Conversation Between Dr. Rakesh Srivastava and Suresh Kumar 'Saurabh'
Showing Visitor Messages 1 to 2 of 2
-
प्रणाम!
एक बार भी आप मुझसे कहे होते तो मैं तुरन्त आपका नाम मिटा देता। वो लाइन मैंने सिर्फ इसलिए लिखी थी क्योंकि वह मुझे अच्छी लगी थी और मैंने सोचा था कि वह लाइन जिसने सुझाया था उसका श्रेय उसी को जाना चाहिए, लेकिन आपने पता नहीं क्यों गलत अर्थ निकाल लिया और ऐसी-ऐसी बातें कह दी जो अभी तक मुझे किसी ने नहीं कही थी।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद!
आपके प्रतिउत्तर की प्रतीक्षा में अभी तक यहाँ रूका हूँ। आपका उत्तर मिलते ही मैं यहाँ से चला जाऊँगा।
-