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View Full Version : वास्तु के कुछ महत्वपूर्ण.........................


Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:13 AM
वास्तु के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य एवं बिना तोडफोड के दोष निवारण.......................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:14 AM
आज के जमाने में वास्तु शास्त्र के आधार पर स्वयं भवन का निर्माण करना बेशक आसान व सरल लगता हो, लेकिन पूर्व निर्मित भवन में बिना किसी तोड फोड किए वास्तु सिद्धान्तों को लागू करना जहाँ बेहद मुश्किल हैं, वहाँ वह प्रयोगात्मक भी नहीं लगता. अब व्यक्ति सोचता है कि अगर भवन में किसी प्रकार का वास्तु दोष है............

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:16 AM
लेकिन उस निर्माण को तोडना आर्थिक अथवा अन्य किसी दृ्ष्टिकोण से संभव भी नहीं है, तो उस समय कौन से ऎसे उपाय किए जाएं कि उसे वास्तुदोष जनित कष्टों से मुक्ति मिल सके. आज के इस सूत्र में प्रस्तुत हैं कुछ ऎसे उपाय, जिन्हे अपनाकर आप किसी भी प्रकार के वास्तुजनित दोषों से बहुत हद तक बचाव कर सकते हैं....................................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:19 AM
1).. 4 x 4 इन्च का ताम्र धातु में निर्मित वास्तु दोष निवारण यन्त्र भवन के मुख्य द्वार पर लगाना चाहिए............

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:20 AM
2).. भवन के मुख्य द्वार के ऊपर की दीवार पर बीच में गणेश जी की प्रतिमा, अन्दर और बाहर की तरफ, एक जगह पर आगे-पीछे लगाएं...........................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:21 AM
3)..वास्तु के अनुसार सुबह पूजा-स्थल (ईशान कोण) में श्री सूक्त, पुरूष सूक्त एवं संध्या समय श्री हनुमान चालीसा का नित्यप्रति पठन करने से भी शांति प्राप्त होती है..................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:23 AM
4)..यदि भवन में जल का बहाव गलत दिशा में हो, या पानी की सप्लाई ठीक दिशा में नहीं है, तो उत्तर-पूर्व में कोई फाऊन्टेन (फौव्वारा) इत्यादि लगाएं. इससे भवन में जल संबंधी दोष दूर हो जाता हैं........................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:24 AM
5)..टी. वी. एंटीना/ डिश वगैरह ईशान या पूर्व की ओर न लगाकर नैऋत्य कोण में लगाएं, अगर भवन का कोई भाग ईशान से ऊँचा है, तो उसका भी दोष निवारण हो जाता हैं................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:25 AM
6)..भवन या व्यापारिक संस्थान में कभी भी ग्रेनाईट पत्थर का उपयोग न करें. ग्रेनाईट चुम्बकीय प्रभाव में व्यवधान उत्पन कर नकारात्मक उर्जा का संचार करता है...................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:26 AM
7)..जब भी जल का सेवन करें, सदैव अपना मुख उत्तर-पूर्व की दिशा की ओर ही रखें................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:27 AM
8)..भोजन करते समय, थाली दक्षिण-पूर्व की ओर रखें और पूर्व की ओर मुख कर के ही भोजन करें....................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:28 AM
9)..दक्षिण-पश्चिम कोण में दक्षिण की ओर सिराहना कर के सोने से नींद गहरी और अच्छी आती है. यदि दक्षिण की ओर सिर करना संभव न हो तो पूर्व दिशा की ओर भी कर सकते हैं......................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:29 AM
10)..यदि भवन की उत्तर-पूर्व दिशा का फर्श दक्षिण-पश्चिम में बने फर्श से ऊँचा हो तो दक्षिण-पश्चिम में फ़र्श को ऊँचा करें.यदि ऎसा करना संभव न हो तो पश्चिम दिशा के कोणे में एक छोटा सा चबूतरा टाईप का बना सकते हैं...............

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:29 AM
11)..दक्षिण-पश्चिम दिशा में अधिक दरवाजे, खिडकियाँ हों तो, उन्हे बन्द कर के, उनकी संख्या को कम कर दें.........................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:30 AM
12)..भवन के दक्षिण-पश्चिम कोने में सफेद/क्रीम रंग के फूलदान में पीले रंग के फूल रखने से पारिवारिक सदस्यों के वैचारिक मतभेद दूर होकर आपसी सौहार्द में वृ्द्धि होती है.......................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:31 AM
13)..शयनकक्ष में कभी भी दर्पण न लगाएं. यदि लगाना ही चाहते हैं तो इस प्रकार लगाएं कि आप उसमें प्रतिबिम्बित न हों, अन्यथा प्रत्येक दूसरे वर्ष किसी गंभीर रोग से कष्ट का सामना करने को तैयार रहें.....................................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:33 AM
१४)..भवन की दक्षिण अथवा दक्षिण-पूर्व दिशा(आग्नेय कोण) में किसी प्रकार का वास्तुदोष हो तो उसकी निवृ्ति के लिए उस दिशा में ताम्र धातु का अग्निहोत्र(हवनकुण्ड) अथवा उस दिशा की दीवार पर लाल रंग से अग्निहोत्र का चित्र बनवाएं......................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:34 AM
१५)..सीढियाँ सदैव दक्षिणावर्त अर्थात उनका घुमाव बाएं से दाएं की ओर यानि घडी चलने की दिशा में होना चाहिए. वामावर्त यानि बाएं को घुमावदार सीढियाँ जीवन में अवनति की सूचक हैं. इससे बचने के लिए आप सीढियों के सामने की दीवार पर एक बडा सा दर्पण लगा सकते हैं, जिसमें सीढियों की प्रतिच्छाया दर्पण में पडती रहे.............................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:35 AM
१६)..भवन में प्रवेश करते समय सामने की तरफ शौचालय अथवा रसोईघर नहीं होना चाहिए. यदि शौचालय है तो उसका दरवाजा सदैव बन्द रखें और दरवाजे पर एक दर्पण लगा दें. यदि द्वार के सामने रसोई है तो उसके दरवाजे के बाहर अपने इष्टदेव अथवा ॐ की कोई तस्वीर लगा दें.........................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:36 AM
१७)..आपके भवन में जो जल के स्त्रोत्र हैं, जैसे नलकूप, हौज इत्यादि, तो उसके पास गमले में एक तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं...........................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:37 AM
१८)..अकस्मात धन हानि, खर्चों की अधिकता, धन का संचय न हो पाना इत्यादि परेशानियों से बचने के लिए घर के अन्दर अल्मारी एवं तिजोरी इस स्थिति में रखनी चाहिए कि उसके कपाट उत्तर अथवा पूर्व दिशा की तरफ खुलें..........................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:38 AM
१९)..भवन का मुख्यद्वार यथासंभव लाल, गुलाबी अथवा सफेद रंग का रखें...............

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:39 AM
२०)..दक्षिण-पश्चिम दिशा में अधिक भार, या सामान रखें. इस कोण की भार वहन क्षमता अधिक होती है.........................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:39 AM
२१)..जिस घर की स्त्रियाँ अधिक बीमार रहती हों, तो उस घर के मुख्य द्वार के पास ऊपर चढती हुई बेल लगानी चाहिए. इससे परिवार के स्त्री वर्ग को शारीरिक-मानसिक व्याधियों से छुटकारा मिलता है............................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:40 AM
२२)..रसोई यदि गलत दिशा में बनी है, और उसे आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में बनाना संभव न हो तो, गैस सिलेंडर अवश्य रसोई के दक्षिण पूर्व में रखें. रसोई को कभी भी स्टोर न बनाए, अन्यथा गृ्हस्वामिनी को तनाव, परिवार में किसी न किसी सद्स्य को रक्तचाप,मधुमेह, नेत्र पीडा अथवा पेट में गैस इत्यादि की कोई न कोई समस्या लगी रहेंगीं..........................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:41 AM
२३)..ध्यान रहे कि कभी भी अध्ययन स्थल के पीछे दरवाजा या खिडकी आदि नहीं होनी चाहिए; यदि है, तो मन अशांत रहता है, क्रोध एवं आक्रोश का सृ्जन होता है,जिससे कि सफलता पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है. जब कि भवन की उत्तर-पूर्व दिशा अथवा संभव न हो तो अध्ययन स्थल के उत्तर-पूर्व में बैठकर पढने से सफलता अनुगामी बन पीछे पीछे चलने लगती है................................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:45 AM
२४)..एक बात बताना चाहूँगा, जो कि योग शास्त्र से संबंध रखती है, लेकिन किसी भी अध्ययनकर्ता के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. वो ये कि अध्ययन करते सदैव आपकी इडा नाडी अर्थात बायाँ स्वर चल रहा होना चाहिए. इससे मस्तिष्क की एकाग्रता बनी रहकर किया गया अध्ययन मस्तिष्क में बहुत देर काल तक संचित रहता है. स्मरणशक्ति में वृ्द्धि होती है. अन्यथा यदि कहीं पिंगला नाडी अर्थात दाहिना स्वर चलता हो तो फिर वही होगा कि "आगा दौड पीछा छोड". इधर आपने याद किया और उधर दिमाग से निकल गया. यानि मन की एकाग्रता और स्मरणशक्ति की हानि.........................

