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aspundir 12-11-2012 05:15 PM

Re: आरोग्यनिधि
 
रक्तविकार

पहला प्रयोगः दो तोला काली द्राक्ष (मुनक्के) को 20 तोला पानी में रात्रि को भिगोकर सुबह उसे मसलकर 1 से 5 ग्राम त्रिफला के साथ पीने से कब्जियत, रक्तविकार, पित्त के दोष आदि मिटकर काया कंचन जैसी हो जाती है।
दूसरा प्रयोगः बड़ के 5 से 25 ग्राम कोमल अंकुरों को पीसकर उसमें 50 से 200 मि.ली. बकरी का दूध और उतना ही पानी मिलाकर दूध बाकी रहे तब तक उबालकर, छानकर पीने से रक्तविकार मिटता है।

aspundir 12-11-2012 05:15 PM

Re: आरोग्यनिधि
 
सफेद दाग (कोढ़)

पहला प्रयोगः बावची के तेल की मालिश करें। फोड़ा होने पर लगाना बंद कर दें। फोड़े पर मिट्टी या गोबर का लेप करें। सात दिन बाद पुनः बावची का तेल लगायें।
दूसरा प्रयोगः 50 से 200 मि.ली गोमूत्र में 1 से 3 ग्राम हल्दी मिलाकर पीने से या तुलसी का रस लगाने व 5 से 20 मि.ली. पीने से सफेद दाग मिटते हैं।
तीसरा प्रयोगः पीपल की छाल का दो ग्राम चूर्ण दिन में तीन बार छः महीने तक लेने से एवं केले के पत्तों की राख तथा उसके बराबर हल्दी लेकर दोनों को पानी में पीसकर उसका लेप करने से सफेद कोढ़ मिटता है।
सफेद कोढ़ में वमन कराने से लाभ होता है।
चौथा प्रयोगः चने को पानी में भिगोकर या उबालकर जब इच्छा हो तब खायें। जिस पानी में चने भिगोयें उसी पानी को पियें। चने में नमक न डालें। 3 से 6 महीने तक यह प्रयोग करने से हर प्रकार के कुष्ठ में लाभ होता है।
इस प्रयोग के दौरान चने के अतिरिक्त कुछ न खायें।
पाँचवाँ प्रयोगः काकोटुम्बर नामक बूटी जहाँ-तहाँ होती है। उसका दूध लगायें और उसकी छाल का काढ़ा बनाकर पियें। उस दाग पर लोहे की शलाका से घिसें। जलन होने पर घिसना बन्द कर दें। त्रिफला चूर्ण का रोज सेवन करें। दूध, फल, मिठाई, खटाई और लाल मिर्च बंद कर दें।
दूध के साथ तुलसी, प्याज, मछली या खटाई खाने से कोढ़ निकलता है अतः इस प्रकार के भोजन से सावधान रहें।

aspundir 12-11-2012 05:15 PM

Re: आरोग्यनिधि
 
वातरक्त (लेप्रसी-कुष्ठ रोग)

1 तोला अडूसे, गुडुच(गिलोय) एवं अरण्डी की जड़ 20 से 50 मि.ली. काढ़े में अथवा अमलतास की फलियों एवं गिलोय के 20 से 50 मि.ली. काढ़े में अरण्डी का 1 से 5 ग्राम तेल मिलाकर पीने से वातरक्त में लाभ होता है।

aspundir 12-11-2012 05:15 PM

Re: आरोग्यनिधि
 
त्वचा के मस्से

पहला प्रयोगः बंगला, मलबारी, कपूरी अथवा नागरबेल के पत्ते के डंठल का रस मस्से पर लगाने से मस्से झड जाते हैं। यदि तब भी न झडें तो पान में खाने का चूना मिलाकर घिसें।
दूसरा प्रयोगः थूहर का दूध या कार्बोलिक एसिड सावधानी पूर्वक लगाने से मसे निकल जाते हैं।
त्वचा के लाल छालेः काले जीरे को गोमूत्र में पीसकर शरीर पर लगाकर नहाने से अथवा चन्दन तेल, तुवरक तेल एवं बावची का तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है।

aspundir 12-11-2012 05:16 PM

Re: आरोग्यनिधि
 
जलने पर

पहला प्रयोगः जलने पर गुवारपाठा का गूदा लगाने से बर्फ जैसी ठण्डक हो जाती है तथा घाव जल्दी भरता है।
दूसरा प्रयोगः हल्दी का पानी लगाने से जले हुए में आराम मिलता है।
तीसरा प्रयोगः नारियल के तेल में हरड़ का चूर्ण मिलाकर लगाने से घाव में लाभ होता है।
चौथा प्रयोगः कच्चे आलू को पीसकर जले हुए स्थान पर लगाने से राहत मिलती है।

