Re: पता नहीं बेटा
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Re: पता नहीं बेटा
बहुत बढिया रजनीश जी .....आपका हर एक व्यंग्य लाजवाब है .....
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Re: पता नहीं बेटा
really nice thread...
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Re: पता नहीं बेटा
It's a nice thread about joke. I love reading good humor articles. Newspapers used to be great those days.
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Re: पता नहीं बेटा
पिता जी!
हाँ, बेटा? दिल्ली के मुख्य मंत्री केजरीवाल जी ने कहा है कि हम दिल्ली में शराब बेचने वाली कोई नई दूकान नहीं खोलेंगे. हाँ, वह तो है, बेटा. यह भी हो सकता है पुरानी दुकानों को नई जगह शिफ्ट कर दिया जाये. वह क्यों, पिता जी? ताकि लोगबाग शराब पीने की बुरी आदत से बच सकें. लेकिन यह भी तो हो सकता है कि जिस जगह लोगों को शराब प्राप्त करने में दिक्कत होती है, वहाँ मोहल्ला सभा प्रशासन को गाइड कर सकती है? पता नहीं, बेटा. |
Re: पता नहीं बेटा
और पिता जी!
हाँ, बेटा? प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त के अपने भाषण में बलूचिस्तान, गिलगित आदि में मानव अधिकारों के हनन और उनकी आज़ादी का ज़िक्र क्यों किया? उन्होंने तो पाकिस्तान को आईना दिखाया है, बेटा. वो कश्मीर में आतंक को बढ़ावा दे रहे हैं, तो उनके अपने इलाकों में क्या हो रहा है, इस बारे में भी तो विश्व को मालूम होना चाहिये. बलूचिस्तान की आज़ादी के लिये बलूची नौजवान कमर कसे बैठे हैं. यह हमारी सरकार की ओर से खेला गया एक राजनीतिक दाँव था, बेटा. लेकिन क्या इससे कश्मीर में जारी खून-खराबा समाप्त हो जायेगा? पता नहीं, बेटा. |
Re: पता नहीं बेटा
सही कहा । कश्मीर मामला हमारे लिए अधिक संगीन है । बचूलिस्तान की बात कर के हम कश्मीर से मूंह नहीं फेर सकते ।
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Re: पता नहीं बेटा
उत्तर प्रदेश में जो हो रहा है
------------------------------------------------------ पिता जी! हाँ, बेटा? आज कल उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी के दो गुटों में घमासान चल रहा है. हाँ, बेटा. विधानसभा चुनावों से कुछ पहले ऐसा होना दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन पिता जी, देखने में आया है कि इन दिनों उत्तर प्रदेश में अपराध कुछ कम हो गए हैं. हाँ, बेटा! यह तो अच्छी खबर है. क्या ऐसा इसलिए तो नहीं कि अपराधियों को समझ ही नहीं आ रहा कि पकडे जाने पर किस खेमे का दामन पकड़ें? पता नहीं, बेटा. |
Re: पता नहीं बेटा
नोटबंदी पिता जी!हाँ बेटा ! आज नोटबंदी की सालगिरह है. हाँ बेटा ! आज एक साल बाद इसकी समीक्षा हो रही है जो स्वाभाविक ही है. पर पिता जी, विरोधी दल वाले आज काला दिवस मना रहे हैं. रोजगार ठप हो गए हैं. छोटे व्यापारी पिस रहे हैं. अर्थ व्यवस्था लड़खड़ा रही है. हा बेटा, यह तो है. लेकिन प्रधानमंत्री व अन्य मंत्री तो इसे ऐतिहासिक दिवस के रूप में मना रहे हैं और देश को नोटबंदी के फ़ायदे गिनवा रहे हैं. आतंकवाद कम हुआ है. ब्लैक मनी पर लगाम लगी है. हवाला कारोबार बंद हुआ है. अर्थव्यवस्था काले धन के दुष्प्रभाव से मुक्त हो गयी है. लेकिन