Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
अगर किसी को पढ़ने में तकलिफ हो तो मुझे अवज्ञत कराईएगा। ओर अच्छे Resolution उपलब्ध है।
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Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
बहुत ही लाजवाब सूत्र है. बचपन की याद दिलाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
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Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
very nice
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Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
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बहुत दिनों बाद मोटुपतलु का एक ओर कारनामा प्रस्तुत है।
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Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
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यह कारनामा प्यारेटुन्स नाम की वेबसाईटसे लिया गया है। पुरानी मेगझीन और कोमिक्स के फेन्स यह सब संभाल कर रखतें है, ईन्हे स्केन कर कर अपलोड करना भी झंझट वाला काम है। सो उन्हें हम क्रेडिट्स / धन्यवाद तो दे ही सकतें है। :hello:
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Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
आपने बचपन की यादें ताज़ा करदी, शयद जितना मज़ा कॉमिक्स में आता था उतना कार्टून में नहीं आता, खैर ये तो अपनी अपनी पसंद भी हो सकती है, हो सकता है आज के बच्चो को कॉमिक्स से ज्यादा अच्छे कार्टून लगते हो. पर बचपन की यादो की बात ही कुछ और होती है, शायद ही किसी प्रकाशक की कॉमिक्स हमसे छुटती हो, राज कॉमिक्स से लेके डायमंड तक लोट पॉट से लेके परमाणु सीरीज तक सब अपने कलेक्शन में थे,नानी के घर जाने का एक बहाना ये भी था की मम्मी रेलवे स्टेशन पर कॉमिक्स दिलवाएगी और लौटते वक़्त मामा या नाना दिलवाएँगे
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Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
Quote:
लेकिन पुस्तक या कॉमिक्स एक ठोस चीज़ है। हम उस पर हाथ फिरा कर पढते थे! अगर कोई चीज़ समज़ में ना आई या ज्यादा पसंद आई तो वापस उस पन्ने पर जा कर पढ सकते थे। उसे देख कर अपनी नोटबुक में चित्र बनाया करते थे! :giggle: कोमिक्स का कलेक्शन या एक्का-दुक्का कोमिक्स भी हमारा एचीवमेन्ट होती थी। उसे हम दोस्तों को दिखा सकते थे, पढने को देते थे या मांगते थे!:hug: आज कल के बच्चों के अलग शौख है, बड़े हो कर वे उनके शौख याद करेंगे। लेकिन अपना बचपन भी कुछ कम नहीं था! :egyptian: :think: |
Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
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Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
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Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
Enjoyed it.
कृप्या सूत्र जारी रखिए. आज ही देखा GV |
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