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-   -   अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो ! (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=3572)

Dark Saint Alaick 24-10-2011 06:48 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
बन्धु अमित ! आपको चिंतित करने वाला एक समाचार आज ही एक एजेंसी ने ज़ारी किया है ! आपके लिए हाज़िर है !

‘ठग्गू के लडडू’ पर भी पड़ी दीपावली में मंहगाई की मार, दामों में इजाफा


कानपुर । दीपावली पर मिलावटी खोये से बचने और मेवे और सूखे मेवे के दामों में भारी बढ़ोतरी के कारण फिल्म ‘बंटी और बबली’ से मशहूर हुए कानपुर के ठग्गू के लडडू के दामों में बढ़ोतरी हो गयी है और इसके चलते इन मशहूर लड्डुओं का स्वाद लेने के लिए लोगों को अब पहले से अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। इसी दुकान पर बनने वाली ‘बदनाम कुल्फी’ के दामों में भी इजाफा हुआ है। शहर के बड़े चौराहे के पास स्थित ‘ठग्गू के लड्डू’ की दुकान 1968 में खुली थी। फिल्म अभिनेता अभिषेक बच्चन और अभिनेत्री रानी मुखर्जी भी इसके जायके के प्रशंसक हैं। इन दोनों ने अपनी फिल्म बंटी और बबली की शूटिंग इसी दुकान में की थी। ‘ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं’ स्लोगन से चलने वाले ठग्गू के लड्डुओं पर भी अब दीपावली के त्योहार पर बढ़ती मंहगाई का असर दिखने लगा है और इसके मालिकों ने लड्डू की कीमत में काफी इजाफा किया है। ठग्गू के लडडू ब्रांड नेम का 2002 में पेटेंट कराने वाले दुकान के मालिक प्रकाश पांडेय ने बताया कि लडडुओं में पड़ने वाली हर वस्तु के दामों में इजाफा हो गया है, इसलिए हमें मजबूरन अपने लडडुओं और कुल्फी के दामों में भी बढ़ोतरी करनी पड़ी। काजू, सूजी, खोया, इलाइची और देशी घी वाले सामान्य लड्डुओं की पहले कीमत 240 रूपए प्रति किलो थी, जो अब 270 रूपये हो गई है।
पांडे बताते हैं कि स्पेशल पिस्ता लडडुओं की कीमत पहले 360 रूपये किलो थी, जो अब 390 रूपये प्रति किलो हो गई है। वह कहते हैं कि लडडुओं के दाम बढ़ाना उनकी मजबूरी थी, क्योंकि अगर दाम न बढ़ाते तो गुणवत्ता से समझौता करना पड़ता। वह कहते है कि दाम बढ़ाने का एक बड़ा कारण खोया (मावा) है। दीपावली के अवसर पर बाजार में हर तरफ मिलावटी खोए की भरमार है और वह बाजार में मिलने वाला खोया इस्तेमाल नहीं करते,खुद खोया बनवाते हैं। ठग्गू के लडडू के मालिक प्रकाश पांडे से जब पूछा गया कि क्या दाम बढ़ने से उनके लडडुओं की बिक्री पर कोई असर पड़ा, तो उन्होंने इससे इन्कार कर दिया। वह कहते हैं कि दुकान पर बिकने वाली केसर, खोया और दूध से बनी बादाम कुल्फी के दामों में भी बढ़ोतरी की गयी है। पहले यह कुल्फी 260 रूपए प्रति किलो मिलती थी, लेकिन अब दाम बढ़कर 280 रुपए प्रति किलो हो गये हैं। वह कहते हैं कि दीपावली के अवसर पर ठग्गू के लडडुओं की मांग कानपुर से ज्यादा बाहर होती है। यहां से दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बंगलूरू से लेकर अनेक शहरों तक यह लड्डू जाते हैं। उनका दावा है कि उनकी दुकान में कई विदेशी ग्राहक दुकान का नाम सुनकर आते हैं और फिर इन्हें पैक कराकर इंग्लैड, अमेरिका और यूरोप तक ले जाते है। पांडे दावा करते हैं कि फिल्म अभिनेता अभिषेक बच्चन की ऐश्वर्या राय से शादी के मौके पर वह पचास किलो लडडू लेकर मुंबई गए थे और वहां मेहमानों ने इसका जायका लिया था।

Dark Saint Alaick 24-01-2012 09:41 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
मुझे ताज्जुब है कि इतने सारे सदस्य ... उनके इतने सारे शहर और फिर भी विचित्रताओं से भरे इस संसार में किसी को भी अपने शहर में कोई अज़ब - गज़ब चीज़ नज़र नहीं आ रही ?

