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aspundir 29-03-2014 05:44 PM

Re: प्रेरक प्रसंग
 
जन्म से ठीक पहले एक बालक भगवान से कहता है,” प्रभु आप मुझे नया जन्म मत दीजिये , मुझे पता है पृथ्वी पर बहुत बुरे लोग रहते है…. मैं वहाँ नहीं जाना चाहता …” और ऐसा कह कर वह उदास होकर बैठ जाता है ।
भगवान् स्नेह पूर्वक उसके सर पर हाथ फेरते हैं और सृष्टि के नियमानुसार उसे जन्म लेने की महत्ता समझाते हैं , बालक कुछ देर हठ करता है पर भगवान् के बहुत मनाने पर वह नया जन्म लेने को तैयार हो जाता है।
” ठीक है प्रभु, अगर आपकी यही इच्छा है कि मैं मृत लोक में जाऊं तो वही सही , पर जाने से पहले आपको मुझे एक वचन देना होगा। ” , बालक भगवान् से कहता है।
भगवान् : बोलो पुत्र तुम क्या चाहते हो ?
बालक : आप वचन दीजिये कि जब तक मैं पृथ्वी पर हूँ तब तक हर एक क्षण आप भी मेरे साथ होंगे।
भगवान् : अवश्य, ऐसा ही होगा।
बालक : पर पृथ्वी पर तो आप अदृश्य हो जाते हैं , भला मैं कैसे जानूंगा कि आप मेरे साथ हैं कि नहीं ?
भगवान् : जब भी तुम आँखें बंद करोगे तो तुम्हे दो जोड़ी पैरों के चिन्ह दिखाइये देंगे , उन्हें देखकर समझ जाना कि मैं तुम्हारे साथ हूँ।
फिर कुछ ही क्षणो में बालक का जन्म हो जाता है।
जन्म के बाद वह संसारिक बातों में पड़कर भगवान् से हुए वार्तालाप को भूल जाता है| पर मरते समय उसे इस बात की याद आती है तो वह भगवान के वचन की पुष्टि करना चाहता है।
वह आखें बंद कर अपना जीवन याद करने लगता है। वह देखता है कि उसे जन्म के समय से ही दो जोड़ी पैरों के निशान दिख रहे हैं| परंतु जिस समय वह अपने सबसे बुरे वक़्त से गुजर रहा था उस समय केवल एक जोड़ी पैरों के निशान ही दिखाइये दे रहे थे , यह देख वह बहुत दुखी हो जाता है कि भगवान ने अपना वचन नही निभाया और उसे तब अकेला छोड़ दिया जब उनकी सबसे अधिक ज़रुरत थी।
मरने के बाद वह भगवान् के समक्ष पहुंचा और रूठते हुए बोला , ” प्रभु ! आपने तो कहा था कि आप हर समय मेरे साथ रहेंगे , पर मुसीबत के समय मुझे दो की जगह एक जोड़ी ही पैर दिखाई दिए, बताइये आपने उस समय मेरा साथ क्यों छोड़ दिया ?”
भगवान् मुस्कुराये और बोले , ” पुत्र ! जब तुम घोर विपत्ति से गुजर रहे थे तब मेरा ह्रदय द्रवित हो उठा और मैंने तुम्हे अपनी गोद में उठा लिया , इसलिए उस समय तुम्हे सिर्फ मेरे पैरों के चिन्ह दिखायी पड़ रहे थे। “

aspundir 20-04-2014 02:24 PM

Re: प्रेरक प्रसंग
 
एक महात्मा का द्वार किसी ने खटखटाया. महात्मा ने पूछा-कौन? उत्तर देने वाले ने अपना नाम बताया. महात्मा ने फिर पूछा कि क्यों आए हो? उत्तर मिला- खुद को जानने आया हूँ. महात्मा ने कहा-तुम ज्ञानी हो, तुम्हें ज्ञान की आवश्यकता नहीं. ऐसा कई लोगों के साथ हुआ. लोगों के मन में महात्मा के प्रति नाराजगी छाने लगी. एक बार एक व्यक्ति ने महात्मा का द्वार खटखटाया- महात्मा ने पूछा-कौन? उत्तर मिला-यही तो जानने आया हूँ कि मैं कौन हूँ. महात्मा ने कहा-चले आओ, तुम ही वह अज्ञानी हो, जिसे ज्ञान की आवश्यकता है? बाकी तो सब ज्ञानी थे.