Dr.Shree Vijay
30-08-2013, 11:46 AM
२५)..इन उपरोक्त उपायों को आप अपनी दृ्ड इच्छा शक्ति व सकारात्मक सोच एवं दैव कृ्पा का विलय कर करें, तो यह नितांत सत्य है कि इनसे आप अपने भवन से अधिकांश वास्तुजन्य दोषों को दूर कर कईं प्रकार की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकेंगें.....................................

Arvind Shah
31-08-2013, 12:55 AM
बहुत ही काम की जानकारी प्रदान करने के लिए धन्यवाद डा. सा. ! ....और भी जानकारी इस सम्बन्ध में उपलब्ध हो तो अवश्य प्रदान करें !

Dr.Shree Vijay
31-08-2013, 01:46 PM
बहुत ही काम की जानकारी प्रदान करने के लिए धन्यवाद डा. सा. ! ....और भी जानकारी इस सम्बन्ध में उपलब्ध हो तो अवश्य प्रदान करें !



अपना अमूल्य अभिप्राय देने के लिए हार्दिक धन्यवाद............

aspundir
31-08-2013, 08:59 PM
अत्यन्त ज्ञानवर्धक सामग्री के लिये आभार डॉ॰ साहब

Dr.Shree Vijay
31-08-2013, 09:05 PM
अत्यन्त ज्ञानवर्धक सामग्री के लिये आभार डॉ॰ साहब



आपका हार्दिक धन्यवाद..........

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:02 PM
स्वस्तिक से वास्तु दोष निवारण...................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:03 PM
वास्तु शास्त्र में चार दिशाएँ होती हैं। स्वस्तिक चारों दिशाओं का बोध कराता है। पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर। चारों दिशाओं के देव पूर्व के इंद्र, दक्षिण के यम, पश्चिम के वरुण, उत्तर के कुबेर। स्वस्तिक की भुजाएँ चारों उप दिशाओं का बोध कराती हैं। ईशान, अग्नि, नेऋत्य, वायव्य। स्वस्तिक के आकार में आठों दिशाएँ गर्भित हैं। वैदिक हिन्दू धर्म के अनुकूल स्वस्तिक को गणपति का स्वरूप माना है................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:04 PM
स्वस्तिक की चारों दिशाएँ से चार युग, सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग की जानकारी मिलती है। चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। चार आश्रम ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास। चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। चार वेद इत्यादि अनंत जानकारी का बोधक है................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:06 PM
स्वस्तिक की चार भुजाओं में जैन धर्म के मूल सिद्धांतों का बोध होता है। समवसरण में भगवान का दर्शन चतुर्थ दिशाओं से समान रूप से होता है। चार घातिया कर्म ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय, अंतराय। चार अनंत चतुष्टय अनंतदर्शन, अनंतज्ञान, अनंतसुख, अनंत वीर्य। उपवन भूमि में चारों दिशाओं में क्रमशः अशोक, सप्तच्छद, चंपक और आम्रवन होते हैं................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:08 PM
चार अनुयोग- प्रथमानुयोग, चरणानुयोग, करणानुयोग, द्रव्यानुयोग। चार निक्षेप- नाम, स्थापना, द्रव्य, भाव। चार कषाय- क्रोध, मान, माया, लोभ। मुख्य चार प्राण- इंद्रिय, बल, आयु, श्वासोच्छवास। चार संज्ञा- आहार, निद्रा, मैथुन, परिग्रह। चार दर्शन- चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवल। चार आराधना- दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप। चार गतियाँ- देव, मनुष्य, तिर्यन्च, नरक................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:09 PM
प्राचीन काल में जिन वास्तु नियमों को विद्वानो ने लिख गए हैं उनका महत्त्व आज भी कम नहीं हुआ है। परन्तु कई कारणों से इन नियमों को पालन न करने की सूरत में घर में किसी न किसी तरह का वास्तु दोष आ ही जाता है। इन वास्तु दोषों के निवारण के उपाय किसी प्रशिक्षित वास्तु विशेषज्ञ से कराने चाहिए। लेकिन फौरी तौर पर एक स्वस्तिक प्रयोग बता रहें हैं जिससे वास्तु की समस्या का कुछ हद तक निवारण हो सकता है................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:09 PM
वास्तु दोष को दूर करने के लिए बनाया गया स्वस्तिक 6 इंच से कम नहीं होना चाहिए। घर के मुख्य़ द्वार के दोनों ओर ज़मीन से 4 से 5 फुट ऊपर सिन्दूर से यह स्वस्तिक बनाऐं। घर में जहां भी वास्तु दोष है और उसे दूर करना संभव न हो तो वहां पर भी इस तरह का स्वस्तिक बना दें। जिस भी दिशा की शांति करानी हो उस दिशा में 6" x 6" का तांबे का स्वस्तिक यंत्र पूजन कर लगा देना चाहिए। इस यंत्र के साथ उस दिशा स्वामी का रत्न भी यंत्र के साथ लगा दें................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:10 PM
नींव पूजन के समय भी इस तरह के यंत्र आठों दिशाओं व ब्रह्म स्थान पर दिशा स्वामियों के रत्न के साथ लगा कर गृहस्वामी के हाथ के बराबर गड्ढा खोद कर, चावल बिछा कर, दबा देना चाहिए। पृथ्वी में इन अभिमंत्रित रत्न जड़े स्वस्तिक यंत्र की स्थापना से इनका प्रभाव काफ़ी बड़े क्षेत्र पर होने लगता है। दिशा स्वामियों की स्थिति इस प्रकार है- ब्रह्म स्थान-माणिक, पूर्व-हीरा, आग्नेय-मूंगा, दक्षिण-नीलम, नैऋत्य-पुखराज, पश्चिम-पन्ना, वायव्य-गोमेद, उत्तर-मोती, इशान-स्फटिक................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:11 PM
विधि :-- शरीर की बाहरी शुद्धि करके शुद्ध वस्त्रों को धारण करके ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए (जिस दिन स्वस्तिक बनाएँ) पवित्र भावनाओं से नौ अंगुल का स्वस्तिक 90 डिग्री के एंगल में सभी भुजाओं को बराबर रखते हुए बनाएँ................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:12 PM
केसर से, कुमकुम से, सिन्दूर और तेल के मिश्रण से अनामिका अंगुली से ब्रह्म मुहूर्त में विधिवत बनाने पर उस घर के वातावरण में कुछ समय के लिए अच्छा परिवर्तन महसूस किया जा सकता है। भवन या फ्लैट के मुख्य द्वार पर एवं हर रूम के द्वार पर अंकित करने से सकारात्मक ऊर्जाओं का आगमन होता है................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:13 PM
स्वस्तिक चिह्न लगभग हर समाज में आदर से पूजा जाता है क्योंकि स्वस्तिक के चिह्न की बनावट ऐसी होती है, कि वह दसों दिशाओं से सकारात्मक एनर्जी को अपनी तरफ खींचता है। इसीलिए किसी भी शुभ काम की शुरुआत से पहले पूजन कर स्वस्तिक का चिह्न बनाया जाता है................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:13 PM
ऐसे ही शुभ कार्यो में आम की पत्तियों को आपने लोगों को अक्सर घर के दरवाज़े पर बांधते हुए देखा होगा क्योंकि आम की पत्ती ,इसकी लकड़ी ,फल को ज्योतिष की दृष्टी से भी बहुत शुभ माना जाता है। आम की लकड़ी और स्वास्तिक दोनों का संगम आम की लकड़ी का स्वस्तिक उपयोग किया जाए तो इसका बहुत ही शुभ प्रभाव पड़ता है................

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 04:14 PM
यदि किसी घर में किसी भी तरह वास्तुदोष हो तो जिस कोण में वास्तु दोष है उसमें आम की लकड़ी से बना स्वास्तिक लगाने से वास्तुदोष में कमी आती है क्योंकि आम की लकड़ी में सकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करती है। यदि इसे घर के प्रवेश द्वार पर लगाया जाए तो घर के सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके अलावा पूजा के स्थान पर भी इसे लगाये जाने का अपने आप में विशेष प्रभाव बनता है................

aspundir
29-09-2013, 08:42 PM
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aspundir
29-09-2013, 08:44 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=30701&stc=1&d=1380469833

Dr.Shree Vijay
29-09-2013, 08:50 PM
सहयोग के लिए हार्दिक आभार.......................

Dr.Shree Vijay
01-11-2013, 10:45 PM
भगवान श्रीगणेश जी की पूजा करने से वास्तु दोष दूर होते हें......

Dr.Shree Vijay
01-11-2013, 10:48 PM
वास्तु देवता की संतुष्टि के लिए करें श्री गणेश जी की आराधना.........

ब्रह्माजी ने वास्तु पुरुष की प्रार्थना पर वास्तुशास्त्र के नियमों की रचना की थी। इनकी अनदेखी करने पर उपयोगकर्ता की शारीरिक, मानसिक, आर्थिक हानि होना निश्चित रहता है। वास्तु देवता की संतुष्टि गणेशजी की आराधना के बिना अकल्पनीय है।

गणपतिजी का वंदन कर वास्तुदोषों को शांत किए जाने में किसी प्रकार का संदेह नहीं है। नियमित गणेशजी की आराधना से वास्तु दोष उत्पन्न होने की संभावना बहुत कम होती है।

Dr.Shree Vijay
01-11-2013, 11:04 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=31408&stc=1&d=1383329015

Dr.Shree Vijay
01-11-2013, 11:06 PM
वास्तु देवता की संतुष्टि के लिए करें श्री गणेश जी की आराधना.........

यदि घर के मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगाया गया हो तो उसके दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर दोनों गणेशजी की पीठ मिली रहे, इस प्रकार से दूसरी प्रतिमा या चित्र लगाने से वास्तु दोषों का शमन होता है।

घर या कार्यस्थल के किसी भी भाग में वक्रतुण्ड की प्रतिमा अथवा चित्र लगाए जा सकते हैं। किन्तु यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि किसी भी स्थिति में इनका मुंह दक्षिण दिशा या नैऋत्य कोण में नहीं होना चाहिए। सुख, शांति, समृद्धि की चाह रखने वालों के लिए सफेद रंग के विनायक की मूर्ति, चित्र लगाना चाहिए।

Dr.Shree Vijay
01-11-2013, 11:10 PM
वास्तु देवता की संतुष्टि के लिए करें श्री गणेश जी की आराधना.........

सर्व मंगल की कामना करने वालों के लिए सिन्दूरी रंग के गणपति की आराधना अनुकूल रहती है। विघ्नहर्ता की मूर्ति अथवा चित्र में उनके बाएं हाथ की और सूंड घुमी हुई हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए। दाएं हाथ की ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी हठी होते हैं तथा उनकी साधना-आराधना कठिन होती है। वे देर से भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।

मंगल मूर्ति को मोदक एवं उनका वाहन मूषक अतिप्रिय है। अतः चित्र लगाते समय ध्यान रखें कि चित्र में मोदक या लड्डू और चूहा अवश्य होना चाहिए।

घर में बैठे हुए गणेशजी तथा कार्यस्थल पर खड़े गणपतिजी का चित्र लगाना चाहिए, किन्तु यह ध्यान रखें कि खड़े गणेशजी के दोनों पैर जमीन का स्पर्श करते हुए हों। इससे कार्य में स्थिरता आने की संभावना रहती है।

भवन के ब्रह्म स्थान अर्थात केंद्र में, ईशान कोण एवं पूर्व दिशा में सुखकर्ता की मूर्ति अथवा चित्र लगाना शुभ रहता है। किन्तु टॉयलेट अथवा ऐसे स्थान पर गणेशजी का चित्र नहीं लगाना चाहिए जहां लोगों को थूकने आदि से रोकना हो। यह गणेशजी के चित्र का अपमान होगा।

Dr.Shree Vijay
01-11-2013, 11:12 PM
वास्तु देवता की संतुष्टि के लिए करें श्री गणेश जी की आराधना.........

भवन के जिस भाग में वास्तु दोष हो उस स्थान पर घी मिश्रित सिन्दूर से स्वस्तिक दीवार पर बनाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है।

Dr.Shree Vijay
01-11-2013, 11:27 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=31410&stc=1&d=1383330432

bindujain
02-11-2013, 04:51 AM
बेहतर जानकारी है

Dr.Shree Vijay
02-11-2013, 10:37 AM
बेहतर जानकारी है





धन्यवाद बिंदु जी.................

Dr.Shree Vijay
02-11-2013, 01:54 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=31412&stc=1&d=1383382412

dipu
10-11-2013, 12:12 PM
lage raho

Dr.Shree Vijay
18-11-2013, 03:53 PM
lage raho


:hello: :hello: :hello:

Dr.Shree Vijay
27-11-2013, 04:32 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

हमारे ऋषियों का सारगर्भित निष्कर्ष है, 'यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे।' जिन पंचमहाभूतों से पूर्ण ब्रह्मांड संरचित है उन्हीं तत्वों से हमारा शरीर निर्मित है और मनुष्य की पांचों इंद्रियां भी इन्हीं प्राकृतिक तत्वों से पूर्णतया प्रभावित हैं। आनंदमय, शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन के लिए शारीरिक तत्वों का ब्रह्मांड और प्रकृति में व्याप्त पंचमहाभूतों से एक सामंजस्य स्थापित करना ही वास्तुशास्त्र की विशेषता है।

वास्तुशास्त्र जीवन के संतुलन का प्रतिपादन करता है। यह संतुलन बिगड़ते ही मानव एकाकी और समग्र रूप से कई प्रकार की कठिनाइयों और समस्याओं का शिकार हो जाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार पंचमहाभूतों- पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश के विधिवत उपयोग से बने आवास में पंचतत्व से निर्मित प्राणी की क्षमताओं को विकसित करने की शक्ति स्वत: स्फूर्त हो जाती है :.........

Dr.Shree Vijay
27-11-2013, 04:34 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

पृथ्वी मानवता और प्राणी मात्र का पृथ्वी तत्व (मिट्टी) से स्वाभाविक और भावनात्मक संबंध है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। इसमें गुरूत्वाकर्षण और चुम्बकीय शक्ति है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि पृथ्वी एक विशालकाय चुम्बकीय पिण्ड है। एक चुम्बकीय पिण्ड होने के कारण पृथ्वी के दो ध्रुव उत्तर और दक्षिण ध्रुव हैं। पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणी, सभी जड़ और चेतन वस्तुएं पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण से प्रभावित होते हैं।

जिस प्रकार पृथ्वी अनेक तत्वों और अनेक प्रकार के खनिजों जैसे लोहा, तांबा, इत्यादि से भरपूर है उसी प्रकार हमारे शरीर में भी अन्य धातुओं के अलावा लौह धातु भी विद्यमान है। कहने का तात्पर्य है कि हमारा शरीर भी चुम्बकीय है और पृथ्वी की चुम्बकीय शक्ति से प्रभावित होता है। वास्तु के इसी सिद्धांत के कारण यह कहा जाता है कि दक्षिण की ओर सिर करके सोना चाहिए। इस प्रकार सोते समय हमारा शरीर ब्रह्मांड से अधिक से अधिक शक्ति को ग्रहण करता है और एक चुम्बकीय लय में सोने की स्थिति से मनुष्य अत्यंत शांतिप्रिय नींद को प्राप्त होता है और सुबह उठने पर तरोताजा महसूस करता है :.........

Dr.Shree Vijay
27-11-2013, 04:36 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

वास्तुशास्त्र में पृथ्वी (मिट्टी) का निरीक्षण, भूखण्ड का निरीक्षण, भूमि आकार, ढलान और आयाम आदि का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। मात्र पृथ्वी तत्व ही एक ऐसा विशेष तत्व है, जो हमारी सभी इंद्रियों पर पूर्ण प्रभाव रखता है। जल पृथ्वी तत्व के बाद जल तत्व अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है। इसका संबंध हमारी ग्राह्य इंद्रियों, स्वाद, स्पर्श, दृष्टि और श्रवण से है। मानव के शरीर का करीब सत्तर प्रतिशत भाग जल के रूप में और पृथ्वी का दो तिहाई भाग भी जल से पूर्ण है।

पुरानी सभ्यताएं अधिकतर नदियों और अन्य जल स्त्रोतों के समीप ही बसी होती थी। वास्तुशास्त्र जल के संदर्भ में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे कि कुएं, तालाब या हैडपंप की खुदाई किस दिशा में होनी चाहिए, स्वच्छ और मीठा पानी भूखंड के किस दिशा में मिलेगा, नगर को या घर को पानी के स्त्रोत के सापेक्ष में किस दिशा में रखा जाए या पानी की टंकी या जल संग्रहण के साधन को किस स्थान पर स्थापित किया जाए इत्यादि। पानी के भंडारण के अलावा पानी की निकासी, नालियों की बनावट, सीवर और सेप्टिक टैंक इस प्रकार से रखे जाएं, जिससे जल तत्व का गृहस्थ की खुशहाली से अधिकतम सामंजस्य बैठे :.........

