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गीत - मौसम जवाँ मनचला आसमाँ
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ज़माना नहीँ ढूँढ पाये हमेँ
हँसीँ गेसुओँ मेँ छुपा लो जरा
कि मौसम जवाँ मनचला आसमाँ
चलो इश्क मेँ भी नहा लो जरा
...
चलो प्यार मेँ कुछ बढ़ाएँ कदम
न कोई यहाँ हम अकेले सनम
निगाहोँ मेँ डालो निगाहेँ सुनो
अलग ना रहो आ मिलोँ एकदम
न दूरी कभी अब रहे दर्मियाँ
मुझे धड़कनोँ मेँ बसा लो जरा-
कि मौसम जवाँ मनचला आसमाँ
चलो इश्क मेँ भी नहा लो जरा
...
जो दिल मेँ तुम्हारे ठिकाना मिला
मुझे तो खुशी का खज़ाना मिला
मिली ये खुशी अब छुपाऊँ कहाँ
मिले तुम कि जैसे ज़माना मिला
नहीँ और सोचूँ कि तेरे सिवा
मैँ टूटा हुआ हूँ सम्हालो जरा-
कि मौसम जवाँ मनचला आसमाँ
चलो इश्क मेँ भी नहा लो जरा
...
फुहारोँ का आओ उठा लेँ मजा
भले ये ज़माना सुना दे सजा
नहीँ है हमेँ डर किसी का सनम
कि बाहोँ मेँ आके नहीँ तूँ लजा
ये दिन है सुहाना हमारे लिए
उमंगेँ जो दिल मेँ उछालो जरा-
कि मौसम जवाँ मनचला आसमाँ
चलो इश्क मेँ भी नहा लो जरा
...
गीतकार- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्रा- महेशपुर
पो- कुबेरस्थान
जि- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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तीन दोहे-
वह धन धन होता नहीँ, जो रखता है चोर।
धन चोरी का आग है, बचे न कोई कोर।।
चाहे धूप कठोर हो, या जलता हो पाँव।
काम धाम करते सदा, वे ही पाते छाँव।।
मीठा भी फीँका लगे, इतना मीठा बोल।
पर इस चक्कर मेँ कहीँ, झूठ न देना घोल।।
दोहे- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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गीत - जी लूँ जरा सा
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मुझे लग रहा मैँ मनुज हूँ मरा सा
तुझे देख लूँ आज जी लूँ जरा सा
खोई खुशी फिर न ढूँढे मिली है
झुलसी कली फिर न वापस खिली है
किसी ने जलाया कि पौधा हरा सा-
तुझे देख लूँ आज जी लूँ जरा सा
इस बेबसी पे हँसे ये जमाना
सूझे नहीँ आज कोई ठिकाना
बहुत काँपता है बदन ये डरा सा-
तुझे देख लूँ आज जी लूँ जरा सा
कोई नहीँ हमसफर ना सहारा
अपना बना कर सभी ने नकारा
घड़ा मैँ कि हूँ एक घिन से भरा सा-
तुझे देख लूँ आज जी लूँ जरा सा...
गीतकार - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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दो दोहे-
आ जाओ हे कृष्ण तुम, लिए विष्णु का अंश।
एक नहीँ अब तो यहाँ, कदम-कदम पर कंस॥
कंसो का ही राज है, रावण हैँ चहुँ ओर।
भला आदमी मौन है, जैसे कोई चोर।।
दोहे - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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भोजपुरी - गीत
BHOJPURI GEET
जिनिगी के नइया डूबल जाले लोरवा मेँ
लोरवा के नइखे ओर छोर रे खेवइया
सपना बीखरि गइलेँ अगीया मेँ जरि गइलेँ
किस्मत फाटल जइसे फाटे रे बेवइया
सबका के जिनिगी भर बहुते सतवनी हम
दुख भइल हमरा के होई रे सहइया
अब पछतइला से कुछउ त मीली नाहीँ
आई नाहीँ फेरू जवन बीतल रे समइया
बिहने ये दुनिया से जाये के लिखल बाटे
काम नाहीँ करी बैदा तोर रे दवइया
छुटि जाई खेत बारी छुटि जइहेँ पूत नारी
उड़ि जइहेँ सब पारा पारी रे चिरइया
गीत - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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ग़ज़ल-
मुझसा पागल कहाँ जमाने मेँ
सबको खोया है आजमाने मेँ
कैसे कैसे सवाल करता है
जैसे बैठा हूँ उसके थाने मेँ
साथ मेरे कलम न होती तो