rajnish manga 30-04-2016 01:50 PM

Re: प्रेरक प्रसंग
 
जादुई घड़ा

प्रताप एक गरीब आदमी था। वह अपनी गरीबी से बहुत परेशान होकर एक साधु के पास गया और उस साधु से कहने लगा, “हे महात्मन् .... मैं बहुत गरीब हूँ, मेरे पास पर्याप्त धन भी नहीं है जिससे मैं अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर सकुं। हे महात्मन् कोई उपाय सुझाए।

साधु कुछ देर प्रताप को देखते रहे और फिर बोले, “वत्स … मेरे पास एक उपाय है, लेकिन मुझे संदेह है कि तुम उसे कर पाओगे।

प्रताप पहले से ही दु:खी था इसलिए उसने महात्मन् से कहा, “हे महात्मन् आप आज्ञा दे, आप जो कहंगे, वह मैं जरूर करूंगा।

साधु ने कहा, “मेरे पास एक जादुई घड़ा है, उस घड़े से तुम जो भी मांगोगे, वह मिल जाएगा, लेकिन जिस दिन वह घड़ा फूट गया, उस दिन तुमने जो कुछ भी उस घड़े से प्राप्त किया है, वह सब नष्ट हो जाएगा लेकिन वह घड़ा मैं तुम्हें ऐसे नहीं दूंगा। पहले तुम्हें मेरी कुछ शर्तें पूरी करनी होगी।

प्रताप ने पूछा, “बताइए महात्मन्, वे कौनसी शर्तें हैं?“

साधु ने कहा, “तुम अगर एक वर्ष तक मेरे आश्रम की सेवा करोगे, तो मैं वह घड़ा तुमको दे सकता हूँ और यदि तुम पाँच वर्ष तक यहाँ रहोगे, तो मैं तुमको ये जादुई घड़ा बनाने की विद्या सीखा दूंगा।

प्रताप ने एक वर्ष तक आश्रम की सेवा करने का चुनाव किया और देखते ही देखते एक वर्ष का समय पूर्ण हो गया। साधु ने अपने कहे वचन का पालन करते हुए प्रताप को वह जादुई घड़ा दे दिया। प्रताप वह घड़ा लेकर अपने घर लौटा और धीरे-धीरे उसने उस घड़े से मांग कर बहुत कुछ प्राप्त कर लिया। प्रताप अब धनवान हो गया था और विलासिता का जीवन जीने लगा। अमीरी आने के बाद तो उसके रंग-ढंग एक दम से बदल से गए थे। वह रोज घर पर ही अपने मित्रों के साथ जश्न मनाता और साथ ही साथ मदिरापान करना भी शुरू कर दिया।

एक दिन प्रताप अपनी विलासिता में मग्न होकर इतना खुश हुआ कि नशे की हालत में उस जादुई घड़े को लेकर ही नाचने लगा और अचानक उसके हाथ से वह घड़ा छूटकर जमीन पर गिर गया। जमीन पर गिरते ही वह घड़ा फूट गया और देखते ही देखते उस घड़े से जो कुछ भी प्रताप ने प्राप्त किया था वह सब गायब हो गया।