Dr.Shree Vijay
27-11-2013, 04:39 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

अग्नि सूर्य अग्नि तत्व का प्रथम द्योतक है। सूर्य संपूर्ण ब्रह्मांड की आत्मा है, क्योंकि सूर्य उर्जा और प्रकाश दोनों का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत है। रात्रि और दिन का उदय होना और ऋतुओं का परिवर्तन सूर्य के संदर्भ में पृथ्वी की गति से ही निर्धारित होता है। अग्नितत्व हमारी श्रवण, स्पर्श और देखने की शक्ति से संबंध रखता है। सूर्य के बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है। सूर्य की ऊर्जा रश्मियां और प्रकाश सूर्योदय से सूर्यास्त तक पल-पल बदलता है। उषाकाल का सूर्य सकारात्मक शक्तियों का प्रतीक है और आरोग्य वृद्धि करता है।

भवन का पूर्व दिशा में नीचा रहना और अधिक खुला रहना सूर्य की इन प्रभावशाली किरणों को घर में निमंत्रित करता है। इसी प्रकार दक्षिण-पश्चिम में ऊंचे और बड़े निर्माण दोपहर बाद के सूर्य की नकारात्मक और हानिकारक किरणों के लिए अवरोधक हैं। सूर्य की किरणों का विभाजन (7+2) नौ रंगों में किया जा सकता है। सर्वाधिक उपयोगी पूर्व में उदित होने वाली परा-बैगनी किरणें हैं, जिसका ईशान कोण से सीधा संबंध है। इसके बाद सूर्य के रश्मि-जाल में बैगनी, गहरी नीली, नीली, हरी, पीली, संतरी, लाल तथा दक्षिण-पूर्व में रक्ताभ किरणों में विभक्त किया जा सकता है :.........

Dr.Shree Vijay
27-11-2013, 05:36 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

सूर्य रश्मिजाल के परा-बैगनी और ठंडे रंग स्वास्थ्य पर अत्यंत लाभदायक और शुभ प्रभाव छोड़ते हैं। इसलिए ईशान कोण में अधिक से अधिक जगह खाली रखी जानी चाहिए। जब इन किरणों का संबंध जल से होता है, तो यह और भी बेहतर है। इसलिए पानी के भंडारण के लिए ईशान कोण का प्रयोग करने का सुझाव दिया जाता है। उत्तरपूर्व में दीवार बनाना या इस तरफ शौचालय इत्यादि बनाना भी भवन की सबसे पवित्र दिशा को दूषित करता है। इस दोष से इस दिशा का सही उपयोग और लाभ नहीं मिल पाता, बल्कि घर में कलह और बीमारी के करण बन सकते हैं।

उषाकाल के सूर्य की परा-बैगनी किरणें शरीर के मेटाबॉलिज़्म को संतुलित रखते हैं। भारतीय जीवन में सूर्य नमस्कार और सुबह सूर्य को जल चढ़ाने जैसे उपाय परा-बैगनी किरणों के शुभ प्रभावों में वृद्धि करने वाले होते हैं। सूर्य की किरणें जल में से पारदर्शित होकर और भी सशक्त और उपयोगी हो जाती हैं। दोपहर बाद और शाम के सूर्य की रक्ताभ किरणें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और इनका बहिष्कार अति उत्तम है। वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा में ऊंचे और बड़े वृक्ष लगाए जाने चाहिए, जिससे दूषित किरणों से बचाव हो सके या यह किरणें परावर्तित हो सके :.........

Dr.Shree Vijay
27-11-2013, 05:49 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

वायु वायु जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी तत्व है। वायु का हमारी श्रवण और स्पर्श इंद्रियों से सीधा संबंध है। पृथ्वी और ब्रह्मांड में स्थित वायु नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और हीलियम जैसी गैसों का सम्मिश्रण है। जीवन के लिए इन सभी गैसों की सही प्रतिशतता, सही वायुमंडलीय दबाव और आर्द्रता का सही अनुपात होना आवश्यक है।

वास्तुशास्त्र में जीवनदायिनी वायु के शुभ प्रभाव के लिए दरवाज़े, खिड़कियां, रोशनदानों, बालकनी और ऊंची दीवारों को सही स्थान और अनुपात में रखना बहुत आवश्यक है। इसी के साथ घर के आसपास लगे पेड़ और पौधे भी वायुतत्व को संतुलित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं :.........

Dr.Shree Vijay
27-11-2013, 05:51 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

आकाश वास्तुशास्त्र में आकाश को एक प्रमुख तत्व की संज्ञा दी गई है। पाश्चात्य निर्माण कला में अभी तक आकाश को एक प्रमुख तत्व की मान्यता नहीं दी गई थी, इसलिए वास्तुशास्त्र आधुनिक और प्राचीन निर्माण कला में सबसे श्रेष्ठ है। आकाश अनंत और असीम है, इसका संबंध हमारी श्रवण शक्ति से है। एक घर में आकाश तत्व की महत्ता घर के मध्य में होती है।

घर में प्रकाश और ऊर्जा के स्वछंद प्रवाह के लिए इसे हवादार और मुक्त रखा जाना चाहिए। आकाश तत्व में अक्रोधकता घर या कार्य स्थल में वृद्धि में बाधक हो सकती है। घर या फैक्ट्री को या उसमें रखे सामान को अव्यवस्थित ढंग से रखना आकाश तत्व को दूषित करना है। मकान में अपनी ज़रूरत से अधिक अनावश्यक निर्माण और फिर उन फ्लोर या कमरों को उपयोग में न लाना, बेवजह के सामान से कमरों को ठूंसे रखना भवन के आकाश तत्व को दूषित करता है :.........

Dr.Shree Vijay
27-11-2013, 05:52 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

नकारात्मक शक्तियों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सुझाव है कि भवन में उतना ही निर्माण करें जितना आवश्यक हो। वास्तुशास्त्र भवन में पंचमहाभूतों का सही संतुलन और सामंजस्य पैदा कर घर के सभी सदस्यों के लिए सौहार्दपूर्ण वातावरण पैदा करता है। आजकल घरों में साज-सज्जा के बेहतरीन नमूने और अत्याधुनिक उपकरणों की कोई कमी नहीं पाई जाती।

अगर कमी होती है, तो प्राकृतिक प्रकाश, वायु और पंचतत्वों के सही संतुलन की। एक घर में सही स्थान पर बनी एक बड़ी खिड़की की उपयोगिता कीमती और अलंकृत साजसज्जा से कहीं ज्यादा है। वास्तुविद्या मकान को एक शांत, सुसंस्कृत और सुसज्जित घर में तब्दील करती है। यह घर परिवार के सभी सदस्यों को एक हर्षपूर्ण, संतुलित और समृद्धि जीवन शैली की ओर ले जाता है :.........

Dr.Shree Vijay
07-02-2014, 06:29 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

शयनकक्ष में सोते समय सकारात्मक ऊर्जा कैसे पाए........

यह सर्वविदित है कि अच्छी नींद सुस्वास्थ्य की मूलाधार है। लेकिन यह तभी हो सकता है जब हमारा शयनकक्ष स्वच्छ, हवादार और सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो। वास्तु शास्त्र में अनेक ऐसे सूत्र हैं जिनको उपयोग में लाकर आप अपने शयनकक्ष को सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण बना सकते हैं।

शयनकक्ष में अधोलिखित सूत्रों का पालन करना चाहिए-

अच्छे स्वास्थ्य के लिए दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए! दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है। स्वास्थ्य ठीक रहता है और अच्छी गहरी नींद आती है। गहरी नींद सुस्वास्थ्य की परिचायक है।

पूर्व दिशा की ओर सिर करके सिर्फ शिक्षा प्राप्त करने वाले युवा या बच्चों को सोना चाहिए। पूर्व की ओर सिर करके सोने वाले बच्चों की बुद्धि सजग, स्मृति अच्छी एवं पढ़ने में अधिक मन लगता है।
उत्तर एवं पश्चिम दिशा की ओर सिर करके नहीं सोना चाहिए। इस और सिर करके सोने से शरीर रोगी रहता है और नींद भी अच्छी नहीं आती है। मन में चिन्ताएं एवं तनाव रहता है।

शयनकक्ष में देवी-देवताओं, पूर्वजों, हिंसक पशु-पक्षियों और ऐतिहासिक एवं पौराणिक युद्ध चित्रों को नहीं लगाना चाहिए। ऐसे चित्रों को लगाने से नकारात्मक भाव या भय उत्पन्न होता है और मानसिक अस्थिरता आती है :.........

