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-   -   आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=1138)

libya 04-12-2010 04:26 PM

Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
 
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Originally Posted by sikandar (Post 22484)
मौसी जी ऐसी बात करते तुम्हे सर्म आयी ना

बड़े-बडे़ शहरों में छोटी-छोटी बातें तो होती ही रहती हैं

libya 04-12-2010 04:32 PM

Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
 
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Originally Posted by khalid1741 (Post 22432)
बंद कर अपनी गंदी जबान ....

“जब यह ढाई किलो का हाथ किसी पर पड़ जाता है तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है ”

libya 04-12-2010 04:56 PM

Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
 
एक समय था जब फिल्म देखने आए हुए दर्शक बोलते थे ‘क्या डायलॉग मारा है‘, लेकिन आज यह लाइन सुनने को ही नहीं मिल रही क्योंकि आज की फिल्मों में संवाद कम ही मिलते हैं और संवाद के नाम पर फुहड़पन ज्यादा होता है.

कभी था जमाना जब राजकुमार, नसरुद्दीनशाह, नाना पाटेकर, शत्रुध्न सिंहा, सन्नी देओल जैसे कलाकारों की फिल्में कहानी की वजह से नहीं बल्कि उनके दमदार डायलॉग से चलती थीं.

libya 04-12-2010 04:58 PM

Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
 
अनारकली सलीम की मोहब्बत तुम्हें मरने नहीं देंगी और हम तुम्हे जीने नहीं देंगे (मुगले-आज़म)

libya 04-12-2010 05:05 PM

Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
 
“पचास-पचास कोस दूर गाँव में जब बच्चा रोता है तो माँ बोलती है सो जा, नहीं तो गब्बर आ जाएगा ”

khalid 04-12-2010 05:46 PM

Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
 
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Originally Posted by libya (Post 23135)
“पचास-पचास कोस दूर गाँव में जब बच्चा रोता है तो माँ बोलती है सो जा, नहीं तो गब्बर आ जाएगा ”

भागने की कोशीश करना बेकार तुमचारोँ तरफ से घीर चुके हो

libya 04-12-2010 06:15 PM

Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
 
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Originally Posted by khalid1741 (Post 23146)
भागने की कोशीश करना बेकार तुमचारोँ तरफ से घीर चुके हो

हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं

libya 04-12-2010 06:17 PM

Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
 
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Originally Posted by khalid1741 (Post 23146)
भागने की कोशीश करना बेकार तुमचारोँ तरफ से घीर चुके हो

डॉन को पकडना मुश्किल ही नही नामुमकिन है

libya 04-12-2010 07:11 PM

Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
 
मौसी : जय बेटा , तो मैं ये शादी पक्की समझूँ ...

जय : बुरा मत मानना मौसी पर जवान दोस्त का सवाल है ये तो पूछना ही पड़ता है कि लड़की करती क्या है , खर्च कितना करती है ..
मौसी : खर्च करने का जहां तक सवाल है बेटा , एक बार शादी हो जाये पति बच्चों की जिम्मेदारी आ जाये तो खर्च भी कम हो जायेगा ...

जय :तो क्या इसका मतलब यह है कि अभी बहुत खर्च करती है ...
मौसी : अरे नहीं नहीं ये मैंने कब कहा , पर अब रोज़ रोज़ तो घर में meggi बनाकर नहीं खा सकते ना ... कभी कभी तो होटलों में जाना ही पड़ता है .. वैसे वो एक Week में बस चार पॉँच बार ही बाहर का खाना खाती है ...

जय :रोज़ रोज़ Meggi मतलब क्या खाना पकाना भी नहीं आता इतनी कामचोर है ...
मौसी : छि छि कामचोर और वो ऐसा मैंने कब कहा पर Late Night Movie देखने के बाद कोई खाना पका पाता है क्या ?

जय :Late Night movies बस यही एक कमी बच गयी थी तुम्हारी बसंती में ....
मौसी : अरे बेटा एक बार शादी हो गयी तो वो दोस्तों के साथ Disco's में जाना बंद कर देगी , Movies Theater अपने आप बंद हो जायेंगे , वैसे मेरी बसंती लक्ष्मी है लक्ष्मी ....

जय :एक बात तो माननी पड़ेगी मौसी तुम्हारी बसंती लाख खर्चीली सही पर तुम्हारे मुंह से उसके लिए एक भी गलत शब्द नहीं निकला ...
मौसी : क्या करूँ बेटा मेरा तो दिल ही ऐसा है .... तो मैं ये शादी पक्की समझूँ ...

ABHAY 04-12-2010 07:38 PM

Re: आओ खेले खेल फ़िल्मी डायलोग के द्वारा
 
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Originally Posted by libya (Post 23159)
डॉन को पकडना मुश्किल ही नही नामुमकिन है

तुम इस खेल में अभी बच्चे हो !


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