जब अगले दिन प्रताप का नशा उतरा और उसने उस टूटे हुए जादूई घड़े को देखा तब उसे ये सोंचकर बहुत पछतावा हुआ कि यदि उसने एक वर्ष के बजाए पाँच वर्ष आश्रम में बिताए होते और महात्मा जी से जादूई घड़ा प्राप्त करने की बजाय उसे बनाने की विधि सीख ली होती, तो वह फिर से उसी स्थिति में कभी नहीं पहुंचता, जिसमें पहले था।

soni pushpa 01-05-2016 01:34 AM

Re: प्रेरक प्रसंग
 
दौलत पाकर इंसानियत भूलने वाले का यही हाल होता है सुन्दर कहानी है प्रेरणात्मक कहानी शेयर करने के लिए धन्यवाद भाई

rajnish manga 11-08-2016 01:08 PM

Re: प्रेरक प्रसंग
 
इम्तिहान
(इन्टरनेट से)

एक बुज़ुर्ग से शैतान ने कहा तुझे अल्लाह पर बहुत यक़ीन है, तो तू ऊँचे पहाड़ पर चढ़ कर छलांग लगा दे. देखते हैं कि तेरा अल्लाह तुझे बचाता है की नहीं.

बुज़ुर्ग ने बहुत ही सुंदर जवाब दिया.

ये "अल्लाह" का काम है के मुझे आज़माये मेरा काम नही के मैं अपने "रब" को आज़माऊ.


rajnish manga 29-08-2016 02:02 PM

Re: प्रेरक प्रसंग
 
हँस और कौआ
साभार: हरमीत सिंह

हंसों का एक झुण्ड समुद्र तट के ऊपर से गुज़र रहा था, उसी जगह एक कौवा भी मौज मस्ती कर रहा था.

हंसों को उपेक्षा भरी नज़रों से देखा तुम लोग कितनी अच्छी उड़ान भर लेते हो !कौवा मज़ाक के लहजे में बोला, “तुम लोग और कर ही क्या सकते हो बस अपना पंख फड़फड़ा कर उड़ान भर सकते हो !!! क्या तुम मेरी तरह फूर्ती से उड़ सकते हो ??? मेरी तरह हवा में कलाबाजियां दिखा सकते हो ???…नहीं , तुम तो ठीक से जानते भी नहीं कि उड़ना किसे कहते हैं !

कौवे की बात सुनकर एक वृद्ध हंस बोला,” ये अच्छी बात है कि तुम ये सब कर लेते हो, लेकिन तुम्हे इस बात पर घमंड नहीं करना चाहिए.

मैं घमंड वमंड नहीं जानता , अगर तुम में से कोई भी मेरा मुकाबला कर सकत है तो सामने आये और मुझे हरा कर दिखाए.

एक युवा नर हंस ने कौवे की चुनौती स्वीकार कर ली . यह तय हुआ कि प्रतियोगिता दो चरणों में होगी , पहले चरण में कौवा अपने करतब दिखायेगा और हंस को भी वही करके दिखाना होगा और दूसरे चरण में कौवे को हंस के करतब दोहराने होंगे.
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rajnish manga 29-08-2016 02:04 PM

Re: प्रेरक प्रसंग
 
प्रतियोगिता शुरू हुई , पहले चरण की शुरुआत कौवे ने की और एक से बढ़कर एक कलाबजिया दिखाने लगा , वह कभी गोल-गोल चक्कर खाता तो कभी ज़मीन छूते हुए ऊपर उड़ जाता . वहीँ हंस उसके मुकाबले कुछ ख़ास नहीं कर पाया . कौवा अब और भी बढ़-चढ़ कर बोलने लगा ,” मैं तो पहले ही कह रहा था कि तुम लोगों को और कुछ भी नहीं आता ही ही ही …”

फिर दूसरा चरण शुरू हुआ , हंस ने उड़ान भरी और समुद्र की तरफ उड़ने लगा . कौवा भी उसके पीछे हो लिया ,” ये कौन सा कमाल दिखा रहे हो , भला सीधे -सीधे उड़ना भी कोई चुनौती है ??? सच में तुम मूर्ख हो !”, कौवा बोला.

