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-   -   श्री अटल जी की कविताएँ :......... (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=12289)

rajnish manga 08-05-2014 08:11 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
मैं सोचता हूँ कि यहाँ अटल जी के जीवन से जुड़े कुछ प्रसंग देना अप्रासंगिक न होगा. जैसा कि हम सब जानते हैं कि अटलजी की वक्तृता के कायल बड़े बड़े लोग थे. लोग दूर दूर से उनका भाषण सुनने के लिये सभाओं में जाया करते थे. इसी सन्दर्भ में हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहते हैं.

अटल जी के अनुसार उन्होने अपना पहला भांषण पाँचवी कक्षा में आयोजित एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में दिया था। जहाँ अटक-अटक कर बोलने की वजह से उनकी बहुत हँसाई हुई थी। दरअसल तब वे अपना भाषंण रट कर गये थे। दृणसंक्लप अटल जी ने तभी ये निश्चय किया कि अब कभी भी रटकर भांषण नही बोलेगें। उनकी दृणसंक्लपता का ही परिणाम है कि उनके भाषणों को सुनने दूर-दूर से लोग आते हैं।

एक बार इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन था। अटल जी एवं रघुनाथ सिंह इस प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे थे। परन्तु ट्रेन लेट हो जाने की वजह से वो लोग, प्रतियोगिता समाप्त होने पर वहाँ पहुँचे। उस समय निर्णायक मंडल निर्णय तैयार कर रहे थे। परेशान हुए बिना अटल जी ने ट्रेन लेट होने की बात अध्यक्ष महोदय को बताई, महोदय ने उन्हे बोलने की इजाजत दे दी। अटल जी ने अपनी परिमार्जित और काव्यात्मक शैली में ऐसा उत्कृष्ट भाषण दिया कि उन्हे सर्वप्रथम वक्ता होने का पुरस्कार प्राप्त हुआ। उस निर्णायक मंडल में डॉ. हरिवंश बच्चन जी भी थे।

अटल जी की वाकपटुता का एक और प्रसंग है। एक बार वाद-विवाद का विषय था,हिन्दी राष्ट्रभाषा होनी चाहिए। अटल जी पक्ष के वक्ता थे और उनका जोङीदार विपक्ष का जिसे हिन्दी की जगह हिन्दुस्तानी का पक्ष लेना था। परन्तु ऐन वक्त पर उनके जोङीदार ने कहा कि, अटल में तो पक्ष में बोलने की तैयारी करके आया हुँ। विचलित हुए बिना अटल जी ने कहा कोई बात नही, आप पक्ष में बोल दीजीए। अटल जी बिना किसी तैयारी के प्रतिपक्ष के विषय पर बोले। उनके आत्मविश्वास का आलम ये था कि वे उस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान से पुरस्कृत हुए।

Dr.Shree Vijay 08-05-2014 09:47 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 499704)
मैं सोचता हूँ कि यहाँ अटल जी के जीवन से जुड़े कुछ प्रसंग देना अप्रासंगिक न होगा. जैसा कि हम सब जानते हैं कि अटलजी की वक्तृता के कायल बड़े बड़े लोग थे. लोग दूर दूर से उनका भाषण सुनने के लिये सभाओं में जाया करते थे. इसी सन्दर्भ में हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहते हैं.

अटल जी के अनुसार उन्होने अपना पहला भांषण पाँचवी कक्षा में आयोजित एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में दिया था। जहाँ अटक-अटक कर बोलने की वजह से उनकी बहुत हँसाई हुई थी। दरअसल तब वे अपना भाषंण रट कर गये थे। दृणसंक्लप अटल जी ने तभी ये निश्चय किया कि अब कभी भी रटकर भांषण नही बोलेगें। उनकी दृणसंक्लपता का ही परिणाम है कि उनके भाषणों को सुनने दूर-दूर से लोग आते हैं।


इस बेहतरीन प्रसंग को यहा अंकित कर इस सूत्र में आपने चार चाँद लगायें,
इसके लिए आपको हार्दिक साधुवाद, आगे भी ऐसें प्रसंगो को आप यहाँ अवश्य
अंकित करेंगे यही अभिलाषा करता हूँ.........



Dr.Shree Vijay 12-05-2014 07:07 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 


श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://images.jagran.com/inext/Inext..._atal_bday.jpg

दूध में दरार पड़ गई :

ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया।
बँट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।

खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी,
व्यथित सी बितस्ता है।
वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई।

अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता,
तुम्हें वतन का वास्ता।
बात बनाएँ, बिगड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई :.........



Dr.Shree Vijay 04-06-2014 07:13 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://www.bbc.co.uk/worldservice/ic...p_nocredit.jpg

क़दम मिला कर चलना होगा :


बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढ़लना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा :.........



rafik 05-06-2014 09:32 AM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
Quote:

Originally Posted by dr.shree vijay (Post 508162)

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :........

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ भी उनकी तरह ही अटल रहेगी

Dr.Shree Vijay 14-06-2014 06:41 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
Quote:

Originally Posted by rafik (Post 508177)
श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ भी उनकी तरह ही अटल रहेगी

:iagree::iagree::iagree:

Dr.Shree Vijay 14-06-2014 06:52 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://2.bp.blogspot.com/-UxzUfS9LFT...600/atal+g.jpg

मनाली मत जइयो :


मनाली मत जइयो, गोरी
राजा के राज में।

जइयो तो जइयो,
उड़िके मत जइयो,
अधर में लटकीहौ,
वायुदूत के जहाज़ में।

जइयो तो जइयो,
सन्देसा न पइयो,
टेलिफोन बिगड़े हैं,
मिर्धा महाराज में।

जइयो तो जइयो,
मशाल ले के जइयो,
बिजुरी भइ बैरिन
अंधेरिया रात में।

जइयो तो जइयो,
त्रिशूल बांध जइयो,
मिलेंगे ख़ालिस्तानी,
राजीव के राज में।

मनाली तो जइहो।
सुरग सुख पइहों।
दुख नीको लागे, मोहे
राजा के राज में :.........



Dr.Shree Vijay 10-07-2014 10:20 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........



Dr.Shree Vijay 08-08-2014 09:29 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........



Dr.Shree Vijay 08-09-2014 10:30 AM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://amitology.files.wordpress.com...i-vajpayee.jpg
क्षमा याचना :


क्षमा करो बापू! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी।

जयप्रकाश जी! रखो भरोसा,
टूटे सपनों को जोड़ेंगे।
चिताभस्म की चिंगारी से,
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे :.........




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