dipu
18-08-2013, 05:08 PM
देश के माली जहर बोकर सो गए ?
बड़े बड़े जंगल ,बबूल के खड़े हो गए ?
प्रश्न पूछा जब इस साजिश का ?
तो सभी धर्माचार्य मौन रह गए,
फिर पनपा धर्मवाद ,जातिवाद ,आंतकवाद ,
लुट गयी नैतिकता. हुआ देश बर्बाद,
कचरे के ढेर से निकली संस्कृति .
जिसकी फूहड़ थी चाल मन में थी विकृति .
बोली करते ही क्यों वाद विवाद ?
उन तीनो को करते रहो आबाद .
डालो कपट के बीज .और मक्कारी की खाद ?
क्योंकि इन्ही पर तो टिका हुआ है
संस्कृतियाँ और ईशवरवाद ?
------------------------------------
कौन कहता है हम आज़ाद हुए ?
किसके माथे से गुलामी की स्याही छूटी ?
मादरे हिंद के चेहरे पे उदासी है वही ?
कौन कहता है हम आज़ाद हुए ?
बड़े बड़े जंगल ,बबूल के खड़े हो गए ?
प्रश्न पूछा जब इस साजिश का ?
तो सभी धर्माचार्य मौन रह गए,
फिर पनपा धर्मवाद ,जातिवाद ,आंतकवाद ,
लुट गयी नैतिकता. हुआ देश बर्बाद,
कचरे के ढेर से निकली संस्कृति .
जिसकी फूहड़ थी चाल मन में थी विकृति .
बोली करते ही क्यों वाद विवाद ?
उन तीनो को करते रहो आबाद .
डालो कपट के बीज .और मक्कारी की खाद ?
क्योंकि इन्ही पर तो टिका हुआ है
संस्कृतियाँ और ईशवरवाद ?
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कौन कहता है हम आज़ाद हुए ?
किसके माथे से गुलामी की स्याही छूटी ?
मादरे हिंद के चेहरे पे उदासी है वही ?
कौन कहता है हम आज़ाद हुए ?