Re: आधार कार्ड: यूआईडीः यह कार्ड खतरनाक है ?.........
बहुत ही विचारणीय जानकारी !
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आधार कार्ड : यूआईडी : यह कार्ड कितना खतरनाक है - 2 ?......... http://www.chauthiduniya.com/wp-cont...52-360x216.jpg यूआईडी कार्ड की कहानी इस तरह शुरू होती है. देश में एक विशिष्ट पहचान पत्र के लिए विप्रो नामक कंपनी ने एक दस्तावेज तैयार किया. इसे प्लानिंग कमीशन के पास जमा किया गया. इस दस्तावेज का नाम है स्ट्रेटिजिक विजन ऑन द यूआईडीएआई प्रोजेक्ट. मतलब यह कि यूआईडी की सारी दलीलें, योजना और उसका दर्शन इस दस्तावेज में है. बताया जाता है कि यह दस्तावेज अब ग़ायब हो गया है. विप्रो ने यूआईडी की ज़रूरत को लेकर 15 पेजों का एक और दस्तावेज तैयार किया, जिसका शीर्षक है, डज इंडिया नीड ए यूनिक इडेंटिटी नंबर. इस दस्तावेज में यूआईडी की ज़रूरत को समझाने के लिए विप्रो ने ब्रिटेन का उदाहरण दिया. इस प्रोजेक्ट को इसी दलील पर हरी झंडी दी गई थी. हैरानी की बात यह है कि ब्रिटेन की सरकार ने अपनी योजना को बंद कर दिया. उसने यह दलील दी कि यह कार्ड खतरनाक है, इससे नागरिकों की प्राइवेसी का हनन होगा और आम जनता जासूसी की शिकार हो सकती है :......... स्रोत :......... |
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आधार कार्ड : यूआईडी : यह कार्ड कितना खतरनाक है - 2 ?......... http://www.worldnow.in/wp-content/up...adhar-Card.jpg अब सवाल यह उठता है कि जब इस योजना की पृष्ठभूमि ही आधारहीन और दर्शनविहीन हो गई तो फिर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह इसे लागू करने के लिए सारे नियम-क़ानूनों और विरोधों को दरकिनार करने पर आमादा है. क्या इसकी वजह नंदन नीलेकणी हैं, जो यूआईडीएआई के चेयरमैन होने के साथ-साथ सरकार चलाने वाले महाशक्तिशाली राजनेताओं के क़रीबी हैं. क्या यह विदेशी ताक़तों और मल्टीनेशनल कंपनियों के इशारे पर किया जा रहा है. देश की जनता को इन तमाम सवालों के जवाब जानने का हक़ है, क्योंकि यह काम जनता के क़रीब 60 हज़ार करोड़ रुपये से किया जा रहा है, जिसे सरकार के ही अधिकारी अविश्वसनीय, अप्रमाणिक और दोहराव बता रहे हैं :......... स्रोत :......... |
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इस लेख को पढ कर लगता है कि लोगों को हवाई यात्रा, रेल यात्रा और पैदल चलना भी छोड देना चाहिये..क्योकि उसमे भी जोखिम होता है और वो भी जान का..!!
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आधार कार्ड : यूआईडी : यह कार्ड कितना खतरनाक है - 2 ?......... http://newsnow.co.in/wp-content/uplo...-base-card.jpg आधार कार्ड यानी यूनिक आईडेंटिटी कार्ड का सपना चकनाचूर होता दिख रहा है. चारों तरफ से इस प्रोजेक्ट का विरोध हो रहा है. राज्य सरकारें, नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और विशेषज्ञ इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठा रहे हैं. केंद्र सरकार स्वयं अंतर्विरोध का शिकार हो रही है. यही वजह है कि कभी गृह मंत्रालय तो कभी वित्त मंत्रालय यूआईडीएआई (यूनिक आईडेंटिटी कार्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया) की मांगों को ठुकरा देता है. खबर यह भी है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अलग से कार्ड बनाने का फैसला लिया है. इतना ही नहीं, सरकार के विभिन्न विभागों में असहमति की वजह से सेंसस कमिश्नर यानी जनगणना आयुक्त यूआईडी की तरह अलग से एक नेशनल कार्ड जारी करेंगे. इस विरोधाभास को खत्म करने के लिए योजना आयोग भी माथापच्ची कर रहा है. जनगणना आयुक्त के मुताबिक, यूआईडी अथॉरिटी जो काम कर रही है, वह दोहराव है, यह काम उनके विभाग का है. नागरिकता क़ानून 1955 के मुताबिक़, जनसांख्यिकी संबंधी सूचनाओं को संग्रहीत करने का अधिकार स़िर्फ उनके विभाग को है :......... स्रोत :......... |
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आधार कार्ड : यूआईडी : यह कार्ड कितना खतरनाक है - 2 ?......... http://www.worldnow.in/wp-content/up.../e-aadhaar.jpg अगर यह काम यूआईडीएआई करती है तो यह क़ानून का उल्लंघन है. उनका मानना है कि यूआईडी के लिए संग्रहीत किया गया डाटा अविश्वसनीय है, क्योंकि यह प्रमाणिक नहीं है. पहचान पत्र को लेकर एक बिल संसद में है. मामला स्टैंडिंग कमेटी गया, जिसके चेयरमैन यशवंत सिन्हा हैं. इस कमेटी के एक सदस्य के मुताबिक़, स्टैंडिंग कमेटी के ज़्यादातर सदस्य यूआईडी की दलीलों से ना़खुश हैं. सरकार इस कार्ड को ज़बरदस्ती लोगों पर थोप रही है. गैस कनेक्शन से लेकर फोन का सिम लेने के लिए इस कार्ड को ज़रूरी बनाया जा रहा है, जबकि इस कार्ड की हैसियत नागरिकता प्रमाणपत्र की नहीं है. अब समझ में नहीं आता है कि जब पहले से ही देश की जनता के पास राशनकार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैनकार्ड और वोटिंग कार्ड मौजूद है तो फिर सरकार नागरिकों को अलग से दो-तीन कार्ड देने पर क्यों आमादा है. यूआईडी पहले से ही विवादों में घिरा है. जैसे-जैसे समय बीत रहा है, इसकी असलियत सामने आ रही है :......... स्रोत :......... |
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आधार कार्ड : यूआईडी : यह कार्ड कितना खतरनाक है - 2 ?......... http://usimages.punjabkesari.in/admi...APOOR-1-ll.jpg हमारे देश की सरकार अजीबोग़रीब है. इसे सपने दिखाने में महारथ हासिल है. यूनिक आईडेंटिटी कार्ड यानी यूआईडी को लेकर पता नहीं कितने हवाई किले बनाए गए. अ़खबारों में, टीवी पर, सेमिनारों में और कई विशिष्ट लोगों के ज़रिए यह समझाया गया था कि यह अब तक का सबसे सटीक पहचान पत्र बनेगा. इसमें कोई गड़बड़ी की गुंजाइश ही नहीं है. कार्ड बनने लगे हैं. अब तक कुल छह करोड़ यूआईडी कार्ड बन गए हैं. हैरानी की बात यह है कि इनमें से क़रीब एक करोड़ कार्ड बेकार हो गए हैं, उन पर पता ग़लत था. अधिकारी और मीडिया इसे देश की जनता की ही ग़लती बता रहे हैं. जिस देश में 48 फीसदी लोग अनपढ़ हैं, जो स्वयं अपना फॉर्म नहीं भर सकते तो ग़लतियां तो होंगी ही. इस योजना को बनाने वालों को यह पहले से पता होना चाहिए था कि देश की लगभग आधी आबादी अपने हस्ताक्षर नहीं कर सकती है. यही वजह है कि यूआईडीएआई को लगातार इस तरह की शिकायतें मिल रही हैं कि यूआईडी नंबर के लिए ग़लत पता लिखा है :......... स्रोत :......... |
