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View Full Version : तीन दोहे


आकाश महेशपुरी
27-08-2013, 02:21 PM
तीन दोहे-

वह धन धन होता नहीँ, जो रखता है चोर।।
धन चोरी का आग है, बचे न कोई कोर।।

चाहे धूप कठोर हो, या जलता हो पाँव।
काम धाम करते सदा, वे ही पाते छाँव।।

मीठा भी फीँका लगे, इतना मीठा बोल।
पर इस चक्कर मेँ कहीँ, झूठ न देना घोल।।

दोहे- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
. . . . . . . . . . . . . . . . . . .
पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश

internetpremi
27-08-2013, 02:27 PM
बस केवल तीन?
जी नहीं भरा।
आने दीजिए, और भी!