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-   -   मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक' (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=5737)

deepuji1983 05-01-2013 09:21 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
जरा हट के तामील हो मेरे ख्वाबों की
छाप फिर से दिखे खूबसूरत इरादों की
ना हो शर्मिन्दा नस्ल फिर से कहीं 'रौनक'
आदमी छोड़ दे जमात अब दरिन्दों की

दीपक खत्री 'रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:23 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
सुनाए जो उनको दिल के छाले मैने 'रौनक'
वो सिर्फ वाह वाह करके चल दिये

दीपक खत्री 'रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:24 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
वो सताने के खास हुनर तक आ गए
लौट के वो फिर मेरे घर तक आ गए

कारनामे जो अंजाम तक ना गए कभी
वो बन कर हादसे नज़र तक आ गए

कारवाँ हुआ तब्दील शक्ल-ए-भीड़ मे
लो मुसाफ़िर अपने घर तक आ गए

खुशबू फैली है फिजाओं मे हर तरफ
माली सब अपने हुनर तक आ गए

हादसे हो रहे है खूब सरे बाज़ार मे
बिखरे लहू के कतरे जिगर तक आ गए

सहा खूब अर्ज़ ने बेइंतिहा दर्द को 'रौनक'
लो इबलिश अब समर तक आ गए

दीपक खत्री 'रौनक'

deepuji1983 05-01-2013 09:26 PM

Re: मेरी रचनाएँ-6 - दीपक खत्री 'रौनक'
 
फिरौं के फरमान चलने लगे
आँखों के अरमान जलने लगे

गणित हुआ आम हर जगह
अरसों के अहसान खलने लगे

ना हुआ फैसला मेरे कल का
वादों के आफताब ढलने लगे

जलने लगा है जबसे ज़माना
मेरे दिमाग-ए-रख्श चलने लगे

कौंधती बर्क कर रही इशारा
हौंसला-ए-जबाल गलने लगे

हादसे जो भुलाये नही कभी 'रौनक'
देखो बनके चिता जलने लगे

दीपक खत्री 'रौनक'


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