Re: आरोग्यनिधि
आँख की अंजनी (मुहेरी या बिलनी) (Stye)-
हल्दी एवं लौंग को पानी में घिसकर गर्म करके अथवा चने की दाल को पीसकर पलकों पर लगाने से तीन दिन में ही गुहेरी मिट जाती है। |
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आँख में कचरा जाने परः
पहला प्रयोगः सौ ग्राम पानी में एक नींबू का रस डालकर आँखे धोने से कचरा निकल जाता है। दूसरा प्रयोगः आँख में चूना जाने पर घी अथवा दही का तोर (पानी) आँजें। |
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आँख दुखने परः
गर्मी की वजह से आँखें दुखती हो तो लौकी को कद्दूकस करके उसकी पट्टी बाँधने से लाभ होता है। |
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आँखों से पानी बहने परः
पहला प्रयोगः आँखें बन्द करके बंद पलको पर नीम के पत्तों की लुगदी रखने से लाभ होता है। इससे आँखों का तेज भी बढ़ता है। दूसरा प्रयोगः रोज जलनेति करें। 15 दिन तक केवल उबले हुए मूँग ही खायें। त्रिफला गुगल की 3-3 गोली दिन में तीन बार चबा-चबाकर खायें तथा रात्रि को सोते समय त्रिफला की तीन गोली गर्म पानी के साथ सेवन करें। बोरिक पावडर के पानी से आँखें धोयें इससे लाभ होता है। |
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मोतियाबिंद (Cataract) एवं झामर (तनाव)-
पहला प्रयोगः पलाश (टेसू) का अर्क आँखों में डालने से नये मोतियाबिंद में लाभ होता है। इससे झामर में भी लाभ होता है। दूसरा प्रयोगः गुलाबजल में विषखपरा (पुनर्नवा) घिसकर आँजने से झामर में लाभ होता है। |
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चश्मा उतारने के लिएः
पहला प्रयोगः छः से आठ माह तक नियमित जलनेति करने से एवं पाँव के तलवों तथा कनपटी पर गाय का घी घिसने से लाभ होता है। दूसरा प्रयोगः 7 बादाम, 5 ग्राम मिश्री और 5 ग्राम सौंफ दोनों को मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर रात्रि को सोने से पहले दूध के साथ लेने से नेत्रज्योति बढ़ती है। तीसरा प्रयोगः एक चने के दाने जितनी फिटकरी को सेंककर सौ ग्राम गुलाबजल में डालें और प्रतिदिन रात्रि को सोते समय इस गुलाबजल की चार-पाँच बूँद आँखों में डालकर आँखों की पुतलियों को इधर-उधर घुमायें। साथ ही पैरों के तलुए में आधे घण्टे तक घी की मालिश करें। इससे आँखों के चश्मे के नंबर उतारने में सहायता मिलती है तथा मोतियाबिंद में लाभ होता है। |
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सर्वप्रकार के नेत्ररोगः
पहला प्रयोगः पैर के तलवे तथा अँगूठे की सरसों के तेल से मालिश करने से नेत्ररोग नहीं होते। दूसरा प्रयोगः ‘ॐ अरुणाय हूँ फट् स्वाहा।’इस मंत्र के जप के साथ-साथ आँखें धोने से अर्थात् आँख में धीरे-धीरे पानी छाँटने से असह्य पीड़ा मिटती है। तीसरा प्रयोगः हरड़, बहेड़ा और आँवला तीनों को समान मात्रा में लेकर त्रिफलाचूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 2 से 5 ग्राम मात्रा को घी एवं मिश्री के साथ मिलाकर कुछ महीनों तक सेवन करने से नेत्ररोग में लाभ होता है। |
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आँखों की सुरक्षाः
रात्रि में 1 से 5 ग्राम आँवला चूर्ण पानी के साथ लेने से, हरियाली देखने तथा कड़ी धूप से बचने से आँखों की सुरक्षा होती है। आँखों की सुरक्षा का मंत्रः ॐ नमो आदेश गुरु का... समुद्र... समुद्र में खाई... मर्द(नाम) की आँख आई.... पाकै फुटे न पीड़ा करे.... गुरु गोरखजी आज्ञा करें.... मेरी भक्ति.... गुरु की भक्ति... फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा। नमक की सात डली लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए सात बार झाड़ें। इससे नेत्रों की पीड़ा दूर हो जाती है। |
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नाककेरोग
नकसीर (नाक से रक्त गिरना)(Epistaxis)- पहला प्रयोगः फिटकरी का पानी बनाकर उसकी कुछ बूँदें अथवा दूर्वा के रस की या निबौली के तेल की कुछ बूँदें डालने से नकसीर में लाभ होता है। दूसरा प्रयोगः 10 से 50 मिलीलीटर हरे आँवलों के रस में 2 से 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से पुराने नकसीर में भी लाभ होता है। तीसरा प्रयोगः नकसीर के रोगी को ताजी धनिया का रस सुँघाने से तथा उसकी हरी पत्तियाँ पीसकर सिर पर लेप करने से गर्मी के कारण होनेवाली नकसीर में लाभ होता है। चौथा प्रयोगः आम की गुठली के रस का नस्य लेने (नाक से सूँघने से) लाभ होता है। |
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घ्राणशक्ति का अभावः
घ्राणशक्तिनाशक रोग में मरीज को नाक द्वारा किसी भी प्रकार की गंध का अहसास नहीं होता। ऐसे मरीज को लहसुन की पत्तियों अथवा कलियों के रस की बूँदें नाक में डालने से लाभ होता है। |
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