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View Full Version : सीरिया से जुड़ी ख़बरें


dipu
03-09-2013, 05:41 PM
सीरिया संकट गहरा गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने रूस की सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए के हवाले से कहा है कि रूसी रडार ने दो बैलेस्टिक ऑब्जेक्ट पकड़े हैं। इसे सीरिया की ओर दो मिसाइलें दागे जाने के रूप में देखा गया। हालांकि बाद में खबर आई कि मिसाइलें समुद्र में गिर गईं। लेकिन रूसी रक्षा मंत्रालय द्वारा सीरिया पर मिसाइल हमला होने संबंधी इस घोषणा से भारतीय शेयर बाजार में हलचल मच गई। बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) के शेयर सूचकांक सेंसेक्*स में 500 अंकों की और निफ्टी में 200 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। इसका असर भारतीय बाजार सहित ग्लोबल मार्केट में देखने को मिल रहा है। रुपए 3.1 फीसदी गिरकर 68.12 के स्तर पर पहुंच गया है। बेंचमार्क पर भी इस खबर का असर दिखा है, जो 10 बेसिक प्वांइट में 8.52 फीसद तक ऊपर देखने को मिला।

भारत में सीरिया के राजदूत अब्बास कामेल ने कथित रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के बारे में कहा है कि यूरोपीय देशों की नीति सीरिया के साथ भी ठीक वैसी ही है जैसी की लीबिया, इराक के साथ थी। नागरिकों पर रासायनिक हमलों के आरोप बेबुनियाद हैं और इन्हें महज बनाया जा रहा है।

dipu
03-09-2013, 05:42 PM
रूसी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया है कि काला सागर के पास आर्मावीर स्थित रडार स्टेशन से मास्को के स्थानीय समयानुसार सुबह 10.16 बजे चेतावनी जारी की गई थी। दो बैलेस्टिक किसने दागी और इससे क्या नुकसान हुआ इस बारे में रूसी रक्षा प्रवक्ता ने कुछ नहीं बताया। रक्षा मंत्रालय ने इसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन को दे दी है। वहीं, येरूशलम ने कहा है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसी बीच, इजरायल ने खुलासा किया है कि उसने भूमध्यसागर में अमेरिका के साथ मिलकर ज्वाइंट मिसाइल टेस्ट किया था। यह मिसाइल टेस्ट एंटी मिसाइल टेस्ट के लिए किया गया था।



इससे पहले रूस ने अमेरिका को चेतावनी दी थी कि हमला हुआ तो गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। अमेरिका ने दावा किया है कि सीरिया सरकार ने रासायनिक हमले में सरीन गैस का इस्तेमाल किया है। इस रासायनिक हमले में 1400 सीरियाई नागरिकों की मौत हो गई थी। अमेरिकी रक्षा मंत्री जॉन कैरी ने बताया कि अमेरिका ने दमिश्क में कई लोगों के खून और बालों के नमूने जुटाए हैं। इसके जांच के नतीजे पॉजिटिव आए थे।

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03-09-2013, 05:42 PM
कैरी ने बताया कि सीरियाई राष्ट्रपति असद-अल-बशर दुनिया के कुख्यात तानाशाह एडोल्फ हिटलर और सद्दाम हुसैन के बराबर आ गए हैं, जिन्होंने मासूम लोगों पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है। यह पहली बार है कि वॉशिंगटन ने 21 अगस्त को सीरिया के घूटो में हुए हमले को रासायनिक हमला माना है। अमेरिकी बयान पर जवाब देते हुए असद ने भी किसी भी बाहरी हमले से अच्छी तरह से निपटने की बात कही है।

dipu
04-09-2013, 05:04 PM
रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है कि सीरिया पर एकपक्षीय सैनिक कार्रवाई के गंभीर परिणाम होंगे। हालांकि रूसी राष्ट्रपति ने यह भी कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र में सैन्य दखल का तब तक समर्थन नहीं करेगा, जब तक रासायनिक हमलों में असद सरकार के हाथ होने का दावा साबित नहीं हो जाता।
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एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में पुतिन ने कहा है कि रूस ने सीरिया को एस-300 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के कुछ कंपोनेंट दिए थे, लेकिन अब इस पर रोक लगा दी है। उन्होंने बताया कि अगर पश्चिमी देशों ने संयुक्त राष्ट्र की बिना इजाजत के सीरिया पर सैनिक कार्रवाई की तो रूस बाकी देशों को भी शक्तिशाली मिसाइल प्रणाली बेच सकता है। इसी बीच, अमेरिकी सीनेटर्स ने सीरिया में सैनिक कार्रवाई करने के लिए ओबामा का समर्थन किया है।
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ओबामा ने समर्थन पाने के लिए मंगलवार को हाउस ऑफ रिप्रिजेंटेटिव के अध्यक्ष जॉन ए बोएनर सहित कई सांसदों से मुलाकात की और उन्हें भरोसे में लिया। माना जा रहा है कि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन नेताओं ने एक नए प्रस्ताव की इजाजत दी है, जिसमें अमेरिका को सीरिया के खिलाफ 90 दिनों तक सैन्य कार्रवाई करने की मंजूरी दी जा सकती है। प्रस्ताव के मुताबिक, अमेरिकी सैनिक सीरिया की जमीन पर कदम नहीं रखेंगे।

