Re: रक्तदान महादान...........
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Re: रक्तदान महादान...........
एक उद्देश्यपूर्ण सूत्र के लिये और समय समय अपडेट देने के लिये आभार.
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Re: रक्तदान महादान...........
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Re: रक्तदान महादान...........
" ऋता जी द्वारा लिखी गयी एक कविता रक्तदान पर " : महादान रखना था वचन का मान दिव्य उपहार कवच कुण्डल का कर्ण ने दे दिया दान| लोक हित का रखा ध्यान दधिची ने दिया अस्थि दान शस्त्र का हुआ निर्माण हरे गए असुरों के प्राण| अनोखे दान को मिला स्थान| दान कार्य जग में बना महान|| विद्यादान वही करते जो होते स्वयं विद्वान, धनदान वही करते जो होते हैं धनवान, कन्यादान वही करते जिनकी होती कन्या सन्तान, रक्तदान सभी कर सकते क्योंकि सब होते रक्तवान| रक्त नहीं होता शिक्षित या अशिक्षत अपराधी या शरीफ़ अमीर या गरीब हिन्दू या ईसाई| यह सिर्फ़ जीवन धारा है, दान से बनता किसी का सहारा है| रक्त कणों का जीवन विस्तार है सिर्फ़ तीन महीनों का| क्यों न उसको दान करें हम पाएं आशीष जरुरतमन्दों का| करोड़ों बूँद रक्त से निकल जाए गर चन्द बूँद, हमारा कुछ नहीं घटेगा किसी का जीवन वर्ष बढ़ेगा| मृत्यु बाद आँखें हमारी खा़क में मिल जाएंगी, दृष्टिहीनों को दान दिया उनकी दुनिया रंगीन हो जाएगी| रक्तदान सा महादान कर जीते जी पुण्य कमाओ नेत्र सा अमूल्य अंग दान कर मरणोपरांत दृष्टि दे जाओ| रक्तदान के समान नहीं है कोई दूजा दान, नेत्रदान के समान है नहीं दूजा कार्य प्रधान| ऋता शेखर ‘मधु’ सौजन्य से : सौजन्य से : |
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