MrRamgarhia 14-04-2012 03:29 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
Hello all,How are you all,I am MrRamgarhia..

Sikandar_Khan 27-04-2012 08:44 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
महाराष्ट्र के नागपुर को हम सभी संतरा नगरी के नाम से जानते हैँ ! लेकिन नागपुर की एक और मशहूर चीज आज मै आपको बताता हूँ |
आप सभी ने "हल्दीराम" का नाम तो सुना ही होगा और इनके प्रोडक्ट का स्वाद चखा भी होगा ! आज के तकरीबन 23 वर्ष पहले नागपुर शहर के भंडारा रोड पर "हल्दीराम भुजियावाला" के नाम से एक फैर्क्टी और शोरूम खोला था ! उस समय वो केवल मिठाई और नमकीन का ही कारोबार करते थे !
आज उनके अनगिनत प्रोडक्ट पूरे विश्व स्तर पर धूम मचाए हुए हैँ ! लेकिन शायद "हल्दीराम भुजियावाला" की मिठाई का स्वाद केवल नागपुर शहरवासियोँ को ही मिल पाता है |

Sikandar_Khan 27-04-2012 08:53 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
"हल्दीराम भुजियावाला" के मिठाई के अतिरिक्त और भी प्रोड्क्ट जैसे , समोसा , कचौरी , गुझिया , ढोकला , रसमलाई ,पेठा, आईसक्रीम , दूध , दही , छाछ , ब्रेड , पाव और उनके विभिन्न रेस्टोरेँट मे बनाए जाने वाले व्यंजन का स्वाद केवल आपको नागपुर शहर के अतिरिक्त और कहीँ नही मिल पाएगा |

rajnish manga 09-08-2013 09:43 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
चूरू (राजस्थान) में एक हवेली ऐसी है जो "जलेबी चोरों की हवेली" के नाम से मशहूर है. वहां के किसी भी जानकार व्यक्ति से इसके बारे में पूछा जा सकता है. लेकिन इस नाम के इतिहास के बारे में कोई पुख्ता बात मालूम नहीं हो पाती.

rajnish manga 30-08-2013 01:08 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
1 Attachment(s)
रामपुरा की कुत्ता छत्री
(अंतर-जाल से)


बहुत समय पहले की बात है, रामपुरा में एक भील समाज का व्यक्ति निवास करता था, उसके एक कुत्ता था |दोनो एक दुसरे को बहुत प्यार करते थे | एक बार भील को कुछ पैसो की जरुरत पड़ी तो उसने गांव के सेठ से कुछ समय के लिये उधार लिये , परन्तु समय पर चुका नही पाया | तो भील समाज के व्यक्ति ने अपना कुत्ता बतोर जमानत सेठ को सोप दिया और कहाँ, कि सेठ जी मेरे पास जब पैसे आयेगे तो में आपके पैसे चुका दुगा और अपने कुत्ते को ले जाउगा तब तक के लिये यह कुत्ता आप के पास गिरवी रहेगा | आपके पुरे घर की रखवाली करेगा |

कुछ समय पश्चात एक रात सेठ के घर चोर आये , चोरों के पास भयानक हथियार देख कुत्ता कुछ नही बोला, चोर सेठ का सारा धन लेकर चले गये |कुत्ता सारा वृतान्त देखता रहा और चोरो का पीछा करता रहा , अन्त: चोरो ने जगंल में सुनसान जगह देख सारा धन छिपा दिया | कुत्ता सार नजारा देख दबे पांव वापस सेठ के घर आ गया |

जब सेठ को पता चला की चोरी हो गयी तो सेठ कुत्ते पर बहौत गुस्सा हुवां और कहाँ तेरे मालीक ने तो कहाँ था , कि तु वफादार है लेकिन तु तो किसी काम का नहि | यह सुन कुत्ता सेठ के कपड़े खिचता हुवा सेठ को जगंल लेगया और सेठ को सारा धन दिखाया | वापस मिला धन पाकर सेठ की खुशी का कोई ठिकाना नही था |