aspundir 12-11-2012 05:16 PM

Re: आरोग्यनिधि
 
जलने से होने वाले दागः

प्रथम प्रयोगः भांगरे एवं तुलसी के पत्तों का रस (जख्म मिट जाने के बाद) लगाने से सफेद दाग नहीं पड़ते।
दूसरा प्रयोगः गरमी से त्वचा पर हुए चकत्तों पर त्रिफला की राख शहद में मिलाकर लगाने से राहत मिलती है।

aspundir 12-11-2012 05:16 PM

Re: आरोग्यनिधि
 
त्वचा के सर्वरोगः

प्रथम प्रयोगः नींबू के रस में नारियल की जटा का तेल मिलाकर शरीर पर उसकी मालिश करने से त्वचा की शुष्कता, खुजली आदि त्वचा के रोगों में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः पुराने त्वचा के रोग में करेले के पत्तों को पीसकर उसकी मालिश करने से खूब लाभ होता है।

aspundir 12-11-2012 05:16 PM

Re: आरोग्यनिधि
 
रक्तस्राव होने पर

पहला प्रयोगः हरी धनिया का 10 से 20 मि.ली. रस दिन में दो बार पीने से मुँह से रक्त नहीं गिरता।
दूसरा प्रयोगः नाक-मुँह से रक्तस्राव होने पर 1 ग्राम फिटकरी को 20 ग्राम पानी में मिलाकर सुबह-शाम पियें। इससे रक्तार्थ, दस्त में खून गिरना, मूत्ररक्त, अतिआर्तव आदि में भी लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः आधा से 1 ग्राम कपूर और 1 से 2 ग्राम अनार की छाल के साथ माजूफल का आधा से 1 ग्राम चूर्ण खाने से रक्तस्राव बंद होता है।

aspundir 12-11-2012 05:17 PM

Re: आरोग्यनिधि
 
फोड़े फुन्सी होने पर

प्रथम प्रयोगः अरण्डी के बीजों की गिरी को पीसकर उसकी पुल्टिस बाँधने से अथवा आम की गुठली या नीम या अनार के पत्तों को पानी में पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः एक चुटकी कालेजीरे को मक्खन के साथ निगलने से या 1 से 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से तथा त्रिफला के पानी से घाव धोने से लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः सुहागे को पीसकर लगाने से रक्त बहना तुरंत बंद होता है तथा घाव शीघ्र भरता है।
फोड़े से मवाद बहने परः
पहला प्रयोगः अरण्डी के तेल में आम के पत्तों की राख मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः थूहर के पत्तों पर अरण्डी का तेल लगाकर गर्म करके फोड़े पर उल्टा लगायें। इससे सब मवाद निकल जायेगा। घाव को भरने के लिए दो-तीन दिन सीधा लगायें।
पीठ का फोड़ाः गेहूँ के आटे में नमक तथा पानी डालकर गर्म करके पुल्टिस बनाकर लगाने से फोड़ा पककर फूट जाता है।

aspundir 12-11-2012 05:17 PM

Re: आरोग्यनिधि
 
गाँठ

पहला प्रयोगः आकड़े के दूध में मिट्टी भिगोकर लेप करने से तथा निर्गुण्डी के 20 से 50 मि.ली. काढ़े में 1 से 5 मि.ली अरण्डी का तेल डालकर पीने से लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः 2 से 5 ग्राम कांचनार और रोहतक का दिन में दो-तीन बार सेवन व बाह्य लेप करने से गाँठ पिघलती है।
तीसरा प्रयोगः गेहूँ के आटे में पापड़खार तथा पानी डालकर पुल्टिस बनाकर लगाने से न पकने वाली गाँठ पककर फूट जाती है तथा दर्द कम हो जाता है।
गण्डमाला की गाँठें (Goitre)- गले में दूषित हुआ वात, कफ और मेद गले के पीछे की नसों में रहकर क्रम से धीरे-धीरे अपने-अपने लक्षणों से युक्त ऐसी गाँठें उत्पन्न करते हैं जिन्हें गण्डमाला कहा जाता है। मेद और कफ से बगल, कन्धे, गर्दन, गले एवं जाँघों के मूल में छोटे-छोटे बेर जैसी अथवा बड़े बेर जैसी बहुत-सी गाँठें जो बहुत दिनों में धीरे-धीरे पकती हैं उन गाँठों की हारमाला को गंडमाला कहते हैं और ऐसी गाँठें कंठ पर होने से कंठमाला कही जाती है।
प्रयोगः कौंच के बीज को घिस कर दो तीन बार लेप करने तथा गोरखमुण्डी के पत्तों का आठ-आठ तोला रस रोज पीने से गण्डमाला (कंठमाला) में लाभ होता है।
कफवर्धक पदार्थ न खायें।


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