Dr.Shree Vijay
07-02-2014, 06:30 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

शयनकक्ष में सोते समय सकारात्मक ऊर्जा कैसे पाए........

दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में मनोरम दिखने वाले प्रकृति दृश्यों को लगाया जा सकता है।
शयनकक्ष में टी.वी., कम्प्यूटर आदि इलेक्ट्रॉनिक गैजेटस् नहीं होने चाहिएं! यदि अत्यावश्यक हों तो उन्हें आग्नेय कोण में ही रखें। काम न होने की स्थिति में इसकी स्क्रीन को ढक कर रखें।

यदि डे्रसिंग टेबिल भी शयनकक्ष में है तो उसे उत्तर या ईशान कोण की दीवार के साथ रखें और जब प्रयोग न कर रहे हों तो इसे ढककर ही रखें!

शयनकक्ष में पलंग बीम या टांड के नीचे नहीं पड़ना चाहिए। सोते समय बीम या टांड सिर के ऊपर नहीं होना चाहिए! यदि ऐसा होगा तो नींद नहीं आएगी और दिमाग में भारीपन व तनाव उत्पन्न होगा! नींद न आने के कारण अगला दिन भी अच्छा नहीं जाएगा और शरीर अस्वस्थ महसूस होगा। इस बात का विशेष ध्यान रखें! यदि मजबूरी है तो बीम को फाल्स सीलिंग से ढक सकते हैं।

सोते समय पैर द्वार की ओर नहीं होने चाहिएं। यह ध्यान रखें कि इस स्थिति में पैर मृतक के रखे जाते हैं :.........

Dr.Shree Vijay
07-02-2014, 06:34 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

शयनकक्ष में सोते समय सकारात्मक ऊर्जा कैसे पाए........

पलंग इस तरह नहीं बिछाना चाहिए कि उस पर सोते समय द्वार के मध्य में पड़ें। ऐसा होने पर नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है।

पलंग पर दो लोग सो रहे हैं तो इस तरह न सोएं कि दोनों के सिर विपरीत दिशा में हों अर्थात् एक का सिर दक्षिण में है तो दूसरे का सिर उत्तर में! यानि एक के पैर दूसरे के मुख के पास आएं! ऐसा करके सोने पर जीवन में दुर्भाग्य एवं नकारात्मकता की वृद्धि होती है! कोई भी कार्य नहीं बनता है और जीवन में हर क्षेत्र में असफलता और विलम्ब आता है।

घर में पालतु जानवर हैं तो उन्हें वायव्य कोण(उत्तर-पश्चिम) में रखना चाहिए!

कैश और जेवर को शयन कक्ष में नहीं रखना चाहिए। यदि मजबूरी हो तो दक्षिण में रखी अलमारी जिसका मुख उत्तर की ओर खुलता हो में रखें! ऐसा करने पर कुबेर की कृपा बनी रहती है और धन में वृद्धि होती है!

शयनकक्ष में दक्षिण व पश्चिम दिशा को रिक्त न रखें! वहां पर भारी समान या अलमारी आदि रखनी चाहिए! यदि ऐसा करेंगे तो शयनकक्ष में ऐसा चुम्बकीय क्षेत्र विकसित होगा कि आपको जल्दी नींद आ जाएगी और थकान भी महसूस नहीं होगी।

दो अलमारियों के मध्य पलंग कदापि नहीं बिछाना चाहिए! ऐसा करेंगे तो नींद भी नहीं आएगी और बेचैनी महसूस करेंगे! शयनकक्ष के अटैच शौचालय के सम्मुख सोते समय पैर न पड़े यदि ऐसा होगा तो दुर्भाग्य आपका पीछा करने लगेगा!

उक्त वास्तु सूत्रों को ध्यान में रखेंगे तो सकारात्मक ऊर्जा संग गहरी नींद पाएंगे :.........

Dr.Shree Vijay
15-02-2014, 04:26 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

कभी घर न लाएं ये 6 चीजें........

http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?photoid=27646555

महाभारत की तस्वीरें या प्रतीक:
महाभारत को भारत के इतिहास का सबसे भीषण युद्ध माना जाता है। कहते हैं कि इस युद्ध के प्रतीकों, मसलन तस्वीर या रथ इत्यादि को घर में रखने से घर में क्लेश बढ़ता है। यही नहीं, महाभारत ग्रंथ भी घर से दूर ही रखने की सलाह दी जाती है :.........



साभार :......... (http://navbharattimes.indiatimes.com/)

Dr.Shree Vijay
15-02-2014, 04:32 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

कभी घर न लाएं ये 6 चीजें........

http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/4/4a/Taj1.jpg

ताजमहल:
ताजमहल प्रेम का प्रतीक तो है, लेकिन साथ ही वह मुमताज की कब्रगाह भी है। इसलिए ताजमहल की तस्वीर या उसका प्रतीक घर में रखना नकारात्मकता फैलाता है। माना जाता है कि ऐसी चीजें घर पर रखी होने से हमारे जीवन पर बहुत गलत असर पड़ सकता है। यह सीधे-सीधे मौत से जुड़ा है इसलिए इसे घर पर न रखें :.........



साभार :......... (http://navbharattimes.indiatimes.com/)

Dr.Shree Vijay
15-02-2014, 04:34 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

कभी घर न लाएं ये 6 चीजें........

http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?photoid=27646537

नटराज की मूर्ति:
नटराज नृत्य कला के देवता हैं। लगभग हर क्लासिकल डांसर के घर में आपको नटराज की मूर्ति रखी मिल जाती है। लेकिन नटराज की इस मूर्ति में भगवान शिव 'तांडव' नृत्य की मुद्रा में हैं जो कि विनाश का परिचायक है। इसलिए इसे घर में रखना भी अशुभ फलकारक होता है :.........



साभार :......... (http://navbharattimes.indiatimes.com/)

Dr.Shree Vijay
15-02-2014, 04:39 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

कभी घर न लाएं ये 6 चीजें........

http://static2.wikia.nocookie.net/__cb20130918052257/jamescameronstitanic/images/5/55/Titanic_sinking.jpg

डूबती हुई नाव या जहाज:
डूबती नाव अगर घर में रखी हो तो अपने साथ आपका सौभाग्य भी डुबा ले जाती है। घर में रखी डूबती नाव की तस्वीर या कोई शोपीस सीधा आपके घर के रिश्तों पर आघात करता है। रिश्तों में डूबते मूल्यों का प्रतीक है यह चिह्न। इसे अपने घरौंदे से दूर रखें :.........



साभार :......... (http://navbharattimes.indiatimes.com/)

Dr.Shree Vijay
15-02-2014, 04:43 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

कभी घर न लाएं ये 6 चीजें........

http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?photoid=27646508

फव्वारा:
फव्वारे या फाउन्टन आपके घर की खूबसूरती तो बढ़ाते हैं लेकिन इसके बहते पानी के साथ आपका पैसा और समृद्धि भी बह जाती है। घर में फाउन्टन रखना शुभ नहीं होता :.........



साभार :......... (http://navbharattimes.indiatimes.com/)

Dr.Shree Vijay
15-02-2014, 04:48 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

कभी घर न लाएं ये 6 चीजें........

http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?photoid=27646497

जंगली जानवरों का कोई प्रतीक:
किसी जंगली जानवर की तस्वीर या शो पीस घर पर रखना भी अच्छा नहीं माना जाता। इससे घर में रहने वालों का स्वभाव उग्र होने लगता है। घर में क्लेश और बेतरतीबी बढ़ती है :.........



साभार :......... (http://navbharattimes.indiatimes.com/)

Dr.Shree Vijay
17-02-2014, 04:49 PM
सरल अचूक असरकारी वास्तु टिप्स........

http://4.bp.blogspot.com/-mcQ6Efnv0Ls/TuCcF0_G5KI/AAAAAAAAA1M/D3IpDBOtiO0/s1600/vastu.jpg


साभार :......... (http://mediacaregroup.blogspot.in/)

pushpa soni
17-02-2014, 07:10 PM
awww very nice ......

Dr.Shree Vijay
13-03-2014, 05:32 PM
awww very nice ......


प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.........

Dr.Shree Vijay
13-03-2014, 05:45 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

कौन सा समय किस कार्य के लिए शुभ होता है ?........