सेठ ने कुत्ते से कहा, “जा आज से तेरे मालिक का सारा कर्जा माफ किया, तु वापस अपने मालिक के पास जा सकता है, आज से तू मेरे बन्धन से मुक्त हुआ.” सेठ ने एक तख्ती लिख कर कुत्ते के गले में लटका दी , और कुत्ते को छोड़ दिया , कुत्ता खुशी खुशी अपने मालिक के पास जाने लगा |

उधर कुत्ते का मालिक पैसे की व्यवस्था कर कुत्ते को लेने सेठ के पास आ रहा था कि कुत्ता उसके मालिक को रास्ते में मिल गया | कुत्ता अपने मालिक को देख फूला नही समाया , लेकिन मालिक कुत्ते को देख आग-बबुला हो गया और कुत्ते से कह्ते हुवे इतनी क्या जल्दी थी, पैसो की व्यवस्था कर में तुझे लेने में आ ही रहा था. अब सेठ जी के सामने मैं क्या मुंह लेकर जाउगां; तुने मेरा भरोसा तोड़ दियाऔर आव देखा न ताव कुत्ते पर लाठी का ऐसा प्रहार किया कि कुत्ते ने वहीं अपने प्राण त्याग दिये | ततपश्चात्कुत्ते के मालिक ने कुत्ते के गले में लटकी तख्ती देखी तो उसके पास पश्चाताप के अलावा कुछ नही था |

यह स्थान आज भी यहाँ कुत्ता छत्री के नाम से फेमस है | जो भी व्यक्ति सच्चे मन से यहाँ मनोकामना करता है तो अवश्य पूरी होती है | अगर कोई बांझ महिला , बीमार व्यक्ति , स्टुडेंट , बेरोजगार व्यक्ति , परेशानियो से ग्रस्त मनुष्य सच्चे मन से मनोकामना करते है तो जल्दी से जल्दी पूरी होती है|

rajnish manga 06-12-2015 09:27 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
भड़भूँजा (Gujrat)
(रागिब अहमद के ब्लॉग से)

अफ़ज़लोद्दीन सय्यद जिनेह लोग लाला मियां के नाम से जानतें थे बड़ी बारसुख शख्सियत थी। रियासत गुजरात में उन का दबदबा था। भड़भूँजा उन का वतन था में ने खुद अपनी आँखों से देखा है के जब उनेह सफर करना होता भड़भूँजास्टेशन मास्टर से कह रखते उन के पहुचने तक ट्रैन भड़भूँजा स्टेशन पर रुकी रहती ,गार्ड ,टी सी उनेह फर्स्ट क्लास में बैठाते तब ट्रैन रवाना होती। आदिवासियों में उन का बड़ा अहतराम था ,गाँव के सरपंच थे ,गाँव में निकलना होता लोग बड़ी इज़्ज़त से उन से मिलते ,उन के पैरों पर गिरतें ,वह भी उन के दुःख सुख में बराबर शरीक होतें। खुदा झूट न बुलवाएं झाड फूँक कर लोगों का इलाज करते देखा हूँ। बिछउँ के काटने पर कईं बार दम किया पानी दिया लोगों को आराम होगया। अल्लाह उन की मग़फ़िरत करें।

ख़्वाब था जो कुछ के आँखों ने देखा था, अफ़साना था जो कुछ के सुना था.

(
भड़भूँजा उस व्यक्ति को कहते हैं जो चने, मूंगफली, मक्का भूनने / बेचने का काम करते हैं)

dailybazaar 01-02-2016 01:28 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
I am living in Lucknow and kinda love this city. It is the safest of all cities in the country in terms of earthquakes, terrorism, and other criminal activities. It is very convenient to do shopping as the shops provides products are comparatively cheap rates.

rajnish manga 01-02-2016 07:01 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
Quote:

Originally Posted by dailybazaar (Post 557272)
i am living in lucknow and kinda love this city. It is the safest of all cities in the country in terms of earthquakes, terrorism, and other criminal activities. It is very convenient to do shopping as the shops provides products are comparatively cheap rates.

लखनऊ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत के ऐतिहासिक तथा अत्यंत खूबसूरत नगरों में से एक है. मुझे भी वहाँ जाने और भ्रमण करने का तीन तीन बार सौभाग्य मिला है.

व्यासायिक स्थलों में हज़रतगंज प्रमुख है. रेलवे स्टेशन की इमारतों से ले कर छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा जहाँ भूलभुलैया भी स्थित है. देखने के काबिल हैं. वहाँ की भाषा और तहज़ीब तो जगत प्रसिद्ध है ही. धन्यवाद.



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