Conversation Between ABCD and Dark Saint Alaick
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मेरा आपसे एक बार फिर अनुरोध है कि कृपया ऐसा नहीं करें ! मैं एक प्रिय दोस्त खोना नहीं चाहता ! आप कृपया फोरम पर सकारात्मक रूप से सक्रिय हों और यदि आपको लगता है कि आपके खिलाफ कोई नकारात्मक साज़िश अथवा कार्यवाही की गई है, तो कृपया उसका सकारात्मक मुकाबला करें ! धन्यवाद !
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प्रबंधन ने मेरी बात मान ली थी और संभवतः आपके ऊपर भी उस जवाब का असर हुआ था और आप काफी दिन तक शांत रहे थे, लेकिन आपने फिर कई बार नियम भंग किए और अंततः एक नियामक का यह कह कर उपहास उड़ाया कि 'अकेले-अकेले कब तक...' ! आपकी सम्पूर्ण टिप्पणी मैं यहां लिखना नहीं चाहता, लेकिन आप समझ गए होंगे कि यह एक गंभीर टिप्पणी है ! विभीषण को एक 'राम' ही आश्रय दे सकते हैं, हम जैसे तुच्छ मानवों में यह क्षमता नहीं है ! मित्र, एक समुदाय में योगदान करके ही आगे बढ़ा जा सकता है, विध्वंश करके नहीं ! आप एक बुद्धिमान, सजग और परिश्रमी व्यक्ति हैं, लेकिन भटक गए हैं ! मेरा आपको मशवरा है कि आप फोरम पर सक्रिय योगदान करें, तब मैं आप पर गर्व महसूस करूंगा और मुझे आपका मित्र कहलाने में भी गर्वानुभूति होगी ! धन्यवाद !
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नमस्कार मित्र ! मुझे क्षमा करें कि शायद मुझमें इतनी प्रेषण क्षमता नहीं है, जो मैं आपको अपनी बात समझा नहीं पाया ! यह वर्चुअल संसार है, यह आप मानते हैं ! आप मुझे रोज एक गाली दें, वह भी सार्वजनिक रूप से ! मुझे कतई बुरा नहीं लगेगा, और निश्चिन्त रहें कि मैं प्रबंधन से यहां खुले तौर पर अनुरोध कर रहा हूं कि आपके गाली देने पर आपके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाए ! आपने किसी विद्वान का वह प्रख्यात कथन सुना होगा - आप शौक से मुझे गाली दीजिए, आप दे रहे हैं, लेकिन मैं ले ही नहीं रहा, तब आप जो दे रहे हैं, वह किसके पास रहा ? मित्र, यह एक समुदाय है, यदि आप मानें तो ... एक परिवार, संभवतः आपको अहसास होगा कि कोई भी समुदाय अथवा परिवार विध्वंसक तत्वों को स्वीकार नहीं कर सकता ! आप निरंतर फोरम पर उपद्रव करते रहे हैं, पहले आपने एक धर्म के खिलाफ टिप्पणी की, तब मेरे अनुरोध पर आपके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई ! मेरा कहना यह था कि 'हमारी नीति तोड़ना नहीं, जोड़ना' है ! तब मैंने कहा था कि मैं श्री रवि को ऐसा उत्तर भेजूंगा कि उनकी आंखें खुल जाएंगी !
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मित्र, आदतें छोड़ने वाले भी मौजूद हैं ! स्वयं मैंने गत एक जनवरी को धूम्रपान का त्याग किया है और अब बहुत प्रसन्न हूं !
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यह अच्छी आदत नहीं है ! कम निद्रा शोक, क्रोध, रति-भंग, मति-भ्रम, वात, पित्त, कफ़ आदि अनेक रोगों की जन्मदात्री है, ऐसा चरक संहिता कहती है !
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तो आप शयन कब करते हैं, महाप्रभु रविजी?