पिता जी, क्या आपको पता है कि 8 नवंबर हमारे भूतपूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का जन्मदिवस भी है जो आजकल बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल का कामकाज देख रहे हैं. आज प्रधानमंत्री मोदी उन्हें मिलने भी गए थे. नहीं बेटा, मुझे मालूम नहीं था. लेकिन नोटबंदी का आडवाणी जी के जन्मदिन से क्या संबंध है? पिता जी, कहीं ऐसा तो नहीं प्रधानमन्त्री पिछले साल 8 नवंबर को आडवाणी जी को जन्मदिन का बड़ा उपहार देना चाहते थे? पता नहीं बेटा !! ** |
Re: पता नहीं बेटा
फ़िल्म 'पद्मावती' का विरोध पिता जी!हाँ, बेटा? हमारे देश में फ़िल्में रिलीज़ होने से पहले अक्सर फ़साद खड़े हो जाते हैं. ऐसा क्यों? और कभी कभी तो रिलीज़ होने के बाद भी विवाद शुरू हो जाते हैं. बेटा, बात यह है कि हर किसी को अपनी बात कहने का हक है. अगर किसी को फ़िल्म में दिखाई गई किसी बात से शिकायत होती है तो उसकी बात सुनी जानी चाहिए. यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी के विश्वास या धार्मिक आस्था को चोट न पहुंचे. किसी की भावनाएं आहत न हों. लेकिन यह समझ में नहीं आता कि फ़िल्म ‘पद्मावती’ का विरोध क्यों हो रहा है? महारानी पद्मावती का तो कोई ऐतिहासिक उल्लेख भी नहीं मिलता. सिर्फ जायसी द्वारा रचे गए सूफ़ी विचारधारा के महाकाव्य ‘पद्मावत’ में उसकी कहानी लिखी गई है. उसे ले कर राजपूत सेना और करणी सेना और कुछ अन्य वर्ग इस रानी के जीवन पर बनने वाली फ़िल्म का विरोध कर रहे हैं. वो कहते हैं कि फिल्म में रानी का किरदार गलत तरीके से चित्रित किया गया है और अलाउद्दीन खिलजी के किरदार को जबरदस्ती महिमामंडित किया गया है. लोग कहते हैं कि पहले फ़िल्म हमें दिखाओ नहीं तो हम फिल्म को रिलीज़ ही नहीं होने देंगे. सिनेमाघरों में आग लगा देंगे. क्या यह दादागिरी नहीं है? बेटा, चाहे कुछ भी हो पद्मिनी की कहानी राजस्थान के जनमानस में रची बसी है. उसकी एक छवि लोगों में बनी हुई है जो राजपूती गौरव तथा आन बान व शान के अनुरूप है. लोग नहीं चाहते की फिल्म में ऐसा कुछ हो जिससे रानी की इस परंपरागत छवि पर आंच आये. तो पिता जी, क्या हर फिल्म को दिखाए जाने या न दिखाए जाने का फ़ैसला सड़कों पर किया जायेगा? हिंसा, आगजनी या गुंडों द्वारा मार-पीट से इन मसलों का हल निकाला जायेगा? देश में क़ानून भी तो है. सेंसर बोर्ड भी मौजूद है. अदालतें भी हैं. फिर यह अराजकता क्यों? इस साल जनवरी में भंसाली से जयपुर में हुई मारामारी किस ओर इशारा करती है? पता नहीं बेटा! |
Re: पता नहीं बेटा
प्रवासी भारतीय पिता जी!हाँ, बेटा? पिता जी! अभी दो दिन पहले प्रधानमंत्री मनीला में भारतीय समुदाय के लोगों से कह रहे थे कि मैं भारत को ऐसा बना दूंगा कि आपको यहाँ आ कर गर्व होगा. हाँ, बेटा. वे सभी प्रवासी भारतीयों से यही कहते हैं. उन्हें अपने प्रयासों पर पूरा भरोसा व विश्वास है. तो पिता जी, क्या विदेशी पर्यटकों से मारपीट, महिला असुरक्षा, प्रदूषित पर्यावरण या एक फिल्म को ले कर हो रही गुंडागर्दी व मरने-मारने की धमकियों के समाचार सुन कर उन भारतीयों का सिर शर्म से नहीं झुक जायेगा? यह तो वक़्त ही बताएगा, बेटा. भारत के समाचार तो उन तक भी पहुँचते होंगे, पिता जी. पता नहीं, बेटा. |
Re: पता नहीं बेटा