वक्त कटता ये सर झुकाने मेँ
माँगे मोटा वो हार सोने का
मैँ तो पतला हुआ कमाने मेँ
कर्म को छोड़ पूजते तुमको
उनको रखते हो आने जाने मेँ
यूँ ना 'आकाश' ग़मजदा होना
वक्त लगता है उनके आने मेँ
ग़ज़ल - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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भोजपुरी गीत
BHOJPURI GEET
माई -
केहू नईखे दुनिया मेँ माई के तरे
काहेँ तूँ सतावेलऽ कसाई के तरे
जर लागे बथे कपार चाहेँ गड़े पेट
धावल जाली बैद लगे करेली ना लेट
सुनऽ भाई होली माई दवाई के तरे-
काहेँ तूँ सतावेलऽ कसाई के तरे
रहलऽ तूँ छोटी चुकी माई धोवली धूल
ओही माई खातिर तूँ बोवऽ तार शूल
तबो माई बोलेली मिठाई के तरे-
काहे तूँ सतावेलऽ कसाई के तरे
जड़वा मेँ ओढ़े खातिर रहे ना चादारा
तबो ये भाई जाड़ लागल ना ताहारा
हऽ माई के गोदिया रजाई के तरे
काहे तूँ सतावेलऽ कसाई के तरे-
केहू नईखे दुनिया मेँ माई के तरे
गीत - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम - महेशपुर
पोस्ट - कुबेरस्थान
जनपद - कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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एक छन्द मुक्त रचना-
माँ को गया है भूल
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कहती थी जिसे फूल
वो बन गया है शूल
बन गया है अधिकारी
माँ को गया है भूल
उदर मेँ लहू से
सीँचा जिसको
कहती थी जीवन का
बागीचा जिसको
माँ के बिना चैन से
वो रहता नहीँ था
अब कितना बदल गया है
माँ को माँ नहीँ कहता
बनाया जिसने काबिल
उसे समझता है फिजूल-
बन गया है अधिकारी
माँ को गया है भूल
सुन्दर है घर उसका
कोहिनूँर की तरह
नाचते हैँ घर वाले
मस्त मयूर की तरह
चमकीले महल मेँ
रोज धुलतीँ हैँ कुर्सियाँ
सुनता नहीँ है कोई
बूढ़ी माँ की सिसकियाँ
माँ के सूखे चेहरे पे
ज़म गयी है धूल-
बन गपा है अधिकारी
माँ को गया है भूल
माँ के मधुर हृदय मेँ
पड़ गये हैँ छाले
आँखोँ पे छा रहे
संकट के बादल काले
अपने लाडले को
आशीष खुशी का देकर
माँ करती है प्रार्थना
ऐ खुदा मुझे उठा ले
माँ देना जानती है
करती नहीँ वसूल-
बन गया है अधिकारी
माँ को गया है भूल ।
रचना - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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मुक्तक - रक्षा बन्धन
रक्षा बन्धन के अवसर पर संकल्प नया करना होगा
है अस्मत खतरे मेँ बहनोँ की हमको ना डरना होगा
अपनी बहनोँ की रखवाली हर भाई तो करता ही है
सबकी बहनोँ की रक्षा खातिर वक्त पड़े मरना होगा
मुक्तक - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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एक छन्द मुक्त कविता - गाँधी तेरे देश मेँ...
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गाँधी तेरे देश मेँ
बहुत जुल्म हो रहा
शैतान हँस रहे हैँ
इंसान रो रहा
सिपाही ताव खा रहे
नेता भाव खा रहे
मुखिया लोग बैठे-बैठे
गाँव खा रहे
अधिकारी फर्ज भूलकर
छाँव खा रहे
लालच है जाग रही
कर्तव्य सो रहा
शैतान हँस रहे हैँ
इंसान रो रहा
कानून का मजाक
खूब चल रहा
न्याय चाहने वाला
हाथ मल रहा
शरीफ जेल मेँ
हरीफ रेल मेँ
और इस खेल मेँ
ग़रीब जल रहा
लाचारोँ की चीत्कार से
चैन खो रहा
शैतान हँस रहे हैँ
इंसान रो रहा
दर्द है घुटन है
फरेब और नफ़रत
हर तरफ आजकल
है फैली हुई दहशत
देखो जिस ओर
बस कालिमा नज़र आये
चारोँ ओर अंधेरा है
आदमी किधर जाये
आँखोँ से निकला खून
चेहरे को धो रहा
शैतान हँस रहे हैँ
इंसान रो रहा
रचना - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश