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View Full Version : गणित + विज्ञान = इश्क ?


jai_bhardwaj
18-08-2013, 06:43 PM
गणित और विज्ञान के सूत्र क्या इश्क पर भी लागू हो सकते हैं ? खाली दिमाग शैतान का घर ........ मुस्कुराने के लिए पर्याप्त है ...

(अंतरजाल से संकलित)

jai_bhardwaj
18-08-2013, 06:44 PM
कभी जो चमकता सितारा था

अब एक ‘ब्लैकहोल’ है !

- हुआ क्या?

किसे पता सिंगुलारिटी में होता क्या है !

- तुम्हारा गणित क्या कहता है?

गणित के समीकरण ही तो जवाब दे जाते हैं... 1

...निरर्थक तरीके से असीमित विध्वंस. इंटेलेक्चुयल्स के इश्क़ की तरह !

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jai_bhardwaj
18-08-2013, 06:44 PM
- अगर मैं ब्लैकहोल में कूद जाऊँ तो?

मरोगे !

- क्या होगा मेरा?

संभवतः... उस अनंत घनत्व में चूर हो विलीन हो जाओ...

- मुझे ये दुनिया छोड़ कहीं और चले जाना हो तो?

पलायन वेग से भाग पाओगे?

- एक बार ब्लैकहोल से मिल लूँ फिर

नहीं, पॉइंट ऑफ नो रिटर्न हैं वहाँ...

वहाँ से भागना असंभव...

प्रकाश की गति के लिए भी !

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jai_bhardwaj
18-08-2013, 06:44 PM
- क्वान्टम उलझन क्या होता है?

रोमांटिक फिजिक्स !

- वो कैसे?

दो कण... अलौकिक प्रेम की तरह जुड़े होते हैं

जैसे उनका अस्तित्व एक ही हो !

परकृति के उस सूक्ष्मतम स्तर पर स्वच्छंदता भी नहीं होती – अद्वितीय जोड़े !

- दूर हुए तो?

ब्रह्मांड में कहीं भी रहें एक को छेड़ो तो दूसरा भी उसी क्षण प्रभावित हो जाता है !

- ये कैसे हो सकता है?

क्वान्टम इश्क़ !

समझ ही आना होता तो...

पिछली सदी के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क ने ‘भुतहा प्रक्रिया’ न कहा होता !

- आइन्सटाइन गलत थे?

नहीं...

आस पास जो है सब वैसे मस्तिष्कों के कहे पर चल रहा है

- फिर?

‘बेहतर सच’ आते रहते हैं!

- सच समझ के बाहर कैसे?

गणित और प्रयोग सही कह दे तो...

कभी-कभी सच इंद्रियबोध के बाहर होता है !

…at times, truth makes no sense!

- जैसे ?

अगर गणित कहता है कि कोई घटना ब्रह्मांड की उम्र बीतने के बाद होगी तो...

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jai_bhardwaj
18-08-2013, 06:44 PM
- क्या हम कुछ प्रकाशवर्ष की दूरी तय कर सकते हैं?

हाँ ! कुछ सालों में शायद...

- अगर वहाँ हम एक दर्पण रख आयें तो क्या हम अपना बीते दिन देख पाएंगे?

हाँ !

- हम कोई भी दूरी तय कर पाएंगे?

शायद हाँ..

.... अपनों के बीच आ गयी दूरी का पता नहीं !

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jai_bhardwaj
18-08-2013, 06:45 PM
- क्या तुम भी टूट सकते हो?

हाँ। हर चीज की एलास्टिक लिमिट होती है...

मेरी भी अनंत नहीं।

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- सुना, एक रोबोट को प्रोग्राम किया था इश्क़ करने को?

हाँ और वो कुछ ज्यादा ही आगे निकाल गया?

- गलत प्रोग्रामिंग?

...गलत कैसे? इंसान से ही कौन सा संभल जाता है !

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jai_bhardwaj
18-08-2013, 06:45 PM
- श्रोडिंगर कैट जैसा कुछ होता है?

जैसे... जब कुछ पाने का बहुत मन हो और उसे ना पाने का भी।

मनोवैज्ञानिक उसे अपोरिया कहते हैं !

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jai_bhardwaj
18-08-2013, 06:45 PM
- क्या कोई और भी ऐसा सोच रहा होगा?

हाँ ! बिलकुल अलग लोग अलग समय-काल में एक जैसा सोचते हैं।

- बहुत अजीब नहीं है?

अगर कुछ बहुत अजीब है तो उसमें कुछ बहुत रोचक भी जरूर होता है।

- सब कुछ गणित का समीकरण तो नहीं होता ! बहुत कुछ अनचाहा समझ के बाहर का भी होता है।

गणित भी तो विकसित होता रहता है। हर जगह अपूर्णता है।

- हमेशा रहेगी?

हाँ।

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jai_bhardwaj
18-08-2013, 06:45 PM
- तुमने एक बार ‘लॉन्गर दैन फॉरएवर’ सा कुछ कहा था?

हाँ। फाइनाइटनेस का स्ट्रोक लगने के पहले तक।

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- क्या पैराडॉक्स हल नहीं होते? जीवन भी ऐसा ही हैं न?

हाँ।

पर कभी-कभी जेनो जैसों को सुलझाने के लिए एक फॉर्मूला ही काफी होता है।

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jai_bhardwaj
18-08-2013, 06:46 PM
- मुझे खुश रहना है !

पानी के लिए चाँद पर नहीं जाना होता।

- ज्ञानी खुश रहते हैं?

नहीं। अक्सर कर्ण की धनुर्विद्या की तरह।

कलह परमर्शदाताओं के घर भी होता है।

- फिर?

खुश रहने की चिंता में दुखी रहना बंद करो।

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jai_bhardwaj
18-08-2013, 06:47 PM
- मुझे 'कोई' प्यार नहीं करता !

आईना झूठ नहीं बोलता।

- मतलब?

तुम बुरे तो जग बुरा की तरह। तुम मुस्कुराओ तो 'कोई' भी मुस्कुराएगा !
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गाँव के एक लंगोटिया यार ने कहा था – भैया, दिमाग के रसायन इधर-उधर हो जाये तो आदमी कुछो सोच कर सकता है !

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