पर हंस ने कोई ज़वाब नही दिया और चुप-चाप उड़ता रहा, धीरे-धीरे वे ज़मीन से बहुत दूर होते गए और कौवे का बडबडाना भी कम होता गया , और कुछ देर में बिलकुल ही बंद हो गया . कौवा अब बुरी तरह थक चुका था , इतना कि अब उसके लिए खुद को हवा में रखना भी मुश्किल हो रहा था और वो बार -बार पानी के करीब पहुच जा रहा था . हंस कौवे की स्थिति समझ रहा था , पर उसने अनजान बनते हुए कहा ,” तुम बार-बार पानी क्यों छू रहे हो , क्या ये भी तुम्हारा कोई करतब है ?””नहीं कौवा बोला ,” मुझे माफ़ कर दो , मैं अब बिलकुल थक चूका हूँ और यदि तुमने मेरी मदद नहीं की तो मैं यहीं दम तोड़ दूंगा ….मुझे बचा लो मैं कभी घमंड नहीं दिखाऊंगा …”
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rajnish manga 29-08-2016 02:06 PM

Re: प्रेरक प्रसंग
 
हंस को कौवे पर दया आ गयी, उसने सोचा कि चलो कौवा सबक तो सीख ही चुका है , अब उसकी जान बचाना ही ठीक होगा ,और वह कौवे को अपने पीठ पर बैठा कर वापस तट की और उड़ चला.

दोस्तों,हमे इस बात को समझना चाहिए कि भले हमें पता ना हो पर हर किसी में कुछ न कुछ quality होती है जो उसे विशेष बनाती है. और भले ही हमारे अन्दर हज़ारों अच्छाईयां हों , पर यदि हम उसपे घमंड करते हैं तो देर-सबेर हमें भी कौवे की तरह शर्मिंदा होना पड़ता है। एक पुरानी कहावत भी है ,”घमंडी का सर हमेशा नीचा होता है।” , इसलिए ध्यान रखिये कि कहीं जाने -अनजाने आप भी कौवे वाली गलती तो नहीं कर रहे?


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rajnish manga 17-09-2016 03:30 PM

Re: प्रेरक प्रसंग
 
मालिक (परमात्मा) की रज़ा में खुश रहो

एक व्यक्ति एक दिन बिना बताए काम पर नहीं गया.....
मालिक ने,सोचा इस कि तन्खाह बढ़ा दी जाये तो यह
और दिल्चसपी से काम करेगा.....
और उसकी तन्खाह बढ़ा दी....
अगली बार जब उसको तन्खाह से ज़्यादा पैसे दिये
तो वह कुछ नही बोला चुपचाप पैसे रख लिये.....
कुछ महीनों बाद वह फिर ग़ैर हाज़िर हो गया......
मालिक को बहुत ग़ुस्सा आया.....
सोचा इसकी तन्खाह बढ़ाने का क्या फायदा हुआ
यह नहीं सुधरेगाऔर उस ने बढ़ी हुई
तन्खाह कम कर दी और इस बार उसको पहले वाली ही
तन्खाह दी......
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rajnish manga 17-09-2016 03:31 PM

Re: प्रेरक प्रसंग
 
वह इस बार भी चुपचाप ही रहा और
ज़बान से कुछ ना बोला....
तब मालिक को बड़ा ताज्जुब हुआ....
उसने उससे पूछा कि जब मैने तुम्हारे ग़ैरहाज़िर होने के बाद तुम्हारी तन्खाह बढा कर दी तुम कुछ नही बोले और आज तुम्हारी ग़ैर हाज़री पर तन्खाह
कम कर के दी फिर भी खामोश ही रहे.....!!
इस की क्या वजह है..? उसने जवाब दिया....जब मै पहले
ग़ैर हाज़िर हुआ था तो मेरे घर एक बच्चा पैदा हुआ था....!!
आपने मेरी तन्खाह बढ़ा कर दी तो मै समझ गया.....
परमात्मा ने उस बच्चे के पोषण का हिस्सा भेज दिया है......
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