चित हो गया है।

फ्रेंडशिप डे पर शुरू में ग्रीटिंग कार्डस के लेन-देन से शुरू हुए इस सिलसिले ने गिफ्ट्स से लेकर फ्रेंडशिप बैंड को अपनी परंपरा में शामिल किया है। आज तकनीकी क्रांति और सोशल नेटवर्किग साइट्स के जमाने में दोस्त और दोस्ती के प्रति अपनी भावना व्यक्त करने का यह अवसर, दुनियाभर में दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय हो रहा है।

लोगों के बीच रंग, जाति, धर्म जैसी बाधाओं को तोड़कर आपस में दोस्ती और परस्पर सौहाद्र बढ़ाने का संदेश देने वाले इस अनूठे त्योहार के सम्मान में, वर्ष 1998 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव कोफी अन्नान की पत्नी, नाने अन्नान ने प्रसिद्ध कार्टून कैरेक्टर विन्नी द पूह को दोस्ती के लिए संयुक्त राष्ट्र में दुनिया का राजदूत घोषित किया।

bindujain
04-08-2013, 05:58 AM
मित्रता दिवस मनाने की परंपरा 1935 में शुरू हुआ जब अमेरिकी कांग्रेस को दोस्तों के सम्मान में एक दिन समर्पित करने का फैसला किया. हालांकि यह बिल्कुल पता नहीं कारण है कि इस दिन के निर्माण में चला गया है क्या थे, उस समय की दुनिया के परिदृश्य का सिंहावलोकन हमें एक समझने के लिए नेतृत्व कर सकते हैं. प्रथम विश्व युद्ध के विनाशकारी प्रभाव अब भी दिखा और शत्रुता को बढ़ाने, एक आसन्न युद्ध के लिए आदर्श स्थिति प्रदान करने देशों के बीच अविश्वास और घृणा के साथ, वहाँ न केवल राष्ट्रों के बीच बल्कि व्यक्तियों के बीच एक मैत्री और सौहार्द के लिए अधिक से अधिक आवश्यकता थी.

इसलिए, अमेरिकी कांग्रेस को मैत्री दिवस और 1935 में एक औपचारिक घोषणा के साथ के रूप में अगस्त के महीने के पहले रविवार को नामित करने का फैसला किया, आधिकारिक तौर पर इस अवसर पर एक दोस्त और दोस्ती के सम्मान में समर्पित अवकाश की घोषणा की. तब से, राष्ट्रीय मैत्री दिवस के समारोह के एक वार्षिक आयोजन बन गया. दोस्ती का खूबसूरत रिश्ते लोगों के साथ पर पकड़ लिया सम्मान, देश भर में विशेष रूप से सभी युवाओं के उदात्त विचार है, और कोई समय में मैत्री दिवस एक बेहद लोकप्रिय उत्सव बन गया.

लेकिन इस अद्भुत अवसर की सफलता के लिए अकेले अमेरिका तक सीमित नहीं किया जा रहा था. समय के साथ, कई अन्य देशों की दोस्ती का कारण करने के लिए एक दिन समर्पित करने की परंपरा को अपनाने में भी यही किया. दोस्तों के सम्मान में एक दिन में होने की सुंदर विचार आनंद से दुनिया भर के कई अन्य देशों द्वारा जीत लिया गया. अधिक से अधिक देशों के समारोहों में शामिल होने के साथ, मैत्री दिवस जल्द ही अंतरराष्ट्रीय मैत्री दिवस बन गया.

आज, मैत्री दिवस है हर साल कई देशों ने उत्साहपूर्वक मनाया. हर अवसर अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है. पारंपरिक समारोह में शामिल दोस्तों के साथ बैठक की और कार्ड के बदले, फूल और उपहार. कई सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों को भी कार्यक्रमों और मित्रता दिवस मनाते हैं.

यह नोट करने के लिए कैसे कुछ संघों त्योहार अलग अलग नामों दे रही है और यह वास्तविक है कि त्योहार के विपरीत समय में पकड़े द्वारा अलग रिवाज के साथ मैत्री दिवस, निरीक्षण दिलचस्प है.
उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय मैत्री दिवस के पहले रविवार को अगस्त में आयोजित महिला मैत्री दिवस है, अगस्त में तीसरे रविवार को है, मई के तीसरे सप्ताह पुराने दोस्तों, नए दोस्त सप्ताह और फरवरी के पूरे है अंतरराष्ट्रीय मैत्री के रूप में नामित महीने.

1935 में अपनी स्थापना के बाद से, मित्रता दिवस और मैत्री दिवस समारोह एक लंबा सफर तय किया है. लेकिन फिर भी बहुत उत्सव के तरीके बदल गए हैं इस अवसर के पीछे मूल विचार ही रहता है. मित्रता दिवस समय है जब आप अपने जीवन, उनके लिए प्यार व्यक्त करने में अपने मित्रों के योगदान को अपने जीवन में उनकी उपस्थिति पोषण और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित स्वीकार करते रहता है.

आज, मित्रता दिवस विश्व भर में मनाया जा रहा है, विविध संस्कृतियों और सामाजिक वर्गों के पार |
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bindujain
04-08-2013, 06:02 AM
राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर रचित रश्मि रथी से जहां श्री कृष्ण से संवाद के दौरान कर्ण के मुख से कवि ने मैत्री का अति सुन्दर बखान किया है :

मैत्री की बड़ी सुखद छाया,
शीतल हो जाती है काया,

धिक्कार योग्य होगा वह नर ,
जो पाकर भी ऐसा तरुवर,

हो अलग खड़ा कटवाता है ,
खुद आप नहीं कट जाता है ।


जिस नर की बाँह गही मैने,
जिस तरु की छाँह गही मैने,

उस पर न वार चलने दूंगा,
कैसे कुठार चलने दूंगा ?

