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सवैया छन्द-
देश हुआ बदहाल यहाँ अब चैन कहीँ मिलता किसको है
चैन भरा दिन काट रहे सब लूट लिए दिखता किसको है
भारत की परवाह नहीँ यह सत्य यहाँ जचता किसको है
ऐश करे अगुवा पर शुल्क यहाँ भरना पड़ता किसको है
सवैया - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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ग़ज़ल
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प्यार का है मुझे आसरा मिल गया
जिन्दगी को नया रास्ता मिल गया
है यही जिन्दगी साथ हो हमसफर
हमसफर मिल गया तो खुदा मिल गया
मौत भी थम गई साँस चलने लगी
आज तो जिन्दगी का पता मिल गया
हम हसीँ जुल्फ की छाँव मेँ आ गये
यार जैसे कि जीवन नया मिल गया
था कि सपना यही यार को देखते
पर यहाँ इश्क का फैसला मिल गया
प्यार कहते सभी आग की है नदी
एक ग़म का नया सिलसिला मिल गया
आज 'आकाश' का हमसफर तूँ हुआ
अब न ये पूछना तुम कि क्या मिल गया
ग़ज़ल - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
सम्पर्क सूत्र- 09919080399
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मुक्तक
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आज भी है गुलामी बड़ी देश मेँ
हर घड़ी बेबसी ये खड़ी देश मेँ
सत्य तो मौन है, है सहम सा गया
ना लगे दुष्ट को हथकड़ी देश मेँ
रचना - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
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पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
पोस्ट - कुबेरस्थान
जनपद - कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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रोग
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ये रोग
जबसे मेरे
जीवन मेँ आया है
लगता है
ज़हर किसी
चन्दन मेँ आया है
मेरा जीवन तो...
सादा
स्वच्छ
गतिशील
फिर भी...
ये रोग
जैसे जंग
कुन्दन मेँ आया है
या
पतझड़
सावन मेँ आया है
- आकाश महेशपुरी
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आपका जो हमेँ आसरा मिल गया
कह नहीँ पा रहे अब कि क्या मिल गया
ढूँढने को जिसे हम भटकते रहे
देखकर आपको वो पता मिल गया
मुक्तक - आकाश महेशपुरी
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पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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1-
आपने जो हमेँ यार इतना दिया
हम हुए धन्य हैँ सोम जैसे पिया
ये हमेँ तो बताएँ जरा आप ही
एक अनजान से प्यार कैसे किया
2-
आपने जो बताया कमीँ को जमीँ
आ गयी देखिए आँख मेँ भी नमी
हम नहीँ चाहते यूँ कि सम्मान हो
हम कि टूटे हुए हैँ फटे आदमी
रचना - आकाश महेशपुरी
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पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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गीत - ग़म से
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सभी कह रहे हैँ मुझे एक दम से
कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से
दिल सोचता है कि क्या हो रहा है
मैँ रो रहा और जग सो रहा है
नहीँ सुख मिला है मुझे तो जनम से-
कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से...
ठोकर लगे रोज फिर होश क्योँ है
मुझ मेँ न जाने यही दोष क्योँ है
बढ़ी उलझने हैँ बढ़े हर कदम से-
कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से...
धोखा मिले प्यार मेँ आजकल है
ग़म है बहुत ना हँसी एक पल है
नहीँ बात कोई करे आँख नम से-
कि मैँ हो रहा बदनुमा रोज ग़म से...
गीत - आकाश महेशपुरी
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम महेशपुर
पोस्ट - कुबेरस्थान
जनपद - कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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मात्रा भार-
मुखड़ा- 122 122 122 122
पूरक पक्ति- 122 122 122 122
अन्तरा- 221 221 221 22
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त्रिभंगी - छन्द
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हाँ इसके बिन ये, मुश्किल दिन ये, इससे जीवन, धारा है
कि हवा मेँ भाई, बदबू छाई, बढ़ता जाता, पारा है
देखो भर डाला, हमने हाला, पौधो को भी, मारा है
ये दुख सह लेगा, ना सुधरेगा, मानव खुद से, हारा है
रचना - आकाश महेशपुरी
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पता -
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम - महेशपुर
पोस्ट - कुबेरस्थान
जनपद - कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
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मुक्तक
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पढ़ोगे तो सफलता का ठिकाना जीत पाओगे
खुशी का और इज्जत का ख़जाना जीत पाओगे
यही तो चीज ऐसी है कि हर पल साथ देती है
इसे तुम जीत कर देखो ज़माना जीत पाओगे
मुक्तक - आकाश महेशपुरी
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पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम - महेशपुर
पोस्ट - कुबेरस्थान
जनपद - कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
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गीत
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ये दिल जो तोड़ डाला है
तो अब ये जान भी ले ले
है घर जो कर दिया सूना
तो ये पहचान भी ले ले
घर-बार तुमसे था
संसार तुमसे था
ग़म था नहीँ कोई
जब प्यार तुमसे था
टूटे इक प्यार की खातिर
तूँ सूरज-चाँन भी ले ले-
ये दिल जो तोड़ डाला है
तो अब ये जान भी ले ले...
अपना बनाया था
दिल मेँ बसाया था
आधे सफर मेँ ही
दामन छुड़ाया था
तुम्हेँ जो है खुशी तो सुन
मेरा सम्मान भी ले ले-
ये दिल जो तोड़ डाला है
तो अब ये जान भी ले ले...
कुछ ग़र नहीँ तो क्या
है घर नहीँ तो क्या
नभ मेँ चला हूँ मैँ
जो पर नहीँ तो क्या
गर जो दिल को तसल्ली दे
मेरे अरमान भी ले ले-
ये दिल जो तोड़ डाला है
तो अब ये जान भी ले ले...
गीत - आकाश महेशपुरी
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पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश