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Sikandar_Khan 28-10-2010 04:22 PM

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Originally Posted by jalwa (Post 5364)
सिकंदर भाई, स्वागतम. आप आए बहार आई. बाकी भी आते ही होंगे. हा हा हा.
धन्यवाद.:cheers:

मित्र
आपका बुलावा मिला हम दौडे चले आए

aksh 28-10-2010 04:26 PM

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Originally Posted by sikandar (Post 5366)
मित्र
आपका बुलावा मिला हम दौडे चले आए

Quote:

Originally Posted by jalwa (Post 5364)
सिकंदर भाई, स्वागतम. आप आए बहार आई. बाकी भी आते ही होंगे. हा हा हा.
धन्यवाद.:cheers:

आज शाम की चौपाल की चार पांच टिकट बुक करा लो मित्र आज चौपाल पर रौनक लगने वाली है. चौपाल के लिए कुछ नियम भी तय करो अनुज जलवा.

Sikandar_Khan 28-10-2010 04:28 PM

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Originally Posted by aksh (Post 5362)
संगत के ऊपर ये सूक्ति कैसी लगी बताएं मित्र ?

मित्र बहुत ही अच्छी सूक्ति और उसका अर्थ
धन्यवाद

Sikandar_Khan 28-10-2010 04:29 PM

Quote:

Originally Posted by aksh (Post 5368)
आज शाम की चौपाल की चार पांच टिकट बुक करा लो मित्र आज चौपाल पर रौनक लगने वाली है. चौपाल के लिए कुछ नियम भी तय करो अनुज जलवा.

मित्र
क्या नियम होने चाहिए
प्रबंधन की भी राय ले लेते

abhishek 28-10-2010 05:36 PM

Quote:

Originally Posted by sikandar (Post 5371)
मित्र
क्या नियम होने चाहिए
प्रबंधन की भी राय ले लेते


आप लोग नियम बनाओ हम लोग भी उसमे कुछ अगर होगा तो सुजाव दे देंगे..

aksh 28-10-2010 06:35 PM

Quote:

Originally Posted by abhishek (Post 5486)
आप लोग नियम बनाओ हम लोग भी उसमे कुछ अगर होगा तो सुजाव दे देंगे..

जरूर भाई अभिषेक जी. आपका सहयोग भी अपेक्षित रहेगा.

abhishek 28-10-2010 07:47 PM

मेरे सहयोग हमेशा आपके साथ है.. वैसे मेरे मुताबिक यह thread Readers Zone में ज्यादा सही रहेगा..

Sikandar_Khan 28-10-2010 09:41 PM

Quote:

Originally Posted by abhishek (Post 5745)
मेरे सहयोग हमेशा आपके साथ है.. वैसे मेरे मुताबिक यह thread readers zone में ज्यादा सही रहेगा..

जैसा आपको उचित लगे
हमे आपकी राय से सहमत हैँ

Hamsafar+ 28-10-2010 10:15 PM

सिकंदर भाई उत्तम प्रस्तुति !

jai_bhardwaj 28-10-2010 10:38 PM

Quote:

Originally Posted by Sikandar (Post 5365)
अंगूठे के परिणाम वाली अति लघू स्वरूप और सूक्ष्म आत्मा मनुष्य के भीतर सदा विद्यामान रहती है ।

मुझे प्रतीत होता है कि "परिणाम" के स्थान पर "परिमाण" होना चाहिए | शेष जो उचित हो ......
प्रेरणादायी सूत्र के लिए सिकंदर भाई आपका हार्दिक अभिनंदन |:hi:

मनुष्य की योग्यता का पुरस्कार वह सामग्री नहीं है जो उसे उसकी उपलब्धि पर प्राप्त हुयी है बल्कि उत्तम पुरस्कार यह है कि वह व्यक्ति उस उपलब्धि से क्या बना सका है |


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