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एक भयानक बीमारी जिसे हम
दिमागी बुखार के नाम से
जानते हैँ। बरसात के दिनोँ मेँ
उत्तर प्रदेश के पूर्वाँचल, बिहार
के कुछ जिलोँ व पड़ोसी देश
नेपाल के कुछ हिस्सोँ मेँ
महामारी का रूप लेकर आती
है। जिससे अबतक हजारोँ
बच्चोँ की अकाल मृत्यु हो चुकी
है। इसी विषय पर चार
पक्तियाँ प्रस्तुत हैँ।
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नन्हेँ बच्चोँ के दुख से ये भर
जाता है गाँव मेरा
सावन-भादो के आते ही डर
जाता है गाँव मेरा
उल्टी पेचिस और दिमागी रोग
कि लेते जान कोई
यूँ कह देँ तो ग़लत न होगा मर
जाता है गाँव मेरा
रचना - आकाश महेशपुरी
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पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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कुण्डलिया की परिभाषा
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कुण्डलियाँ होतीँ सुनेँ, कुण्डल के समरूप।
हैँ कविता मेँ शोभतीँ, ज्योँ जाड़े मेँ धूप।
ज्योँ जाड़े मेँ धूप, लगे दोहे का मोती।
रोला का ले ओज, बहुत गहरी हैँ होतीँ।
इतरातीँ हैँ देख, शब्द की सुन्दर कलियाँ।
फिर पहला वो शब्द, बनेँ ऐसे कुण्डलियाँ।।
कुण्डलिया- आकाश महेशपुरी
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कुण्डलियाँ
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ऐसा युग है आ गया, दिखे नहीँ मुस्कान।
सब चिन्ता से ग्रस्त हैँ, रोना है आसान।
रोना है आसान, और जीना है मुश्किल।
रहता है बेचैन, हमेशा बेचारा दिल।
है सबकी यह चाह, मिले पैसा ही पैसा।
पैसा छीने चैन, वक्त आया है ऐसा।।1।।
किस्मत हमेँ किसान की, लगती मिट्टी धूल।
पर इसके उपकार को, कहीँ न जाना भूल।
कहीँ न जाना भूल, देश बढ़ता है आगे।
सोना भी दे छोड़, कृषक जब जी भर जागे।
खा के इसका अन्न, कभी इस पर हँसना मत।
यही देश के प्राण, मगर ऐसी क्योँ किस्मत।।2।।
कुण्डलियाँ - आकाश महेशपुरी
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पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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दोहे
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होता यदि दूजा हुनर, होते हम भी खास।
भूखे कबसे फिर रहे, ले कविता आकाश।।
कविता का आकाश ले, हम तो खाली पेट।
लौटे हैँ बाजार से, लेकर केवल रेट।।
दोहे - आकाश महेशपुरी
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पता - वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम - महेशपुर
पोस्ट - कुबेरस्थान
जनपद - कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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कुण्डलिया
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अपने ही खातिर करेँ, मदिरा से परहेज।
यह सबको पागल बना, करती दुख को तेज।
करती दुख को तेज, खेत घर सब बिक जाते।
जो पीते हर शाम, कहाँ वे हैँ बच पाते।
जल्दी आती मौत, जल्द ही टूटेँ सपनेँ।
जल्दी होते दूर करीबी सारे अपने।।
कुण्डलिया - आकाश महेशपुरी
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पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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गीत
देख हमारा हाल नहीँ यूँ
गरज गरज के बात करो
दुखिया के कुछ दुख भी सुन लो
बादल ना उत्पात करो
किस नगरी से आये हो तुम
आँखोँ मेँ भी छाये हो तुम
आये हो तुम नीर बहाने
या दुखिया की पीर बढ़ाने
पानी ही पानी लाये हो
ऐसे ना आघात करो-
दुखिया के कुछ दुख भी सुन लो
बादल ना उत्पात करो
साजन मेरे दूर गये हैँ
हो कर के मजबूर गये हैँ
तुम आये हो विरह जगाने
इक विधवा को और सताने
साजन से जाकर मिल जाऊँ
या ऐसे हालात करो-
दुखिया के कुछ दुख भी सुन लो
बादल ना उत्पात करो
सपने थे झूठे झूठे से
अपने भी रूठे रूठे से
जबसे माँग हुई है खाली
लोगोँ की बजती है ताली
बहुत उजाले से डरती हूँ
अब अंधेरी रात करो-
दुखिया के कुछ दुख भी सुन लो
बादल ना उत्पात करो
गीत - आकाश महेशपुरी
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पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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दोहे-
मुझ पर मातु जमीन का, इतना है उपकार।
इसके खातिर छोड़ दूँ, जी चाहे घर-बार।।
मातु-पिता घर-बार से, धरती बहुत महान।
इसके आगे मैँ तुझे, भूल गया भगवान।।
दोहे - आकाश महेशपुरी
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पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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दोहा
पत्नी ने जिससे कहा,
तूँ है मेरी सौत।
उस कविता से ना मिलूँ,
आ जायेगी मौत।।
दोहा - आकाश महेशपुरी
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ग़ज़ल
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मात्रा भार-
2122 2122 2122 212
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
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है ग़रीबी साथ पर ये दुख हुआ है जानकर
मुँह छिपाये जा रहा था वो मुझे पहचान कर
नाव थी मजधार मेरी वो किनारा कर गया
जी रहा था मैँ जिसे पतवार अपनी मानकर
बात आई थी हवा से पाप धुलता है कहीँ
मैल है दिल मेँ अगर तो क्या करेँगे स्नान कर
ये धरा भी एक दिन मिट कर रहेगी तय सुनेँ
है ज़मीँ ये कह रही मत बैठना अभिमान कर
कह रहा "आकाश" मुझको वो कबूतर आजकल
देखता जैसे शिकारी तीर कोई तान कर
ग़ज़ल - आकाश महेशपुरी
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पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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राजनीति के चक्र को,
और चलाएँ तेज।
इसमेँ जो हैँ खामिया,
रख उनसे परहेज।।
दोहा - आकाश महेशपुरी