Conversation Between Kumar Anil and aksh
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प्रणाम अनिल जी....!! कैसे हैं आप ??
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बहुत नाइंसाफी है । मेरी प्रोफाइल पर आकर बिना संवाद के वापिस हो गये ।
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अरे नहीं मित्र मैं कहाँ किसी को कुछ सिखा सकता हूँ ??. पर हाँ मैंने जरूर आप सभी मित्रों की बीच में रहकर कुछ सीखा है. जिंदगी के बहुत सारे खट्टे मीठे अनुभव आप सभी के बीच में रहने से हुए हैं. अगर सभी सदस्य आपकी तरह ग्राही हो जाएँ तो ये फोरम स्वर्ग से भी बढ़कर हो जाए. फिर भी अपने आपको मेरा शिष्य माना है उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद मित्र.
ये इस बात का द्योतक है कि आप वो वृक्ष हैं जो और अधिक फल लगने के साथ और भी झुकता जाता है.
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प्रणाम करके शर्मिन्दा न करेँ । मैँने आपसे कुछ सीखा है इस नाते शिष्य हूँ आपका ।
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प्रणाम मित्र अनिल जी. कैसे हैं आप ?? परम पिता से प्रार्थना है कि आप जीवन के प्रत्येक क्षण का आनंद प्राप्त करते हुए परिवार सहित सुखमय रहे और सभी मित्रों को भी खुश और सुखमय रखें. धन्यवाद !
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कारण आपका पदार्पण । शेष वहाँ मेरी प्रविष्टि देखकर समझ लीजिये ।
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आज की चौपाल आपको समर्पित ।