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एक मुक्तक- दिमागी ज्वर
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रोग दिमागी ज्वर कि भाई जिन बच्चोँ को खाता
सोचो कैसे जिन्दा रहतीँ उन बच्चोँ की माता
जिन्दा लाश बने फिरतीँ हैँ आँखेँ हैँ पथराईँ
पर मस्ती मेँ झूम रहे हैँ मेरे भाग्य विधाता
मुक्तक- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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गीत-
नहीँ हैँ किसी और ग़म की निशानी
ये आँसू उन्हीँ के सितम की निशानी
बड़ी ही खुशी मेँ खुशी से मिले थे
कि फूलोँ के माफ़िक ये चेहरे खिले थे
वो ढूढे न मिलती सनम की निशानी-
ये आँसू उन्हीँ के सितम की निशानी
बड़ी ही अदा से बुलाया मुझे था
भुलाया मुझे है रुलाया मुझे था
मिला दर्द ये उस कसम की निशानी-
ये आँसू उन्हीँ के सितम की निशानी
कि यादोँ मेँ ही अब ये जीवन कटेगा
नहीँ मिट सका है नहीँ मिट सकेगा
कलेजे से उनके कदम की निशानी-
ये आँसू उन्हीँ के सितम की निशानी
लगे है मुझे यार फिर से मिलेगा
वो खोया हुआ प्यार फिर से मिलेगा
है शायद ये मेरे वहम की निशानी-
ये आँसू उन्हीँ के सितम की निशानी
गीत- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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हास्य मुक्तक-
जैसे खुजली मेँ या हम किसी दाद मेँ
दिल को खुजला रहे हैँ तेरी याद मेँ
एक मरहम जरा प्यार के नीम का
भेज दो बात बाकी भले बाद मेँ
मुक्तक- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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सात दोहे-
जिसके डर से सौ कदम,
रहती चिन्ता दूर।
कहते उसको कर्म हैँ,
दुख जिससे हो चूर।।1।।
पूजा करने से नहीँ,
या लेने से नाम।
आगे बढ़ते हैँ सभी,
बस करने से काम।।2।।
अच्छी बातेँ सोचिए,
अच्छी कहिए बात।
अच्छाई अच्छी लगे,
दिन हो चाहे रात।।3।।
जाति धर्म के नाम पर,
लड़ते जो दिन रात।
भारत माँ के लाल वे,
करते माँ से घात।।4।।
कथनी करनी एक हो,
और इरादा नेक।
बैर भाव जाता रहे,
मिलते मित्र अनेक।।5।।
रोगी सब संसार है,
और पेट है रोग।
रोटी एक इलाज है,
दर-दर भटकेँ लोग।।6।।
इस लोभी संसार मेँ,
जीना है दुश्वार।
यारी भी झूठी लगे,
झूठा लगता प्यार।।7।।
दोहे- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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चौपाई-
होता है अब कहाँ सबेरा।
छाया है इतना अंधेरा।।
अंधेरे मेँ जीवन सारा।
जैसे कोई विष की धारा।।
दिल मेँ तो है बहुत उजाला।
पर मुँह पर है लम्बा ताला।।
तम के आगे अब सच्चाई।
रोती है पल पल ऐ भाई ।।
रचना- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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ग़ज़ल
जिससे मेरी यारी देखो
उसने की गद्दारी देखो
आँसू का ये बहता दरिया
सागर पे है भारी देखो
तेरे खातिर ऐ जानेमन
मरने की तैयारी देखो
पाँचोँ थे रखवाले जिसके
रोती थी वो नारी देखो
दुख दर्दोँ की सर्द हवाएँ
जीवन की दुश्वारी देखो
भाव भरा 'आकाश' कहाँ है
रिश्तोँ मेँ लाचारी देखो
ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
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गीत- उजालोँ ने मुझे...
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उजालोँ ने मुझे मारा रुलाती बात है यारोँ
कि अब तो जिन्दगी जैसे अंधेरी रात है यारोँ
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मैँ सच्चा हूँ मगर सुन लो मुझे तुम प्यार मत करना
खुदा ने जब रुलाया है दया तुम यार मत करना
मिला जो कुछ हमेँ है वो ग़मे सौगात है यारोँ-
कि अब तो जिन्दगी जैसे अंधेरी रात है यारोँ
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दीया मैँ हूँ कि अंधेरा महज एक छोड़ने वाला
कहाँ होता है मुझसे काम कोई जोड़ने वाला
नहीँ तेरे लिए दिल मेँ कोई जज़बात है यारोँ-
कि अब तो जिन्दगी जैसे अंधेरी रात है यारोँ
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गुजारे साथ लम्होँ को कभी मत याद करना तुम
समय मेरे लिए अपना नहीँ बरबाद करना तुम
तेरा मैँ साथ दे पाऊँ कहाँ औकात है यारोँ-
कि अब तो जिन्दगी जैसे अंधेरी रात है यारोँ
गीत - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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दोहा-
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कहते हैँ वैभव किसे,
जाने कहाँ किसान।
फुरसत कब देते उसे,
कष्टोँ के फरमान।।
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दोहा - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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चार पंक्तियाँ-
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धरती कैसे सह पायेगी इतना बोझ अपार
अगर उजाले का करता है अंधेरा व्यापार
सोच रहा हूँ हो सकता क्या सूरज मेँ भी दाग?
जैसे दाग बटोरे चलती है दागी सरकार
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रचना - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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ग़ज़ल-
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हसीँ तुम गेसुओँ मेँ दिल को उलझाने चले आना
बड़ा टूटा हूँ जानेमन कि बहलाने चले आना
नहीँ हमदर्द है तेरे सिवा कोई जमाने मेँ
अगर गलती करूँ कोई तो समझाने चले आना
मैँ काला हूँ कलूठा हूँ कि झूठा हूँ फरेबी हूँ
मिले जो आइना कोई तो दिखलाने चले आना
बड़ा उपकार है तेरा बचाया है जो मरने से
मरूँ जिस दिन मेरी अर्थी भी सरकाने चले आना
घुटन 'आकाश' होती है यहाँ जो तुम नहीँ आते
कभी सपनोँ की बारिश मेँ ही नहलाने चले आना
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ग़ज़ल - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399