सूर्य, वास्तु शास्त्र को प्रभावित करता है इसलिए जरूरी है कि सूर्य के अनुसार ही हम भवन निर्माण करें तथा अपनी दिनचर्या भी सूर्य के अनुसार ही निर्धारित करें।

1- सूर्योदय से पहले रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य घर के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। यह समय चिंतन-मनन व अध्ययन के लिए बेहतर होता है।

2- सुबह 6 से 9 बजे तक सूर्य घर के पूर्वी हिस्से में रहता है इसीलिए घर ऐसा बनाएं कि सूर्य की पर्याप्त रौशनी घर में आ सके।

3- प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे तक सूर्य घर के दक्षिण-पूर्व में होता है। यह समय भोजन पकाने के लिए उत्तम है। रसोई घर व स्नानघर गीले होते हैं। ये ऐसी जगह होने चाहिए, जहां सूर्य की रोशनी मिले, तभी वे सुख और स्वास्थ्यकर हो सकते हैं।

4- दोपहर 12 से 3 बजे तक विश्रांति काल(आराम का समय) होता है। सूर्य अब दक्षिण में होता है, अत: शयन कक्ष इसी दिशा में बनाना चाहिए।

5- दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक अध्ययन और कार्य का समय होता है और सूर्य दक्षिण-पश्चिम भाग में होता है। अत: यह स्थान अध्ययन कक्ष या पुस्तकालय के लिए उत्तम है।

6- सायं 6 से रात 9 तक का समय खाने, बैठने और पढऩे का होता है इसलिए घर का पश्चिमी कोना भोजन या बैठक कक्ष के लिए उत्तम होता है।

7- सायं 9 से मध्य रात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर-पश्चिम में होता है। यह स्थान शयन कक्ष के लिए भी उपयोगी है।

8- मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक सूर्य घर के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को रखने के लिए उत्तम है :.........

Dr.Shree Vijay
15-04-2014, 07:01 PM
श्री हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर
सभीको हार्दिक शुभकामनाएं :.........


http://1.bp.blogspot.com/_qx425U2SBrU/S7G8sHutRzI/AAAAAAAAAIM/HE_uR_zQP6M/s1600/Hanuman.bmp

Dr.Shree Vijay
25-04-2014, 06:56 PM
http://3.bp.blogspot.com/-nr4DErcq0sI/UdeJcVgfcfI/AAAAAAAAX5A/9kqMkA5Olj8/s640/6720135.png

Dr.Shree Vijay
02-06-2014, 07:16 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

बेड रूम के लिए वास्तु टिप्स........

- बेड रूम (शयन कक्ष) के स्थान और सामान के लिए वास्तु टिप्स|

बेडरूम आपका वह स्थान जहां आप अपना सबसे ज्यादा समय बिताते हें| पुरे दिन काम करने के बाद यह स्थान आपके शरीर और दिमाग को आराम और शांति प्रदान करता है| यहाँ वास्तु शास्त्र के अनुसार शयन कक्ष के स्थान और चीजों के रखरखाव के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं|

बेड रूम के लिए उपयुक्त दिशाये :

* मुख्य शयन कक्ष, जिसे मास्टर बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण पश्चिम या उत्तर पश्चिम की ओर होना चाहिए | अगर घर में एक मकान की ऊपरी मंजिल है तो मास्टर ऊपरी मंजिल मंजिल के दक्षिण पश्चिम कोने में होना चाहिए |

* बच्चों का कमरा उत्तर – पश्चिम या पश्चिम में होना चाहिए और मेहमानों के लिए कमरा (गेस्ट बेड रूम) उत्तर पश्चिम या उत्तर – पूर्व की ओर होना चाहिए | पूर्व दिशा में बने कमरा का अविवाहित बच्चों या मेहमानों के सोने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है |

* उत्तर – पूर्व दिशा में देवी – देवताओं का स्थान है इसलिए इस दिशा में कोई बेडरूम नहीं होना चाहिए | उत्तर – पूर्व में बेडरूम होने से धन की हानि , काम में रुकावट और बच्चों की शादी में देरी हो सकती है |

* दक्षिण – पश्चिम का बेडरूम स्थिरता और महत्वपूर्ण मुद्दों को हिम्मत से हल करने में सहायता प्रदान करता है |

* दक्षिण – पूर्व में शयन कक्ष अनिद्रा , चिंता , और वैवाहिक समस्याओं को जन्म देता है | दक्षिण पूर्व दिशा अग्नि कोण हें जो मुखरता और आक्रामक रवैये से संबंधित है | शर्मीले और डरपोक बच्चे इस कमरे का उपयोग करें और विश्वास प्राप्त कर सकते हैं | आक्रामक और क्रोधी स्वभाव के जो लोग है इस कमरे में ना रहे :.........

Dr.Shree Vijay
02-06-2014, 07:21 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

बेड रूम के लिए वास्तु टिप्स........

- बेड रूम (शयन कक्ष) के स्थान और सामान के लिए वास्तु टिप्स|

बेडरूम आपका वह स्थान जहां आप अपना सबसे ज्यादा समय बिताते हें| पुरे दिन काम करने के बाद यह स्थान आपके शरीर और दिमाग को आराम और शांति प्रदान करता है| यहाँ वास्तु शास्त्र के अनुसार शयन कक्ष के स्थान और चीजों के रखरखाव के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं|

बेड रूम के लिए उपयुक्त दिशाये :

* उत्तर – पश्चिम दिशा वायु द्वारा शासित है और आवागमन से संबंधित है | इसे विवाह योग्य लड़किया के शयन कक्ष के लिए एक अच्छा माना गया है | यह मेहमानों के शयन कक्ष लिए भी एक अच्छा स्थान है |

* शयन कक्ष घर के मध्य भाग में नहीं होना चाहिए, घर के मध्य भाग को वास्तु में बर्हमस्थान कहा जाता है | यह बहुत सारी ऊर्जा को आकर्षित करता है जोकि आराम और नींद के लिए लिए बने शयन कक्ष के लिए उपयुक्त नहीं है |

बेड रूम में रखे सामान के लिए उपयुक स्थान :

* सोते समय एक अच्छी नींद के नंद के लिए सिर पूर्व या दक्षिण की ओर होना चाहिए |

* वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार, पढ़ने और लिखने की जगह पूर्व या शयन कक्ष के पश्चिम की ओर होनी चाहिए | जबकि पढाई करते समय मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए |

* ड्रेसिंग टेबल के साथ दर्पण पूर्व या उत्तर की दीवारों पर तय की जानी चाहिए |

* अलमारी शयन कक्ष के उत्तर पश्चिमी या दक्षिण की ओर होना चाहिए | टीवी, हीटर और एयर कंडीशनर को दक्षिण पूर्वी के कोने में स्थित होना चाहिए |

* बेड रूम के साथ लगता बाथरूम, कमरे के पश्चिम या उत्तर में होना चाहिए |

* दक्षिण – पश्चिम , पश्चिम कोना कभी खाली नहीं रखा जाना चाहिए|

* यदि आप कोई सेफ या तिजोरी, बेड रूम में रखना चाहे तो उसे दक्षिण कि दिवार के साथ रख सकते हें, खुलते समय उसका मुंह धन की दिशा, उत्तर की तरफ खुलना चाहिए :.........

Arvind Shah
06-06-2014, 10:28 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

कभी घर न लाएं ये 6 चीजें........

http://navbharattimes.indiatimes.com/photo.cms?photoid=27646508

फव्वारा:
फव्वारे या फाउन्टन आपके घर की खूबसूरती तो बढ़ाते हैं लेकिन इसके बहते पानी के साथ आपका पैसा और समृद्धि भी बह जाती है। घर में फाउन्टन रखना शुभ नहीं होता :.........



साभार :......... (http://navbharattimes.indiatimes.com/)



मैने कहीं पढा या सुना है कि घर के ईशान कोण में फव्वारा या बहते जल वाला झारना रखने की सलाह दी जाती है तो सहीं क्या है?

dipu
07-06-2014, 10:48 PM
nice thread

Dr.Shree Vijay
12-06-2014, 08:40 PM
nice thread

:iagree::hello::iagree:

Dr.Shree Vijay
12-06-2014, 08:46 PM
मैने कहीं पढा या सुना है कि घर के ईशान कोण में फव्वारा या बहते जल वाला झारना रखने की सलाह दी जाती है तो सहीं क्या है?


वास्तुशास्त्र की द्रष्टि से यह बात सरासर गलत हें,
मित्र तथाकथित वास्तुशास्त्री ही ऐसी गलत सलाह देते हें.......

Dr.Shree Vijay
11-07-2014, 06:29 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :.........

