Re: !! कुछ गजलें !!
चला इक दिन जो घर से पान खा कर तो थूका रेल की खिड़की से आकर मगर जोशे हवा से चाँद छींटे परे रुखसार पे इक नाजनीन के रुखसार ..... गाल हुई आपे से वो फ़ौरन ही बाहर लगी कहने अबे ओ खुश्क बन्दर ज़बान को रख तू मुंह के दाएरे में हमेशा ही रहे गा फायदे में बहाने पान के मत छेड़ ऐसे यही अच्छा है मुझ से दूर रह ले तेरी सूरत तो है शोराफा के जैसी तबियत है मगर मक्कार वहशी shorafaa .... shareefon ,,,,, wahshi ... darindah कहा मैं ने कहानी कुछ भी बुन लें मगर मोहतरमा मेरी बात सुन लें खुदा के वास्ते कुछ खोफ खाएं ज़रा सी बात इतनी न बढ़ाएं नहीं अच्छा है इतना पछताना मुझे बस एक मौका देदो जाना ज़बान को अपनी खुद से काट लूँ गा जहां थूका है उस को चाट लूंगा |
Re: !! कुछ गजलें !!
Quote:
|
Re: !! कुछ गजलें !!
इश्क के गुलशन को गुल गुज़ार न कर!
ऐ नादान इंसान कभी किसी से प्यार न कर! बहुत धोखा देते हैं मोहब्बत में हुस्न वाले, इन हसीनो पर भूल कर भी ऐतबार न कर! दिल से आपका ख्याल जाता नहीं! आपके सिवा कोई और याद आता नहीं! हसरत है रोज़ आपको देखूं, वरना आप बिन जिंदा रह पाता नहीं! वे चले तो उन्हें घुमाने चल दिए! उनसे मिलने-जुलने के बहाने चल दिए! चाँद तारों ने छेड़ा तन्हाई में ऐसी राग, वे रूठे नहीं की उन्हें मानाने चल दिए! वो मिलते हैं पर दिल से नहीं! वो बात करते हैं पर मन से नहीं! कौन कहता है वो प्यार नहीं करते, वो प्यार तो करते हैं पर हमसे नहीं! नाबिक निराश हो तो साहिल ज़रूरी है! ज़न्नत की तलाश में हो तो इशारा ज़रूरी है! मरने को तो कोई कहीं मर सकता है, लेकिन ज़ीने के लिए सहारा ज़रूरी है! |
Re: !! कुछ गजलें !!
घर की तामीर चाहे जैसी हो
इसमें रोने की जगह रखना! जिस्म में फैलने लगा है शहर अपनी तनहाइयाँ बचा रखना! मस्जिदें हैं नमाजियों के लिए अपने दिल में कहीं खुदा रखना! मिलना-जुलना जहाँ जरुरी हो मिलने-जुलने का हौसला रखना! उम्र करने को है पचास को पार कौन है किस पता रखना! |
Re: !! कुछ गजलें !!
एक लफ्जे-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है!
सिमटे तो दिले-आशिक, फैले तो ज़माना है! हम इश्क के मारों का इतना ही फ़साना है! रोने को नहीं कोई हंसने को ज़माना है! वो और वफ़ा-दुश्मन, मानेंगे न माना है! सब दिल की शरारत है, आँखों का बहाना है! क्या हुस्न ने समझा है, क्या इश्क ने जाना है! हम ख़ाक-नशीनो की ठोकर में ज़माना है! ऐ इश्के-जुनूं-पेशा! हाँ इश्के-जुनूं पेशा, आज एक सितमगर को हंस-हंस के रुलाना है! ये इश्क नहीं आशां,बस इतना समझ लीजे एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है! आंसूं तो बहुत से हैं आँखों में 'जिगर' लेकिन बिंध जाए सो मोती है, रह जाए सो दाना है! |
Re: !! कुछ गजलें !!
किस तरफ का रास्ता लूंगा मैं रुका नहीं तो मंजिल पा लूंगा मैं ... तजुर्बे की हरारत को नहीं समझा तो कहीं बे -वज़ह ज़मीर जला लूंगा मैं ... कभी खींच कर लकीर काग़ज़ पर बिना रक़म का मकान बना लूंगा मैं ... कितने मासूम होते है मौसम के फूल गर छू लिया तोह मुस्कुरा लूंगा मैं ... अगर वहशत की आंधी और चली देखना नफ़रत का पत्थर उठा लूंगा मैं ... |
Re: !! कुछ गजलें !!
अपने हाथों की लकीरों में बसाले मुझको मैं हूं तेरा नसीब अपना बना ले मुझको मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के मानी ये तेरी सदादिली मार न डाले मुझको मैं समंदर भी हूं मोती भी हूं गोतज़ान भी कोई भी नाम मेरा लेके बुलाले मुझको तूने देखा नहीं आईने से आगे कुछ भी ख़ुदपरस्ती में कहीं तू न गवां ले मुझको कल की बात और है मैं अब सा रहूं या न रहूं जितना जी चाहे तेरा आज सताले मुझको |
Re: !! कुछ गजलें !!
ख़ुद को मैं बांट न डालूं कहीं दामन-दामन कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको मैं जो कांटा हूं तो चल मुझसे बचाकर दामन मैं हूं अगर फूल तो जूड़े में सजाले मुझको मैं खुले दर के किसी घर का हूं सामां प्यार तू दबे पांव कभी आके चुराले मुझको तर्क-ए-उल्फ़त की क़सम भी कोई होती है क़सम तू कभी याद तो कर भूलाने वालो मुझको बादा फिर बादा है मैं ज़हर भी पी जाऊं शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको |
Re: !! कुछ गजलें !!
सिकंदर भाई बहुत ही सुन्दर गजलों का संग्रह !!
|
Re: !! कुछ गजलें !!
Quote:
सुंदर , अति सुंदर ! दिल को छूने वाली रचना को हमारे लिए प्रस्तुत करने पर निःसन्देह बधाई के पात्र हैँ । |
All times are GMT +5. The time now is 08:43 AM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.