Conversation Between jai_bhardwaj and Sikandar_Khan
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भैय्या , इतनी भीषड़ ठंड मै आग वैसे ही मंद मंद जल रही है ! आपका इंतेजार रहेगा |
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सिकंदर भाई नमस्कार,
बन्धु, बस आगामी रविवार तक चूल्हे की आग मंद मंद जलाते रहें।
अभी तो सिग्नल बहुत कमजोर हैं इसलिए मुझे मंच से निकलना पड़ रहा है।
कल वार्तालाप करेंगे। धन्यवाद बन्धु।
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बड़े भैय्या नमस्कार
चाय की हांडी अभी तक चूल्हे पर चढ़ी हुई है |
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उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत बहुत आभार बन्धु ..........
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आपकी पोस्ट पढ़ने का एक अलग ही मजा है |
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अच्छा अच्छा ........... वह तो उस खूबसूरत ग़ज़ल पर मेरी सकारात्मक प्रतिक्रिया थी जो उस ग़ज़ल को पढने के बाद साकार हुयी थी।
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राकेश जी के सूत्र पर आपकी पोस्ट पढ़ी थी |
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आपका बहुत बहुत आभार बन्धु किन्तु मैंने आजकल में कुछ लिखा कहाँ .. बस कुछ चित्र ही प्रविष्ट किये हैं। मान बढाने के लिए धन्यवाद बन्धु।
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आज रात नींद नहीं आ रही थी इसलिए फोरम पर आपकी पोस्ट पढ़ रहा था |
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नमस्कार बन्धु , मुझे भी हर्ष हो रहा है आपको इस समय मंच पर उपस्थित पाकर। देर से प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए खेद व्यक्त करता हूँ बन्धु।