किचन संबंधित खास वास्तु टिप्स........

http://2.bp.blogspot.com/-RM-roJNulLo/UVLbZ74LpEI/AAAAAAAARuY/pHY29mhuxaM/s1600/KBHome.jpg

महिलाओं का अधिकतम समय किचन में ही बीतता है। वास्तुशास्त्रियों के मुताबिक यदि वास्तु सही न हो तो उसका विपरीत प्रभाव महिला पर, घर पर भी पड़ता है। किचन बनवाते समय इन बातों पर गौर करें।

किचन की ऊँचाई 10 से 11 फीट होनी चाहिए और गर्म हवा निकलने के लिए वेंटीलेटर होना चाहिए। यदि 4-5 फीट में किचन की ऊँचाई हो तो महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। कभी भी किचन से लगा हुआ कोई जल स्त्रोत नहीं होना चाहिए। किचन के बाजू में बोर, कुआँ, बाथरूम बनवाना अवाइड करें, सिर्फ वाशिंग स्पेस दे सकते हैं।

किचन में सूर्य की रोशनी सबसे ज्यादा आए। इस बात का हमेशा ध्यान रखें। किचन की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इससे सकारात्मक व पॉजिटिव एनर्जी आती है।

- किचन हमेशा दक्षिण-पूर्व कोना जिसे अग्निकोण (आग्नेय) कहते है, में ही बनवाना चाहिए। यदि इस कोण में किचन बनाना संभव न हो तो उत्तर-पश्चिम कोण जिसे वायव्य कोण भी कहते हैं पर बनवा सकते हैं।

- किचन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा प्लेटफार्म हमेशा पूर्व में होना चाहिए और ईशान कोण में सिंक व अग्नि कोण चूल्हा लगाना चाहिए।

- किचन के दक्षिण में कभी भी कोई दरवाजा या खिड़की नहीं होने चाहिए। खिड़की पूर्व की ओर में ही रखें।

- रंग का चयन करते समय भी विशेष ध्यान रखें। महिलाओं की कुंडली के आधार पर रंग का चयन करना चाहिए।

- किचन में कभी भी ग्रेनाइट का फ्लोर या प्लेटफार्म नहीं बनवाना चाहिए और न ही मीरर जैसी कोई चीज होनी चाहिए, क्योंकि इससे विपरित प्रभाव पड़ता है और घर में कलह की स्थिति बढ़ती है।

- किचन में लॉफ्ट, अलमारी दक्षिण या पश्चिम दीवार में ही होना चाहिए।

- पानी फिल्टर ईशान कोण में लगाएँ :.........

Suraj Shah
15-07-2014, 01:07 PM
डॉ.साहब सबसे पहले ज्ञानवर्धक सूत्र के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद...

Suraj Shah
15-07-2014, 01:09 PM
अब सवाल:-क्या घर में मंदिर पत्थर का ही होना चाहिए?

Dr.Shree Vijay
15-07-2014, 04:33 PM
डॉ.साहब सबसे पहले ज्ञानवर्धक सूत्र के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद...


आपका हार्दिक आभार.........

अब सवाल:-क्या घर में मंदिर पत्थर का ही होना चाहिए?


मंदिर यानी मन के अंदर। हमारे अंतर्मन से श्रेष्ठ ईश्वर का कोई निवास हो ही नहीं सकता, ऐसा मेरा व्यक्तिगत मत है। वास्तु शास्त्र में मंदिर का स्थान ईशान्य कोण निर्धारित किया गया है, पर इस दिशा में भारी निर्माण अनुचित है। शायद इसी लिहाज से प्राचीन विद्वानों और विशेषज्ञों ने घर के मंदिर में पत्थर का अनुमोदन नहीं किया।

यदि वास्तु के नियमों की बात करें, तो घर का मंदिर यदि काष्ठ यानी लकड़ी का हो तो उत्तम है।
चंदन, समी, आम्र, बिल्व के काष्ठ मंदिर के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं.........

Suraj Shah
23-07-2014, 09:30 PM
आपका हार्दिक आभार.........




मंदिर यानी मन के अंदर। हमारे अंतर्मन से श्रेष्ठ ईश्वर का कोई निवास हो ही नहीं सकता, ऐसा मेरा व्यक्तिगत मत है। वास्तु शास्त्र में मंदिर का स्थान ईशान्य कोण निर्धारित किया गया है, पर इस दिशा में भारी निर्माण अनुचित है। शायद इसी लिहाज से प्राचीन विद्वानों और विशेषज्ञों ने घर के मंदिर में पत्थर का अनुमोदन नहीं किया।

यदि वास्तु के नियमों की बात करें, तो घर का मंदिर यदि काष्ठ यानी लकड़ी का हो तो उत्तम है।
चंदन, समी, आम्र, बिल्व के काष्ठ मंदिर के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं.........






मेरी शंका का समाधान करने के लिए ड़ॉक्टर साहब आपका हार्दिक धन्यवाद |

Swati M
01-08-2014, 10:00 PM
मेरे भी मन में यही शंका थी,
जिसका अपने सहज सुन्दर तरीके से समाधान किया,
ड़ॉक्टर साहब वाकई आप साधुवाद के पात्र हें,

Dr.Shree Vijay
12-08-2014, 07:05 PM
मेरे भी मन में यही शंका थी,
जिसका अपने सहज सुन्दर तरीके से समाधान किया,
ड़ॉक्टर साहब वाकई आप साधुवाद के पात्र हें,



साधुवाद एवं प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार.........

Deep_
15-08-2014, 04:11 PM
धन्यवाद डॉक्टर साब! कृपया सुत्र आगे बढाईए!

Dr.Shree Vijay
19-08-2014, 10:00 PM
धन्यवाद डॉक्टर साब! कृपया सुत्र आगे बढाईए!



मित्र दीप जी मेरा एक भी सूत्र आजतक रुका हुआ नही हें, प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार.........

Dr.Shree Vijay
16-10-2014, 10:47 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :
घर के मंदिर में किस देवी-देवता की कितनी मूर्तियां रखना श्रेष्ठ है :
घर मंदिर संबंधित खास वास्तु टिप्स........

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/religion.bhaskar.com/2014/10/08/2808_worship_home1.jpg

भगवान के दर्शन मात्र से ही कई जन्मों के पापों का प्रभाव नष्ट हो जाता है। इसी वजह से घर में भी देवी-देवताओं की मूर्तियां रखने की परंपरा है। इस कारण घर में छोटा मंदिर होता है और उस मंदिर में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं रखी जाती हैं। कुछ लोग एक ही देवता की कई मूर्तियां भी रखते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि घर के मंदिर में किस देवता की कितनी मूर्तियां रखना श्रेष्ठ है। यहां जानिए घर के मंदिर किस देवता की कितनी मूर्तियां रखना शुभ होता है...

श्रीगणेश की मूर्ति :

प्रथम पूज्य श्रीगणेश के स्मरण मात्र लेने से ही कार्य सिद्ध हो जाते हैं। घर में इनकी मूर्ति रखना बहुत शुभ माना जाता है। वैसे तो अधिकांश घरों में गणेशजी की कई मूर्तियां होती हैं, लेकिन ध्यान रखें कि गजानंद की मूर्तियों की संख्या 1, 3 या 5 नहीं होना चाहिए। यह अशुभ माना गया है। गणेशजी की मूर्तियों की संख्या विषम नहीं होना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार श्रीगणेश का स्वरूप सम संख्या के समान होता है, इस कारण इनकी मूर्तियों की संख्या विषम नहीं होना चाहिए। विषम संख्या यानी 1, 3, 5 आदि। घर में श्रीगणेश की कम से कम दो मूर्तियां रखना श्रेष्ठ माना गया है :.........

Dr.Shree Vijay
16-10-2014, 10:49 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :
घर के मंदिर में किस देवी-देवता की कितनी मूर्तियां रखना श्रेष्ठ है :
घर मंदिर संबंधित खास वास्तु टिप्स........

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/religion.bhaskar.com/2014/10/08/2857_shivpujan1.jpg

शिवलिंग की संख्या और आकार :

ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। घर में शिवलिंग रखने के संबंध में कुछ नियम बताए गए हैं। घर के मंदिर में रखे गए शिवलिंग का आकार हमारे अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए।

ऐसा माना जाता है शिवलिंग बहुत संवेदनशील होता है, अत: घर में ज्यादा बड़ा शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। इसके साथ ही घर के मंदिर में एक शिवलिंग ही रखा जाए तो वह ज्यादा बेहतर फल देता है। एक से अधिक शिवलिंग रखने से बचना चाहिए :.........

Suraj Shah
21-10-2014, 04:32 PM
बेहतरीन जानकारीया.

Dr.Shree Vijay
17-11-2014, 10:04 PM
बेहतरीन जानकारीया.






:thanks:

Dr.Shree Vijay
17-11-2014, 10:09 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :

किराए के घर में भी करेंगे ये उपाय तो बढ़ सकती है आपकी कमाई :
किराए के घर से संबंधित खास वास्तु टिप्स........

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/religion.bhaskar.com/2014/11/13/3522_coins_in_hand.jpg

यदि आप किराए के घर में रहते हैं और आपके जीवन में कई परेशानियां चल रही हैं तो यहां वास्तु के कुछ बताए जा रहे हैं। इन उपायों से वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है और घर में सकारात्मक वातावरण निर्मित होता है। वास्तु के उपायों से धन संबंधी मामलों में भी लाभ मिल सकता है।

कभी-कभी किसी घर के पुराने दोषों के कारण वहां रहने वाले लोगों के जीवन में समस्याएं बढ़ जाती हैं। किराए के घर में रहने वाले मकान मालिक की मर्जी के बिना घर में कोई बदलाव भी नहीं करवा सकते हैं। ऐसे में किराएदार को वास्तु दोष के कारण स्वास्थ्य संबंधी या धन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यहां कुछ ऐसे सामान्य उपाय बताए जा रहे हैं, जिन्हें मकान मालिक से पूछे बिना भी घर में कर सकते हैं...

- घर का उत्तर-पूर्व का भाग ज्यादातर खाली ही रखना चाहिए। यहां सामान रखना वास्तु दोष उत्पन्न करता है। ऐसे में घर के लोगों के जीवन में धन संबंधी परेशानियां बनी रहती हैं।

- घर के भारी सामान या अनावश्यक वस्तुओं को घर के दक्षिण-पश्चिम भाग में रखना चाहिए। किसी अन्य स्थान पर भारी सामान रखना वास्तु के अनुसार अशुभ माना जाता है। ऐसा करने पर आपकी पैसों से जुड़ी समस्याएं कम हो सकती हैं :.........

Dr.Shree Vijay
19-11-2014, 04:10 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :

किराए के घर में भी करेंगे ये उपाय तो बढ़ सकती है आपकी कमाई :
किराए के घर से संबंधित खास वास्तु टिप्स........

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/religion.bhaskar.com/2014/11/13/4136_vastu_purush.jpg

- घर में बाथरूम या किचन के लिए पानी की सप्लाई उत्तर-पूर्व दिशा से लेना चाहिए।

- इस बात का भी ध्यान रखें कि बाथरूम में या किचन में या किसी अन्य स्थान पर नल से हमेशा पानी टपकना अशुभ होता है। यदि नल से हमेशा पानी टपकता रहता है तो उसे ठीक करवाएं। जैसे-जैसे नल से टपकता है ठीक वैसे ही आपके पैसों का अपव्यय होता है।

- शयनकक्ष में पलंग का सिरहाना दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। ध्यान रखें सोते समय आपका सिर दक्षिण दिशा में व पैर उत्तर दिशा में हो तो बेहतर रहता है। यदि ऐसा न हो तो पश्चिम दिशा में सिरहाना या सिर कर सकते हैं। यदि आप इस प्रकार सोएंगे तो कई प्रकार की बीमारियों से बचाव हो जाएगा :.........

Dr.Shree Vijay
19-11-2014, 04:12 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :

किराए के घर में भी करेंगे ये उपाय तो बढ़ सकती है आपकी कमाई :
किराए के घर से संबंधित खास वास्तु टिप्स........

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/religion.bhaskar.com/2014/11/13/4138_vastu_tips.jpg

- खाना खाते समय ध्यान रखें कि आपका मुख दक्षिण-पूर्व दिशा में होगा तो बेहतर रहेगा। ऐसा करने पर भोजन से पूर्ण शक्ति प्राप्त होती है और वास्तु दोषों का नाश होता है।

- वास्तु के अनुसार सर्वाधिक महत्वपूर्ण है कि घर का पूजा स्थल। पूजा का स्थान उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। यदि किसी अन्य दिशा में मंदिर हो तो पानी ग्रहण करते समय मुख ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होगा तो बेहतर रहेगा।

- यदि भवन के सामने उत्तर-पूर्व दिशा का फर्श दक्षिण-पश्चिम में बने फर्श से ऊंचा है तो दक्षिण-पश्चिम दिशा के फर्श को ऊंचा करें। ऐसा नहीं कर सकते तो पश्चिम दिशा के कोने में एक प्लेट फार्म अवश्य बनवाएं :.........

Dr.Shree Vijay
19-11-2014, 04:14 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :

किराए के घर में भी करेंगे ये उपाय तो बढ़ सकती है आपकी कमाई :
किराए के घर से संबंधित खास वास्तु टिप्स........

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/religion.bhaskar.com/2014/11/13/4575_main_door3.jpg

- प्रवेश द्वार के सामने फूलों की सुंदर तस्वीर लगाएं। द्वार के सामने लगाने के लिए सूरजमुखी के फूलों की तस्वीर पवित्र और शुभ मानी गई है।

- घर के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र) में अंधेरा न रखें तथा वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम क्षेत्र) में तेज रोशनी का बल्व न लगाएं।

- घर के सदस्य परस्पर सहयोग व शांति से रहें। लड़ने-झगड़ने अथवा चिल्लाकर बोलने से आभामंडल पर बुरा असर होता है।

- घर के आस-पास यदि कोई सूखा पेड़ या ठूंठ है तो उसे तुरंत हटा दें :.........

Dr.Shree Vijay
19-11-2014, 04:17 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :

किराए के घर में भी करेंगे ये उपाय तो बढ़ सकती है आपकी कमाई :
किराए के घर से संबंधित खास वास्तु टिप्स........

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/religion.bhaskar.com/2014/11/13/4593_vastu_shastra.jpg

- घर का प्रवेश द्वार सदैव साफ-सुथरा रखें। प्रवेश द्वार पर हमेशा पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। ऐसा करने पर घर में सदैव सकारात्मक ऊर्जा आती रहेगी।

- यदि संभव हो तो प्रवेश द्वार पर लकड़ी की थोड़ी ऊंची दहलीज बनवाएं। जिससे बाहर का कचरा अंदर ना सके। कचरा भी वास्तु दोष बढ़ाता है।

- प्रवेश द्वार पर गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर या स्टीकर आदि लगाए जा सकते हैं। यदि आप चाहे तो दरवाजे पर ऊँ भी लिख सकते हैं। घर के प्रवेश द्वार पर ये शुभ चिह्न बनाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है :.........


सौजन्य से : (http://www.bhaskar.com)

Swati M
30-11-2014, 05:05 PM
बेहतरीन जानकारीया.

Dr.Shree Vijay
23-06-2015, 09:15 PM
बेहतरीन जानकारीया.



प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार.........

Dr.Shree Vijay
23-06-2015, 09:23 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :

व्यापार में सफलता देते हैं यह वास्तु टिप्स :
व्यापार में सफलता से संबंधित खास वास्तु टिप्स........

http://westsomersetrailway.vticket.co.uk/shopimages/sections/extras/shop_20110408-IMG_2011.jpg

वास्तु शास्त्र के सिद्धांत सिर्फ घर पर ही नहीं बल्कि ऑफिस व दुकान पर भी लागू होते हैं। यदि दुकान या ऑफिस में वास्तु दोष हो तो व्यापार-व्यवसाय में सफलता नहीं मिलती। किस दिशा में बैठकर आप लेन-देन आदि कार्य करते हैं, इसका प्रभाव भी व्यापार में पड़ता है। यदि आप अपने व्यापार-व्यवसाय में सफलता पाना चाहते हैं नीचे लिखी वास्तु टिप्स का उपयोग करें- :.........


सौजन्य से : (http://www.hariomcare.com/)

Dr.Shree Vijay
23-06-2015, 09:26 PM
वास्तुशास्त्र के सिद्धांत :

व्यापार में सफलता देते हैं यह वास्तु टिप्स :
व्यापार में सफलता से संबंधित खास वास्तु टिप्स........

http://www.toyshop-cockermouth.co.uk/img/shopfront.gif

वास्तु शास्त्रियों के अनुसार चुंबकीय उत्तर क्षेत्र कुबेर का स्थान माना जाता है जो कि धन वृद्धि के लिए शुभ है। यदि कोई व्यापारिक वार्ता, परामर्श, लेन-देन या कोई बड़ा सौदा करें तो मुख उत्तर की ओर रखें। इससे व्यापार में काफी लाभ होता है।

इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है कि इस ओर चुंबकीय तरंगे विद्यमान रहती हैं जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं सक्रिय रहती हैं और शुद्ध वायु के कारण भी अधिक ऑक्सीजन मिलती है जो मस्तिष्क को सक्रिय करके स्मरण शक्ति बढ़ाती हैं।

सक्रियता और स्मरण शक्ति व्यापारिक उन्नति और कार्यों को सफल करते हैं। व्यापारियों के लिए चाहिए कि वे जहां तक हो सके व्यापार आदि में उत्तर दिशा की ओर मुख रखें तथा कैश बॉक्स और महत्वपूर्ण कागज चैक-बुक आदि दाहिनी ओर रखें। इन उपायों से धन लाभ तो होता ही है साथ ही समाज में मान-प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। :.........


सौजन्य से : (http://www.hariomcare.com/)

Suraj Shah
14-07-2015, 06:07 PM
अतिउत्तम,,,,,