जीते जी उसे बचाउंगा,
या आप स्वयं कट जाउंगा ।

मित्रता बड़ा अनमोल रतन,
कब इसे तोल सकता है धन ?

धरती की है क्या बिसात ?
आ जाय अगर बैकुंठ हाथ,

उसको भी न्योवछवर कर दूं,
कुरुपति के चरणों मे धर दूं ।

bindujain
04-08-2013, 06:04 AM
गोस्वामी तुलसी दास कृत श्री राम चरित मानस के किष्किन्धा काण्ड से जहां श्री राम संवाद के दौरान सुग्रीव को अपनी मित्रता का भरोसा दिलाते हुए मित्र के गुणों का अति सुन्दर बखान कर रहे हैं :


जे न मित्र दुख होहिं दुखारी,
तिन्हही बिलोकत पातक भारी।

निज दुख गिरि सम रज करि जाना,
मित्र क दुख रज मेरु समाना ।

जिन्हके अस मति सहज न आई ,
ते सठ कत हठि करत मिताई ।

कुपंथ निवारि सुपंथ चलावा ,
गुन प्रकटै अवगुनहिं दुरावा ।

देत लेत मन संक न धरई ,
बल अनुमानि सदा हित करई ।

बिपत काल कर सतगुन नेहा ,
श्रुति कह संत मित्र गुन एहा ।

आगे कह हित वचन बनाई ,
पीछे अनहित मन कुटिलाई ।

जाके चित एहि गति सम भाई ,
अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई ।

सेवक सठ नृप कृपन कुनारी ,
कपटी मित्र सूल सम चारी ।

सखा सोच त्यागहु बल मोरे ,
सब बिधि घटब काज मैं तोरे ।

bindujain
04-08-2013, 06:31 AM
http://www.chandamama.com/content/hindi/img/2010/2/1922010/1266574809_6-2.jpg

bindujain
04-08-2013, 06:31 AM
श्री कृष्ण द्वारकापुरी में अपनी आठ पटरानियों के साथ अपने महल के ऊपरी तल पर झूले पर झूल रहे थे। उस समय दूर से आते हुए सुदामा को देख वे पैदल चल कर उनके स्वागत के लिए आगे आये और अपने बाल सखा के साथ गाढ़ालिंगन किया तथा महल में लाकर अपने सिंहासन पर बिठाया।

श्री कृष्ण की आठों पटरानियों ने सुदामा की अनेक प्रकार से परिचर्या की । श्री कृष्ण द्वारा ऐसा आदर-सत्कार पाकर सुदामा आनन्द से तन्मय हो गये। उसी वक्त कृष्ण ने उन के हाथ की चिऊड़ों की पोटली लेकर उसे खोल दिया और मुट्ठी भर चिऊड़ा लेकर प्रेम से मुँह में डाल लिया। इसके बाद बाकी चिऊड़ा उन की आठों पत्नियों ने बांट कर खा लिया।

सुदामा श्री कृष्ण के द्वारा ऐसा अपूर्व आदर-सत्कार पाकर उस बात को बिल्कुल भूल गया कि वह किस काम से उनके पास आया है । वह बार-बार अपने मन में श्री कृष्ण का स्मरण करते हुए अपने घर की ओर चल पड़ा। पर घर पहुँच कर वह अपने मकान को पहचान नहीं पाया।

सुदामा के छोटे मकान की जगह एक अद्भुत महल खड़ा था। उस महल की दीवारें चांदी व सोने की चमक से दमक रही थीं। उसके स्तम्भ रत्नखचित थे। उसकी पत्नी रत्न-आभूषणों से शोभायमान थी। बच्चे रेशमी वस्त्र धारण करके वसन्तकालीन पुष्पों की भांति प्रसन्नतापूर्वक खेल रहे थे। आठों सिद्धियॉं सर्वत्र व्याप्त थीं।

इस के बाद सुदामा, उसकी पत्नी व बच्चे श्री कृष्ण की कृपा की स्तुति करते हुए भक्तिभाव से अनेक वर्षों तक जीवन-यापन करते रहे।

bindujain
04-08-2013, 06:37 AM
https://sphotos-a.xx.fbcdn.net/hphotos-frc1/p480x480/16094_309945395781787_1528804305_n.jpg

bindujain
04-08-2013, 06:50 AM
1.
सच्चे ये दोस्त
अनमोल खज़ाने
नि:स्वार्थ भरे.
2.
दर्द दोस्ती का
जब सहना सीखा
जीना है सीखा
3.
रिश्तों की डोर
है बड़ी कमज़ोर
दोस्ती अटूट.
4.
है सच्चा दोस्त
जैसे सीपी को मोती
मिले भाग्य से.

bindujain
04-08-2013, 06:50 AM
5.
जीवन -युद्ध
हर पल प्रहार
दोस्त है ढाल.
6.
दोस्त की दोस्ती
है बढ़ा देती और
चाह जीने की.
7.
दोस्त है साथ
जीवन के खेल में
नहीं है हार
8.
दोस्त हो साथ
जीवन की परीक्षा
सदा हो पास.
9.
बिछ्रड़े दोस्त
वर्षों बाद जो मिले
भूलें न लम्हा

bindujain
04-08-2013, 06:51 AM
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bindujain
04-08-2013, 07:18 AM
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