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गीत- पल भी न मिलता आराम
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पल न कभी मिलता आराम दुख हम सहते हजारों
इक ही ये जीवन हे राम दुख हम सहते हजारों
जबसे जनम होता' दुख हम पाते
दुख ही बिछाते कि दुख हम खाते
दुख से ही रिश्ते हैं आम दुख हम सहते हजारों-
इक ही ये जीवन हे राम दुख हम सहते हजारों
दुख एक छोड़े कई आ घेरे
छटते कहाँ धोर ये अंधेरे
होते हैं हर पल नाकाम दुख हम सहते हजारों-
इक ही ये जीवन हे राम दुख हम सहते हजारों
हमको किनारा दिखाए कोई
डूबे हुए हैं बचाए कोई
है सूझे सुबह नहीं शाम दुख हम सहते हजारों-
इक ही ये जीवन हे राम दुख हम सहते हजारों
जीवन का' आधा समय अब बीता
सुख के लिए मन अभी तक रीता
आगे क्या होगा अंजाम दुख हम सहते हजारों-
इक ही ये जीवन हे राम दुख हम सहते हजारों
गीत- आकाश महेशपुरी
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पता-
वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर. (उत्तर प्रदेश)
9919080399
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स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर एक गीत-
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आओ मिल-जुल कर फहराएँ शान तिरंगा है।
मेरी-तेरी, तेरी-मेरी, जान तिरंगा है।।
आजादी की खातिर ही कितनों ने घर छोड़ दिया
अपनों की खुशहाली को जग से नाता तोड़ दिया
धन्य सभी वे लोग बहुत आजादी के दीवाने
प्राण दिए हँसते हँसते हार नहीं बिल्कुल माने
ऐसे वीर जवानों की पहचान तिरंगा है-
मेरी-तेरी, तेरी-मेरी जान तिरंगा है।
कण कण में है छुपी हुई इसी तिरंगे की गाथा
इसके सन्मुख आदर से झुक झुक जाए यह माथा
इसी तिरंगे के नीचे हम सब कसम उठाते हैं
मिट जाएं इसकी खातिर फिर से यह दुहराते हैं
हर भारत वासी का यह सम्मान तिरंगा है-
मेरी-तेरी, तेरी-मेरी जान तिरंगा है।
सच है अमन चाहते हम लेकिन हैं कमजोर नहीं
अपनी रक्षा कर लेते करते केवल शोर नहीं
इस भारत की मिट्टी पर आँच नहीं अब आयेगी
इसका मान रखेंगे हम जान भले ही जायेगी
इस पर मिट मिट जाएंगे अभिमान तिरंगा है-
मेरी-तेरी, तेरी-मेरी जान तिरंगा है।
गीत- आकाश महेशपुरी
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पता-
वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, कुशीनगर. (उत्तर प्रदेश)
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ग़ज़ल/ गीतिका
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प्यार में अपना बनाकर है सताया आपने।
हम अभी सोए कहाँ थे जो जगाया आपने।।
आँख तो मेरी खुली थी स्वप्न कैसे छा गए?
क्या परी हैं आप जो जादू चलाया आपने।।
है बहुत गरमी मगर ठण्डी ये' आहें साथ हैं।
याद है हमको कभी पंखा झलाया आपने।।
मुझको' है मधुमेह की मीठी बिमारी मित्रवर।
क्या निभाई मित्रता मीठा खिलाया आपने।।
प्यार के दो बोल भी देते नहीं 'आकाश' तो।
मैं समझ पाया नहीं क्यूँ घर बुलाया आपने।।
ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
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पता-
वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर. (उत्तर प्रदेश)
मो. 9919080399
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एक गीतिका/ हिन्दी प्रधान ग़ज़ल
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कितनों ने दिल सौंप दिया है किसको किसको प्यार लिखें
पर चाहत के बदले बोलो कैसे हम इनकार लिखें
लिखने को तो लिख डालेंगे एक नया इतिहास मगर
तुम जो साथ नहीं आये तो दुनिया है बेकार लिखें
शादी है जीवन की गाड़ी हम तो अक्सर लिखते थे
लेकिन अब जब भी लिखते हैं जाने क्यों मझधार लिखें
कविता तो सौतन है उनकी कविता से वे जलतीं हैं
लेकिन हमको लत है ऐसी कविता ही हर बार लिखें
बहुत लिखें हैं उल्टा-सीधा सच है पर 'आकाश' यही
हे पत्नी तुम पूजनीय को जीवन का आधार लिखें
गीतिका- आकाश महेशपुरी
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पता-
वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी"
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर. {उत्तर प्रदेश}
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ग़ज़ल- लेकिन पास है अबतक
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तू बहुत हैै दूर लेकिन पास है अबतक
सच कहूँ तो दिल ये तेरा दास है अबतक
ऐसे आँखों से पिलाया ज़ाम ऐ साक़ी
रोज पीता हूँ मगर वो प्यास है अबतक
तू कहे टीका लगाना छोड़ दूँगा मैं
तेरे ही खातिर लिया सन्यास है अबतक
कैसे तेरी उस गली को भूल पाऊँगा
जिस गली जिन्दा हमारी आस है अबतक
तू मिले तो शूल भी ये फूल जैसा हो
बिन तेरे मखमल भी जैसे घास है अबतक
हैं हजारों चाहने वाले मगर फिर भी
जिन्दगी मेरे लिए तू खास है अबतक
क्या कहूँ 'आकाश' मैंने क्या नहीं पाया
प्यार को तेरे मगर उपवास है अबतक
ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
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पता-
वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
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सवैया छंद
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पाप यहाँ पर रोज बढ़े पर धीर धरे छुप के रहती है
जुल्म हुआ इतना फिर भी चुप है कि नहीं कुछ भी कहती है
झूठ कहे अगुवा जिस पे सब काज गवाँ कर के ढहती है
सोच रहा यह भारत की जनता कितना कितना सहती है
- आकाश महेशपुरी
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पता-
वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर.
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ग़ज़ल-
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पल पल कितना डर लगता है
कातिल अपना घर लगता है
डर के रँग में रँग जाए तो
क्या कोई सुन्दर लगता है
धरती ने ऐसे झकझोरा
हीरा भी पत्थर लगता है
हम भी मर जायेंगे शायद
रोजाना अक्सर लगता है
बाहर है यह साया कैसा
मौत खड़ी अन्दर लगता है
उम्मीदों का पंछी घायल
देखें कैसै पर लगता है
कैसे हम 'आकाश' रहेंगे
छूते सब खंजर लगता है
ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
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पता-
वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी'
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश.
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नमस्कार, मित्र. मैं कामना करता हूँ कि नया वर्ष आपके लिए हर प्रकार से मंगलमय हो.
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आपको नव वर्ष की अनेक अनेक शुभकामनायें, आकाश जी.