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बाल कविता- बस्ता
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खुद से भारी बस्ता ढोकर
गिर जाते हैँ बेसुध होकर
आज दिवस छुट्टी का आया
हम दोनोँ के मन को भाया
बस्ते को अब कर के टाटा
खूब करेँगे सैर सपाटा
चलो आज करने मनमानी
मस्ती मेँ डूबी शैतानी
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रचना - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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बाल कविता- मेँढ़क और कछुवा
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बादल पर जा बैठे
उछलकर मेँढ़क राजा
मस्ती इतनी आई
लगे बजाने बाजा
पानी इतना बरसा
बादल हो गया खाली
गिर गये मेँढ़क राजा
कछुवे ने बजाई ताली
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रचना - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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दो दोहे-
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मत पूछो यूँ प्यार से, ताजा ताजा हाल।
जीवन मेरा हो गया, जैसे छूटी काल।।
खुशियोँ के मिस काल हैँ, गम आते तत्काल।
तलवारोँ को छूट है, बौछारोँ को ढाल।।
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दोहे - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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नवरातन मेँ
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भगली दुर्गा अउरी उनकर बघवो भागि पराइल
नवरातन मेँ बकरा काटे जब लोग मन्दिर आइल
कहलसि बघवा हे देवी हम त तहरे अंश हईँ
बाघ तरे बा रूपवा बाकिर ना बाघे के वंश हईँ
हम त एगो बिम्ब हईँ ना कुछ खाईँ ना पीयेनी
तहरे जस हे माई हमहूँ धरम के बल पर जीयेनी
बाकिर देखऽ कइसे लोगवा करत हमेँ बदनाम हवेँ
पाप करेँ खुद बाकिर काहेँ लेत बाघ के नाम हवेँ
किसिम किसिम के अधर्मी लो बा मन्दिर पर आइल
बकरा केहू ले आइल बा कटवइयो उपराइल
मास अउर अण्डा के उँहवा दोकनियो बा लागल
येही से हे माई हमहूँ आवत बानी भागल
बाकिर समझ ना आवे हमके काहेँ ना बतलवलू ह
उबड़ खाबड़ रस्ता ध के पैदल पैदल अइलू ह
झर झर लोर झरे अखियन से बोल न मुँह से फूटेला
बाकिर मन के भाव जवन बा सगरी बघवा बूझेला
धरती जवन पवित्र रहे खूने से आजु नहाइल बा
पूजा करे आइल आ कि पाप करे सब आइल बा
मन्दिर त हमरे ह बाकिर बात सही बतलाईले
रक्तबीज से डरनी ना पर मानव से घबराईले
हमरे मन्दिर मेँ पशुवन के बलि जब लोग चढ़ावेला
लागे जइसे हमरे गरदन पर फरसा बरसावेला
येही से ये निर्जन मेँ हम भागि-परा के अइनी हँ
जाइबि ना ओइजा हम कहियो अइसन किरिया खइनी हँ
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रचना - आकाश महेशपुरी
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आकाश महेशपुरी के पाँच दोहे
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1-
पशुओँ को बन्धक बना, हम लेते आनन्द।
आजादी खुद चाहते, कितने हैँ मतिमन्द।।
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2-
कल की बातेँ याद रख, पर ये रखना याद।
आगे जो ना सोचते, हो जाते बरबाद।।
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3-
भारत देश महान की, यह भी है पहचान।
घर आए इंसान को, कहते हैँ भगवान।।
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4-
अच्छाई की राह पर, चलते रहिए आप।
दुःख चाहे जो भी मिले, या कोई संताप।।
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5-
दारू पीने के लिए, जो भी बेचे खेत।
बन जाता है एक दिन, वह मुट्ठी की रेत।।
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दोहे - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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ग़ज़ल
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जबसे निकला है बेवफा कोई
मर्द हो के भी रो रहा कोई
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देखो कैसे उदास बैठा है
जैसे गुजरा हो हादसा कोई
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जिसको दिल का करार कहते हैँ
दे दे इसका मुझे पता कोई
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उसके अश्कोँ पे खुश हुआ था मैँ
इसकी दे दे मुझे सजा कोई
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तुम तो पत्थर को मात देते थे
कैसे आँखोँ मेँ छा गया कोई
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कुछ तो ऐसे हालात होते हैँ
यूँ ही करता नहीँ ख़ता कोई
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चोट 'आकाश' हैँ पुराने से
जख़्म दे दे मुझे नया कोई
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ग़ज़ल - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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मुक्तक-
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लबोँ पे लब के अंगारे इरादोँ मेँ क़यामत है
जले शोला बदन तेरा कि आँखोँ मेँ इजाज़त है
बड़ा तड़पा हूँ जानेमन अकेले मेँ जुदाई मेँ
जरा पहले कहा होता हमेँ तुमसे मुहब्बत है
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मुक्तक - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
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दारू से का फायदा
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दारू से का फायदा सोचनी आजु गिनावे के
येही से परल हऽ हमरा कागज कलम उठावे के
ना लाठी के परे जरूरत ना ई ज्यादा खोखे दे
पहिला फायदा ईहे हऽ ई बूढ़ कबो ना होखे दे
भरल जवानी मेँ अइसनका रोग भयानक धरेला
बुढ़ौती के दुख भोगला से पहिले लोगवा मरेला
दूसर फायदा ई होला कि पिल्ला नाहीँ काटे सन
नबदाने मेँ पावे सन तऽ मुँहवे भर उ चाटे सन
फायदा सुनीँ एगौरी होला चोर ना कहियो आवे सन
घर मेँ कुछ बचले नइखे तऽ झूठ-मूठ का धावे सन
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रचना - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट कुबेरस्थान
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मूँछेँ (सिर्फ एक मजाक)
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सत्य कहूँ कि शान हैँ मूँछेँ।
मर्दो की पहचान हैँ मूँछेँ।।
अब तो ये फैशन है आया।
मूँछोँ का है हुआ सफाया।।
ये फैशन मूँछोँ पर भारी।
हैँ दिखते नर, जैसी नारी।।
मर्द हुए मेँहदी के आदी।
मूँछ मुड़ा के करते शादी।।
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रचना - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
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चार दोहे-
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1-
कलयुग के इस दौर मेँ, बस हैँ दो ही जात।
एक अमीरी का दिवस, अरु कंगाली रात॥
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2-
कौन यहाँ है जानता, कब आ जाए अन्त।
चलना अच्छी राह पर, कर देँ शुरू तुरन्त॥
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3-
मौसम मेँ है अब कहाँ, पहले जैसी बात।
जाड़े मेँ जाड़ा नहीँ, गलत समय बरसात॥
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4-
यारी राजा रंक की, या दोनोँ की प्रीत।
अक्सर क्योँ लगती मुझे, ये बालू की भीत॥
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दोहे - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
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