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आधार कार्ड : यूआईडी : यह कार्ड कितना खतरनाक है - 2 ?......... http://media2.intoday.in/aajtak/imag...2413042801.jpg इस घटना से दूसरा सवाल उठता है. क्या कोई ग़लत पते भर कर यूआईडी बना सकता है. अगर बना सकता है तो भविष्य में भी ग़लत पते पर यूआईडी बनते रहेंगे. सवाल कार्ड बनाने वाले अधिकारियों और यूआईडीएआई के चेयरमैन नंदन नीलकेणी से पूछना चाहिए कि इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई और इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है. समस्या स़िर्फ यही नहीं है. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में कुछ बुजुर्ग यूआईडी बनवाने पहुंचे. उन्होंने हाथों को जब मशीन पर रखा तो उसने उनके हाथों की रेखाओं को पढ़ने से इंकार कर दिया. पता चला कि 65 साल से ज़्यादा के बुजुर्गों के सूखे हाथों की रेखाओं को मशीन पढ़ ही नहीं सकती. नंदन नीलेकणी साहब इस कार्ड की टेक्नोलॉजी के बारे में कई बार व्याख्यान कर चुके हैं. यह कितनी सर्वोत्तम टेक्नोलॉजी द्वारा तैयार किया जा रहा है, अ़खबारों में इसके बारे में कसीदे हर दिन छपते हैं. हक़ीक़त यह है कि यूआईडी बनवाने की हसरत रखने वाले बुजुर्ग बड़ी संख्या में उदास होकर लौट रहे हैं :......... स्रोत :......... |
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आधार कार्ड : यूआईडी : यह कार्ड कितना खतरनाक है ?......... http://hindi.webdunia.com/articles/1...128073_1_1.jpg चौथी दुनिया ने पहले भी इस कार्ड को लेकर एक रिपोर्ट छापी थी, जिससे यह साबित हुआ कि किस तरह यूआईडीएआई ने देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआर्ई) ने कार्ड बनाने के लिए तीन कंपनियों को चुना-एसेंचर, महिंद्रा सत्यम-मोर्फो और एल-1 आईडेंटिटी सोल्यूशन. इन तीनों कंपनियों पर ही इस कार्ड से जुड़ी सारी ज़िम्मेदारियां हैं. इन तीनों कंपनियों पर ग़ौर करते हैं तो डर सा लगता है. एल-1 आईडेंटिटी सोल्यूशन का उदाहरण लेते हैं. इस कंपनी के टॉप मैनेजमेंट में ऐसे लोग हैं, जिनका अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और दूसरे सैन्य संगठनों से रिश्ता रहा है. एल-1 आईडेंटिटी सोल्यूशन अमेरिका की सबसे बड़ी डिफेंस कंपनियों में से है, जो 25 देशों में फेस डिटेक्शन और इलेक्ट्रानिक पासपोर्ट आदि जैसी चीजें बेचती है. अमेरिका के होमलैंड सिक्यूरिटी डिपार्टमेंट और यूएस स्टेट डिपार्टमेंट के सारे काम इसी कंपनी के पास हैं. यह पासपोर्ट से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस तक बनाकर देती है. इस कंपनी के डायरेक्टरों के बारे में जानना ज़रूरी है. इसके सीईओ ने 2006 में कहा था कि उन्होंने सीआईए के जॉर्ज टेनेट को कंपनी बोर्ड में शामिल किया है. जॉर्ज टेनेट सीआईए के डायरेक्टर रह चुके हैं और उन्होंने ही इराक़ के खिला़फ झूठे सबूत इकट्ठा किए थे कि उसके पास महाविनाश के हथियार हैं. :......... स्रोत :......... |
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