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View Full Version : कौन जाने ज़िंदगी की शाम किस गली हो.!!


Advo. Ravinder Ravi Sagar'
31-08-2013, 10:14 PM
अपनी झुलफो के साए में जी लेने दो.!
खुश्बू भरी हवाओं में साँस ले लेने दो.!!
कौन जाने ज़िंदगी की शाम किस गली हो.!
चिराग उलफत के तब तल्क जला लेने दो.!!
चाँद बादलों से निकले गेसू चेहरे से हटा दो.!
ठहरो दो पल चाँदनी का दीदार कर लेने दो.!!
पहन चूड़ीयान लगा मेहंदी खूब दिखती हो.!
अपना हाथ उमर भर के लिए थाम लेने दो.!!
आओ पास बैठ दो पल हाल दिल का सुना.!
है मुहब्बत की नहीं ये यक़ीन कर लेने दो.!!
शराब भी कम इस हुस्न-ए-शबाब के आगे.!
छलकती आँखों के जाम पीकरजी लेने दो.!!

Apni jhulfo ke saaye mein jee lene do.!
Khushboo bhari hawaaon mein saans le lene do.!!
Kon jaane zindgi ki shaam kis gali ho jaaye.!
Chiraag Ulfat ke tab talk jala lene do.!!
Chaand badlon se nikale jo gesu chehare se hata do.!
Thahro kuch pal Chaandni ka deedar kar lene do.!!
Pehan chudiyan laga mehandi khoob dikhati ho.!
Apna hath umar bhar ke liye thaam lene do.!!
Aa paas baith do pal haal dil ka suna.!
Hai muhabbat ki nahin ye yaqeen kar lene do.!!
Sharab bhi kam hai is husn-e-shabab ke aage.!
Chalkati aankhon ke jaam pee jee lene do.!!

rajnish manga
31-08-2013, 10:26 PM
अपनी झुलफो के साए में जी लेने दो.!
खुश्बू भरी हवाओं में साँस ले लेने दो.!!
कौन जाने ज़िंदगी की शाम किस गली हो.!
चिराग उलफत के तब तल्क जला लेने दो.!!
चाँद बादलों से निकले गेसू चेहरे से हटा दो.!
ठहरो दो पल चाँदनी का दीदार कर लेने दो.!!
पहन चूड़ीयान लगा मेहंदी खूब दिखती हो.!
अपना हाथ उमर भर के लिए थाम लेने दो.!!
आओ पास बैठ दो पल हाल दिल का सुना.!
है मुहब्बत की नहीं ये यक़ीन कर लेने दो.!!
शराब भी कम इस हुस्न-ए-शबाब के आगे.!
छलकती आँखों के जाम पीकरजी लेने दो.!!



प्रणय के विभिन्न रूपों को आपने सुन्दर अभिव्यक्ति दी है, रविन्द्र रवि सागर जी. दिन-ब-दिन आपकी शायरी में निखार आता जा रहा है. मेरी शुभकामनायें. आपकी ग़ज़ल के दूसरे शे'र को पढ़ कर मुझे यह शे'र याद आ गया:

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये

(बशीर बद्र)

Advo. Ravinder Ravi Sagar'
31-08-2013, 10:33 PM
प्रणय के विभिन्न रूपों को आपने सुन्दर अभिव्यक्ति दी है, रविन्द्र रवि सागर जी. दिन-ब-दिन आपकी शायरी में निखार आता जा रहा है. मेरी शुभकामनायें. आपकी ग़ज़ल के दूसरे शे'र को पढ़ कर मुझे यह शे'र याद आ गया:

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये

(बशीर बद्र)

आप की होसला अफजाई ने बहुत सहारा दिया है,सब आप जैसे मित्रों की क्र्पा है.
धनयवाद

aspundir
01-09-2013, 11:39 AM
अपनी झुलफो के साए में जी लेने दो.!
खुश्बू भरी हवाओं में साँस ले लेने दो.!!
कौन जाने ज़िंदगी की शाम किस गली हो.!
चिराग उलफत के तब तल्क जला लेने दो.!!
चाँद बादलों से निकले गेसू चेहरे से हटा दो.!
ठहरो दो पल चाँदनी का दीदार कर लेने दो.!!
पहन चूड़ीयान लगा मेहंदी खूब दिखती हो.!
अपना हाथ उमर भर के लिए थाम लेने दो.!!
आओ पास बैठ दो पल हाल दिल का सुना.!
है मुहब्बत की नहीं ये यक़ीन कर लेने दो.!!
शराब भी कम इस हुस्न-ए-शबाब के आगे.!
छलकती आँखों के जाम पीकरजी लेने दो.!!

apni jhulfo ke saaye mein jee lene do.!
Khushboo bhari hawaaon mein saans le lene do.!!
Kon jaane zindgi ki shaam kis gali ho jaaye.!
Chiraag ulfat ke tab talk jala lene do.!!
Chaand badlon se nikale jo gesu chehare se hata do.!
Thahro kuch pal chaandni ka deedar kar lene do.!!
Pehan chudiyan laga mehandi khoob dikhati ho.!
Apna hath umar bhar ke liye thaam lene do.!!
Aa paas baith do pal haal dil ka suna.!
Hai muhabbat ki nahin ye yaqeen kar lene do.!!
Sharab bhi kam hai is husn-e-shabab ke aage.!
Chalkati aankhon ke jaam pee jee lene do.!!


सुन्दर भावाभिव्यक्ति

Advo. Ravinder Ravi Sagar'
01-09-2013, 05:43 PM
सुन्दर भावाभिव्यक्ति

धनयवाद!!!!!!!!!!!!!!!

dipu
01-09-2013, 07:00 PM
:hug::hug:

Advo. Ravinder Ravi Sagar'
01-09-2013, 10:48 PM
:hug::hug:

शुक़रिया!!!!!!!!!!