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जी-20 देशों की बैठक के ओबामा रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के लिए रवाना हो गए हैं। स्वीडन के छोटे से प्रवास के दौरान उन्होंने बताया कि सीरिया मुद्दे पर इस बार गर्मागर्मी का माहौल हो सकता है। संभव है कि ओबामा रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात कर उन्हें सीरिया में हवाई हमले पर बातचीत करेंगे।

dipu
04-09-2013, 05:07 PM
सीरिया में रासायनिक हमले का जवाब दिया जाए, इस पर अमेरिका पूरी तरह दुविधा में है। ओबामा को कांग्रेस की ओर से अभी तक इस युद्ध की इजाजत नहीं मिली है। हालांकि ओबामा हमले के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्*हें उम्*मीद है कि कांग्रेस अगले सप्*ताह उन्*हें इसके लिए इजाजत दे देगी। लेकिन रूस ने चेतावनी देते हुए अमेरिका को कहा है कि अगर सीरिया पर हमला हुआ तो गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। सीरिया पर हमला होने की स्थिति में एक बार फिर खाड़ी युद्ध का असर विश्*व को झेलना पड़ेगा। भारत को इसका खामियाजा तेल के संकट के रूप में भुगतना पड़ सकता है।
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अमेरिकी रक्षा मंत्री जॉन कैरी ने कहा है कि हमें पक्के सबूत मिले हैं कि सीरिया में 21 अगस्त को रासायनिक हमलों में सरीन गैस का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा, हमें सभी कांग्रेस को भरोसे में लेना होगा कि उनके लिए क्या सही है।
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इसी बीच, मिस्र में अरब लीग के विदेश मंत्रियों के बैठक में अंतिम प्रस्ताव पारित किया गया है। इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को कड़ा सबक सिखाए। अमेरिकी नेवी ने भूमध्य सागर में पानी और जमीन पर हमला करने वाला जहाज तैनात कर दिया है। जबकि मिसाइल से लैस पांच डिस्ट्रॉयर पहले से ही तैनात है।
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सीरिया में रासायनिक हमले में 1400 लोग मारे गए थे, इसमें सबसे ज्यादा मरने वालों की संख्या बच्चों और महिलाओं की थी। ओबामा ने शनिवार को घोषणा की थी कि सीरिया में सैन्य दखल देने के लिए कांग्रेस की हामी का इंतजार है। उनके प्रशासन ने कांग्रेस को भरोसे में लेने के लिए राजनीतिक अभियान छेड़ दिया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता मार्टिन नेसिरकी ने कहा कि रासायनिक हमला किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह पूरी तरह से मानवता के खिलाफ है।

dipu
05-09-2013, 03:37 PM
सीरिया में सैन्य कार्रवाई पर भले ही डेमोक्रेट और रिपब्लिकन नेता एक मत हो गए हों, लेकिन सच बात तो यह है कि क्या अमेरिकी सेना इसके लिए तैयार है। 2001 में 9/11 के आंतकी हमले के बाद अमेरिका ने पूरी दुनिया में आतंक खिलाफ लड़ाई का आगाज किया था। तब से लेकर अमेरिकी सेना अफगानिस्तान और इराक में जंग लड़ चुकी है। लाखों करोड़ों पैसा पानी की तरह बह चुका है। हजारों सैनिकों की मौत हो गई।

सैकड़ों बुरी तरह घायल होकर अपाहिज की जिंदगी बिता रहे गए। बीते सालों में अमेरिकी सेना की साख काफी गिर चुकी है। देश के अंदर और बाहर उसे कई तरह विवाद, चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें सेना की नौकरी से खत्म होता मोह, सैनिकों की आत्महत्या, सेक्स स्कैंडल, विश्वनीयता, दूसरे के धर्म का सम्मान न करना, जिहादियों के शवों अपमान मुख्य हैं।

ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, सेना में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पेंटागन पिछले कुछ समय से नए सैनिकों की भारी कमी से जूझ रहा है। वहीं, सेवानिवृत्त सैनिक मामले का विभाग सेवानिवृत्त सैनिकों मानसिक बीमारियों से दो-चार हो रहा है। इससे आत्महत्या के आंकड़ों में इजाफा हुआ है। अमेरिकी मनोचिकित्सकों ने तो इस समस्या को सेना और सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है।

dipu
05-09-2013, 03:37 PM
अमेरिकी सैनिक का खत्म हुआ अपनी जिंदगी से मोह

यह बात सभी जानते हैं कि आम नागरिकों की अपेक्षा सेना में आत्महत्या की दर काफी कम होती है, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह धारा उल्टी दिशा में बह रही है। एक्टिव डच्यूटी में सभी सर्विसेस में 350 सैनिकों ने पिछले साल खुद की जीवन लीला समाप्त कर ली। यह चौंकाने वाला आंकड़ा इसलिए भी है, क्योंकि 2001 में इसके आधे यानी 185 सैनिक थे।

देखने वाली बात यह है कि इनमें से आधे लोग न तो कभी अफगानिस्तान गए और न ही इराक। इसके बावजूद यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। युद्ध के दौरान अवसाद भी आत्महत्या का बड़ा कारण है। 2004 से 2007 के इराक में तैनात सैनिकों अवसाद का स्तर प्रति एक लाख सैनिकों में 13.5 से 24.8 फीसदी की दर तक बड़ा है।

वहीं, हर साल 8 हजार सेवानिवृत्त सैनिक आत्महत्या कर रहे हैं। हर दिन के हिसाब से यह 22 है। इसका कारण सामाजिक रूप से अलग-थलग होना, शारीरिक और मानसिक रूप से संघर्ष आदि हैं।