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View Full Version : दो दोहे - रावण और कंस


आकाश महेशपुरी
22-08-2013, 07:42 PM
दो दोहे-

आ जाओ हे कृष्ण तुम, लिए विष्णु का अंश।
एक नहीँ अब तो यहाँ, कदम-कदम पर कंस॥
कंसो का ही राज है, रावण हैँ चहुँ ओर।
भला आदमी मौन है, जैसे कोई चोर।।

दोहे - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰ ॰
पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश

internetpremi
22-08-2013, 08:09 PM
बहुत बढिया!
अच्छा लगा|

एक विनम्र सुझाव: कृपया font size थोडा सा बढा दीजिए। पढने में सुविधा होगी, विशेषकर हम जैसे लोगों को जिनकी आँखें कुछ कमजोर हैं।

rajnish manga
22-08-2013, 09:04 PM
दो दोहे-

आ जाओ हे कृष्ण तुम, लिए विष्णु का अंश।
एक नहीँ अब तो यहाँ, कदम-कदम पर कंस॥
कंसो का ही राज है, रावण हैँ चहुँ ओर।
भला आदमी मौन है, जैसे कोई चोर।।

दोहे - आकाश महेशपुरी
aakash maheshpuri


उपरोक्त दोहे निश्चय ही प्रशंसा किये जाने योग्य हैं, जिनमें आज के हालात का सुन्दर चित्रण किया गया है और आम आदमी की पीड़ा भी व्यक्त की गयी है.

आकाश महेशपुरी
23-08-2013, 09:26 AM
आदरणीय रजनीश जी आपकी प्रतिक्रियाओँ से हमेशा एक नई ऊर्जा का संचार होता है। हार्दिक आभार।

आकाश महेशपुरी
23-08-2013, 09:31 AM
इन्टरनेटप्रेमी जी इन्टरनेट मोबाईल से चलाने के कारण कुछ असुविधा हो रही है। फिर भी प्रयास करूँगा। आपका बहुत बहुत आभार।