नमस्कार, रजनीशजी। कई परेशानियां रहीं, आप सब के बीच नहीं आ सका। मैं अब वादा नहीं करूंगा कि रोज आऊंगा, लेकिन प्रयास रहेगा कि दिन में एक बार आप लोगों के बीच उपस्थित रहूं, आगे परम पिता की इच्छा है। वादा इसलिए नहीं कि जब भी ऐसा कर मैं गया हूं, किसी न किसी मुसीबत ने मेरा रास्ता रोक लिया है। मुझे याद रखने के लिए शुक्रिया।