भारत की क्रेडिट रेटिंग
पिता जी? हाँ, बेटा! कहो. पिता जी, अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने भारत की रेटिंग बेहतर कर दी है. यह विदेशी निवेशकों द्वारा भारत में निवेश के लिए सकारात्मक संकेत है. हाँ, यह तो है, बेटा. लेकिन पिता जी! दूसरी और कुछ समाज विरोधी तत्व 'पद्मावती' फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली तथा दीपिका पादुकोण का सिर काट कर लाने वाले को 5 करोड़ और 10 करोड़ रूपए का ईनाम देने की खुले आम घोषणा कर रहे हैं. तो ऐसे तत्वों द्वारा विदेशी निवेशकों को क्या संकेत मिल रहा होगा? पता नहीं, बेटा. |
Re: पता नहीं बेटा
गुजरात विधानसभा के चुनाव
पिता जी! हाँ, बेटा ? क्या गुजरात विधानसभा के चुनाव बगैर मुद्दों के लड़े जायेंगे, पिता जी ? तुम ऐसा क्यों कह रहे हो बेटा ? पिता जी, सत्तारूढ़ व विपक्षी पार्टियाँ रोज नये नये हथकंडे अपना रहे हैं. राजनैतिक एजेंडा लापता है और ऊल-जलूल वाद-प्रतिवाद उछाले जा रहे हैं. लगता है नेता लोग चुनाव जीतने के अभियान में शिष्टता भूल गए हैं. बेटा, अच्छे खासे मुद्दे हैं- जैसे विकास, गरीबी उन्मूलन, किसानों के मसले, बेरोजगारी, उद्योगों में मंदी, महंगाई आदि. या राम मन्दिर, मंदिर दर्शन, सोमनाथ मंदिर के आगंतुक रजिस्टर में दर्ज एंट्री, जनेऊधारी हिन्दू, राहुल गाँधी की ताजपोशी, गोधरा के लिए माफ़ी, नीच आदमी आदि आदि? पता नहीं, बेटा!! |
Re: पता नहीं बेटा
विशेष अदालतें और नेताओं के केस
पिता जी! हाँ, बेटा? पिता जी, आज चारा घोटाले वाले एक केस में फ़ैसला आ गया जिसमे पटना की एक विशेष अदालत द्वारा लालू जी को दोषी पाया गया है. 3 जनवरी को सजा सुनाई जायेगी. बेटा, कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं. कोई कितना भी शक्तिशाली हो क़ानून की नज़र में सब एक है. तो पिता जी, सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा ए. राजा तथा कनिमोझी समेत 2g घोटाले के सभी अभियुक्त क्यों छोड़ दिए गए?? और मुंबई के आदर्श सोसाइटी मामले में अशोक चौहान को भी निर्दोष मान कर छोड़ दिया गया. ऐसा क्यों पिता जी?? कहीं इन लोगों को जान बूझ कर तो नहीं फसाया गया था?? पता नहीं बेटा!! |
Re: पता नहीं बेटा
बैंकों के बड़े घपले
पिता जी! हाँ, बेटा? विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विक्रम कोठारी के बाद अब भूषण स्टील के मालिक ब्रिज भूषण सिंगल से भी केन्द्रीय एजेंसियाँ उनके बैंक लोन के इस्तेमाल के बारे में पूछताछ कर रही हैं. एक साथ इतने केस कहाँ से आ गए, पिता जी? बेटा, जब बैंक वालों की नज़र में कोई गड़बड़ी आती है तभी वे इसकी रिपोर्ट रिज़र्व बैंक या पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा या सीबीआई से करती हैं. दरअसल, ये इन सभी खातों में एक दो बैंक नहीं बल्कि अनेक बैंकों की भागेदारी है. जब सभी बैंक इन खातों को खराब घोषित करते हैं, तभी इनके विरुद्ध कार्यवाही शुरू की जाती है. यह इत्तेफाक ही है कि एक साथ इतने बड़े खाते सामने आये हैं. पिता जी, ऐसा लगता है कि अब बैंकों की सख्ती के कारण और भी केस जो किनारे पर बैठे थे सामने आयेंगे और हजारों करोड़ रूपए की वसूली का मसला खड़ा हो जाएगा? पता नहीं बेटा! |
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