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जिम्मेदारियां मजबुर कर देती है.. अपना शहर छोडने को......
.वर्ना कौन अपनी गली मे जीना नही चाहता...
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दिल थामकर जाते है हम जब भी राहे वफ़ा से,
ख़ौफ़ लगता है हमे तेरी आँखों की खता से,
जितना भी मुमकिन था हमने सहा तुम्हारा गम,
अब दुआ करो शायद दर्द भी लौट जाए तुम्हारी दुआ से,
हम बुरे नहीं तो अच्छे ही कहा है और कहा थे,
दुश्मनो से जा मिले है हम तुम्हारी मोहबत की गुमनाम से,
आप दफ़न ही कर देती हमे आगोस में लेकिन
सच कहु तो ये मौत बेहतर है जुदाई की सजा से.