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View Full Version : अमरीका में लाला जी


rajnish manga
31-08-2013, 11:27 AM
अमरीका में लाला जी
(रचना: लक्ष्मीनारायण गुप्त)

कुछ दिन अमरीका रहे लाला दीनदयाल
पुत्र मनोहरदास से बोले कर कुछ ख्याल

बुरा न मानो पुत्र अगर मैं कुछ कह जाऊँ
अमरीका के रहन सहन की बात चलाऊँ

गाड़ी अपनी है सही पुत्र बड़ी यह बात
शोफ़र नहीं लगा सके तुम कैसे, हे तात

बर्तन धोने के यहाँ साधन विविध प्रकार
महरी नहीं लगा सके क्यों तुम बरखुरदार

वैकुअम क्लीनर की शोभा बड़ी न्यारी
नौकरों की कमी लेकिन खटकती है भारी

माली नहीं लगा सके पुत्र मनोहरदास
पी एच डी के बाद भी स्वयं काटते घास

स्वयं काटते घास पुत्र तुम आफिस जाते
चपरासी भी नहीं वहाँ पर जिससे चाय मँगाते

नहीं मिलती हैं यहाँ पर खस्ता कचौरी
नहीं मिल पाती हैं पान की भी गिलौरी

चलते नहीं यहाँ पर पुत्तर रिक्शे ताँगे
जा सकते हैं नहीं कहीं बिन राइड माँगे

बोले दीनदयाल सबर्ब में बसें न चलतीं
डाउन टाउन में जीवन की सामत आती

रास तुम्हें ही आये, पुत्र यह जीवन विकट
मेरे लिये मँगवा दो एअर इन्डिया से टिकट

(अंतर-जाल से)