अरे नहीं मित्र मैं कहाँ किसी को कुछ सिखा सकता हूँ ??. पर हाँ मैंने जरूर आप सभी मित्रों की बीच में रहकर कुछ सीखा है. जिंदगी के बहुत सारे खट्टे मीठे अनुभव आप सभी के बीच में रहने से हुए हैं. अगर सभी सदस्य आपकी तरह ग्राही हो जाएँ तो ये फोरम स्वर्ग से भी बढ़कर हो जाए. फिर भी अपने आपको मेरा शिष्य माना है उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद मित्र.
ये इस बात का द्योतक है कि आप वो वृक्ष हैं जो और अधिक फल लगने के साथ और भी झुकता जाता है.
प्रणाम मित्र अनिल जी. कैसे हैं आप ?? परम पिता से प्रार्थना है कि आप जीवन के प्रत्येक क्षण का आनंद प्राप्त करते हुए परिवार सहित सुखमय रहे और सभी मित्रों को भी खुश और सुखमय रखें. धन्यवाद !